विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

कोविड-19 आत्म-निर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक आह्वान की तरह है:डॉ रघुनाथ माशेलकर


डॉ. माशेलकर ने आत्म-निर्भर भारत के पांच स्तंभों -'खरीदने,बनाने,बेहतर बनाने के लिए खरीदने,बेहतर खरीदने के लिए बनाने और मिलकर बनाने (सार्वजनिक-निजी भागीदारी का निर्माण) पर ज़ोर दिया

Posted On: 03 JUL 2020 2:12PM by PIB Delhi

पद्म विभूषण डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर ने कहा कि कोविड​-19 ने आत्म-निर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए हम सबके पुनर्निर्माण, पुनर्प्राप्ति और अपनी पुन: कल्पना करने के लिए सभी का आह्वाण किया है।

डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद - ग्रीष्म अनुसंधान प्रशिक्षण कार्यक्रम (सीएसआईआर - एसआरटीपी),2020 के तहत आत्म-विश्वास के साथ आत्म-निर्भर भारत के निर्माणविषय पर भाषण दे रहे थे। इसका आयोजन नॉर्थ ईस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर-एनईआईएसटी) ने किया था।

डॉ. माशेलकर ने कहा कि आत्म-निर्भरता या आत्म-निर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के प्रयास में हम खुद को दुनिया से अलग नहीं कर सकते बल्कि खुद को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ जोड़ना जरूरी है। उन्होंने आत्म-निर्भर भारत के पांच स्तंभों -'खरीदने,बनाने,बेहतर बनाने के लिए खरीदने,बेहतर खरीदने के लिए बनाने और मिलकर बनाने (सार्वजनिक-निजी भागीदारी का निर्माण) पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें देश की युवा शक्ति में अटूट विश्वास है,जिसे हमारे देश की तरक्की के लिए तकनीक और भरोसे के साथ तालमेल बिठाकर और निखारने की जरूरत है।

डॉ. माशेलकर ने अपना विचार रखते हुए कहा कि मेक इन इंडिया पहल को केवल उत्पादों के संयोजन पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि भारत में इसका आविष्कार भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्पादों के संयोजन से नि:संदेह नौकरियों का सृजन होगा लेकिन नए विकल्प के लिए हमें गहन अनुसंधान करने की जरूरत है। अनुसंधान के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसंधान धन को ज्ञान में बदल देता है और नवाचार ज्ञानको धन में परिवर्तित करता है, इसलिए हमारे राष्ट्र की समृद्धि के लिए दोनों काम साथ-साथ चलना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमारे पास प्रतिभा और प्रौद्योगिकियां हैं लेकिन अब हमें अपने आप पर भरोसा जगाने या अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की जरूरत है।

डॉ. माशेलकर ने कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि कोविड-19 के बाद दुनिया के लोगों को चीन के विकल्प में एक जगह की तलाश होगी क्योंकि चीन ने भरोसा खो दिया है। उन्होंने कहा कि भारत एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में उभरा है,जिसके लिए भारत को व्यापार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने और विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए उचित साधन और पर्याप्त बुनियादी ढांचे का विकास करने की आवश्यकता है।

डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर ने कहा कि भारत की किस्मत बड़े पैमाने पर बदलने जा रही है क्योंकि यह दुनिया में राजनीतिक रूप से भरोसेमंद देशों में से एक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 10 माशेलकर मंत्रों (या 10 राम मंत्रों) पर प्रकाश डालते हुए अपने भाषण का समापन किया। ये 10 माशेलकर मंत्र हैं:-(1) लक्ष्य ऊंचा रखें- आकांक्षाएं आपकी संभावनाएं हैं, (2) दृढ़ता, (3) हम समस्या नहीं बल्कि हमेशा समाधान का एक हिस्सा हैं, (4) जब सभी दरवाजे बंद हो जाएं तो अपने दरवाजे खुद बनाएं (5) चुपचाप कड़ी मेहनत करें, कहानी सफलता कहेगी, (6) तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएं - नवोन्मेष,जुनून,हृदय में करुणा, (7) हम कुछ भी कर सकते हैं लेकिन सब कुछ नहीं - आप जो करते हैं उसी पर ध्यान दें, (8) सकारात्मक बनें, (9) नए कौशल और नई तकनीकों की आवश्यकता है क्योंकि दुनिया बदल रही है, और (10) मानवीय कल्पना,मानवीय उपलब्धि और मानव धीरज की कोई सीमा नहीं है।

युवा वर्ग के लिए डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर का संदेश यह मानना ​​है कि सबसे अच्छा होना अभी बाकी है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि कड़ी मेहनत करते रहें और इसमें उम्र कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यही इच्छाशक्ति हमारे देश को ऊंचाई पर ले जाएगी जो आत्म-विश्वास के साथ आत्म-निर्भर भारत के लिए उनका सपना है।

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