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सदमा से जीत तक: 12 वर्षीया लड़की ‘कार्ला’ की सशक्त कहानी ने आईएफएफआई-2025 में सिनेप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया


फुकी की नजर से: ‘रेनॉयर’ बचपन के आश्चर्य और जटिलता को दर्शाती है

12 वर्षीया कार्ला के साहसिक अदालती संघर्ष से लेकर 11 वर्षीया फुकी की कल्पनाशील दुनिया तक, आईएफएफआई के पर्दे दिल में बस जाने वाली कहानियों और इन मार्मिक कहानियों के पीछे की उन सफर से जगमगा उठे, जिसमें साहस, जिज्ञासा और कल्पनाशीलता बचपन की परेशानियों को सिनेमाई जीत में बदल देती है।

56वें ​​आईएफएफआई में आज एक रोचक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें ‘कार्ला’ की निर्देशक क्रिस्टीना थेरेसा टूर्नाट्जेस और ‘रेनॉयर’ के सह-निर्माता क्रिस्टोफ ब्रंचर ने अपनी प्रशंसित फिल्मों के पीछे की कहानियां साझा कीं।

 

कार्ला: सच और सम्मान के लिए एक बच्ची की लड़ाई

निर्देशक क्रिस्टीना थेरेसा टूर्नाट्जेस ने ‘कार्ला’ को पर्दे पर जीवंत करने के बारीक और भावनात्मक सफर के बारे में बात की। इस फिल्म में 12 वर्ष की कार्ला की दर्दनाक सच्ची कहानी है, जो एक साहसी लड़की है और दुर्व्यवहार करने वाले अपने पिता का सामना करती है। मात्र दो गवाहों वाला यह मुकदमा “शब्दों के खिलाफ शब्दों” की एक तनावपूर्ण लड़ाई बन जाता है और कार्ला के लिए, अपने सदमे को बयान करना दिल दहला देने वाला और बेहद चुनौतीपूर्ण हो   जाता है।

यह फिल्म कार्ला के नजरिए को गहराई से दर्शाती है और सदमे से उपजी खामोशियों, झिझक और अवाकता की स्थिति को सामने लाती है। न्यायाधीश एक निर्णायक किरदार बन जाता है। वह एकमात्र ऐसा व्यक्ति होता है जो कार्ला की बातों को सचमुच सुनता है और उसे मुखर होने  में मदद करता है। इस कहानी की प्रामाणिकता पारिवारिक इतिहास में निहित है और कार्ला का एक रिश्तेदार इस कहानी के साथ उभरता है और इसे एक आजीवन परियोजना में बदल देता है और आखिरकार इसे पर्दे पर उतार देता है।

क्रिस्टीना ने इस फिल्म की सार्वभौमिक प्रासंगिकता पर जोर दिया। बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न एक व्यापक वैश्विक मुद्दा है और ‘कार्ला’ ने पीड़िता की कहानी पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बच्ची की गरिमा को भी ध्यान में रखा है।

उन्होंने म्यूनिख में इस फिल्म के प्रीमियर के बारे में भी बताया और इसे “बेहतरीन सफलता” करार दिया। उन्होंने आईएफएफआई में पहली बार भारत में इसे पेश करने के रोमांच को साझा किया। 12 वर्षीया मुख्य कलाकार के साथ काम करते हुए, क्रिस्टीना ने एक सुरक्षित और निखारने वाले माहौल बनाने पर जोर दिया ताकि बाल कलाकार का अभिनय सहज, वास्तविक और सम्मोहक लगे।

रेनॉयर: एक बच्चे की जादुई कल्पना के माध्यम से दुनिया को देखना

सह-निर्माता क्रिस्टोफ ब्रंचर ने ‘रेनॉयर’ के पर्दे के पीछे की कहानी की एक दिलचस्प झलक पेश की। यह फिल्म 11 वर्षीया फुकी की नजरों से बचपन की आकर्षक दुनिया को दर्शाती है।

भले ही इसका शीर्षक प्रसिद्ध फ्रांसीसी चित्रकार की ओर इशारा करता है, लेकिन ब्रंचर ने बताया, “यह किसी व्यक्ति के जीवन पर आधारित फिल्म (बायोपिक) नहीं है। एक प्रभाववादी कला (इम्प्रेशनिस्ट पेंटिंग) की तरह, यह कहानी छोटे-छोटे एवं बिखरे हुए पलों से बनी है, जिन्हें एक साथ देखने पर एक समृद्ध भावनात्मक तस्वीर बनती है। यही बात इस फिल्म को जीवंत और काव्यात्मक बनाती है।”

वर्ष 1987 में जापान में आए आर्थिक उछाल के दौरान टोक्यो की जिंदगी पर आधारित, ‘रेनॉयर’, पिता की लाइलाज बीमारी और मां के बढ़ते तनाव से जूझने वाली फुकी नाम की एक संवेदनशील और जिज्ञासु लड़की की कहानी है। अपने अकेलेपन और बढ़ते हुए दबावों से निपटने के लिए, वह कल्पना, दूरसंवेदन (टेलीपैथी) और चंचल प्रयोगों की एक जादुई दुनिया में खो जाती है – यहां तक कि वह डेटिंग हॉटलाइन पर कॉल भी करती है!

ब्रंचर ने फुकी के सफर की सार्वभौमिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम यह दिखाना चाहते थे कि बच्चे बड़ी व वयस्कों वाली समस्याओं को अपने आंतरिक तर्क से कैसे समझते हैं। फुकी की कल्पनाशीलता ही दुनिया को समझने का उसका तरीका है।”

ब्रंचर ने कहा कि यह फिल्म बचपन, परिवार और सामाजिक बदलाव की कड़वी-मीठी सच्चाइयों को बड़ी ही बारीकी से दर्शाती है। उन्होंने कहा, “फुकी की भूमिका निभाने वाली युवा अभिनेत्री का अभिनय अद्भुत है - तकनीकी रूप से सशक्त, सहज और भावनात्मक रूप से मनमोहक। भले ही वह कान्स में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार पाने से चूक गईं, लेकिन एशिया पैसिफिक स्क्रीन अवार्ड्स में उसे सर्वश्रेष्ठ नवोदित कलाकार का पुरस्कार मिला, जिसने एक असाधारण प्रतिभा के तौर पर उसकी हैसियत को और पुख्ता किया।”

‘रेनॉयर’ बचपन के आश्चर्य, जिज्ञासा और साहस का उत्सव है, जो दर्शकों को खेल और जीवन की कठोर वास्तविकताओं के बीच नाजुक संतुलन बनाने वाली बच्ची की नजरों से दुनिया को देखने के लिए आमंत्रित करता है।

फिल्म के बारे में

1. कार्ला

जर्मनी | 2025 | जर्मन | 104' | रंगीन

‘कार्ला’ 1962 के म्यूनिख में घटित वास्तविक जीवन की एक भावनात्मक कहानी पर आधारित ड्रामा है। यह 12 वर्षीया कार्ला की सच्ची कहानी बयान करती है, जो वर्षों से चले आ रहे यौन उत्पीड़न से सुरक्षा की मांग करते हुए, दुर्व्यवहार करने वाले अपने पिता के खिलाफ साहसपूर्वक आरोप दायर करती है। अक्सर बाल पीड़ितों की उपेक्षा करने वाली एक न्याय व्यवस्था में, कार्ला अपनी कहानी अपने तरीके से कहने पर अड़ी रहती है और इस प्रक्रिया में एक न्यायाधीश उसका प्रमुख समर्थक बन जाता है। यह फिल्म यौन उत्पीड़न के सदमे की पड़ताल करती है और एक लड़की के साहस एवं अपनी गरिमा को बचाने के उसके संघर्ष को दर्शाती है। इस फिल्म में बिना किसी ताक-झांक के कार्ला की आवाज का सम्मान किया जाता है।

2. रेनॉयर

जापान, फ्रांस, सिंगापुर, फिलीपींस, इंडोनेशिया, कतर | 2025 | जापानी | 116’ | रंगीन

वर्ष 1987 में जापान में आए आर्थिक उछाल के दौरान टोक्यो की जिंदगी पर आधारित, यह फिल्म 11 वर्षीया फुकी की कहानी है, जो एक जिज्ञासु और संवेदनशील लड़की है और अपने गंभीर रूप से बीमार पिता और तनाव की शिकार मां उताको ओकिता की देखभाल कर रही है। भावनात्मक और आर्थिक दबावों का सामना कर रहे अपने माता-पिता से अलग, फुकी अपनी ही दुनिया में शरण लेती है। वह जादू और टेलीपैथी को आजमाती है और डेटिंग हेल्पलाइन पर कॉल भी करती है। दोस्ती बनाते और वयस्कों वाली चुनौतियों का सामना करते हुए, वह अकेलेपन और दर्द का अनुभव करती है। यह फिल्म नुकसान और बड़े होने के क्रम में उसके शांत लेकिन साहसी सफर को दर्शाती है, जिसमें बचपन, पारिवारिक संघर्षों और सामाजिक बदलाव की कड़वी-मीठी जटिलताओं को दर्शाया गया है।

आईएफएफआई के बारे में

वर्ष 1952 में शुरू किया गया, भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) दक्षिण एशिया में सिनेमा के सबसे पुराने और सबसे बड़े उत्सव के रूप में प्रतिष्ठित है। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) और गोवा सरकार के एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी), द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, यह महोत्सव एक ऐसे वैश्विक सिनेमाई महाशक्ति के रूप में विकसित हुआ है – जहां जीर्णोद्धार की प्रक्रिया के बाद वापस हासिल गई पुरानी फिल्मों (क्लासिक्स) और साहसिक प्रयोगों का संगम होता है और दिग्गज हस्तियां तथा निडर नवोदित प्रतिभाएं एक साथ मंच साझा करती हैं। आईएफएफआई को वास्तव में चमकदार बनाने वाला अद्भुत मिश्रण है – अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक प्रदर्शन, मास्टरक्लास, श्रद्धांजलि और उच्च ऊर्जा वाला वेव्स फिल्म बाजार, जहां विचार, सौदे और सहयोग उड़ान भरते हैं। 20 से 28 नवंबर तक गोवा की मनोरम तटीय पृष्ठभूमि में आयोजित, आईएफएफआई 56वां संस्करण विभिन्न भाषाओं, शैलियों, नवाचारों और आवाजों की एक चमकदार श्रृंखला का वादा करता है – जोकि वैश्विक मंच पर भारत की रचनात्मक प्रतिभा का एक मनमोहक उत्सव है।

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पीके/केसी/आर / डीए


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