कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई- नाम) ने 4 साल पूरे किए


अखिल भारतीय व्यापार पोर्टल कृषि उत्पादन के लिए "एक राष्ट्र-एक बाजार" के सपने को साकार करने में मदद कर रहा है

राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) - एक गेम चेंजर

16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों तक पहुँच

जल्द ही जुड़ेगी 415 मंडियां, ई-नाम मंडियों की कुल संख्या 1000 होगी

Posted On: 13 APR 2020 8:56PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई- नाम) ने कार्यान्वयन के 4 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ई-नाम कृषि विपणन में एक अभिनव पहल है, जो किसानों की डिजिटल पहुंच को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल रूप से पहुंचाता है और कीमत में सुधार के इरादे से व्यापार लेनदेन में पारदर्शिता लाता है, गुणवत्ता के अनुसार कीमत और कृषि उपज के लिए "एक राष्ट्र-एक बाजार"  की अवधारणा को विकसित करता है।

किसानों के लिए कृषि उत्पादों के विपणन को आसान बनाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, 14 अप्रैल 2016 को 21 मंडियों के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा ई- नाम की शुरूआत की गई, जो अब 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों तक पहुँच गई है। उन्होंने यह भी कहा कि अतिरिक्त 415 मंडियों को भी ई-एनएएम के अंतर्गत जोड़ा जा रहा है जो जल्द ही ई-नाम मंडियों की कुल संख्या को 1000 तक ले जाएगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने बताया कि इस वर्तमान Covid19 लॉकडाउन के दौरान, मंत्रालय ने थोक बाजारों में भीड़ कम करने और आपूर्ति श्रृंखला को चुस्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें ई-नाम के तहत हाल ही में लॉन्च किए गए मॉड्यूल शामिल हैं: -

वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल किसानों को अपनी उपज को WDRA पंजीकृत गोदामों से बेचने में सक्षम बनाता है जो डीम्ड बाजार के रूप में अधिसूचित हैं।

एफपीओ ट्रेडिंग मॉड्यूल, एफपीओ को इमेज / गुणवत्ता पैरामीटर के साथ संग्रह केंद्रों से उपज अपलोड करने में सक्षम बनाता है और मंडियों में जाए बिना बोली सुविधा भी प्राप्त करता है, जिससे उनकी उपज को बेचने के लिए रसद लागत और परेशानी कम होगी।

ये प्रयास COVID-19 लॉकडाउन के दौरान किसान / FPO / सहकारी समितियों को राहत प्रदान करेंगे। यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भारत में कृषि बाजार में सुधार के लिए एक विशाल छलांग साबित होगा कृषि क्षेत्र में ई-एनएएम की उपलब्धियां अग्रणी और क्रांतिकारी रही हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भारत में कृषि बाजार में सुधार के लिए एक विशाल छलांग साबित होगा

ई-नाम प्लेटफॉर्म पर 1.66 करोड़ से अधिक किसान और 1.28 लाख व्यापारी पंजीकृत हैं। किसान ई-नाम पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं और वे सभी ई-नाम मंडियों में व्यापारियों को ऑनलाइन बिक्री के लिए अपनी उपज अपलोड कर रहे हैं और व्यापारी भी किसी भी स्थान से इ -नाम के अंतर्गत बिक्री के लिए उपलब्ध लोट के लिए बोली लगा सकते हैं।

इस अवसर पर, भारत सरकार के कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग के सचिव श्री संजय अग्रवाल ने बताया कि “ई- नाम केवल एक योजना नहीं है, बल्कि यह एक यात्रा है, जिसका उद्देश्य अंतिम किसान तक को लाभ पहुंचाना है और उनके कृषि उत्पाद बेचने के तरीके को बदलना है। यह हस्तक्षेप हमारे किसानों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के पारदर्शी तरीके से प्रतिस्पर्धी और पारिश्रमिक कीमतों का एहसास करने के लिए सक्षम करके उनकी आय बढ़ाने में अत्यधिक लाभ लाता है ”। ऑनलाइन और पारदर्शी बोली प्रणाली किसानों को ई-नाम प्लेटफॉर्म पर तेजी से व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।  ई-नाम प्लेटफॉर्म पर थोक वस्तुओं का 3.39 करोड़ मीट्रिक टन एवं बाँस और नारियल के 37 लाख नंबरों की कुल व्यापार मात्रा रिकॉर्ड की गयी है जिसका मूल्य लगभग लगभग 1 लाख करोड़ रुपये है।

पिछले चार वर्षों में चक्रवृद्धि औसत विकास दर (CAGR) क्रमशः मूल्य और मात्रा के संदर्भ में प्रभावशाली 28% और 18% रही है। ई-नाम प्लेटफॉर्म पर वर्ष 2016-17 में औसत बोली संख्या 2 बोली प्रति लॉट से बढ़कर वर्ष 2019 -20 में लगभग 4 बोली प्रति लॉट हो गई है। फसल की कटाई के मौसम के दौरान, अडोनी, आंध्र प्रदेश की मंडी में-कपास में 15 से अधिक बोली / लॉट देखी गई हैं, जिससे किसानों को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी तरीके से अधिक खरीदार मिल रहे है ।

ई-नाम पर व्यापार में सुविधा हेतु शुरुआत में 25 कृषि जींसों के लिए मानक मापदंड विकसित किये गए थे जो अब बढ़कर 150 कर दिए गए है। ई-एनएएम मंडियों में कृषि उत्पाद की गुणवत्ता परीक्षण की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, जो किसानो को अपनी उपज की गुणवत्ता के अनुरूप कीमतें दिलाने में मदद करती हैं। वर्ष 2016-17 में गुणवत्ता जाँच के लॉट की संख्या 1 लाख से बढ़कर वर्ष 2019-20 में लगभग 37 लाख हो गई है।

ई-नाम प्लेटफॉर्म / मोबाइल ऐप को "किसानों के अनुकूल" सुविधाओं के साथ और मजबूत किया गया है, जैसे कि ऐप के माध्यम से लॉट का एडवांस पंजीकरण, जो बदले में मंडी के  प्रवेश गेट पर किसानों के लिए प्रतीक्षा समय को कम करेगा और बड़ी दक्षता लाएगा और गेट पर कृषि उत्पाद के आगमन की रिकॉर्डिंग की सुविधा देगा, किसान अब अपने मोबाइल पर भी गुणवत्ता जाँच की रिपोर्ट देख सकते है, मोबाइल के माध्यम से किसान अपने लॉट की ऑनलाइन बोलियों की प्रगति देख सकते हैं, और किसान आसपास की मंडियों में कीमतों की वास्तविक समय की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

वजन तौलने में पारदर्शिता लाने के लिए ई-नाम प्लेटफॉर्म पर बोली लगाने के बाद किसानों की वस्तुओं को सही ढंग से तौलने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तौल तराजू प्रदान किए गए हैं, व्यापारियों द्वारा किसानों को भुगतान अब BHIM भुगतान सुविधा का उपयोग करके मोबाइल फोन के माध्यम से किया जा सकता है।

व्यापारियों के लिए अतिरिक्त ओटीजी (ऑन द गो) फीचर्स जोड़े गए हैं जैसे कि खरीदारों के लिए मंडी में भौतिक रूप से मौजूद हुए बगैर बोली लगाना, ट्रेडर लॉगिन में ई-नाम शॉपिंग कार्ट सुविधा, कई इन्वॉइसेस के लिए एकल ई-भुगतान लेनदेन सुविधाएँ / बंचिंग ई-भुगतान के दौरान व्यापारियों को ई-भुगतान, एकीकृत ट्रेडिंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन पंजीकरण आदि।

व्यापारियों को गुणवत्ता जाँच में विश्वास पैदा करने के लिए, विभाग ने गुणवत्ता जाँच से संबंधित नई सुविधाएँ शुरू की हैं जैसे :

ई-एनएएम मोबाइल ऐप के जरिए कमोडिटी हीप की 360 डिग्री इमेज कैप्चरिंग।

प्रयोगशाला की 2/3 2D छवि को उपकरण के साथ अपलोड करना  और

ई-एनएएम पर व्यापारी के बेहतर आत्मविश्वास के लिए कमोडिटी सैंपलिंग प्रक्रिया की 2 डी इमेज भी अपलोड करना।

ई-नाम पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने और व्यापारियों व किसानों के बीच सीधा संबंध बनाने के लिए 16 राज्यों के 977 किसान उत्पादक संगठनो को इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया हैं।

झारखंड जैसे राज्यों ने राष्ट्रीय कृषि बाजार मंच के माध्यम से फार्म गेट ट्रेडिंग की शुरुआत की है, जिसके तहत किसान एपीएमसी तक पहुंच के बिना अपने फार्म से ही ऑनलाइन बोली लगाने के लिए तस्वीर के साथ अपनी उपज का विवरण अपलोड कर रहे हैं। इसी तरह, एफपीओ भी व्यापार के लिए अपने संग्रह केंद्रों से अपनी उपज अपलोड कर रहे हैं।

इस मंच ने अन्तर मंडी और हाल ही में राज्यों के बीच व्यापार में उछाल देखा है। अब तक, 13 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने अंतरराज्य व्यापार (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और तमिलनाडु) में भाग लिया है। अंतरराज्य व्यापार 20 जिंसों (जिसमें सब्जियां, दालें, अनाज, तिलहन, मसाले आदि शामिल हैं) में दर्ज किया गया है। ट्रेडर्स इ-नाम प्लेटफॉर्म के माध्यम से 7 लाख से अधिक ट्रकों तक पहुंच बना सकेंगे।

 

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