पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
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वर्षांत समीक्षा 2024 - पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय

पीएमयूवाई के तहत 10.33 करोड़ कनेक्शन जारी

एलपीजी कनेक्शनों की संख्या 2014 के 14.52 करोड़ से बढ़कर 2024 में 32.83 करोड़, 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि

देश में परिचालित प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की लंबाई 2014 के 15,340 किलोमीटर से बढ़कर 2024 में 24,945 किलोमीटर

देशभर में 17,400 से अधिक खुदरा दुकानों पर ई-20 पेट्रोल उपलब्ध

Posted On: 07 JAN 2025 1:24PM by PIB Delhi

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज एवं उत्पादन, शोधन, वितरण एवं विपणन, पेट्रोलियम उत्पादों के आयात, निर्यात एवं संरक्षण से जुड़ा है। तेल एवं गैस हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। हमें इस का आयात करना पड़ता है। इसलिए मंत्रालय द्वारा ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा स्थिरता एवं ऊर्जा सुरक्षा जैसी प्राथमिकताओं का समाधान करने के क्रम में सभी घरेलू पेट्रोलियम संसाधनों के उत्पादन एवं दोहन को बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। पिछले एक वर्ष में मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं की प्रगति निम्न प्रकार से है:

1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई)

उज्ज्वला आज 10.33 करोड़ का सशक्त परिवार है

योजना की शुरुआत से लेकर अब तक पीएमयूवाई परिवारों को लगभग 222 करोड़ एलपीजी रिफिल वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही प्रतिदिन लगभग 13 लाख रिफिल लिए जा रहे हैं।

सभी उज्ज्वला लाभार्थियों को 300 रुपये प्रति सिलेंडर की लक्षित सब्सिडी दी जा रही है।

सरकार के प्रयासों से उज्ज्वला परिवारों द्वारा एलपीजी की खपत में वृद्धि हुई है। 14.2 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की संख्या के संदर्भ में प्रति व्यक्ति खपत 2019-20 के 3.01 से बढ़कर 2023-24 में 3.95 हो गई है। चालू वर्ष में, पीसीसी (प्रति व्यक्ति खपत) 4.34 (अक्टूबर 2024 तक आनुपातिक आधार पर रिफिल) तक पहुंच गई है।

2. एलपीजी कवरेज

अप्रैल 2014 से अब तक एलपीजी कनेक्शनों की संख्या 14.52 करोड़ से बढ़कर 32.83 करोड़ हो गई है (01.11.2024 तक), जो 100 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि है।

01.11.2024 तक लगभग 30.43 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता पहल योजना के अंतर्गत नामांकित हैं। अब तक 1.14 करोड़ से अधिक ग्राहकों ने 'गिव इट अप' अभियान के तहत अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ दी है।

वर्ष 2014 से अब तक एलपीजी वितरकों की संख्या 13,896 से बढ़कर 01.11.2024 तक 25,532 हो गई है, जिससे एलपीजी की पहुंच और उपलब्धता में वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय है कि 90 प्रतिशत से अधिक नए वितरक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा प्रदान कर रहे हैं।

3. सुविधाएं

खुदरा दुकानों (आरओ) पर डिजिटल भुगतान इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के क्रम में, 01.12.2024 तक देश भर में 84,203 आरओ पर 1,03,224 ई-वॉलेट सुविधाएं प्रदान की गई हैं। 84,203 आरओ को भीम यूपीआई के साथ सक्षम किया गया है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत, हर खुदरा दुकानों पर शौचालय की सुविधा सुनिश्चित की गई है। 01.12.2024 तक, 83,618 आरओ में शौचालय की सुविधा है, जिसमें 66,026 आरओ में पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा है।

01.12.2024 तक, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने डीलरों और स्टार्ट-अप्स के माध्यम से कुल 3,097 डोर टू डोर डिलीवरी (डीडीडी) बॉवर्स चालू किए हैं।

तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के आरओ में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन (ईवीसीएस) उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 01.12.2024 तक, ओएमसी ने पूरे भारत में 17,939 ईवी चार्जिंग स्टेशन और 206 बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित किए हैं।

4. प्राकृतिक गैस पाइपलाइन

देश में चालू प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की लंबाई 2014 के 15,340 किलोमीटर से बढ़कर 30.09.2024 तक 24,945 किलोमीटर हो गई है। इसके अलावा, लगभग 10,805 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का विकास कार्य चल रहा है। पीएनजीआरबी/भारत सरकार द्वारा अधिकृत इन पाइपलाइनों के पूरा होने के साथ, राष्ट्रीय गैस ग्रिड पूरा हो जाएगा और भारत में सभी प्रमुख मांग और आपूर्ति केंद्रों को जोड़ देगा। इससे सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस की आसान उपलब्धता सुनिश्चित होगी और समान आर्थिक और सामाजिक प्रगति हासिल करने में भी मदद मिलेगी।

5. एकीकृत पाइपलाइन टैरिफ

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड ("पीएनजीआरबी") ने "एक राष्ट्र, एक ग्रिड और एक टैरिफ" के मिशन के साथ प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिए एकीकृत टैरिफ से संबंधित विनियमों को शामिल करने के लिए पीएनजीआरबी (प्राकृतिक गैस पाइपलाइन टैरिफ का निर्धारण) विनियमों में संशोधन किया है।

पीएनजीआरबी ने 01.07.2024 से 80.97 रुपए/एमएमबीटीयू का स्तरीकृत एकीकृत टैरिफ अधिसूचित किया है और एकीकृत टैरिफ के लिए तीन टैरिफ जोन बनाए हैं, जहां पहला जोन गैस स्रोत से 300 किलोमीटर की दूरी तक है, दूसरा जोन 300-1200 किलोमीटर और तीसरा जोन 1200 किलोमीटर से आगे है।

राष्ट्रीय गैस ग्रिड में सभी परस्पर जुड़े पाइपलाइन नेटवर्क शामिल हैं, जिनका स्वामित्व और संचालन इन संस्थाओं द्वारा किया जाता है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट लिमिटेड, गुजरात गैस लिमिटेड, रिलायंस गैस पाइपलाइन्स लिमिटेड, जीएसपीएल इंडिया गैसनेट लिमिटेड और जीएसपीएल इंडिया ट्रांसको लिमिटेड इसके उदाहरण हैं।

इस सुधार से विशेष रूप से दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले उपभोक्ताओं को लाभ होगा, जहां वर्तमान में एडिटिव टैरिफ लागू है और इससे गैस के बाजारों के विकास में मदद मिलेगी तथा देश में गैस उपयोग बढ़ाने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को भी बल मिलेगा।

6. सिटी गैस वितरण (सीजीडी) कवरेज

पीएनजीआरबी ने देश के लगभग शत-प्रतिशत क्षेत्र और शत-प्रतिशत् आबादी को कवर करने की क्षमता वाले सीजीडी इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 307 भौगोलिक क्षेत्रों को अधिकृत किया है। 30.09.2024 तक, देश में पीएनजी (डी) कनेक्शन और सीएनजी स्टेशनों की कुल संख्या क्रमशः 1.36 करोड़ और 7259 थी।

7. सतत पहल

कम्प्रेस्ड जैव गैस (सीबीजी) के उत्पादन और उपयोग को लेकर इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए 1 अक्टूबर. 2018 को सतत पहल शुरू की गई थी।

· 30.11.2024 तक 80 सीबीजी संयंत्र चालू हो चुके हैं और 72 सीबीजी संयंत्र निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।

· मंत्रालय ने सीजीडी नेटवर्क में सीएनजी के साथ सीबीजी के समन्वय के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं;

· शहरी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क में सीबीजी डालने के लिए पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के विकास हेतु एक योजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सीबीजी संयंत्र से शहरी गैस वितरण ग्रिड तक पाइपलाइन कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

· डीपीआई योजना के अंतर्गत आवेदन प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल 1 सितंबर, 2024 से सक्रिय कर दिया गया है।

· मंत्रालय ने 2 फरवरी 2024 को बायोमास एकत्रीकरण मशीनरी (बीएएम) की खरीद के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इस योजना में बायोमास एकत्रीकरण मशीनरी की खरीद के लिए सीबीजी उत्पादकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।

· सरकार ने सी.बी.जी. के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सी.जी.डी. नेटवर्क के सी.एन.जी. (टी) और पी.एन.जी. (डी) खंड में सी.बी.जी. की चरणबद्ध अनिवार्य बिक्री की घोषणा की है। सी.बी.जी. दायित्व (सी.बी.ओ.) वर्तमान में वित्त वर्ष 2024-2025 तक स्वैच्छिक है और अनिवार्य बिक्री दायित्व वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होगा। वित्त वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के लिए सी.बी.ओ. को क्रमशः कुल सी.एन.जी./पी.एन.जी. खपत का 1 प्रतिशत, 3 प्रतिशत और 4 प्रतिशत रखा जाएगा। 2028-29 से सी.बी.ओ. 5 प्रतिशत होगा।

8. सीजीडी संस्थाओं के लिए घरेलू गैस आवंटन की समीक्षा

सीजीडी क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने और आम लोगों को मूल्य अस्थिरता से बचाने के लिए, सरकार ने सीजीडी क्षेत्र के लिए नए गैस आवंटन दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत पीएनजी (घरेलू) खंड का आवंटन बढ़ा दिया गया है (अर्थात पिछली तिमाही में पीएनजीडी खपत का 105 प्रतिशत) और शेष उपलब्ध मात्रा को आनुपातिक आधार पर सीएनजी (टी) खंड को आपूर्ति की जाएगी।

संशोधित कार्यप्रणाली सीजीडी इकाई के लिए सहायक रही है, क्योंकि आबंटन और संदर्भ अवधि के बीच का अंतराल औसतन 6 महीने से घटकर औसतन 3 महीने रह गया है, जो अधिक यथार्थवादी उपभोग डेटा को दर्शाता है।

9. घरेलू गैस का मूल्य निर्धारण

ओएनजीसी/ओआईएल के नामांकन क्षेत्रों, नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) ब्लॉकों और पूर्व-एनईएलपी ब्लॉकों से उत्पादित गैस के लिए अप्रैल 2023 में संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, जहां उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) में कीमतों के लिए सरकार की मंजूरी का प्रावधान है।

ऐसी प्राकृतिक गैस की कीमत भारतीय क्रूड बास्केट के मासिक औसत का 10 प्रतिशत होगी और इसे मासिक आधार पर अधिसूचित किया जाएगा तथा इसकी एक न्यूनतम और अधिकतम सीमा होगी।

गैस की कम कीमत से घरेलू, उर्वरक और बिजली उपभोक्ताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

10. जैव ईंधन और इथेनॉल मिश्रण

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत, इथेनॉल की आपूर्ति इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर ईएसवाई 2023-24 में 707.40 करोड़ लीटर हो गई है। इससे पेट्रोल में 14.60 प्रतिशत इथेनॉल का औसत मिश्रण प्राप्त हुआ है। चालू ईएसवाई (2024-2025) के लिए, 29.12.2024 तक इथेनॉल मिश्रण में और सुधार होकर 16.23 प्रतिशत हो गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने देश भर में 17,400 से अधिक खुदरा दुकानों पर ई20 पेट्रोल (पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल) का वितरण शुरू कर दिया है।

पिछले दस वर्षों में, ईबीपी कार्यक्रम के कारण 1,08,600 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी मुद्रा प्रभाव, 557 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) कार्बनडायऑक्साइड की कमी और किसानों को 92,400 करोड़ रुपये से अधिक का शीघ्र भुगतान हुआ है।

अप्रैल से नवंबर 2024 के दौरान, तेल विपणन कंपनियों ने जैव-डीजल सम्मिश्रण कार्यक्रम के लिए 36.68 करोड़ लीटर जैव-डीजल खरीदा है, जबकि अप्रैल से नवंबर 2023 के दौरान 29.25 करोड़ लीटर की खरीद की गई थी।

ग्रीन हाइड्रोजन: तेल और गैस पीएसयू ने 2030 तक 900 केटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं (ईपीसी और बीओओ मोड) की योजना बनाई है। पीएसयू रिफाइनरियों द्वारा 42 केटीपीए निविदाएं जारी की गई हैं, जिन्हें मार्च 2025 तक प्रदान किए जाने की संभावना है। चल रही निविदाओं के परिणाम के आधार पर पीएसयू रिफाइनरियों द्वारा लगभग 128 केटीपीए निविदाएं जारी की जाएंगी।

सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) में एसएएफ के मिश्रण का सांकेतिक लक्ष्य क्रमशः 2027, 2028 और 2030 से 1 प्रतिशत, 2 प्रतिशत और 5 प्रतिशत निर्धारित किया है।

पीएम जी-वन योजना को दिनांक 21.08.2024 की अधिसूचना के तहत संशोधित किया गया है, जिसमें प्रमुख परिवर्तन शामिल किए गए हैं, जैसे "2जी इथेनॉल" के स्थान पर उन्नत जैव ईंधन को शामिल करना, बोल्ट-ऑन और ब्राउनफील्ड परियोजनाओं के लिए पात्रता और योजना की समयसीमा को वित्त वर्ष 2028-29 तक बढ़ाना।

1 1. रिफाइनिंग क्षमता

देश में 22 प्रचालनरत रिफाइनरियां हैं जिनकी कुल रिफाइनिंग क्षमता 256.8 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) है।

अठारह रिफाइनरियां सार्वजनिक क्षेत्र में हैं, तीन निजी क्षेत्र में हैं और एक संयुक्त उद्यम के रूप में है। 256.8 एमएमटीपीए की कुल रिफाइनिंग क्षमता में से 157.3 एमएमटीपीए सार्वजनिक क्षेत्र में, 11.3 एमएमटीपीए संयुक्त उद्यम में और शेष 88.2 एमएमटीपीए निजी क्षेत्र में है।

इसके अलावा, 11 पीएसयू रिफाइनरियों में रिफाइनरी क्षमता विस्तार परियोजनाओं के कार्यान्वयन के साथ-साथ नई बुनियादी रिफाइनरियों की स्थापना के कारण 2028 तक रिफाइनिंग क्षमता 256.80 एमएमटीपीए से बढ़कर 309.50 एमएमटीपीए हो जाने की संभावना है।

1 2. अन्वेषण और उत्पादन

हाइड्रोकार्बन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी): भारतीय तलछटी बेसिनों में तेल और गैस के विशाल भंडार का दोहन करने के लिए, सरकार ने मार्च 2016 में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) के एक भाग के रूप में ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (ओएएलपी) का शुभारंभ किया। नई अन्वेषण नीति उत्पादन साझाकरण अनुबंध (पीएससी) व्यवस्था से राजस्व साझाकरण अनुबंध (आरएससी) व्यवस्था में बदलाव प्रदान करती है। 3.137 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के प्रतिबद्ध निवेश के साथ आठ समाप्त ओएएलपी बोली के दौर में कंपनियों को 2,42,056 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करने वाले कुल 144 ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। आज तक, ओएएलपी के तहत दिए गए ब्लॉकों में 13 हाइड्रोकार्बन खोजें की गई हैं और एक खोज पहले से ही गुजरात में गैस (0.44 एमएमएससीएमडी) का उत्पादन कर रही है 8 तलछटी घाटियों में फैले इस ब्लॉक के प्रति बोलीदाताओं की ओर से बहुत अच्छी रुचि दिखी है। प्राप्त बोलियों का मूल्यांकन किया जा रहा है और सफल बोलीदाताओं को बहुत जल्द ब्लॉक प्रदान किए जाएंगे। इसके बाद, ओएएलपी बोली राउंड-एक्स में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के लिए 1,91,986.21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अंतिम रूप दिया गया है।

इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 741 (132 अन्वेषणात्मक और 609 विकासात्मक) कुएं खोदे गए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में गैस उत्पादन 34.45 बीसीएम से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 36.44 बीसीएम हो गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में नामांकन और अनुबंध व्यवस्था में कुल 12 खोजें की गई हैं। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल 16645.31 एलकेएम 2डी भूकंपीय और 15701.17 एसकेएम 3डी भूकंपीय सर्वेक्षण किए गए हैं। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, एयरबोर्न ग्रेविटी ग्रैडियोमेट्री और ग्रेविटी मैग्नेटिक सर्वे (एजीजी और जीएम) सर्वेक्षण के तहत, कुल 42,944 फ्लाइट एलकेएम 2डी भूकंपीय डेटा भी प्राप्त किया गया।

खोजे गए छोटे क्षेत्र के लिए नीति (डीएसएफ): सरकार ने वर्ष 2015 में डीएसएफ नीति शुरू की। अब तक डीएसएफ बोली के तीन दौर पूरे हो चुके हैं और 85 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं जबकि 55 अनुबंध वर्तमान में सक्रिय हैं। 5 क्षेत्र उत्पादन पर हैं और मार्च 2024 तक कुल उत्पादन 520 एमबीबीएल तेल और 138 एमएमएससीएम गैस है। डीएसएफ दौर ने 15 नई हस्तियों को लाया है।

भारत में सीबीएम: 15 ब्लॉक और 1.8 एमएमएससीएमडी की उत्पादन दर के साथ, सीबीएम ने 6.38 बीसीएम से भी अधिक का कुल उत्पादन हासिल किया है, जिसमें आज तक 2.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश प्राप्त हुआ है। भविष्य की बोली दौर में पेशकश के लिए और अधिक ब्लॉकों की पहचान की जा रही है।

ईएंडपी के लिए नो-गो क्षेत्र खोले गए: एक्सक्लूसिव इकनोमिक जोन (ईईजेड) के लगभग 99 प्रतिशत पूर्व 'नो-गो' क्षेत्र को ईएंडपी के लिए खोल दिया गया है, जो दशकों से अन्वेषण के लिए अवरुद्ध थे। 'नो-गो' क्षेत्रों को मुक्त किए जाने के बाद, अब तक 1,52,325 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए बोलियां/रुचि की अभिव्यक्ति प्राप्त हुई है। हाल ही में ओएनजीसी द्वारा महानदी अपतटीय क्षेत्र में दो गैस खोज की गई हैं, जिसमें 94 प्रतिशत क्षेत्र 'नो-गो' क्षेत्र में है। रक्षा और अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के बाद लंबे समय के बाद अंडमान अपतटीय क्षेत्र को भी अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों के लिए खोल दिया गया है।

ईएंडपी के लिए सरकारी वित्तपोषित कार्यक्रम : सरकार भारतीय तलछटी घाटियों में अन्वेषण बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) सहित नए भूकंपीय डेटा के अधिग्रहण, स्ट्रेटीग्राफिक कुओं के वित्तपोषण और हाल ही में शुरू किए गए मिशन अन्वेषण और विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ सर्वेक्षण योजनाओं में कठिन इलाकों में हवाई सर्वेक्षण डेटा प्राप्त करने के लिए लगभग 7,500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई गई है।

स्ट्रेटीग्राफिक कुएं: श्रेणी-II और श्रेणी-III बेसिनों, अर्थात् महानदी, बंगाल, सौराष्ट्र और अंडमान में 3200 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ चार अपतटीय स्ट्रेटीग्राफिक कुएं हमें इन बेसिनों में उप सतही भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे, जहां व्यावसायिक रूप से संभावनाएं अभी तक स्थापित नहीं हुई हैं। [3200 करोड़ रुपये का आंकड़ा उपरोक्त बिंदु में उल्लिखित 7500 करोड़ रुपये के आंकड़े में शामिल है]

नेशनल डेटा रिपोजिटरी: जुलाई 2017 में, भारत सरकार ने एक ईएंडपी डेटा बैंक, राष्ट्रीय डेटा रिपोजिटरी (एनडीआर) की स्थापना की है, जिसमें भविष्य की खोज और विकास के लिए डेटा के संरक्षण, रखरखाव और प्रसार के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं और इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल है। भारत के लिए एनडीआर होने से पेट्रोलियम अन्वेषण की संभावनाओं को बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण डेटा की उपलब्धता में सुधार करके बोली के दौर को सुविधाजनक बनाने में मदद मिली है। राष्ट्रीय डेटा रिपोजिटरी (एनडीआर) को क्लाउड आधारित एनडीआर में अपग्रेड किया जा रहा है, जो भूकंपीय, कुओं और उत्पादन डेटा के तत्काल प्रसार को सक्षम करेगा। इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इस परियोजना के पूरा होने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय भूकंप संबंधी कार्यक्रम: सरकार ने अक्टूबर, 2016 में भारत के सभी तलछटी घाटियों में उन अप्रमाणित क्षेत्रों का मूल्यांकन करने के लिए राष्ट्रीय भूकंप संबंधी कार्यक्रम (एनएसपी) तैयार किया, जहां कोई/अल्प डेटा उपलब्ध नहीं था। कार्यक्रम के तहत, सरकार ने 48,243 लाइन किलो मीटर (एलकेएम) के डेटा अधिग्रहण, प्रसंस्करण और व्याख्या (एपीआई) के लिए 2डी भूकंप संबंधी सर्वेक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। लक्ष्य 48,243 एलकेएम में से कुल 46,960 एलकेएम (97 प्रतिशत से अधिक) 2डी भूकंपीय डेटा प्राप्त किया जा सका। 46,960 एलकेएम डेटा का प्रसंस्करण और व्याख्या पूरा हो चुका है और डेटा को रिपोर्ट के साथ राष्ट्रीय डेटा रिपॉजिटरी (एनडीआर) को सौंप दिया गया है।

13. अंतरराष्ट्रीय सहयोग

तेल एवं गैस स्रोतों का विविधीकरण:

वित्त वर्ष 2023-24 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। हमने अपने कच्चे तेल के स्रोत का विस्तार किया है, जिससे विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों पर निर्भरता कम हुई है।

गैस आधारित अर्थव्यवस्था और विविधीकरण की ओर बढ़ने के लिए, भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आईओसीएल और गेल ने एडीएनओसी, यूएई के साथ दीर्घकालिक एलएनजी आपूर्ति समझौते किए, जिससे सालाना लगभग 2.7 एमएमटी एलएनजी प्राप्त हुई।

वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन:

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सितंबर 2023 में लॉन्च किए गए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन यानी ग्लोबल बायो फ्यूल एलायंस (जीबीए) में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जिसमें 28 सदस्य देश और 12 अंतरराष्ट्रीय संगठन गठबंधन में शामिल हो गए हैं और इसका विस्तार किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, जीबीए ने भारत में जीबीए सचिवालय की स्थापना के लिए अक्टूबर 2024 में भारत सरकार के साथ मुख्यालय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो स्वच्छ ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्व के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को चिन्हित करता है।

पड़ोसी देशों के साथ सहभागिता:

भारत ने पड़ोसी देशों के साथ ऊर्जा संबंधों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, नेपाल के साथ भारत सरकार ने पेट्रोलियम अवसंरचना के विकास के लिए मई 2023 में एक जी2जी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, इसके बाद अक्टूबर 2024 में आईओसीएल और नेपाल के एनओसी के बीच एक वाणिज्यिक बी2बी समझौता हुआ।

इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति के लिए भूटान के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

स्वच्छ ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन क्षेत्र पर अंतरराष्ट्रीय साझेदारी:

भारत और अमेरिका ने भारत-अमेरिका जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 के अनुरूप, रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (एससीईपी) के माध्यम से अपनी साझेदारी को गहरा करना जारी रखा। सितंबर 2024 की मंत्रिस्तरीय बैठक में स्वच्छ ऊर्जा सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।

नवंबर 2024 में माननीय प्रधानमंत्री की राजकीय यात्रा के दौरान, भारत और गुयाना ने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया।

स्वच्छ ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता 2जी/3जी जैव ईंधन, हरित हाइड्रोजन और अन्य उभरते ईंधनों तक फैली हुई है। हाल ही में जून 2024 में भारत ने हरित हाइड्रोजन और टिकाऊ जैव ईंधन में सहयोग के लिए इटली के साथ एक आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर किए।

माननीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने ब्राजील के खान एवं ऊर्जा मंत्री के साथ मिलकर सतत विमानन ईंधन को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर समन्वित स्थिति के लिए एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया।

14. सामरिक पेट्रोलियम भंडार

माननीय प्रधानमंत्री ने फरवरी 2019 में एसपीआर चरण- I (मैंगलोर में 1.5 एमएमटी एसपीआर सुविधा और पादुर में 2.5 एमएमटी एसपीआर सुविधा और विशाखापत्तनम में 1.3 एमएमटी एसपीआर सुविधा) में 5.33 एमएमटी रणनीतिक कच्चे तेल भंडारण को समर्पित किया।

पेट्रोलियम रिजर्व कार्यक्रम के दूसरे चरण के अंतर्गत, सरकार ने जुलाई 2021 में पीपीपी मोड पर 6.5 एमएमटी की कुल भंडारण क्षमता (चंडीखोल (4 एमएमटी) और पादुर (2.5 एमएमटी) में भूमिगत भंडारण) के साथ दो अतिरिक्त वाणिज्यिक-सह-रणनीतिक सुविधाएं स्थापित करने की मंजूरी दी है।

भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने ओडिशा के जाजपुर जिले के चंदीखोल में परियोजना स्थल के लिए विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट (डीएफआर) और भू-तकनीकी सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। परियोजना के लिए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) भी राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर द्वारा किया गया है।

दिसंबर 2022 में, ओडिशा सरकार ने आईएसपीआरएल से ओडिशा में अन्य स्थलों की खोज करने का अनुरोध किया। वैकल्पिक भूमि की तलाश में होने वाली संभावित देरी और एक बार फिर व्यवहार्यता अध्ययन करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, ओडिशा सरकार से चंडीखोल में वही भूमि आवंटित करने का अनुरोध किया गया है जिसके लिए आईएसपीआरएल ने पहले आवेदन प्रस्तुत किया था और व्यवहार्यता अध्ययन पूरा किया था।

15. हाइड्रोकार्बन परियोजनाएं और निवेश

तेल और गैस क्षेत्र आर्थिक विकास का एक प्रमुख चालक है और इसलिए, इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाएं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं और रोजगार सृजन, सामग्री की आवाजाही आदि में योगदान देंगी। अक्टूबर 2024 तक, तेल और गैस सीपीएसई की  5 करोड़ रुपये और उससे अधिक लागत की 283 परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं, जिनकी कुल अनुमानित लागत  5.70 लाख करोड़ रुपये है। वित्त वर्ष 2024-25 में इन परियोजनाओं पर लक्षित व्यय 79,264 करोड़ रुपये है, जिसमें से अक्टूबर, 2024 तक 37,138 करोड़ रुपये वास्तविक व्यय है। इन परियोजनाओं में अन्य बातों के साथ-साथ रिफाइनरी परियोजनाएं, बायो रिफाइनरियां, ईएंडपी परियोजनाएं, मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं, पाइपलाइन, सीजीडी परियोजनाएं, ड्रिलिंग/सर्वेक्षण गतिविधियां आदि शामिल हैं। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 50 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनकी अनुमानित कुल लागत 4,519 करोड़ रुपये है।

ऊर्जा पर निर्भरता कम करना : सरकार ने तेल और गैस पर आयात निर्भरता कम करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, देश भर में ईंधन/फीडस्टॉक के रूप में प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देकर मांग प्रतिस्थापन शामिल है ताकि अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके और गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा जा सके, इथेनॉल, दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल, कम्प्रेस्ड बायोगैस और बायोडीजल जैसे नवीकरणीय और वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा दिया जा सके, रिफाइनरी प्रक्रिया में सुधार, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके, विभिन्न नीतियों और पहलों के माध्यम से तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किए जा सकें। सरकार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा दे रही है। इसी अवधि के दौरान, ईबीपी कार्यक्रम
के परिणामस्वरूप लगभग 1,08,655 करोड़ रुपये से अधिक की
विदेशी मुद्रा की बचत हुई है, 185 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का प्रतिस्थापन हुआ है और
लगभग 557 लाख मीट्रिक टन कार्बनडायऑक्साइड में कमी आई है। यह अनुमान है कि
पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के परिणामस्वरूप किसानों को सालाना 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान होने की संभावना है। ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, किफायती परिवहन के लिए स्थायी विकल्प
(एसएटीएटी) संबंधी पहल भी शुरू की गई है।

तेल पीएसयू का वित्तीय प्रदर्शन : तेल पीएसयू का वित्तीय प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2024-25 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत सीपीएसई के लिए कुल बजटीय आंतरिक और अतिरिक्त बजटीय संसाधन (आईईबीआर) 1,18,499 करोड़ रुपये है, जिसके मुकाबले 30.11.2024 तक 97,667 करोड़ रुपये का वास्तविक व्यय है, जो बजटीय आईईबीआर का 82.4 प्रतिशत  है। वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि के दौरान, 1,06,401 करोड़ रुपये के आईईबीआर के मुकाबले, वास्तविक व्यय 75418 करोड़ रुपये था, जो बजटीय आईईबीआर का 70.9 प्रतिशत था।


16. प्रमुख कार्यक्रम

स्टार्टअप इंडिया : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने कुल 547.35 करोड़ रुपये के स्टार्टअप फंड बनाए हैं। वर्तमान में, कुल 303 स्टार्टअप को तेल और गैस सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा वित्त पोषित किया गया है, जिनका वितरित फंड मूल्य लगभग 286.36 करोड़ रुपये है।

कौशल विकास: हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के लिए कौशल विकास संस्थान (एसडीआई) छह शहरों अर्थात भुवनेश्वर, विजाग, कोच्चि, अहमदाबाद, गुवाहाटी और रायबरेली में आईओसीएल, एचपीसीएल, बीपीसीएल, ओएनजीसी, ओआईएल और गेल द्वारा स्थापित किए गए हैं। नवंबर 2024 तक, इन एसडीआई में 41547 से अधिक प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया गया है। राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनओएस)/योग्यता पैक (क्यूपी) विकास के लिए उद्योग के सदस्यों के परामर्श से कई उच्च प्राथमिकता वाले ट्रेडों की पहचान की गई है। आज तक, राष्ट्रीय कौशल योग्यता समिति (एनएसक्यूसी) द्वारा 55 क्यूपी को मंजूरी दी गई है।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एसकेएस/एचबी



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