विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

जेएनसीएएसआर द्वारा इंफ्लूएंजा और कोविड-19 जैसे वायरसों के प्रसार को रोकने के लिए बहुमुखी कोटिंग विकसित किया जा रहा है



हमारे शोध संस्थान अपने ज्ञान को तेजी से चुनौतीपूर्ण और उपयोगी अनुप्रयोगों में लगा रहे हैं। जेएनकेएसआर का यह उत्पाद इसका एक दमदार उदाहरण है।" - प्रो. आशुतोष शर्मा, सचिव, डीएसटी

यह तकनीक बहुत सरल है और इसलिए इसके विकास के लिए कुशल कर्मियों की आवश्यकता नहीं है, यह पहले से ही कोविड-19 के खिलाफ परीक्षण के लिए निर्धारित है

Posted On: 06 APR 2020 4:12PM by PIB Delhi

जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बैंगलोर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त संस्थान, के द्वारा विकसित एक रोगाणुरोधी कोटिंग ने घातक इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार से निपटने के लिए उत्कृष्ट परिणाम दिखाए हैं, इन्फ्लूएंजा वायरस को बड़ी मात्रा में निष्क्रिय करके, जो गंभीर श्वसन संक्रमण का मूल कारण है। विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, डीएसटी की एक इकाई, कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई के लिए इस कोटिंग के क्रमिक विकास में सहयोग कर रही है।

इन्फ्लूएंजा वायरस (एक आच्छादित वायरस) की 100% समाप्ति में कोटिंग की सिद्ध दक्षता से पता चलता है कि यह कोटिंग कोविड- 19 को नष्ट करने में भी प्रभावी हो सकती है- संपर्क के माध्यम से फैलने वाला एक और आच्छादित वायरस। यह तकनीक बहुत ही सरल है और इसलिए इसके विकास के लिए कुशल कर्मियों की आवश्यकता नहीं होती है, और इसे पहले से ही कोविड-19 के खिलाफ परीक्षण के लिए निर्धारित किया जा चुका है। अगर यह प्रभावी पाया जाता है, तो डॉक्टरों और नर्सों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मास्क, गाउन, दस्ताने, फेस शील्ड जैसे कई पीपीई को इससे लेपित किया जा सकता है, जिससे उनकी सुरक्षा और बचाव को बढ़ावा मिल सकता है। इससे उन्हें कोविड-19 के खिलाफ ज्यादा प्रभावी तरीके से लड़ाई लड़ने में और मदद मिलेगी।

 

डीएसटी के सचिव प्रो आशुतोष शर्मा ने कहा, “यह बहुत खुशी की बात है कि विश्व स्तर पर बुनियादी विज्ञान में गहन पकड़ के लिए स्वीकार किए जाने वाले हमारे सबसे अच्छे अनुसंधान संस्थान भी तेजी से चुनौतीपूर्ण और उपयोगी अनुप्रयोगों में अपने ज्ञान को स्थानांतरित कर रहे हैं। जेएनसीएएसआर का यह उत्पाद इसका एक दमदार उदाहरण है। मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि हम उद्योग द्वारा विनिर्माण में पर्याप्त मदद के साथ कई और सफल उदाहरण देखेंगे

 

इस तकनीक को जेएनकेएसआर में प्रो. जयंत हलदर के ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें श्री श्रीयान घोष, डॉ रिया मुखर्जी और डॉ देबज्योति बसाक शामिल हैं। कोटिंग के लिए वैज्ञानिकों ने जिस यौगिक को संश्लेषित किया है, वह पानी, इथेनॉल, मेथनॉल और क्लोरोफॉर्म जैसे घुलनशील विलयनों से बना हुआ है। इस यौगिक के जलीय या जैविक विलयनों का उपयोग दैनिक जीवन और चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण विभिन्न सामग्रियों, जैसे कपड़ा, प्लास्टिक, पीवीसी, पॉलीयुरीथेन, पॉलीस्टीरीन को एक चरण में कोटिंग करने के लिए किया जा सकता है। यह कोटिंग इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ उत्कृष्ट वायरसरोधी गतिविधियों का प्रदर्शन करती है, जो संपर्क में आने के 30 मिनट के अंदर ही उन्हें पूरी तरह से समाप्त कर देती है। यह रोगजनकों (यानी बैक्टीरिया) की झिल्लियों को भी बाधित करता है जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।

 

अनुसंधान के दौरान, कोटिंग वाले सतहों पर विभिन्न दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया और कवक भी मारे गए जैसे कि मेथिसिलिन प्रतिरोधी एस ऑरियस (मरसा) और फ्लुकोनाज़ोल प्रतिरोधी सी. अल्बिकैन्स एसपीपी, उनमें से अधिकांश 30 से 45 मिनट में, तेजी के साथ माइक्रोबिसिडल गतिविधियां प्रदर्शित करते हैं। इस यौगिक के साथ लेपित कपास की चादरें एक लाख से ज्यादा जीवाणु कोशिकाओं का पूरी तरह से खात्मा दर्शाति हैं।

 

अणुओं को सरल शोधन और उच्च प्रतिफल के साथ, लागत प्रभावी तीन से चार सिंथेटिक दृष्टिकोणों का उपयोग करके, एक विस्तृत श्रृंखला में सर्वोत्कृष्ट घुलनशीलता प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके अलावा, कोटिंग को विभिन्न सतहों पर आसानी से बनाया जा सकता है और तकनीकी सरलता इसके विकास के लिए कुशल कर्मियों की आवश्यकता को समाप्त कर देती है।

 

(अधिक जानकारी के लिए, डॉ. जयंत हलदर, jayanta@jncasr.ac.in, jayanta.jnc[at]gmail[dot]com मोबाइल नं: 9449019745 पर संपर्क करें।)

 

एएम/एके-

 


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