शिक्षा मंत्रालय

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित दुनिया की सबसे सस्ती कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट कोरोश्योर को लॉन्च किया

कोरोश्योर किट एक स्वस्थ एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए युवाओं को रचनात्मकता की ओर प्रेरित करने की प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुरूप एक कदम है- श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक'

Posted On: 15 JUL 2020 5:08PM by PIB Delhi

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज नई दिल्ली में आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित की गई आरटी-पीसीआर पर आधारित विश्व की सबसे सस्ती कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट को डिजिटल माध्यम से लॉन्च किया, जिसे आईसीएमआर और डीसीजीआई द्वारा स्वीकृत किया गया है। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री संजय धोत्रे भी उपस्थित थे। इस उद्घाटन के दौरान उच्च शिक्षा सचिव, श्री अमित खरे और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

 

 

 

इस अवसर पर बोलते हुए श्री पोखरियाल ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली द्वारा कोविड​​-19 के लिए विकसित की गई डायग्नोस्टिक किट, कोरोश्योर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि देश को सस्ते और विश्वसनीय परीक्षण की आवश्यकता है जो कि महामारी को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान कर सकता है। कोरोश्योर किट का विकास स्वदेशी रूप से किया गया है और यह अन्य किटों की तुलना में बहुत ही सस्ती है। एचआरडी मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री हमेशा से ही देश के युवाओं को आगे बढ़कर आने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं और विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के समय में अपने नये अनुसंधान के साथ आने और एक स्वस्थ भारत का निर्माण सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करते रहे हैं। इस किट को उच्चतम अंकों के साथ आईसीएमआर की मंजूरी प्राप्त हुई है और डीसीजीआई ने इसे बहुत ही उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता के साथ मंजूरी प्रदान की है।

 

श्री पोखरियाल ने आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं के कार्यों के लिए उनकी सराहना की और किट के विकास और निर्माण में शामिल सभी लोगों को बधाई दी। मंत्री ने कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट विकसित करने के लिए, आईआईटी दिल्ली के प्रो. विवेकानंदन पेरुमल और उनकी शोध टीम की सराहना की। इस टीम में प्रशांत प्रधान (पीएचडी स्कॉलर), आशुतोष पांडे (पीएचडी स्कॉलर), प्रवीण त्रिपाठी (पीएचडी स्कॉलर), डॉ. अखिलेश मिश्रा, डॉ. पारूल गुप्ता, डॉ. सोनम धमीजा, प्रो मनोज बी मेनन, प्रो बिश्वजीत कुंडू और प्रो जेम्स गोम्स शामिल हैं।

 

उन्होंने कहा कि इस किफायती डिटेक्शन किट के माध्यम से देश को मौजूदा संकट के बीच सहायता मिलेगी। श्री पोखरियाल ने बताया कि दिल्ली एनसीआर स्थित, न्यूटेक मेडिकल डिवाइसेज द्वारा इस जांच-मुक्त डायग्नोस्टिक किट, कोरोश्योर का निर्माण किया गया है। मंत्री ने इस बात की सराहना की कि एमएचआरडी के अंतर्गत आने वाले एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान और एक निजी कंपनी ने इस महामारी के दौरान राष्ट्र हित में हाथ मिलाया है। श्री पोखरियाल ने बताया कि आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित डायग्नोस्टिक किट, जो अब इस उद्घाटन के साथ अधिकृत परीक्षण प्रयोगशालाओं द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध होगी, कोविड-19 के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण की लागत में उल्लेखनीय रूप से कमी आएगी। आरटी-पीसीआर जांच का आधार मूल्य 399 रुपये है। यहां तक कि आरएनए आइसोलेशन और प्रयोगशाला शुल्क जोड़ने के बावजूद भी, प्रति परीक्षण लागत बाजार में वर्तमान में उपलब्ध किट की तुलना में बहुत सस्ती होगी। मंत्री ने आगे बताया कि आईआईटी दिल्ली ने अपने शोधकर्ताओं द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 10 कंपनियों को कोविड-19 डायग्नोस्टिक किट का निर्माण करने का लाइसेंस प्रदान किया है।

 

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, श्री धोत्रे ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के बीच जब व्यापक परीक्षण की सबसे ज्यादा आवश्यकता है, तब यह बहुत कम लागत वाली डायग्नोस्टिक किट एक बड़ी उपलब्धि है, जिसे आईआईटी दिल्ली ने बहुत कम अवधि में प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि नवाचार और उद्यमिता एक दूसरे के लिए सम्मानसूचक हैं, और एक आत्मनिर्भर भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण भी हैं। आईआईटी ने इन दोनों का पोषण बहुत मजबूती के साथ किया है। यहां तक कि देश भर के स्कूलों में भी नवाचार और नई तकनीक के लिए माहौल बहुत सक्रियता के साथ बनाया जा रहा है।

 

श्री धोत्रे ने आगे कहा कि आईआईटी दिल्ली का 40 वर्षीय पुराना ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी केंद्र, ग्रामीण जीवन के उत्थान में नई प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जिससे प्रौद्योगिकी का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं में नवाचार और उद्यमिता के लिए बहुत जुनून और क्षमता मौजूद है। उन्हें केवल सही वातावरण, संसाधनों और प्रेरणा प्रदान करने की आवश्यकता है। आईआईटी ने इस क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है।

 

इस अवसर पर श्री अमित खरे ने बताया कि आईआईटी दिल्ली, रियल-टाइम पीसीआर- आधारित नैदानिक परीक्षण के लिए आईसीएमआर की मंजूरी प्राप्त करने वाला पहला अकादमिक संस्थान बन गया है। आईसीएमआर द्वारा अनुमोदित कोविड-19 के लिए यह पहला जांच-मुक्त परीक्षण भी है। उन्होंने कहा कि परीक्षण को सरकार के चिकित्सा अनुसंधान निकाय में 100 प्रतिशत संवेदनशीलता और विशिष्टता के साथ मान्यता प्रदान की गई है। श्री खरे ने समाज की भलाई के लिए आईआईटी दिल्ली के प्रयासों की सराहना की और उनके प्रयासों के सफलता के लिए कामना की।

 

आईआईटी दिल्ली के डॉयरेक्टर प्रो. वी रामगोपाल राव ने कहा कि आईआईटी दिल्ली किफायती किट का विकास और विनिर्माण करने के लिए, भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर से प्राप्त समर्थन के लिए आभारी है। हमारे शोधकर्ता कोविड-19 से संबंधित अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे, जिससे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ-साथ दुनिया को मदद मिल सके।

 

एसजी/एएम/एके/एसके

 



(Release ID: 1638857) Visitor Counter : 406