आयुष
भारत ने पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन की उल्टी गिनती शुरू की
केंद्रीय मंत्री श्री प्रताप राव जाधव ने नई दिल्ली में पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन के पूर्वावलोकन को संबोधित किया
भारत पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से संतुलन बहाल करने में दुनिया में अग्रणी है: श्री प्रताप राव जाधव
शिखर सम्मेलन पारंपरिक चिकित्सा के साक्ष्य-आधारित एकीकरण को प्रोत्साहन देगा: डॉ. पूनम खेत्रपाल
वैश्विक शिखर सम्मेलन आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 17-19 दिसंबर 2025 तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में संयुक्त रूप से आयोजित किया जाएगा
शिखर सम्मेलन वैज्ञानिक सत्यापन, डिजिटल स्वास्थ्य, जैव विविधता संरक्षण और पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक सहयोग पर केंद्रित होगा
प्रविष्टि तिथि:
08 DEC 2025 4:35PM by PIB Delhi
आयुष मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में द्वितीय विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन से पहले एक पूर्वावलोकन पर एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया। यह शिखर सम्मेलन 17-19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री प्रतापराव जाधव ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि भारत 2023 में गुजरात में आयोजित पहले सफल आयोजन के बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन मानवता के स्वास्थ्य, खुशी और कल्याण के लिए पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा में लाने के सामूहिक वैश्विक प्रयास में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत के "सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः" के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
श्री जाधव ने बताया कि इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय "संतुलन बहाल करना: स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और अभ्यास" है। इस कार्यक्रम में दुनिया भर के मंत्री, नीति निर्माता, वैश्विक स्वास्थ्य नेता, शोधकर्ता, विशेषज्ञ, उद्योग प्रतिनिधि और चिकित्सक एक साथ आएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इसमें 100 से अधिक देशों की भागीदारी अपेक्षित है।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने घोषणा की कि आयुष मंत्रालय भारत के सबसे प्रसिद्ध और वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किए गए औषधीय पौधों में से एक, अश्वगंधा पर एक समर्पित कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें पारंपरिक और समकालीन स्वास्थ्य पद्धतियों में इसके महत्व पर प्रकाश डाला जाएगा।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने पारंपरिक चिकित्सा में भारत के वैश्विक नेतृत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि आयुष प्रणालियाँ - आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी - सदियों से लोगों की सेवा करती रही हैं और आज समग्र स्वास्थ्य के लिए विश्वसनीय समाधान के रूप में दुनिया भर में मान्यता प्राप्त हैं। उन्होंने कहा कि भारत के साथ साझेदारी में गुजरात के जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना, भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों में बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाती है।
श्री जाधव ने आगामी शिखर सम्मेलन की योजना बनाने में आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के निरंतर प्रयासों की प्रशंसा की और पारंपरिक चिकित्सा में जागरूकता बढ़ाने और जनता के विश्वास को मजबूत करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
केंद्रीय मंत्री महोदय ने बताया कि शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शामिल होने की संभावना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शिखर सम्मेलन से प्राप्त विचार-विमर्श और सहयोग विश्व को स्वास्थ्य सेवा के अधिक समग्र, समावेशी और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाएंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक एमेरिटस और विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक की पारंपरिक चिकित्सा पर वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूनम खेत्रपाल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरा विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक शिखर सम्मेलन वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग को आगे बढ़ाने में एक प्रमुख उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 100 से अधिक देशों की भागीदारी के साथ, यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक, पूरक, एकीकृत और स्वदेशी औषधियों के साक्ष्य-आधारित, न्यायसंगत और सतत एकीकरण के लिए एक दशक लंबी रूपरेखा को आकार देगा।
पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक निर्भरता पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने अनुसंधान, नवाचार और नियामक सुदृढ़ीकरण के माध्यम से साक्ष्य अंतराल को पाटने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श के एक भाग के रूप में, "अश्वगंधा: पारंपरिक ज्ञान से वैश्विक प्रभाव तक - अग्रणी वैश्विक विशेषज्ञों के दृष्टिकोण" शीर्षक से एक केंद्रित कार्यक्रम 17-19 दिसंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी द्वारा आयुष मंत्रालय के सहयोग से आयोजित यह सत्र अश्वगंधा की वैज्ञानिक समझ को मज़बूत करने के लिए प्रमुख शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और चिकित्सकों को एक साथ लाएगा। चर्चाओं में इसके एडाप्टोजेनिक, न्यूरोप्रोटेक्टिव और इम्यूनोमॉडुलेटरी गुणों पर समकालीन साक्ष्यों पर प्रकाश डाला जाएगा, साथ ही पारंपरिक ज्ञान से प्राप्त विचारों पर भी प्रकाश डाला जाएगा। सुरक्षा आकलन पर ज़ोर देते हुए, इस सत्र का उद्देश्य उच्च-गुणवत्ता वाले, साक्ष्य-आधारित अश्वगंधा उत्पादों की वैश्विक स्वीकृति को और बढ़ावा देना है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा; पत्र सूचना कार्यालय के प्रधान महानिदेशक श्री धीरेंद्र ओझा; आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री अलरमेलमंगई डी; आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मोनालिसा दाश और आयुष मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री सत्यजीत पॉल मंत्री के साथ मंच पर उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और मीडिया के सदस्य भी शामिल हुए।
पूर्वावलोकन कार्यक्रम 9-10 नवंबर 2025 को आयोजित राजदूतों के स्वागत समारोह के बाद आयोजित किया जा रहा है, जहाँ राजनयिकों को भारत-डब्ल्यूएचओ सहयोग और शिखर सम्मेलन के वैश्विक महत्व से अवगत कराया गया था।
आज के कार्यक्रम के साथ, भारत आधिकारिक रूप से पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन की उलटी गिनती शुरू कर रहा है, जो वैश्विक स्तर पर समग्र, एकीकृत और टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।




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पीके/केसी/एमकेएस/
(रिलीज़ आईडी: 2200472)
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