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भारत और न्यूजीलैंड में वित्तीय सेवाओं पर मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता संपन्न , यह सेवाओं में व्यापार अध्याय के परिशिष्ट का एक भाग है


वित्तीय सेवाओं से संबंधित अनुबंध पर बातचीत मई 2025 में आरंभ हुई; भारत की रचनात्मक भागीदारी और पिछले मुक्त व्यापार समझौतों के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान के आधार पर व्यापक वित्तीय सेवाओं से संबंधित अनुबंध का पाठ 18 अनुच्छेदों में विकसित हुआ

यह एक दूरदर्शी और संतुलित समझौता है जो डिजिटल भुगतान, फिनटेक, डेटा अंतरण और बैक-ऑफिस सेवाओं पर नवोन्मेषी प्रावधानों के साथ वित्तीय सेवाओं में द्विपक्षीय सहयोग सुदृढ़ करेगा; इसमें भारत को फिनटेक हब के रूप में स्थापित करने की क्षमता

भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए यूपीआई और एनपीसीआई जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों में भारत की प्रौद्योगिकीय विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए बाजार के अवसर उपलब्ध होंगे

न्यूजीलैंड के घरेलू संस्थानों के साथ समान व्यवहार; यह भारतीय बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय सेवा आपूर्तिकर्ताओं के लिए बाजार पहुंच को सुविधा प्रदान करेगा

प्रविष्टि तिथि: 23 DEC 2025 12:01PM by PIB Delhi

भारत और न्यूजीलैंड ने 22 दिसंबर, 2025 को भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के वित्तीय सेवा अनुबंध पर बातचीत संपन्न की। यह द्विपक्षीय आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि 10 दिसंबर, 2025 को आयोजित वार्ता के अंतिम दौर में पूरी हुई।

भारत और न्यूजीलैंड की वित्तीय सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता है। इस संबंध के महत्व को समझते हुए, दोनों देशों ने मिलकर एक दूरदर्शी, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते को विकसित करने के लिए काम किया है, जिससे उनके संबंधित वित्तीय सेवा क्षेत्रों के लिए बेहतर अवसर खुलेंगे। यह मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय सहयोग को गति देने, बाजार पहुंच को सुगम बनाने और दोनों अर्थव्यवस्थाओं की वित्तीय प्रणालियों के गहन एकीकरण के लिए आवश्यक संस्थागत और नियामकीय ढांचा प्रदान करेगा।

भारत-न्यूजीलैंड वित्तीय सेवा अनुबंध, मानक जीएटीएस प्रतिबद्धताओं की तुलना में एक उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है, जो कुल 18 अनुच्छेदों तक विकसित हुआ है। वित्तीय सेवा अनुबंध की प्रमुख उपलब्धियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • इलेक्ट्रॉनिक भुगतान और वास्‍तविक-समय लेनदेन अवसंरचना: भारत और न्यूजीलैंड ने घरेलू भुगतान अंतरसंचालनीयता विकसित करने और एकीकृत त्वरित भुगतान प्रणालियों (एफपीएस) के माध्यम से वास्तविक समय-सीमा पार प्रेषण (रेमिटेंस) और व्यापारी भुगतानों में सहायता करने के लिए सहयोग की प्रतिबद्धता जताई है। यह प्रावधान भारत के डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम और फिनटेक क्षेत्र को प्रत्यक्ष रूप से सुदृढ़ करता है।  प्रवासी भारतीयों से प्रेषण प्रवाह को बढ़ाता है, भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए बाजार के अवसर पैदा करता है और यूपीआई तथा एनपीसीआई जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों में भारत की प्रौद्योगिकीय विशेषज्ञता का लाभ उठाता है।
  • वित्तीय प्रौद्योगिकी और नियामकीय नवोन्मेषण : भारत और न्यूजीलैंड ने वित्तीय सेवाओं में नवोन्मेषण के क्षेत्र में सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है। समझौते में सीमा पार अनुप्रयोगों के लिए एक-दूसरे के नियामक सैंडबॉक्स (नए उत्पादों, सेवाओं का परीक्षण करने के लिए एक नियंत्रित वातावरण) और डिजिटल सैंडबॉक्स संरचनाओं से सीखने के लिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं। ये प्रावधान द्विपक्षीय साझेदारी में भारत को एक फिनटेक हब के रूप में स्थापित करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह विकसित अर्थव्यवस्था के साथ ज्ञान के आदान-प्रदान और नियामकीय शिक्षा को सुगम बनाता है। यह भारतीय फिनटेक कंपनियों के लिए सहयोग के अवसर पैदा करता है, साथ ही भारत की नियामक सैंडबॉक्स पहलों की सहायता करता है।
  • वित्तीय सूचना का हस्तांतरण और संरक्षण : भारत और न्यूजीलैंड वित्तीय सूचना के हस्तांतरण, प्रसंस्करण और भंडारण से संबंधित विधायी और नियामक आवश्यकताओं को बनाए रखने के प्रत्येक पक्ष के अधिकार को स्वीकार करते हैं। इसका उद्देश्य वित्तीय सेवा आपूर्तिकर्ताओं को सीमा पार डिजिटल संचालन स्थापित करने में सुविधा प्रदान करना, साथ ही डेटा संप्रभुता और उपभोक्ता गोपनीयता सुरक्षा पर पूर्ण नियामकीय नियंत्रण सुनिश्चित करना है।
  • क्रेडिट रेटिंग और गैर-भेदभाव: न्यूजीलैंड के बाजार में भारतीय वित्तीय संस्थानों को मनमानी या भेदभावपूर्ण क्रेडिट मूल्यांकन प्रक्रियाओं से सुरक्षा प्रदान की गई है। यह प्रावधान न्यूजीलैंड के घरेलू संस्थानों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करता है, भारतीय बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय सेवा प्रदाताओं के लिए बाजार पहुंच को सुगम बनाता है। साथ ही, भेदभावपूर्ण नियामक व्यवहार को रोकता है जो भारतीय वित्तीय संस्थानों की प्रचालनगत क्षमताओं को सीमित कर सकता है।
  • बैक-ऑफिस और सहायक कार्य: वित्तीय सेवाओं से संबंधित अनुबंध में, भारत और न्यूजीलैंड ने बैक-ऑफिस और वित्तीय सेवाओं से संबंधित सहायक कार्यों के प्रावधान में सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है। इससे भारत की विश्व-स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक प्रक्रिया सेवा क्षमताओं का लाभ उठाया जा सकेगा। इससे भारत में केंद्रीकृत बैक-ऑफिस संचालन के माध्यम से वित्तीय सेवाओं का लागत-कुशल वितरण संभव हो सकेगा और भारत के वित्तीय सेवा, आईटी और व्यावसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग क्षेत्रों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। यह द्विपक्षीय वित्तीय सेवा साझेदारी के लिए भारत की महत्वपूर्ण अवसंरचना क्षमता के पारस्परिक सम्मान को दर्शाता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) निवेश सीमा और बैंक शाखाओं में वृद्धि: विशिष्ट प्रतिबद्धताओं की अनुसूचियां दोनों पक्षों के बीच प्रगतिशील सहयोग को दर्शाती हैं, जिनमें प्रमुख बैंकिंग और बीमा सेक्टरों तथा उपक्षेत्रों में बाजार पहुंच एवं राष्ट्रीय व्यवहार पर व्यापक प्रतिबद्धताएं शामिल हैं। भारत के सेक्टर-वार प्रस्ताव एक दूरदर्शी उदारीकरण दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिनमें बैंकिंग और बीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा में वृद्धि के साथ-साथ एक उदारीकृत बैंक शाखा लाइसेंसिंग ढांचा शामिल है, जो चार वर्षों की अवधि में अधिकतम 15 बैंक शाखाएं स्थापित करने की अनुमति देता है। यह पूर्व में प्रस्तावित जीएटीएस सीमा (12 शाखाएं) से एक महत्वपूर्ण विस्तार है। ये प्रस्ताव भारतीय वित्तीय सेवा प्रदाताओं को न्यूजीलैंड में परिचालन का विस्तार करने में सक्षम बनाएंगे, जिससे वित्तीय सेवाओं के निर्यात में भारत की स्थिति मजबूत होगी और प्रगतिशील क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। ये न्यूजीलैंड के वित्तीय संस्थानों को भारत के गतिशील और तेजी से विस्तारित वित्तीय सेवा बाजार में प्रतिस्पर्धी स्थिति प्रदान करते हैं। साथ ही, भारत के व्यापक कार्यनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप प्रगतिशील बाजार उदारीकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं।

कुल मिलाकर, भारत-न्यूजीलैंड वित्तीय सेवा अनुबंध पर वार्ता के सफल समापन से दोनों सरकारों की आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने और तेजी से विकसित हो रहे वित्तीय सेवा परिदृश्य में पारस्परिक अवसरों का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। यह समझौता दूरदर्शी और संतुलित है तथा इसे बेहतर बाजार पहुंच, नियामकीय स्पष्टता और सहयोगात्मक ढांचे प्रदान करने के लिए बनाया गया है, जिससे दोनों देशों के वित्तीय संस्थानों और सेवा प्रदाताओं को लाभ होगा।

वर्तमान में, दो भारतीय बैंक—बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया—न्यूजीलैंड में सहायक कंपनियों के रूप में कुल चार शाखाएं संचालित करते हैं। न्यूजीलैंड की भारत में कोई बैंकिंग या बीमा कंपनी नहीं है और न ही किसी भारतीय बीमा कंपनी ने न्यूजीलैंड में अपना परिचालन स्थापित किया है। यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) स्पष्ट बाजार पहुंच प्रतिबद्धताओं, नियामक पारदर्शिता और द्विपक्षीय सहयोग ढांचे की स्थापना करके द्विपक्षीय निवेश, संस्थागत उपस्थिति और सेवाओं के वितरण में वृद्धि करेगा। यह समझौता न्यूजीलैंड में भारत की वित्तीय सेवाओं की उपस्थिति को व्यापक बनाने और न्यूजीलैंड के वित्तीय संस्थानों का भारत के बढ़ते और गतिशील वित्तीय सेवा बाजारों में स्वागत करने के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।

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पीके/केसी/एसकेजे/एसवी


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