नीति आयोग
कोविड-19 महामारी के खिलाफ अधिकार प्राप्त समूह-6 के राष्ट्रीय अभियान में नागरिक और स्वयंसेवी संगठनों, उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की व्यापक साझेदारी
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04 MAY 2020 4:56PM by PIB Delhi
1. ऐसे समय में जब देश कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी की अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रहा है नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा गठित अधिकार प्राप्त समूह 6 (ईजी 6) नागरिक समाज संगठनों, गैर सरकारी संगठनों तथा उद्योग और विकास क्षेत्र के भागीदारों को सशक्त बनाकर इस चुनौती से निपटने के प्रयासों में उनका सरकार के साथ तालमेल बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत, की अध्यक्षता में गठित इस समूह में डॉ. विजयराघवन, पीएसए, कमल किशोर (सदस्य, एनडीएमए) संदीप मोहन भटनागर (सदस्य, सीबीआईसी); अनिल मलिक (एएस, गृह मंत्रालय); विक्रमदौरईस्वामी, (एएस, विदेश मंत्रालय); पी हरीश (एएस, विदेश मंत्रालय); गोपाल बागले (जेएस, पीएमओ); ऐश्वर्या सिंह (डीएस, पीएमओ); टीना सोनी (डीएस, कैबिनेट सचिवालय) शामिल हैं। समूह के कामकाज का संचालन संयुक्तसमादर (सलाहकार, एसडीजी, नीति आयोग) द्वारा किया जा रहा है। समूह की अब तक हुई 15 से अधिक बैठकों में सीएसओ, गैर सरकारी संगठनों, विकास भागीदारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, उद्योग संघों को बड़े पैमाने पर जोड़ा गया है।
2. नागरिक समाज, गैर सरकारी संगठन तथा विकास साझेदार: सामाजिक सहयोग की भावना
अधिकार प्राप्त समूह ने 92,000 सीएसओ/एनजीओ के एक बड़े नेटवर्क को सक्रिय करने में कामयाबी हासिल की है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ईजी कोविड के खिलाफ लड़ाई में इनकी ताकत और संसाधनों, प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता, पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा और समुदाय में व्यापक पहुंच का लाभ उठाना चाहता है। समूह ने इन लोगों से राज्य सरकारों और जिला प्रशासन को हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद करने, ऐसे क्षेत्रों में अपने स्वयंसेवकों को तैनात करने, बेघर, दिहाड़ी श्रमिकों, प्रवासियों और शहरी गरीब परिवारों सहित कमजोर वर्ग के लोगों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने तथा सामाजिक दूरी बनाए रखने और रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूकता पैदा करने की अपील की है।
सभी मुख्य सचिवों से अनुरोध किया गया कि वे सभी गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करने और अपने संसाधनों तथा नेटवर्क का लाभ उठाने के अलावा अपने मुद्दों को हल करने के लिए राज्य-स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त करें। लगभग सभी राज्यों ने गैर सरकारी संगठनों/सीएसओ के साथ संपर्क करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं।
सभी गैर-सरकारी संगठनों से कहा गया है कि वह भारतीय खाद्य निगम के गोदामों से जितना चाहे चावल और गेहूं उठाएं और उन्हें 22/21 रुपए प्रति किलो के हिसाब से देश भर में वितरित करें ताकि कोई भूखा नहीं रहे।
अक्षयपात्र, राम कृष्ण मिशन, टाटा ट्रस्ट्स, पीरामल फाउंडेशन, पीरामलस्वास्थ्य, बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, एक्शन एड, इंटरनेशनल रेड क्रॉस सेंटर, प्रधान, प्रयास, हेल्प-एज इंडिया, सेवा, सुलभ इंटरनेशनल, चैरिटीज़ ऐड फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया , गौडिया मठ, बचपन बचाओ आंदोलन, साल्वेशन आर्मी, कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया और ऐसे ही कई संगठन इस कठिन दौर में सराहनीय काम कर रहे हैं।
अधिकार प्राप्त समूह कोविड-19 संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में एनजीओ और सीएसओ नेटवर्क और देश भर में 700 जिला मजिस्ट्रेटों के साथ निगरानी और समन्वय कर रहा है। 92000 गैर-सरकारी संगठनों के एक साथ आने के सराहनीय नतीजे सामने आए है। राज्य और जिला प्रशासन की रिपोर्ट इसे साबित करती है।
अधिकार प्राप्त समूह कोविड संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में एनजीओ और सीएसओ नेटवर्क और देश भर में 700 जिला मजिस्ट्रेटों के साथ के साथ निगरानी और समन्वय कर रहा है। 92000 गैर-सरकारी संगठन शहरी क्षेत्रों में काम करने वाले प्रवासियों और बेघर आबादी के लिए सामुदायिक रसोई स्थापित करने में स्थानीय प्रशासन की सहायता और समर्थन करने, रोकथाम, सामाजिक दूरी, साफ-सफाई तथा कोविड से जुड़े सामाजिक दंश के प्रति लोगों को जागरूक करने, बेघर, दिहाड़ी मजदूरों, और शहरी गरीब परिवारों को आश्रय प्रदान करने के सरकारी प्रयासों का समर्थन करने, पीपीई और सैनिटाइज़र, साबुन, मास्क, दस्ताने आदि जैसे सुरक्षात्मक चीजों के वितरण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
ये स्वयंसेवी संगठन सरकार को स्वास्थ्य शिविर लगाने, बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों, बच्चों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और अन्य कमजोर समूहों को सेवाएं देने के लिए हॉटस्पॉट्स और डेपुटेशनर्स और केयर गिवर्स की पहचान करने, कोविड से जुड़ी जानकारियों को विभिन्न भाषाओं में प्रसारित करने की रणनीति विकसित करने में भी मदद कर रहे हैं।
इस समय सबसे बड़ी चिंता प्रवासी मजदूरों का सामूहिक पलायन है। ऐसे में गैर-सरकारी संगठन जिला प्रशासन और राज्य सरकारों के साथ मिलकर ऐसे मजदूरों के संगरोध और उपचार के उपाय करने के लिए सहयोग कर रहे हैं। अगले चरण में समूह नागरिक समाज संगठनों/गैर-सरकारी संगठनों को कोविड के खिलाफ लड़ाई में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के काम में साथ जोड़ेगा।
3. आकांक्षी जिला कार्यक्रम: स्थानीय स्तर पर सामूहिक समाधान:
नीति आयोग द्वारा संचालित आकांक्षी जिले कार्यक्रम देश के 112 सबसे पिछड़े जिलों में लाखों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में सफल रहा है। अब तक 112 आकांक्षी जिलों में कोविड संक्रमण के लगभग 610 मामले सामने आए हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण के दो प्रतिशत से भी कम हैं। इनमें से छह जिलों में 21 अप्रैल के बाद पहला मामला दर्ज किया गया है। बारामूला (62), नूंह (57), रांची (55), वाईएसआर (55), कुपवाड़ा (47) और जैसलमेर में 34 हैं, जोकि हॉटस्पाट हैं।
- नीति आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं कि ये जिले वायरस के प्रसार को रोकने में सक्षम हो सकें और इसके लिए संबंधित जिलों में समूहों को परीक्षण किट, पीपीई और मास्क आदि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है।
(ब) आकांक्षी जिले कार्यक्रम में सहयोग मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक रहा है और इन साझेदारियों ने जिला प्रशासन को अलग शिविरों को नियंत्रित करने, नियंत्रण कक्ष, घर-घर जाकर खाद्य आपूर्ति स्थापित करने, पके हुए खाद्य पदार्थों के वितरण, घर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों को सक्षम करने में मदद की है और उन्हें लॉकडाउन अवधि के दौरान अपनी आजीविका चलाने के लिए मास्क, सैनिटाइज़र और पुन: उपयोग करने योग्य और स्टरलाइज़ सुरक्षात्मक गियर आदि बनाने में भी सहायता की है। उस्मानाबाद एक ऐसा जिला है जहां कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत दी गई राशि का उपयोग करके एक कोविड जांच केंद्र स्थापित किया गया है।
(स) पीरामल फाउंडेशन द्वारा 25 जिलों में शुरू किए गए 'सुरक्षा दादा-दादी और नाना-नानी अभियान' कार्यक्रम का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों पर ध्यान केंद्रित करना है ताकि निवारक उपायों और अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन और दस्तावेज़ और भोजन, राशन से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके।
(द) बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, ने नीति आयोग और अन्य विकास भागीदारों के साथ साझेदारी में कोविड से बचाव के लिए सभी सुरक्षात्मक सामग्रियों और नियमों के बारे में जागरूकता और जानकारी वाली सामग्रियां स्थानीय भाषाओं में तैयार की हैं। आकांक्षी जिलों के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेटों और कलेक्टरों से कहा गया है कि वे इंडियाफाइटकोविड डॉट कॉम पर उपलब्ध कराई गई इन सामग्रियों का आवश्यकतानुसार उपयोग कर लें।
4. अंतर्राष्ट्रीय संगठन: स्थानीय प्रयासों के लिए वैश्विक नेटवर्क का लाभ उठाना
मंत्री समूह ने संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों को साथ लाकर भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर, और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनएफपीए, यूएनडीपी, आईएलओ के विभिन्न देशों में नियुक्त प्रमुखों तथा संयुक्त राष्ट्र महिला, यूएन-हैबिटेट, एफएओ, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के साथ गहन सहयोग के माध्यम से विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों के साथ समन्वय कर उन्हें समयबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना बनाने में सुविधा प्रदान की है। भारत में संयुक्त राष्ट्र ने एक संयुक्त प्रतिक्रिया योजना (JRP) तैयार की है, जिसे प्रमुख घटकों के रूप में रोकथाम, उपचार और आवश्यक आपूर्ति के साथ मंत्री समूह को प्रस्तुत किया गया है।
(अ) 15,300 प्रशिक्षकों का कौशल निर्माण, 3951 निगरानी/स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म पर प्रशिक्षण, 890 अस्पतालों में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण प्रशिक्षण, परीक्षण के लिए आईसीएमआर का समर्थन, जोखिम संचार और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सामुदायिक साझेदारी क्षमताओं को मजबूत करना, 2 लाख पीपीपी और 4 लाख एन-95 मास्क की खरीद और डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ द्वारा शुरू किए गए हैं।
(ब) यूएनडीपी 25 राज्यों के लिए वेंटिलेटर (मौजूदा अनुरोधों के अनुसार शुरू में 1000 इकाइयां, लेकिन संभावित मांग के अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है) सहित चिकित्सा आपूर्ति की खरीद में लगा हुआ है। इसके अलावा, मंत्री समूह द्वारा यूनिसेफ को 10,000 वेंटिलेटर और 10 मिलियन पीपीई किट का ऑर्डर दिया गया है।
(स) यह समूह इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ समन्वय कर रहा है और रेड क्रास सोसाइटी के 40,000 से अधिक स्वयंसेवक 500 से अधिक जिलों में काम कर रहे हैं, इसने 33 जगहों पर क्वारंटाइन/आइसोलेशन की सुविधाओं की व्यवस्था की है।
5. उद्योगों और स्टार्ट-अप के साथ सहयोग: लोकहित के लिए निजी क्षेत्र के प्रयास
अधिकार प्राप्त समूह और नीति आयोग स्वास्थ्य क्षेत्र की निगरानी और अनुरेखण के अलावा गैर स्वास्थ्य क्षेत्रों से समाधान के तरीके प्राप्त करने के साथ ही कोविड प्रबंधन उपायों को सुविधाजनक बनाने और इस संकट से निपटने के लिए निजी क्षेत्र की ताकत का लाभ उठाने, उद्योग और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के सामने उत्पन्न चुनौतियों को कम करने के अलावा समाधान, राहत और पुनर्वास उपायों के साथ ही राष्ट्रव्यापी जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहे हैं।
इसने एमएसएमई, पर्यटन, विमानन, निर्यात और विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों सहित कई क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए निजी क्षेत्र और स्टार्टअप के साथ मंथन और सुझावों का रास्ता खोला है।
a). निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की भूमिका: निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मौजूदा संकट से लड़ने के लिए सरकार के साथ गहन सहयोग के लिए तैयार किया गया है और ये अपनी पूरी क्षमता के साथ इसमें जुडे हैं। निजी क्षेत्र की विनिर्माण कंपनियां तेजी से आगे आ रही हैं और अपने संयंत्र, मशीनरी और कुशल जनशक्ति का उपयोग बड़े पैमाने पर उपकरणों के निर्माण के लिए काम कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सीआईआई ने बड़े पैमाने पर वेंटिलेटर के लिए ऑटोमोबाइल, मशीन टूल्स और रक्षा क्षेत्रों में उच्च अंत विनिर्माण कंपनियों का एक गठबंधन शुरू किया है। यह विभिन्न वर्गीकरणों के वेंटिलेटरों की सूची को बढ़ाने के लिए है क्योंकि मौजूदा निर्माताओं द्वारा वेंटिलेटर निर्माण की क्षमता कम है और वेंटिलेटरों का आयात बाधित है। भारत की निर्माण कंपनियां जैसे टाटा, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारत फोर्ज, मारुति सुजुकी, अशोक लीलैंड, हीरो मोटोकॉर्प, गोदरेज एंड बोयस, सुंदरम फास्टनर्स, वालचंदनगर, ग्रासिम, हुंडई, वोक्सवैगन, कमिंस आदि बड़ी मात्रा में वेंटिलेटर बनाने के लिए आगे आई हैं। कुछ ने पहले ही उत्पादन शुरू कर दिया था।
b) राहत और पुनर्वास में गैर-स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रयास: समूह ने सीआईआई, फिक्की और नैसकॉम जैसे उद्योग संगठनों को राज्य और स्थानीय स्तर पर स्थानीय प्रशासन के साथ राहत कार्यों में समन्वय बनाने के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1. सीआईआई
(i) 50 लाख में से 28 लाख लोग सीआईआई की प्रतिक्रिया पहल से लाभान्वित हुए हैं।
(ii) 13 लाख मास्क, 7.5 लाख दस्ताने, 20,880 पीपीई और 26.8 लाख सैनिटाइजर/साबुन सहित 47 लाख स्वच्छता सामग्री गरीब लोगों, पुलिसकर्मियों और चिकित्साकर्मियों के बीच वितरित की गई है।
(iii) 20 लाख से अधिक लोग- जिनमें दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी श्रमिक, विकलांग व्यक्ति, सीमांत किसान, बुजुर्ग, बच्चे, महिला श्रमिक और खानाबदोश जनजातियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। 11.75 लाख पके हुए भोजन, और 12.5 लाख राशन किट और 1,650 मीट्रिक टन खाद्यान्न जरूरतमंदों को दिया गया है। कई शहरों में सामुदायिक रसोई चलाने में मदद दी गई है।
(iv) सीआईआई फाउंडेशन ने पंजाब और हरियाणा के छह जिलों के 150 गांवों में जागरूकता अभियान और राहत कार्य चलाया है, जिसमें 8,000 से अधिक खेतिहर मजदूरों और सीमांत किसानों के परिवारों को राशन और स्वच्छता किट देने की व्यवस्था की गई है।
(v) सीआईआईएफ वीमेन एक्जम्पलर नेटवर्क ने यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र में हाशिये के समुदायों के 7,400 परिवारों के बीच राशन किट का वितरण किया है।
II) फिक्की:
(vi)फिक्की की ओर से 3.23 करोड़ से अधिक पैकेट पका भोजन और 1,50,000 किलो सूखा राशन दिया गया है।
(vii) कोविड- 19 से संबंधित गतिविधियों जैसे मास्क, पका हुआ भोजन, सूखा राशन, पीपीई, सैनिटाइटर, चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति और चिकित्सा सुविधाओं पर 3009.56 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
(viii) फिक्की की ओर से पीएम केयर्स फंड में 5123.5 करोड़ रुपए का योगदान दिया गया है। (ix) 58,57,500 से अधिक मास्क, 7,86,725 लीटर सैनिटाइज़र, 25 लाख पीपीई, 10,025 वेंटिलेटर, और 25,000 परीक्षण किट वितरित की गई है।
(x) 7 लाख लोगों के लिए वॉटर एटीएम सुविधा स्थापित की गई है।
III) नैसकॉम:
(xi) नैसकॉम की ओर से 15 लाख लोगों के लिए पका भोजन, 5 लाख से अधिक परिवारों को सूखा राशन और स्वच्छता किट, 2.4 लाख मास्क और दस्ताने, 3.5 लाख साबुन और सैनिटाइज़र, और 2,50,000 पीपीई किट वितरित किए गए हैं।
(xii) पीसीआर परीक्षण के तहत 6500 से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया।
(xiii)10,000 से अधिक बच्चों के लिए ऑनलाइन सतत शिक्षण सुविधाएं प्रायोजित की गईं।
(xiv) कोविड-19 के अनुसंधान कार्यों के लिए 4.2 करोड़ रुपए की निधि की व्यवस्था करने की तैयारी की जा रही है।
ग) स्टार्ट-अप्स और प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार:
यह महसूस करते हुए कि देशभर के उद्यमी और नवप्रवर्तक कोविड -19 महामारी, से उत्पन्न चुनौती का समाधान तलाशने के लिए तत्पर है अधिकार प्राप्त मंत्री समूह और नीति आयोग लगातार देश-विदेश में ऐसे स्टार्टअप और उद्यमों को बड़े उद्योगों के साथ जोड़ने में सहयोग कर रहे हैं ताकि कम लागत वाले नए डिजाइन के जरूरी चिकित्सा उपकरण बनाए जा सकें।
I) हाल के सप्ताह में कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा प्रोत्साहित किए गए स्टार्टअप कई नई खोजों और नए प्रयोगो के साथ सामने आए हैं। इन स्टार्टअप्स ने ऐसे रोबोट बनाए हैं जो अस्पतालों के आइसोलेशन वार्डों में भोजन और दवाएं ले जाने, कार्यालय भवनों और सार्वजनिक स्थानों के प्रवेश द्वार पर हैंड सैनेटाइजर वितरित करने तथा वायरस के बारे में सार्वजनिक रूप से जागरूकता संदेश प्रसारित करने तथा डॉक्टरों और परीक्षणों के लिए ऑनलाइन परामर्श सुविधा उपलब्ध कराने का काम भी कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर और आईआईटी हैदराबाद के स्टार्ट-अप कम-लागत, आसान उपयोग और पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित कर रहे हैं जिन्हें भारत के ग्रामीण इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें प्रौद्योगिकी एक बड़ी भूमिका निभा रही है। कुछ राज्यों में, ड्रोन का उपयोग सामाजिक दूरियों की निगरानी के लिए किया जा रहा है।
II) कोविड -19 के खिलाफ जंग में, औद्योगिक निकाय विश्वविद्यालयों, उद्योगों, स्टार्ट-अप और सरकार के बीच प्रयासों को एकीकृत करने के लिए मंच प्रदान करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उदाहरण के लिए, सीआईआई, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के साथ काम कर रहा है और पहले से ही आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी दिल्ली, आईआईएस बैंगलोर और ईडीसी पुणे के स्टार्ट-अप से वेंटिलेटर के 28 नवीन डिजाइन और समाधान प्राप्त कर चुके हैं। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए सीआईआई ने स्वयं एक ऑनलाइन कोविड-19 क्रिटिकल केयर आवश्यक वस्तुएं- डिमांड एंड सप्लाई कनेक्ट प्लेटफॉर्म विकसित किया है। जो आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं के साथ खरीदारों को जोड़ता है।
III) वेंटिलेटर समाधान:
अग्वा: इस स्टार्ट-अप द्वारा विकसित लागत प्रभावी वेंटिलेटर को आसानी से कोविड के लिए अलग से बनाए गए होटल के कमरों, एंबुलेंस अस्थायी वार्डों में लाया ले जाया जा सकता है। इसमे बिजली की कम खपत होती है और इसे चलाने वाले ऑपरेटरों को कम बिजली की खपत और ऑपरेटरों के लिए न्यूनतम प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती है। वर्तमान में स्टार्ट-अप में प्रति माह 20,000 यूनिट्स का उत्पादन करने की क्षमता है।
बायोडिजाइन: रेस्पिरिएड नामक एक रोबोट उत्पाद विकसित किया है जो वेंटिलरों के यांत्रिक रूप से संचालित करने में सक्षम होने के साथ ही आसानी से संचालित किया जा सकता है। कंपनी की वर्तमान विनिर्माण क्षमता प्रति माह 2,000 इकाइयां हैं।
कायनात: यह उत्पाद न्यूनतम वेंटिलेटर संबंधित प्रशिक्षण के साथ आशा कार्यकर्ताओं जैसे लोगों द्वारा आसानी से संचालित किया जा सकता है। इसे आसानी से कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है। इसमें इन-बिल्ट बैटरी, ऑक्सीजन कंसंटेटर और स्टेरलाइज़र कैबिनेट है। इसका प्रोटोटाइप तैयार है, कंपनी के इस साल जून के अंत में प्रति माह 5000 वेंटिलेटर बनाने की क्षमता के साथ उत्पादन करने की संभावना है।
IV) अन्य समाधान:
क्योर ए आई : स्टार्ट-अप ने प्रतिदिन 10,000 सीएक्सआर छवियों को संसाधित करने की क्षमता के साथ चेस्ट एक्स-रे (सीएक्सआर) का एआई सक्षम विश्लेषण विकसित किया है।
ड्रोनैप्स: इस स्टार्ट-अप द्वारा विकसित अग्रिम भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और जियो-फेंसिंग सक्षम मानचित्रों का उपयोग हॉटस्पॉट के लिए क्लस्टर रणनीतियों को सूचित करने के लिए किया जा सकता है।
एमफाइन: यह एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित ऑनलाइन डॉक्टर परामर्श और टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म है और इससे डायग्नोस्टिक्स लैब, फ़ार्मेसीज़ आदि जुड़ सकते हैं। प्लेटफ़ॉर्म डॉक्टर परामर्श के लिए वीडियो टूल का भी समर्थन करता है।
माइक्रोगो : स्टार्टअप ने फ्रंटलाइन मेडिकल पेशेवरों के लिए एक हैंडवाश सिस्टम विकसित किया है जो न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करता है और उपयोग डेटा को कैप्चर करता है। स्टार्ट-अप की वर्तमान में एक दिन में 100 इकाइयों के उत्पादन की क्षमता है।
स्टेकू: कंपनी ने स्क्रीनिंग के लिए एआई सक्षम थर्मल इमेजिंग कैमरा विकसित किया है और वर्तमान में पंजाब और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ आवश्यक सेवाओं और नागरिकों के लिए ई-पास बनाने के काम में लगी है।
बीईएमएल रेल कोच डिवीजन: एक पुराने स्काई ट्रेन कोच को वॉक-थ्रू सैनिटाइज़र सुरंग में परिवर्तित करने जैसे अभिनव प्रयोग कर रहा है। अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन और एसीसी ट्रस्ट ने सैकड़ों गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए कीटाणुनाशक स्प्रे करने के लिए अपने टैंकरों और वाहनों को नए सिरे से तैयार किया है।
सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन आम हो जाने को देखते हुए कई कंपनियां समाधान के लिए डिजिटल अनुप्रयोगों की ओर रुख कर रही हैं। एसएपी अपनी प्रौद्योगिकियों के लिए खुली पहुंच प्रदान कर रहा है जिसका उपयोग प्रकोप से निपटने के लिए किया जा सकता है। आईबीएम ने विश्व सामुदायिक ग्रिड के साथ मिलकर एक आईबीएम सामाजिक प्रभाव पहल की है जो किसी को भी कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन के साथ अपने डिवाइस के निष्क्रिय प्रसंस्करण की अनुमति देता है ताकि वैज्ञानिकों को स्वास्थ्य की सबसे बड़ी समस्याओं का अध्ययन करने में मदद मिल सके । माइक्रोसाफ्ट ने पंजाब सरकार को कोवा ऐप बनाने में मदद की है जिसके जरिए कोविड की प्रामाणिक जानकारी मिल सकती है।
6. आरोग्यसेतु: टेलीमेडिसिन सुविधा के साथ सबसे बड़ा सहभागी जोखिम मूल्यांकन मोबाइल प्लेटफॉर्म है।
मंत्री समूह ने सभी सीएसओ, एनजीओ, अंतर्राष्ट्रीय संगठन और उद्योग भागीदारों से अपने यहां आरोग्यसेतु पोर्टल का प्रभावी तरीके से उपयोग करने का आग्रह किया है। यह एप्लिकेशन लोगों को अन्य लोगों के साथ बातचीत के आधार पर कोविड -19 संक्रमण के जोखिम का आकलन करने में सक्षम बनाता है, यह अत्याधुनिक ब्लूटूथ तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम एल्गोरिदम का उपयोग करता है। यह दुनिया का सबसे तेजी से विकसित होने वाला मोबाइल एप्लिकेशन है, जिसके लॉन्च के कुछ ही दिन बाद गूगल ऐप पर 80 मिलियन से अधिक इंस्टॉलेशन हैं। अब यह ऑनलाइन टेलीमेडिसिन और चिकित्सा परामर्श (कॉल और वीडियो), होम लैब टेस्ट आदि के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसे नीति आयोग और भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार आरोग्यसेतु मित्र के नेतृत्व में विकसित किया गया है। इसमें संगठनों, उद्योगों और स्टार्ट-अप्स की स्वैच्छिक भागीदारी है
7. पीपीई और परीक्षण किट
मंत्री समूह कई ऐसे भागीदारों के बारे में जानकारी देने में भी मददगार रहा है, जिन्होंने कोविड से संबंधित उपकरण मुफ्त में प्रदान दिए हैं:
- आरटीपीसीआर परीक्षण किट- 70,000 किट टेमसेक फाउंडेशन द्वारा प्रदान किए गए हैं।
- आरटीपीसीआर परीक्षण किट- बीएमजीएफ फाउंडेशन द्वारा 30,000 किट (यूपी और बिहार को दिये गए)
- विकास भागीदारों और दानदाताओं के माध्यम से 3 लाख एन-95 और 5 लाख सर्जिकल मास्क वितरित किए गए।
अधिकार प्राप्त समूह सभी प्रमुख हितधारकों को कोविड में अपने क्षेत्र के विशिष्ट प्रयासों को समन्वित करने के लिए एक एकीकृत मंच प्रदान कर रहा है। इसमें न केवल राज्य और जिला प्रशासन बल्कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सीएसओ, गैर सरकारी संगठनों को भी वृहद स्तर पर जोड़ा गया है। 92,000 सीएसओ के साथ समन्वय किया गया है।
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एएम/एमएस
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