विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डीएसटी-एसईआरबी ने कोविड-19 और सांस संबंधी संक्रमणों से निपटने के लिए मंजूर परियोजनाओं के पहले सेट की घोषणा की 

Posted On: 02 APR 2020 6:21PM by PIB Delhi

कोविड-19 वायरस पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है, इस संकट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी नाम दिया है। उपयुक्त कीमोथैरेप्यूटिक प्रक्रिया और एक प्रभावी वैक्सीन की कमी को देखते हुए, वैश्विक आबादी को अत्‍यधिक संवेदनशीलता के साथ वर्तमान कोरोनोवायरस का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। भारत में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते बोझ के मद्देनजर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग - विज्ञान और इंजीनियरिंग बोर्ड (डीएसटी-एसईआरबी) ने महामारी के खिलाफ अनुसंधान और विकास के राष्ट्रीय प्रयासों को तुरंत बढ़ाने के लिए अनेक विशेष अनुसंधान परियोजनाओं की घोषणा की है।

डीएसटी-एसईआरबी ने 5 परियोजनाओं का पहला सेटचुना है, जिसे अमल में लाने योग्‍य प्रौद्योगिकियों के और विकास के लिए सहायता दी जाएगी। इन परियोजनाओं में से तीन व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) जैसी निर्जीव सतहों के एंटीवायरल और वायरस्टेटिक सतह कोटिंग का अत्यधिक महत्वपूर्ण मुद्दा है; जबकि एक अन्य कोविड-19 संक्रमित रोगियों में मेटाबोलाइट बायोमार्कर की पहचान से संबंधित है, जो चिकित्सीय लक्ष्य की पहचान करता है; और आखिरी कोरोनोवायरस के स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन के रिसेप्टर-बाध्यकारी डोमेन के खिलाफ एंटीबॉडी के विकास से संबंधित है।

परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:

लक्षित चिकित्सा के लिए कोविड​​-19 संक्रमित रोगियों में वैश्विक मेटाबोलाइट बायोमार्कर की पहचान

यह कोविड-19 संक्रमित रोगियों में वैश्विक मेटाबोलाइट बायोमार्कर की पहचान करेगा। यह कोविड ​​संक्रमण के लिए संभावित बायोमार्कर संकेत की खोज और चिकित्सा के लिए नोवल लक्ष्यों की पहचना में मदद करेगा।

{विवरण के लिए डॉ. संजीव श्रीवास्तव, बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटीबॉम्बे, मुंबई (sanjeeva@iitb.ac.in) से संपर्क करें}

रोग निरोधी और किफायती एंटीवायरल प्रयोगों के लिए दोबारा प्रयोजनीय बहु-लक्षित वीरीसिडल (वायरस को नष्‍ट करने की ओर बढ़ रहे) एजेंटों/ दवाओं के साथ कार्यात्मक निर्जीव सतहों का विकास।

यह गंभीर संक्रामक रोग जैसे गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम-संबंधी नोवल कोरोनवायरस, सार्स-सीओवी-2 के कारण संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए सर्जिकल मास्क जैसी स्वास्थ्य संबंधी स्थिति में इस्तेमाल होने वाली निर्जीव सतहों के लिए वीरीसिडल कोटिंग्स विकसित करने में मदद करेगा।

{विवरण के लिए डॉ.नगमा परवीन, रसायन विज्ञान विभाग, आईआईटी कानपुर, कानपुर (nagma@iitk.gov.in) पर संपर्क करें।}

इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए एंटीवायरल सतह कोटिंग्स का विकास

जैसा कि सतहों पर वायरस लगने से घातक संक्रमण फैलता है, इस प्रस्ताव का उद्देश्य छोटे आणविक और पॉलीमेरिक यौगिकों को विकसित करना है, जो विभिन्न सतहों परसहसंयोजक और गैर-सहसंयोजक दोनों तरह से,कोटेड होंगे और सम्‍पर्क में आने पर श्वसन तंत्र के वायरस को पूरी तरह से नष्‍ट कर देंगे।

{विवरण के लिए डॉ.जयंत हलधर, जेएनसीएएसआर, बैंगलोर (jayanta@jncasr.ac.in) से संपर्क करें}

निर्जीव सतहों के वायरल परिशोधन के लिए सूत्रीकरण का विकास

यह ऐसी सामग्री विकसित करने में मदद करेगा जिसका उपयोग वायरस कार्यनीति के रूप में किया जा सकता है और किसी भी चिपके हुए वायरस या बैक्टीरिया को हटाने के लिए सतहों को कीटाणुरहित करने के लिए पोछेपर लागू किया जा सकता है।

{डॉ बी.एस. बुटोला, कपड़ा और फाइबर इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी दिल्ली (bsbutola@iitd.ac.in)}

2019-एनसीओवीकी एंटीबॉडी आधारित पकड़ और यथास्‍थान जैल में लिपिड-आधार का उपयोग करके इसकी निष्क्रियता

यह परियोजना सीओवी के स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित करने में मदद करेगी जोजिंक पेप्टिडेज़ एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 नाम के एक समुदाय सेल-सतह रिसेप्टरको पहचानने में शामिल है। एक अन्य उद्देश्य प्रवेश के बिंदु पर वायरस को निष्क्रिय करने के लिए यथास्‍थान जैल में असंतृप्त मुक्त फैटी एसिड-आधारित पायस विकसित करना है।

{डॉ किरण कोंडाबागिल, बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटीबॉम्बे, मुंबई (kirankondabagil@iitb.ac.in)}

परियोजनाओं का चयन कोविड-19 परियोजनाओं के लिए विशेष विशेषज्ञ समिति द्वारा सहकर्मी-समीक्षा और मूल्यांकन के बाद किया गया था।

{आप डीएसटी-एसईआरबी की कोविड-19आर एंड डीप्रयासों से संबंधित अधिक जानकारी के लिए अधोहस्ताक्षरी से संपर्क कर सकते हैं:

प्रोफेसर संदीप वर्मा, सचिव, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड

ईमेल: secretary@serb.gov.in}

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एएम/ केपी



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