आयुष

वर्षांत समीक्षा 2019 - आयुष मंत्रालय


1,032 आयुष स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों के लिए 89.92 करोड़ रुपये प्रदान किए गए

91 एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना की जा रही है;

नीति आयोग व इनवेस्ट इंडिया के सहयोग से 2019 के दौरान वित्तीय सहायता प्रदत्त एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान एवं योजना (एसआईएचआर)

केंद्रीय परिषदों द्वारा 70 अवस्थाओं के लिए 140 क्लासिकल दवाओं को मान्यता दी गई

Posted On: 23 DEC 2019 12:05PM by PIB Delhi

स्वास्थ्य सेवा की आयुष प्रणाली भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है क्योंकि इसकी जड़ें हमारी संस्कृति और परंपरा के साथ बहुत गहराई तक जाती है और देश के विभिन्न इलाकों के आम लोग इसमें भरोसा जताते हैं। जीवन शैली से संबंधित बीमारियों के प्रबंधन और बढ़ती उम्र के नागरिकों की बीमारियों के इलाज में इनकी प्रासंगिकता खासतौर पर महत्वपूर्ण है, और ये दोनों ऐसी बीमारियां हैं जो हमारे देश की स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती हुई चिंताएं हैं।

 

अपनी स्थापना के पांचवें वर्ष में आयुष मंत्रालय ने चिकित्सा की वैकल्पिक प्रणाली को लोकप्रिय बनाने की दिशा में हासिल किए गए लाभ को मजबूत करने और उसके लिए एक मजबूत और सभी को शामिल करने वाली संरचना तैयार करने का अभियान शुरू किया। मंत्रालय ने वर्ष 2019 के माध्यम से आयुष प्रणाली को मुख्यधारा में लाने के अपने प्रयासों को जारी रखा और उसी में काफी सफलता भी हासिल की। इन प्रयासों में गतिविधियों के इन सात विस्तृत क्षेत्रों को शामिल किया गया - आयुष स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच में सुधार, आयुष अनुसंधान को प्रोत्साहन,आयुष शिक्षा, आयुष औषधियां और संबंधित मामले, जागरूकता का निर्माण, आयुष प्रणालियों के वैश्वीकरण के लिए प्रयास और आयुष क्षेत्र में आईटी को शामिल करना।

 

आयुष स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार:

 

आयुष स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना, राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) सबसे प्रमुख साधन है। यह योजना आयुष क्षेत्र के विकास के लिए राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों के प्रयासों का समर्थन करती है। यह तय किया गया है कि आयुष मंत्रालय के माध्यम से, राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से, आयुष्मान भारत योजना के 10 प्रतिशत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) को संचालित किया जाए। इस निर्णय का अनुसरण करते हुए मंत्रालय ने एनएएम की मौजूदा केंद्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत 1,032 आयुष डिस्पेंसरियों को 89.92 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की है ताकि उन्हें आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के रूप में उन्नत किया जा सके। प्रधानमंत्री ने डिजिटल मोड के माध्यम से 30 अगस्त 2019 को हरियाणा राज्य में 10 आयुष एचडब्ल्यूसी को शुरू किया। ये 1,032 आयुष एचडब्ल्यूसी देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी आयुष स्वास्थ्य सेवा की पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे।

 

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत आयुष बीमा पैकेजों को शामिल करने के लिए 19 आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी और 14 योग व प्राकृतिक चिकित्सा उपचार पैकेजों का प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) को भेज दिया गया है। जन स्वास्थ्य सेवा के साथ आयुष को मुख्यधारा में लाने के लिए एनएएम और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और जिला अस्पतालों (डीएचएस) में आयुष सुविधाओं के सह-स्थान को क्रियान्वित किया जा रहा है। आयुष घटक को मुख्यधारा में करने के लिए 30 जून 2019 तक 7620 पीएचसी, 2758 सीएचसी और 495 डीएच को आयुष सुविधाओं के साथ सह-स्थित किया गया है जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में आयुष उपचार जनता के लिए उपलब्ध हो सकेंगे।

 

आयुष के माध्यम से माध्यमिक / तृतीयक स्वास्थ्य सेवा को सक्रिय करने के लिए आयुष मंत्रालय देश में 50 बिस्तर वाले एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर रहा है। मंत्रालय ने 50 बिस्तर तक वाले 91 एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है जिनमें ऐसे 6 अस्पतालों को चालू वर्ष में सहायता दी गई है। आयुष मंत्रालय ने वनों पर दबाव को कम करने और एएसयूएच उद्योगों की मांग को पूरा करने के लिए किसान की भूमि पर औषधीय पौधों की खेती में 48,050 हेक्टेयर क्षेत्र को सहायता की है। इस उद्देश्य के लिए 1,544 समूहों के तहत 56,711 किसानों को सब्सिडी दी गई है। आयुष मंत्रालय ने गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री के वितरण के लिए पूरे देश में 190 नर्सरी को सहयोग किया है।

 

लेह में सोवा-रिग्पा के लिए राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है, जो सोवा-रिग्पा की परंपरा को पुनर्जीवित करने और जनसंख्या के बड़े वर्गों के लिए इसे सुलभ कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सोवा-रिग्पा भारत में हिमालय बेल्ट की एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है। यह सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में प्रचलित है। सोवा-रिग्पा राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना पूरे भारतीय उप-महाद्वीप में सोवा-रिग्पा के पुनरुद्धार को बल प्रदान करेगी।

 

मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाय), आयुष मंत्रालय ने तिहाड़ केंद्रीय जेल के जेल मुख्यालय के साथ मिलकर नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 के अवलोकन के लिए तिहाड़ जेल में आईडीवाय योग प्रशिक्षण का आयोजन किया जहां 16,000 से अधिक जेल कैदियों ने सामान्य योग नियमों पर आधारित विस्तृत योग प्रशिक्षण प्राप्त किया।

 

पुणे के राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान (एनआईएन) ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर का उपयोग लोगों तक उन प्राकृतिक चिकित्साओं और प्रथाओं को पहुंचाने के लिए किया जो महात्मा गांधी के दिल के करीब थीं। एनआईएन ने निसर्गोपचार महोत्सवकी थीम के तहत 150 प्राकृतिक चिकित्सा शिविर लगाने का कार्यक्रम हाथ में लिया जिसे एक वर्ष के लिए पूरे भारत में आयोजित किया जाएगा जिसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2019 से हुई। इन शिविरों में से पहला 30 सितंबर से 2 अक्टूबर 2019 के दौरान गोवा में आयोजित किया गया था जिसमें लगभग 5000 लोगों ने भाग लिया और प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ प्राप्त किया।

 

आयुष प्रणालियों में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देना:

 

आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को समर्पित अनुसंधान की केंद्रीय परिषदें जो कि मंत्रालय के अधीन स्वायत्त निकाय हैं वे आयुष अनुसंधान का मुख्य आधार बनी रहीं। आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी और सिद्ध की केंद्रीय अनुसंधान परिषदों ने क्लिनिकल सुरक्षा और प्रभावकारिता पर साक्ष्य उत्पन्न करके इस अवधि के दौरान 70 स्थितियों के लिए 140 क्लासिकल दवाओं को मान्य किया। भविष्य पर बहुत बड़े असर वाली गतिवधि के तौर पर नीति आयोग और इनवेस्ट इंडिया (अग्नि प्लेटफॉर्म) के सहयोग से एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान (एसआईएचआर) योजना को तैयार किया गया है। यह आधुनिक चिकित्सा के साथ एकीकरण आयुष प्रणालियों की अभी तक भुनाई नहीं गई क्षमता को संबोधित करेगी और साक्ष्य आधारित एकीकृत प्रथाओं के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का हल निकालेगी। इस परियोजना के लिए अगले दो वर्षों में 490 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है और उम्मीद है कि इसका विश्वव्यापी असर होगा। प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) में आयुर्वेद हस्तक्षेप शुरू करने को लेकर एक उच्च प्रभाव अनुसंधान परियोजना का संचालन महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया गया। इसमें सब्जेक्ट्स के रूप में 10,000 माताओं के शामिल होने की उम्मीद है जो कि किसी चिकित्सा अनुसंधान परियोजना के लिहाज से एक बहुत बड़ा सैंपल साइज़ है।

 

इस वर्ष आयुष मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने हैदराबाद के एर्रागड्डा में तत्कालीन केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से अपग्रेड हुए राष्ट्रीय त्वचा विकार यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया। मंत्री महोदय ने नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में सिद्ध नैदानिक ​​अनुसंधान इकाई और यूनानी चिकित्सा केंद्र का भी उद्घाटन किया जो एकीकृत चिकित्सा अनुसंधान को मंच प्रदान करेगा। नई दिल्ली के दिल्ली कैंट में बेस हॉस्पिटल स्थित पैलिएटिव केयर सेंटर में आयुर्वेद पैलियेटिव केयर यूनिट भी, एक और संभावनाओं से भरा संस्थान है जिसे इस साल शुरू किया गया। एक महत्वपूर्ण शोध गतिविधि के अंतर्गत 2019 के दौरान सफल नतीजों के साथ केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद ने गोरखपुर के स्थानिक क्षेत्र में दिमाग़ी बुख़ार (एनसेफेलाइटिस) और डेंगू हैमोरेजिक बुखार पर अपनी अध्ययन परियोजनाओं को पूरा किया।

 

आयुष शिक्षा:

 

2019 के दौरान आयुष शिक्षा क्षेत्र को विकास और आधुनिकीकरण के मार्ग पर ले जाने में ये मंत्रालय सफल रहा। सभी आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) को व्यापक रूप से क्रियान्वित करना एक ऐसी उपलब्धि थी जिसका देश में आयुष शिक्षा की गुणवत्ता पर लंबे समय तक प्रभाव रहेगा।

 

आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी पोस्ट ग्रेजुएट संस्थानों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अखिल भारतीय स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा (एआईपीजीईटी) सुचारू रूप से आयोजित की गई। इसे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित किया गया था। केंद्र सरकार द्वारा 2019 में पहली बार यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों की न्यूनतम 15 फीसदी अखिल भारतीय कोटा सीटों के लिए पंजीकरण, आवंटन और रिपोर्टिंग सहित ऑनलाइन काउंसलिंग आयोजित की गई थी जिसका लाभ सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त व निजी कॉलेज, साथ ही डीम्ड विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय संस्थानों के छात्र-आवेदकों को मिला था।

 

आयुष शिक्षण संस्थानों को अनुमति देने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया था जिसकी वजह से यह वार्षिक प्रक्रिया पिछले वर्षों की तुलना में बहुत पहले पूरी हो गई थी। आयुष मंत्रालय के तहत काम करने वाले 10 राष्ट्रीय संस्थान विशेष महत्व के हैं क्योंकि वे अपने संबंधित विषयों में शिक्षा के लिए मानक निर्धारित करते हैं। इन राष्ट्रीय संस्थानों के लिए ये एक बहुत ही फलदायक वर्ष रहा और उन्हें कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी हासिल हुईं। जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के उन्नयन का काम चल रहा है और जयपुर में एनआईए के दूसरे परिसर के निर्माण के लिए 1.37 एकड़ जमीन की खरीद को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसके साथ ही इस विश्वविद्यालय के डीम्ड होने का दर्जा पाने के लिए संस्थान द्वारा आवेदन यूजीसी को प्रस्तुत कर दिया गया है।

 

चेन्नई के राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (एनआईएस) ने वर्मम की प्राचीन प्रथा को बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। चिकित्सा की सिद्ध प्रणाली में वर्मम विज्ञान के इतिहास और इसके चिकित्सकीय मूल्यों की खोज करने पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन अगस्त 2019 में आयोजित किया गया जिसे जनता और डॉक्टरों की जबरदस्त प्रतिक्रिया हासिल हुई। कई न्यूरोलॉजिकल, अपक्षयी और ऑर्थोपेडिक स्थितियों के लिए वर्मम को प्रभावी पाया जाता है। एनआईएस ने "वर्मम विज्ञान की एक पाठ्य पुस्तक" भी संकलित की जिसमें वर्मम की प्रैक्टिस पर व्यापक जानकारी शुमार है। इस संस्थान ने वर्मम के लिए एक विशेष ओपीडी भी शुरू की है। 2019 के दौरान विभिन्न राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा चिकनगुनिया, सोरायसिस आदि स्वास्थ्य सेवा और रोग स्थितियों पर 10 महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

 

आयुष औषधि नीति और संबंधित मामले:

 

आयुष दवाओं की सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण, आयुष औषधि का विनियमन और नियंत्रण इस वर्ष के दौरान ध्यान का क्षेत्र बना रहा। 2019 में आयुष औषधि नीति और संबंधित मामलों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां थीं, जैसे - आयुष दवा नियंत्रण के लिए 9 नियामक पदों की अधिसूचना के साथ एक प्रणाली को औपचारिक रूप दिया गया था। यह आयुष औषधि उद्योग के परिपक्व होने का संकेत देता है। भारत उन चंद देशों में शुमार हो गया जिनके यहां पारंपरिक और पूरक चिकित्सा के लिए विशेष दवा विनियमन की व्यवस्था है। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को साथ लाकर ऑनलाइन लाइसेंस आवेदनों के लिए ई-औषधि पोर्टल को मजबूत किया गया। जनऔषधि योजना में आयुष दवाओं को शामिल किया गया। आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी की आवश्यक दवा सूची को अद्यतन और संशोधित किया गया।

 

इस साल के दौरान आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयूएच) दवाओं की सुरक्षा निगरानी और प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी के लिए एएसयूएच दवाओं के लिए फार्माकोविजिलेंस की केंद्रीय योजना को तेज किया गया। राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस समन्वय केंद्र (एनपीवीसीसी), पांच मध्यवर्ती फार्माकोविजिलेंस केंद्रों (आईपीवीसी) और पेरिफेरल फार्माकोविजिलेंस केंद्रों (पीपीवीसी) से शुमार एक थ्री टियर नेटवर्क स्थापित करने के लिए अनुदान सहायता प्रदान की गई। पांच मध्यवर्ती और एक राष्ट्रीय केंद्र के तहत 63 पीपीवीसी स्थापित किए गए हैं। एएसयूएच दवाओं के सेवन के कारण होने वाली प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्टिंग जनवरी 2019 से शुरू हुई और अक्टूबर 2019 में एएसयूएच दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव के लगभग 250 मामले सामने आए।

 

आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले गाज़ियाबाद स्थित स्वायत्त संगठन, भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी औषधकोश आयोग (पीसीआईएमएच) ने आयुष औषधकोश (फार्माकोपिया) को परिष्कृत करने के अपने प्रयासों को जारी रखा। औषधकोश विशेष महत्व के हैं क्योंकि वे उन दवाओं के गुणवत्ता मानकों के आधिकारिक संकलन हैं जो आयातित होती हैं, बिक्री के लिए निर्मित की जाती हैं और भारत में बिक्री या वितरण के लिए प्रदर्शित या संग्रह करके रखी जाती है। 2019 के दौरान पीसीआईएमएच ने निम्नलिखित औषधकोश प्रकाशन जारी किए:

 

यूनानी: यूपीआई विमोचित, भाग-2, खंड-4 जिसमें यूनानी दिवस पर 50 यूनानी योगों के मोनोग्राफ भी हैं, 11 फरवरी 2019

 

होम्योपैथी: होम्योपैथी फार्मास्यूटिकल कोडेक्स (ई-कॉपी) (45 दवाएं) को होम्योपैथी दिवस पर जारी किया गया।

 

भारतीय औषधिकोश (फार्माकोपियल) प्रयोगशाला (पीएलआईएम) आयुष मंत्रालय का अधीनस्थ एक और कार्यालय है जो आयुष की प्रैक्टिस में कई स्तरों की परिष्कृतता जोड़ने और मजबूत करने में सक्रिय था। 2019 के दौरान इस प्रयोगशाला की प्रमुख उपलब्धियां ये थीं:

 

2019-20 में ड्रग प्रवर्तन अधिकारियों / ड्रग इंस्पेक्टरों और गुणवत्ता नियंत्रण कर्मियों के चार प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे किए गए।

 

2019-20 में एपीसी को सौंपे गए 40 सुगंधित द्रव्यों का विश्लेषण।

 

2019-20 में औषधीय पौधे के लिए दो सर्वेक्षण दौरे पूरे किए गए।

 

अगस्त 2019 में वसई (मुंबई) में राष्ट्रीय स्तर के एक आरोग्य मेले में भाग लिया।

 

अगस्त 2019 में बांग्लादेश से आए प्रतिनिधिमंडल ने पीएलआईएम का दौरा किया।

 

आयुष प्रणालियों के बारे में जागरूकता का निर्माण:

 

जनता के बीच आयुष प्रणालियों के बारे में जागरूकता पैदा करना मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण आदेश है। इस संबंध में सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही,21 जून 2019 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 का सफल आयोजन किया जाना। मंत्रालय ने सैकड़ों हितधारक संस्थानों की पहचान करके और उनके साथ गठजोड़ करने की रणनीति अपनाते हुए योग दिवस को एक जन-आंदोलन में बदलने में सफलता प्राप्त की। 5वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 का उत्सव पिछले आयोजन की तुलना में आकार और दायरे के लिहाज से ज्यादा बड़ा था। ये समारोह सिर्फ भारत के सब राज्यों और जिलों में ही नहीं बल्कि 150 विदेशी देशों में भी फैला हुआ था। इसमें मुख्य राष्ट्रीय कार्यक्रम झारखंड के रांची शहर में आयोजित किया गया था जहां प्रधानमंत्री ने लगभग 30,000 योग साधकों के साथ योगाभ्यास किया। सिडनी में ओपेरा हाउस, पेरिस में एफिल टॉवर, वॉशिंगटन में वॉशिंगटन स्मारक, ब्राज़ीलिया में ब्राज़ीलिया कैथेड्रल, चीन में शाओलिन मंदिर, नेपाल में माउंट एवरेस्ट के आधार और डेड सी समेत दुनिया की बहुत सी प्रतिष्ठित जगहों में योग दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए गए।

 

मंत्रालय और इसके स्वायत्त निकायों द्वारा आयुष हेल्थकेयर के निवारक और प्रचारक पहलुओं पर देश के विभिन्न हिस्सों में जनता के लिए लगभग 100 सम्मेलन और कार्यशालाएं आयोजित की गईं। इसके अलावा मंत्रालय के आयुष संस्थानों द्वारा लगभग 50 रोगी शिक्षा शिविर आयोजित किए गए। इसी तरह आयुष विषयों पर दस प्रमुख एक्सपो या प्रदर्शनियां भी आयोजित की गईं।

 

आयुष मंत्रालय ने अमर चित्र कथा, मुंबई के सहयोग से 'प्रोफेसर आयुष्मान' नाम की कॉमिक बुक प्रकाशित की जो औषधीय पौधों और उनके औषधीय मूल्यों पर आधारित बच्चों की कॉमिक बुक है। इस कॉमिक बुक का उद्देश्य है औषधीय पौधों के बारे में ज्ञान और जागरूकता बढ़ाना, विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों की पहचान करना और उन्हें बगीचे में उगाने समेत उनके उपयोग जानना, छात्रों को भोजन में जड़ी-बूटियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना, आमतौर पर उपलब्ध और अक्सर उपयोग किए जाने वाले हर्बल पौधों के उपयोग को लोकप्रिय बनाना और एक मजेदार व व्यावहारिक तरीके से भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण करना।

 

गुडुची पर प्रजातियों के विशिष्ट अभियान के तहत "अमृता फॉर लाइफ" नामक 11 परियोजनाएं इस पौधे के प्रसार के लिए स्वीकृत की गईं। इस पौधे में प्रतिरक्षा प्रणाली और संक्रमण के खिलाफ शरीर के प्रतिरोध में सुधार करने की अपार क्षमता है।

 

आयुष प्रणालियों का वैश्वीकरण:

 

आयुष प्रणालियों के वैश्वीकरण के प्रयासों ने 2019 में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। आयुष मंत्रालय और एमओए के अंतर्गत काम करने वाले कई संस्थागत संगठनों और परिषदों द्वारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत से समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौता ज्ञापनों ने आयुष प्रणालियों के अनुसंधान, शिक्षा या अन्य पहलुओं में संयुक्त प्रयासों के शुभारंभ या गहनता का संकेत दिया। भारत जिन बिमस्टेक (बीआईएमएसटीईसी) राष्ट्रों के साथ उत्कृष्ट राजनीतिक और सामाजिक रिश्ते रखता है उन्होंने भारत में बिमस्टेक आयुर्वेद एवं पारंपरिक चिकित्सा विश्वविद्यालय की संयुक्त रूप से स्थापना करने के लिए सहमति व्यक्त की है। आयुष मंत्रालय की ओर से अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) ने 22 अक्टूबर 2019 को पारंपरिक और पूरक चिकित्सा पर मेकॉन्ग-गंगा सहयोग (एमजीसी) कार्यशाला की मेजबानी की।

 

एक अन्य ऐतिहासिक गतिविधि में, 12 अगस्त 2019 को भारत और चीन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए दुनिया के दो सबसे बड़े पारंपरिक चिकित्सा प्रशासनों ने अपने देशों के लोगों के लाभ के लिए ये सहयोग किया।

 

एआईआईए द्वारा 2019 के वर्ष में हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापनों में शामिल रहे: 18-20 अप्रैल, 2019 को यूके के कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ, अमेरिका के स्पॉल्डिंग रीहैबिलिटेशन हॉस्पिटल के साथ समझौता ज्ञापन, आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान सहयोग के लिए 31 अक्टूबर 2019 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट स्थित फ्रैंकफर्ट बायोटेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर के साथ, 21 नवंबर 2019 को आयुष मंत्रालय में ऑस्ट्रेलिया की वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के साथ समझौता ज्ञापन।

 

आयुष क्षेत्र में आईटी को शामिल करना:

 

इस साल के दौरान मंत्रालय ने आयुष क्षेत्र में आईटी को शामिल करने की एक भविष्य-उन्मुख पहल भी की। इसका नाम आयुष ग्रिड परियोजना रखा गया जिसमें इस क्षेत्र के सभी कक्षों को कवर करने वाली एक आईटी रीढ़ स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। पीएम ने मंत्रालय की आयुष ग्रिड परियोजना की सराहना की है और आयुष क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के दोहन की आवश्यकता को रेखांकित किया। मंत्रालय इस वर्ष इस क्षेत्र में परिवर्तन के लिए आईटी के दोहन को लेकर कई महत्वपूर्ण कदमों को लागू करने में सक्षम रहा। इसमें शामिल है:

 

(1) केंद्रीय अनुसंधान परिषदों की सभी इकाइयों को कवर करने के लिए नव क्रियान्वित आयुष - स्वास्थ्य सूचना प्रणाली को बढ़ाया गया है।

 

(2) आईटी परियोजनाओं में व्यापक समर्थन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और इसके तहत बीआईएसएजी अहमदाबाद और एनईजीडी नई दिल्ली ने मंत्रालय की आईटी परियोजनाओं का समर्थन करना शुरू कर दिया है।

 

(3) मंत्रालय की सभी गतिविधियों को कवर करने वाला एक मॉनिटरिंग डैशबोर्ड स्थापित किया गया है।

 

(4) अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019 और फार्माकोपिया आयोग को समर्पित पोर्टल।

 

(5) आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी प्रणालियों के लिए मानकीकृत शब्दावली को अंतिम रूप दिया गया है जिससे डब्ल्यूएचओ के अंतर्राष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (आईसीडी) में उनके भविष्य के समावेश को सुगम बनाया गया है। इससे इन प्रणालियों के वैश्वीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

(6) योग प्रशिक्षण के लिए आस-पास के स्थानों को खोजने में जनता का समर्थन करने के लिए योगालोकेटर मोबाइल ऐप लॉन्च किया।

 

 

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/जीबी


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