जल शक्ति मंत्रालय

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए पत्र लिखा

Posted On: 16 JUN 2020 7:52PM by PIB Delhi

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री श्री बिप्लब कुमार देब को लिखे गए पत्र में प्रसन्नता व्यक्त की है कि राज्य ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत 2023 तक 100 प्रतिशत कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बनाई है। जेजेएम ने 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसीएस) के माध्यम से देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार में स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल प्रदान करके लोगों के जीवन-स्तर को बेहतर बनाने की योजना बनाई है।

        राज्य के 8.01 लाख परिवारों में से, केवल 7.63 प्रतिशत परिवारों में नल कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध है। राज्य को निर्धारित समय-सीमा के अन्तर्गत 100 प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना होगा। केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में आशा जताई कि त्रिपुरा 2023 तक 100 प्रतिशत एफएचटीसीएस प्रदान करने के कार्य को पूरा करने में सक्षम रहेगा। राज्य को हर परिवार में पाइप के माध्यम से जलापूर्ति प्रदान करने के कार्य की गति बढ़ानी होगी। इससे दशकों से महिलाओं और विशेषकर लड़कियों के लिए होने वाली कठिनाइयों और कठोर परिश्रम का अंत होगा। जल शक्ति मंत्री ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जेजेएम के शीघ्र कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके घरों में नियमित आधार पर पर्याप्त मात्रा में पीने योग्य पानी मिल सकेगा और यह हमारी माताओं और बहनों के लिए सम्मानजनक जीवन को सुनिश्चित करेगा।

केंद्रीय सरकार इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य सरकार को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। मिशन के तहत, भारत सरकार द्वारा प्रदत्त एफएचटीसीएस के आउटपुट के आधार पर निधि उपलब्ध कराई जाती है और उपलब्ध केंद्रीय और राज्य की बराबर की अंश-भागिता का उपयोग किया जाता है। कंद्रीय मंत्री ने कुछ मुद्दों पर ज़ोर दिया जिन पर राज्य को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। 2019-20 में, 1.66 लाख परिवारों के लक्ष्य की तुलना में, राज्य में केवल 45,769 घरेलू नल कनेक्शन प्रदान किए गए। 2019-20 में, राज्य को 37.73 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि के साथ 107.64 करोड़ दिये गए थे। हालाँकि, राज्य ने इसमें से केंद्रीय निधि का केवल  59.45 करोड़ ही उपयोग किया।

श्री शेखावत ने जोर दिया कि हर परिवार में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराना राष्ट्रीय प्राथमिकता है। इस संदर्भ में, वर्ष 2020-21 के लिए, त्रिपुरा की निर्धारित निधि को 107.64 करोड़ से बढ़ाकर 156.61 करोड़ कर दिया गया है। 136.45 करोड़ के आदिशेष और इस वर्ष 156.61 करोड़ के आवंटन के साथ, राज्य की समान अंश-भागिता पर विचार करने के उपरान्त, त्रिपुरा में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए कुल 320.16 करोड़ उपलब्ध होंगे।

केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री से समयबद्ध तरीके से जलापूर्ति योजनाओं की समीक्षा, आयोजना और इनका कार्यान्वयन करने का अनुरोध किया। इसके लिए, राज्य में मौजूदा पाईप के माध्यम से जलापूर्ति योजनाओं के संवर्द्धन और रेट्रोफिटिंग पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिसके द्वारा न्यूनतम समय में गांवों को 100 प्रतिशत जलापूर्ति की जा सकती है। मंत्री महोदय ने राज्य से इस अभियान को अगले 4 से 6 महीनों के लिए एक 'अभियान' के रूप में पूरा करने और समाज के सभी गरीब और कमज़ोर वर्गों के परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने का आग्रह किया। इसके अलावा, पानी की कमी वाले क्षेत्रों और आकांक्षात्मक जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रमुख गांवों/बस्तियों और सांसद आदर्श ग्रामीण योजना में शामिल गांवों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

जल आपूर्ति प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए जल स्रोतों के महत्व पर जोर देते हुए, केंद्रीय मंत्री ने पेयजल आपूर्ति प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए प्रचलित पेयजल स्रोतों को मजबूत करने की सलाह दी। योजना को ग्राम स्तर पर किया जाना चाहिए और ग्राम कार्य योजना (वीएपी) को विभिन्न योजनाओं जैसे एमजीएनआरईजीएस, एसबीएम, पीआरआईएस के लिए 15वां वित्त आयोग अनुदान, सीएएमपीए निधि, स्थानीय विकास निधि आदि के संमिलन के द्वारा सभी उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से तैयार  किया जाना है।

इस बात पर जोर दिया गया है कि पेयजल सुरक्षा प्राप्त करने के लिए और दीर्घकालिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में स्थानीय ग्राम समुदाय/ग्राम पंचायतों और अथवा उपयोगकर्ता समूहों को शामिल किया जाना चाहिए। सभी गांवों में, जल जीवन मिशन को सही मायने में लोगों का अभियान बनाने के लिए आईईसी अभियान के साथ-साथ सामुदायिक सहयोग की भी आवश्यकता है।

2020-21 में, त्रिपुरा को पीआरआई के लिए 15वें वित्त आयोग अनुदान के रूप में 191 करोड़ आवंटित किए गए हैं और इस राशि का 50 प्रतिशत अनिवार्य रूप से जल आपूर्ति और स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाना है। स्वच्छ भारत मिशन (जी) के अंतर्गत उपलब्ध निधि का उपयोग धूसर जल शोधन और पुन: उपयोग के लिए किया जाएगा।

वर्तमान कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए, केंद्रीय मंत्री का पत्र उचित समय पर लिखा गया है। यह समय लोगों में सामाजिक बदलाव लाने में सहायता करने के साथ-साथ पानी की आपूर्ति के कार्यों में त्वरित व्यवहार बदलाव लाने का भी है। यह महत्वपूर्ण है कि लोग सार्वजनिक स्थलों/सार्वजनिक जल स्रोतों पर भीड़ न होने दें। इसलिए, घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए सभी गांवों में पानी की आपूर्ति का कार्य किया जाना चाहिए, जिससे स्थानीय लोगों और प्रवासियों को रोजगार प्राप्त करने में मदद मिलेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।       

जल शक्ति मंत्री ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को 2023 तक राज्य को 100 प्रतिशत एफएचटीसीएस राज्य बनाने के लिए अपना पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया और शीघ्र ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री के साथ जेजेएम की योजना और कार्यान्वयन पर चर्चा करने की मंशा व्यक्त की।

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एसजी/एएम/एसएस



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