रक्षा मंत्रालय

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों के प्रमुखों को डीआरडीओ की प्रणालियां सौंपी

Posted On: 18 DEC 2020 5:02PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में थल सेना, नौसेना और वायु सेना को स्वदेशी रूप से विकसित डीआरडीओ की तीन प्रणालियां सौंपी।

श्री राजनाथ सिंह ने नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह को इंडियन मेरिटाइम सिचुएशनल अवेयरनेस सिस्टम (आईएमएसएएस) सौंपी। इसके अलावा एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया को अस्त्र एमके-I मिसाइल और थल सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवाने को बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (बीओएसएस) सौंपी। इन उत्पादों को सौंपने का काम गेस्ट ऑफ ऑनर रक्षा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की उपस्थिति में किया गया।

इस समारोह के दौरान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट योगदान के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को पुरस्कार प्रदान किए।

इन पुरस्कारों में डीआरडीओ लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार-2018 भी शामिल है। यह पुरस्कार श्री एनवी कदम को मिसाइलों से संबंधित नियंत्रण और मार्गदर्शन योजनाओं को विकसित करने में योगदान करने के लिए दिया गया। इसके अलावा प्रौद्योगिकी समावेशन के लिए अकादमिक और उद्योग को उत्कृष्टता पुरस्कार भी दिए गए। वहीं व्यक्तिगत पुरस्कार, समूह पुरस्कार, टेक्नोलॉजी स्पिन-ऑफ अवार्ड्स और टेक्नो मैनिजिरीअल अवार्ड्स सहित अन्य श्रेणियों में भी पुरस्कार दिए गए।

रक्षा प्रणालियों को विकसित करने में उत्कृष्ट कार्य के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ सशस्त्र बलों की क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाने को लेकर रक्षा प्रणालियों के लिए उच्च-स्तरीय तकनीकों का विकास कर रहा है।

श्री राजनाथ सिंह ने कोविड-19 महामारी का सामना करने में डीआरडीओ वैज्ञानिकों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं भी दीं।

इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता में डीआरडीओ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कोविड-19 का सामना करने के लिए तकनीकों और उत्पादों के विकास की दिशा में डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की।  

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने अपने संबोधन में वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी और तेज गति से काम करने जोर दिया, जिससे देश में अधिकांश प्रणालियां स्वदेशी हों।

उन्होंने आगे कहा कि इन उच्च प्रौद्योगिकी प्रणालियों के विकास से रक्षा तकनीकों में उच्च आत्मनिर्भरता आई है। ये तीन प्रणालियां जिनकी बनावट और विकास चक्रों को पूरा किया जा चुका है, उन्हें सेवाओं के लिए सौंप दिया गया है।   

आज जिन प्रणालियों को सशस्त्र बलों को सौंपा गया है, उनमें एक बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (बीओएसएस) भी है। यह एक सभी मौसमों में काम करने वाला इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम है, जिसे इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (आईआरडीई), देहरादून द्वारा सफलतापूर्वक डिजाइन और विकसित किया गया है। इस प्रणाली को दिन और रात की निगरानी के लिए लद्दाख सीमा क्षेत्र में तैनात किया गया है। यह प्रणाली सुदूर संचालन क्षंमता के साथ कठोर अधिक ऊंचाई वाले और उप-शून्य तापमान वाले क्षेत्रों में घुसपैठ का स्वत: पता लगाकर जांच और निगरानी की सुविधा देती है। इस प्रणाली का उत्पादन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), मछलीपटनम द्वारा किया गया।

आईएमएसएएस एक अत्याधुनिक, पूरी तरह से स्वदेशी, उच्च प्रदर्शन वाला इंटेलिजन्ट सॉफ्टवेयर सिस्टम है, जो भारतीय नौसेना को ग्लोबल मेरिटाइम सिचुएशनल पिक्चर, मैरिन प्लानिंग टूल्स और विश्लेषणात्मक क्षमता प्रदान करती है। यह प्रणाली नौसेना कमान और नियंत्रण (सी2) को सक्षम करने के लिए समुद्र में प्रत्येक जहाज को नौसेना मुख्यालय से मेरिटाइम ऑपरेशनल पिक्चर उपलब्ध कराती है। सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर), बेंगलुरू और भारतीय नौसेना ने संयुक्त रूप से इस उत्पाद की अवधारणा और विकास किया है। वहीं बीईएल, बेंगलुरू ने इसे लागू किया।      

अस्त्र एमके-I स्वदेशी रूप से विकसित पहली बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल है, जिसे सुखोई-30, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए), मिग-29 और मिग-29के से प्रक्षेपित किया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर कुछ देशों के पास ही इस तरह की हथियार प्रणाली को डिजाइन और उत्पादन करने की विशेषज्ञता और क्षमता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल), हैदराबाद द्वारा सफलतापूर्वक विकसित और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल), हैदराबाद द्वारा उत्पादित अस्त्र हथियार प्रणाली ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए एक बड़ा योगदान है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डीडीआर एंड डी) के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ रक्षा संबंधित उन्नत प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि डीआरडीओ अकादमिक, उद्योग और सशस्त्र बलों के साथ रक्षा डिजाइन, विकास और उत्पादन का मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का प्रयास करता है।

इस समारोह में भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

                              ********

एमजी/एएम/एचकेपी/एसएस

 



(Release ID: 1681840) Visitor Counter : 506