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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सद्भाव के लिए क्रोध को त्‍यागने की आवश्यकता पर बल देते हुए संस्कृत श्लोक का उद्धरण दिया

प्रविष्टि तिथि: 12 DEC 2025 9:07AM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने क्रोध की विनाशकारी प्रकृति और व्यक्तिगत कल्याण एवं सामूहिक प्रगति के लिए आंतरिक संयम के महत्व का उल्‍लेख करते हुए एक गहन संदेश साझा किया।

प्रधानमंत्री ने एक प्राचीन संस्कृत श्लोक का उद्धरण देते हुए बताया कि क्रोध किस प्रकार से विवेक को कमजोर करता है, सामाजिक सद्भाव को बाधित करता है और मानवीय क्षमता को कम करता है।

एक्स पर अपनी पोस्ट में श्री मोदी ने कहा:

क्रोधः प्राणहरः शत्रुः क्रोधो मित्रमुखो रिपुः।

क्रोधो ह्यसिर्महातीक्ष्णः सर्व क्रोधोऽपकर्षति॥

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पीके/केसी/एसएस/जीआरएस


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