प्रधानमंत्री कार्यालय
आईसीसी महिला विश्व कप चैंपियन के साथ प्रधानमंत्री की बातचीत का मूल पाठ
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06 NOV 2025 1:32PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री – बहुत बड़ा आज का दिन है, देव दिवाली भी है और गुरु पूरब भी है, तो बड़ा महत्वपूर्ण दिवस है।
खिलाड़ी – Happy Gurpurab Sir,
प्रधानमंत्री – आप सबको बहुत शुभकामनाएं!
कोच - Hon’ble Prime Minister Thank You Very much. We feel honoured and privileged coming here. Just एक कैंपेन के बारे में बताऊंगा, जो इन्होंने कमाल कर दिया इन लड़कियों ने, देश की बेटियों ने कमाल कर दिया, 2 साल से लगे हैं सर, मेहनत इतनी की है, कमाल की मेहनत की है इन्होंने, हर प्रैक्टिस सेशन में उतनी ही इंटेंसिटी से खेले, हर प्रैक्टिस सेशन में उतनी ही एनर्जी से उतरे ग्राउंड में, यही कहूंगा कि इनकी मेहनत रंग लाई।
हरमनप्रीत कौर- सर मुझे अभी भी याद है कि जब हम 2017 में आपको मिले थे, उस टाइम हम ट्रॉफी के साथ नहीं आए थे, लेकिन ये हमारे लिए बहुत ऑनर की बात है, कि इस बार हम आपको जिसके लिए हम इतने सालों से मेहनत कर रहे हैं, वो ट्रॉफी यहां पे लेकर आ पाए और आपने आज हमारी खुशी वो दो गुना और ज्यादा बढ़ा दी है और हमारे लिए बहुत ऑनर की बात है और अभी हमारा यही aim है कि हम फ्यूचर में आपको बार-बार मिले और बार-बार आपके साथ टीम के साथ फोटो खिंचाते रहे।
प्रधानमंत्री - नहीं सचमुच में आप लोगों ने बहुत बड़ा काम किया है और भारत में क्रिकेट एक खेल नहीं है, एक प्रकार से भारत के लोगों की जिंदगी बन गया है और क्रिकेट में अच्छा होता है, तो भारत अच्छा फील करता है और क्रिकेट में थोड़ा सा भी इधर हो गया तो पूरा भारत हिल जाता है। आपको भी जब तीन मैच लगातार हारे तो जो ट्रोलिंग सेना है, वो जिस प्रकार से आपके पीछे पड़ गए।
हरमनप्रीत कौर- जब हम पहले 2017 में मिले थे, तब हम फाइनल हार कर आए थे, लेकिन तब सर ने हमें बहुत मोटिवेट किया था कि जब भी आपको नेक्स्ट ओपोरर्चुनिटी मिले, कि हम वहां पर कैसे खेलें और अपना बेस्ट दें, और आज जब हम फाइनली ट्रॉफी जीत कर आए हैं तो उनके साथ बहुत अच्छा लगा बात करके।
प्रधानमंत्री - हां बताइए स्मृति जी।
स्मृति मंधाना- हम जब 2017 में आए थे ट्रॉफी नहीं लेके आ पाए थे, but मुझे याद है आप हमने एक क्वेश्चन पूछा था एक्सपेक्टेशंस के बारे में आपको और वो आंसर अभी भी और वो चीज काफी हेल्प की थी हम लोगों को कि, नेक्स्ट 6-7 years हमने बहुत कोशिश की, but काफी वर्ल्ड कप्स हार्ट ब्रेक्स हुए हमारे but ये वर्ल्ड कप फाइनली आई थिंक डेस्टिनी थी कि इंडिया में ही पहला वर्ल्ड कप आएगा वुमस का, but I mean आप हमेशा से इन सबके इंस्पिरेशन ही रहे और स्पेशली I mean हर फील्ड में जिस तरह से लड़कियां अभी, I mean हर फील्ड में सब जगह हमको सिर्फ लड़कियां दिख रही है, जहां पे भी वो इसरो का लॉन्च हुआ, या जो भी हो सो वो सब सब सारा सब चीजें हम लोग सब जब देखते हैं तो इंस्पिरेशनल इंस्पिरेशन ही है और मोटिवेशन है हमारे लिए कि हम और भी अच्छा काम कर पाए और लड़कियों को मोटिवेट कर पाए।
प्रधानमंत्री- ये तो पूरा देश देख रहा है और गर्व कर रहा है। मैं तो आप लोगों को सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव।
स्मृति मंधाना- सर आई थिंक सबसे बेस्ट बात ये कैंपेन की यह थी कि कोई भी प्लेयर घर जाके उनकी स्टोरीज बताएगा, कि किसी का भी कंट्रीब्यूशन कम नहीं था।
स्मृति मंधाना- लास्ट टाइम उन्होंने एक्सपेक्टेशंस कैसे डील करनी है उसी उसके ऊपर बोला था, वो आंसर मेरे दिमाग में हमेशा रहा और जिस तरह से वह calm और composed रहते हैं, वो भी काफी इंस्पायरिंग चीज है।
जेमिमाह रॉड्रिक्स- आई थिंक जब हम वो तीन मैच हारे, I think, a team is actually defined by not how many times you win? But how you can pick yourself up after a fall and I feel that this team has done that the best and that’s why this team is a champion team and the other thing that I would say about this team, Sir कि जो यह यूनिटी था ये टीम में I think this is the best, I have seen because जब Whenever anyone was doing well, सभी खुश हो जा रहे थे, सभी तालियां मार रहे थे. As if उन लोग खुद ने वो जाके वो स्कोर किया या विकेट्स लिए। और whenever someone was down, there was always someone जाके यू नो अपना हाथ उनके शोल्डर पे डाल रहे थे और बोल रहे कोई बात नहीं तू नेक्स्ट मैच में करेगी। and I think that defined the team.
स्नेह राणा- मैं जेमी के साथ सहमति देती हूं कि, हम लोगों ने यही डिसाइड किया था कि सबकी सक्सेस में तो सब साथ होते हैं, लेकिन जब किसी का डाउनफॉल चलता है तो उस टाइम और भी ज्यादा साथ देना जरूरी है। तो हमने एज अ टीम एज अ यूनिट वही डिसाइड किया था कि कुछ भी हो जाए हम लोग एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे और हमेशा एक दूसरे को ऊपर ही रखेंगे। तो आई थिंक ये बेस्ट था हमारी टीम का।
क्रांति गौड़- हरमन दी हमेशा बोलती है कि सब हंसते रहो तो हमारा था कि अगर कोई थोड़ा सा भी अगर कोई ऐसा नर्वस बैठा है तो हमारा था, कि सब हंसते रहो तो एक दूसरे को हंसते हुए देख के हमें लगता था कि हम सब हंस हंसते रहे।
प्रधानमंत्री - नहीं कोई हंसाने वाला भी तो होगा ना आपकी टीम में?
खिलाड़ी - जेमि दी है ना।
जेमिमाह रॉड्रिक्स- सर एक्चुअली हरलीन भी, क्योंकि वो भी बहुत importance देती हैं टीम को साथ लाने में तो।
हरलीन कौर देओल- नहीं सर एक्चुअली टीम में आई फील कि ऐसा होना चाहिए एक आधा इंसान जो माहौल लाइट रखे और मेरे को जब भी ऐसा लगता है कि कोई ऐसे बैठा है खाली या फिर मतलब मेरे को ऐसा लगता है मैं ज्यादा ही वेली हूं, तो मैं सबके पास कुछ ना कुछ, कुछ ना कुछ, करके ऐसे करती रहती हूं, तो मतलब मेरे को अच्छा लगता है सर जब मेरे आसपास लोग खुश रहते हैं।
प्रधानमंत्री - यहां पर आ कर के भी कुछ किया होगा ना।
हरलीन कौर देओल- सर इन लोगों ने हमें डांट दिया था, बोले शांत रहो थोड़ा। थोड़ा ज्यादा आवाज होती तो डांट दिया।
हरलीन कौर देओल- सर मेरे को आपकी स्किन केयर रूटीन पूछना था। आप बहुत ग्लो करते हो सर।
प्रधानमंत्री – मैं मेरा इस विषय पर ज्यादा ध्यान नहीं गया था।
खिलाड़ी - सर ये करोड़ों देशवासियों का प्यार है आपके लिए।
प्रधानमंत्री - ये तो है ही है जी। यह बहुत बहुत बड़ी ताकत होती है समाज से इतना क्योंकि अब मेरा सरकार में भी 25 साल हो गए हैं। हेड ऑफ़ द गवर्नमेंट। तो ये लंबा समय होता है, उसके बाद भी इतने जब आशीर्वाद मिलते हैं तो उसका एक तो प्रभाव रहता है।
कोच - सर आपने देखा सवाल कैसे आते हैं। अलग-अलग कैरेक्टर्स हैं। दो साल हो गए इनका हेड कोच बना हूं, बाल सफेद हो गए मेरे। सर एक स्टोरी बताना चाहूंगा। एक किस्सा हम जून में इंग्लैंड में थे, तो वहां पे हम किंग चार्ल्स से मिले, पर वहां पे प्रोटोकॉल था 20 जनों का ही। तो जो सपोर्ट स्टाफ है तो वो आ नहीं पाए। सारे प्लेयर्स थे और तीन स्किल्ड कोचेस लेके गए, तो मैंने अपने सपोर्ट स्टाफ को कहा कि आई एम एक्सट्रीमली सॉरी बट प्रोटोकॉल 20 लोगों का ही है। तो उन्होंने जैसे थोड़ा सा मैनिफेस्ट किया, उन्होंने बोला ठीक है ये फोटोग्राफ नहीं चाहिए हमें। हमें 4 नवंबर को या 5 नवंबर को मोदी जी के साथ फोटोग्राफ चाहिए। आज वो दिन है।
हरमनप्रीत कौर- कभी-कभी तो ऐसे लगता था यार साडे नाल ही क्यों हो रहा है? स्ट्रगल लिखी थी कि और मेंटली स्ट्रांग हो सके, और फिजिकली स्ट्रांग हो सके।
प्रधानमंत्री - ये जब आप बता रही थी हरमन, तब आपके मन में भाव क्या था? कि एकदम से लोगों को इंस्पायर करने वाला मामला था।
हरमनप्रीत कौर - कहीं ना कहीं यह था कि एक दिन आएगा जिस दिन हम लोग भी ट्रॉफी उठाएंगे और इस टीम में यह एक स्पेशल चीज थी और वो पहले दिन से फील हो रही।
प्रधानमंत्री - लेकिन आपके मन में ये जो भाव आया कि क्यों हमारे साथ ही क्यों ऐसा हो रहा है, बार-बार हो रहा है, तो एक प्रकार से उसके बावजूद भी इतनी हिम्मत करना और सबको एक कॉन्फिडेंस देना कुछ तो कारण होगा।
हरमनप्रीत कौर- जी हां, इन सबका क्रेडिट जाता है हमारे सारे टीम मेंबर्स को, क्योंकि सबमे एक सेल्फ बिलीव था कि हर टूर्नामेंट में हम इंप्रूव हो रहे थे। जैसे सर ने बोला कि लास्ट दो साल से वो हमारे साथ काम कर रहे हैं और इन दो सालों में हमने अपने मेंटल स्ट्रेंथ के ऊपर बहुत काम किया है क्योंकि जो हो गया था वो पास्ट था, अब उसको हम चेंज नहीं कर सकते थे।
प्रधानमंत्री - मतलब आपको भी वर्तमान में जीने के लिए सिखा दिया था।
हरमनप्रीत कौर- जी इसलिए मेरा क्वेश्चन भी आपको वही था, कि आप एक्स्ट्रा ऐसा क्या करते हैं, कि सो दैट टीम मेंबर्स को कुछ एक अच्छा मैसेज आ सके, कि हम उसको उस चीज में और बिलीव ला सके, कि ये जो हमारी सोच है कि प्रेजेंट में रहना है और वो हमें रियली हेल्प की है और आपसे भी वो चीज आनी है, तो हम लगता है कि जो सर ने और हमारे कोचेस ने जो हमें गाइड किया है वो हम सही लाइन में जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री - तो डीएसपी आज आप लोगों ने क्या किया? आप सबको सूचनाएं देती रही होगी। हां कंट्रोल कंट्रोल करती है सबको।
दीप्ति शर्मा- नहीं सर मतलब wait था आपसे मिलने का और बस एंजॉय किया और इस चीज का wait था कि आपसे मिलेंगे। बट मेरे को याद है आपने 2017 में मेरे को बोला था कि वही एक प्लेयर है जो उठ के चलना सीखे या उठ के अपने फेलियर से बाहर निकले। बस लगे रहो, मेहनत करते रहो, मेहनत करना मत छोड़ो, तो आपका वो एक वर्ड मुझे मतलब हमेशा मोटिवेट करता है और मैं आपकी स्पीच सुनती रहती हूं। मतलब जब भी ऐसे टाइम मिलता है तो आप बहुत कूल एंड calm रहते हैं अपने उसमें जो क्योंकि काफी लोग कोई बहुत कुछ बोलते हैं, लेकिन उसमें भी आप इतना calmly चीजें हैंडल करते हैं, तो वो मुझे पर्सनली अपने गेम में हेल्प करता है।
प्रधानमंत्री - आप ये टैटू लगा के घूमती रहती हैं तो हनुमान जी तुम्हें क्या मदद करते हैं?
दीप्ति शर्मा - सर वो भी मतलब उन पर ज्यादा अपने से खुद से ज्यादा उनपे बिलीफ रहता है मुझे, कि जब भी ऐसा मोड़ आता है कि कठिनाइयां आती हैं तो मतलब उनका नाम लेती हूं तो मुझे लगता है कि वो कठिनाइयों से मैं बाहर आ जाती हूं। इतना बिलीफ है उनके ऊपर।
प्रधानमंत्री -और आप तो अपने Instagram अकाउंट पर भी जय श्री राम लिखती हो?
दीप्ति शर्मा - जी उस पर भी लिखा हुआ है, हां जी। जी।
प्रधानमंत्री - श्रद्धा जीवन में बहुत काम करती है जी, उससे एक फायदा होता है कि भाई हम किसी को सुपुर्द कर दिया सो जाओ, वो करेगा। लेकिन ये मैदान में आपकी दादागिरी बहुत चलती है, ऐसी जो बात है उसमें कितना दम है?
दीप्ति शर्मा - नहीं सर ऐसा कुछ नहीं है। एक चीज का थोड़ा सा खौफ रहता है वो मैं बोल सकती हूं। वो थ्रो का रहता है। और ऐसा सुनने को मिलता है कि अपने ही team mates हैं, आराम से मारो।
दीप्ति शर्मा - सर ने मतलब पर्सनली मेरे से पूछा कि आपके हाथ में हनुमान जी का टैटू है। उसके पीछे का क्या राज है? आप मतलब कितना क्लोजली आप उनको मानते हैं और सबसे अच्छी चीज ये मुझे लगी कि सर को मेरा इंस्टा का टैगलाइन भी पता है।
प्रधानमंत्री - अच्छा हरमन आपने ये जो जीतने के बाद बॉल जेब में रखा, तो क्या, क्या कारण था? कुछ सोच करके या किसी ने बताया था या गाइड किया था क्या हुआ था?
हरमनप्रीत कौर - नहीं सर ये भी भगवान का ही प्लान था, क्योंकि ऐसा तो था नहीं कि लास्ट बॉल लास्ट कैच मेरे पास आएगा, पर वो बॉल मेरे पास आई और बस इतने सालों की मेहनत इतने सालों की वेट ये था कि अब ये मेरे पास आई है तो ये मेरे पास ही रहेगी। अभी भी मेरे बैग में ही है।
प्रधानमंत्री - शेफाली आप रोहतक से हैं। वहां तो सब पहलवान पैदा होते हैं, तो आप कहां इस दुनिया में चली गई?
शेफाली वर्मा- हां जी सर, वहां से पहलवानी और कबड्डी बहुत ज्यादा निकलती है। बट आई थिंक मेरे पापा का बहुत ज्यादा हाथ रहा क्योंकि उनको।
प्रधानमंत्री - नहीं पहले कभी अखाड़े वाला खेल नहीं किया।
शेफाली वर्मा - नहीं सर।
प्रधानमंत्री - कभी नहीं किया।
शेफाली वर्मा - नहीं किया सर।
प्रधानमंत्री – अच्छा।
शेफाली वर्मा - पापा को क्रिकेटर बनना था तो पापा नहीं बन पाए तो पापा ने अपनी छवि अपने बच्चों में दी। मेरा भाई और मैं खेलते थे, तो आई थिंक हम मैच देखते रहते थे तो बहुत ज्यादा इंटरेस्ट बन गया क्रिकेट का, इसलिए मैं क्रिकेटर बन गयी।
प्रधानमंत्री- शेफाली जब मैंने यह देखा था, तो मेरे मन में एक सवाल आया था, कोई कैच करने के बाद हंसे वो तो मैं समझ सकता हूं, आप कैच होने से पहले हंस रही थी, क्या कारण था?
शेफाली वर्मा - सर बस मैं मन मन में बोल रही थी आजा कैच आजा मेरे पास आजा, तो उसमें बस मुझे हंसी आ गई कि आ गई हाथ में मेरे।
प्रधानमंत्री - नहीं मुझे ऐसा लगा कि तुम्हें इतना कॉन्फिडेंस था कि ये कहीं जा ही नहीं सकता, ऐसा था?
शेफाली वर्मा - कहीं और जाता सर मैं वहाँ भी कूद जाती।
प्रधानमंत्री - इस समय के भावों का कुछ वर्णन कर सकते हो आप?
जेमिमाह रॉड्रिक्स- एक्चुअली सर सेमीफाइनल्स था और हमेशा हम लोग ऑस्ट्रेलिया के साथ ही बहुत नजदीक आके हार रहे थे, तो जब मैं अंदर गई थी तो वही था कि टीम को जिताना है। कैसे भी करके एंड तक खेलना है टीम को जिताना है। और जब हारी थी और हम आए थे साथ में तो हम लोग का सिर्फ हम लोग सिर्फ यही बोल रहे थे कि एक पार्टनरशिप लंबा एक पार्टनरशिप ना और उन लोग they will go down. That’s why we are trying to do and I would say at that moment कि वो एक कलेक्टिव टीम एफर्ट था सर! यस may be मेरा सेंचुरी हुआ बट आई फील दैट इफ हैरी दी का पार्टनरशिप और मेरा नहीं होता। नहीं तो दीप्ति अंदर आके वो इंपैक्ट इनिंग्स रिचा एंड देन अमन प्लेइंग प्लेइंग दैट 8 बॉल्स 15, if that would not happen maybe we would have not won the semi-finals. But I think everyone collectively had that belief कि नहीं हम यह टीम कर सकता है और कर दिखाए सब!
जेमिमाह रॉड्रिक्स– He wanted to motivate than anything, he wanted to know our experience how was it winning the world cup? जब तीन मैच हारे तब कैसा लग रहा था, आप लोग ने बाउंस बैक कैसे किया?
क्रांति गौड़ – जब मैं मैन ऑफ द मैच हुई, वर्ल्ड कप के मैच में तो पहले तो मुझे बहुत प्राउड, मेरे गाँव के लोगों को बहुत प्राउड फ़ील होगा।
क्रांति गौड़- जब बॉल डालती हूं तो हरमन दी सिर्फ यही बोलते थे, कि बस तुझे विकेट निकालना है, तू ही है जो पहला विकेट लेके देगी, तो बस यही चीज बोलते थे तो बस मुझे लगता था कि फर्स्ट विकेट मैं ही निकालूं, तो उस मतलब विकेट निकाल लेके उससे ही मैं बॉल डालती थी, कि फर्स्ट विकेट तो मैं ही निकालूंगी। मेरे बड़े भाई हैं, उनको बहुत पसंद है क्रिकेट। वह आपको भी बहुत मानते हैं। तो उनको बहुत पसंद था क्रिकेट खेलना, बट उस टाइम पे पापा का जॉब चला गया था, तो वो एकेडमी वगैरह तो उन्होंने ज्वाइन नहीं करा था, बट ऐसे ही नॉर्मल खेलते थे। तो मैं छोटे से ही मुझे शौक था खेलना, तो लड़कों के साथ ऐसे देख देखकर उनको और उनके साथ खेलते-खेलते टेनिस बॉल से, तो लेदर टूर्नामेंट हुआ तो हमारे गांव में विधायक ट्रॉफी हुआ था एक, तो उसमें मैंने खेला था। दो टीम आई हुई थी, तो एक दीदी की अचानक से तबीयत खराब हुई तो मैं उधर ही मेरे लंबे बाल थे, तो सर आके मेरे से बोलते हैं तुम खेलोगी क्या? मैंने कहा हां सर, तो उन्होंने अपनी टीम में खिलाया। वो फर्स्ट मैच मैंने खेला था लेदर बॉल से और मैं उसमें प्लेयर ऑफ द मैच भी थी। मैंने दो विकेट लिए 25 रन बनाए थे। तब उधर से मेरी ऐसा क्रिकेट स्टार्ट हुआ।
प्रधानमंत्री - शेफाली को भी शायद लास्ट टू गेम में खेलने का मौका मिला। हां।
शेफाली वर्मा - हां जी सर। सर मैं उससे पहले डोमेस्टिक खेल रही थी। बट जब मुझे कोल्ड अप आया अब्सोलुटली जो प्रतिका के साथ हुआ कोई प्लेयर नहीं चाहता किसी के साथ हो। बट जब कोल्ड अप आया तो बस अपने आप मैंने कॉन्फिडेंस दिखाया और पूरी टीम ने मेरे पे कॉन्फिडेंस दिखाया। मेरे को बुलाया और फिर मेरे मेरे अंदर यही था कि मुझे जितवाना है। चाहे मैं कैसे भी जितवाऊं।
प्रतीका रावल- मैं इस वीडियो से यही आपको बताना चाहूंगी कि जब मेरे को चोट लगी थी तो यहां पर बहुत सारे लोगों ने मतलब टीम में बोला कि यह वर्ल्ड कप हम प्रतीका के लिए जीतना चाहते हैं। तो मेरे को इन लोगों ने नहीं बताया बट मेरे को किसी और ने बताया टीम के बाहर कि ऐसे आपके लिए बोल रहे हैं वहां पे। तो जब मैं बाहर बैठी हुई थी और जब हम वर्ल्ड कप जीते तो वैसे मैं टेक्निकली स्क्वाड में नहीं थी। मैं 16 प्लेयर थी। बट सर मेरे को जैसे व्हीलचेयर पे ही स्टेज पे खड़ा करा वैसे ही सारी मतलब सम्मान दिया वो सब दिया। तो ये टीम सर एक फैमिली की तरह है। तो जब आप सारे प्लेयर्स का एक मतलब रिस्पेक्ट करते हो, जब सारे प्लेयर्स को एक जैसा फील कराते हो, तो वो एक फैमिली जब एक साथ इकट्ठे हो के खेलती है तो सर उस टीम को हराना बहुत मुश्किल हो जाता है। तो इसलिए ऐसा टीम फाइनल डिसर्व करती थी, फाइनल जितना डिसर्व करती थी।
प्रधानमंत्री - नहीं आपकी बात सही है कि अल्टीमेटली खेल में टीम स्पिरिट बहुत मैटर करता है जी। और टीम स्पिरिट सिर्फ मैदान में करते हैं, ऐसा नहीं। अब चौबीसों घंटे जब साथ रहते हैं तो एक प्रकार का बाइंडिंग बन जाना चाहिए, तब जाकर के होता है और हर एक की वीकनेस का पता है तो उसको कवर अप करने की कोशिश और हर एक की स्ट्रेंथ है तो उसको सपोर्ट करने की और उसको उजागर करें, तभी जाकर के होता है।
प्रधानमंत्री – बताइए, ये आपका ये कैच ही तो सबसे ज्यादा फेमस हो गया है।
अमनजोत कौर - इतने सर मैंने काफी ब्लाइंडर भी पकड़े हैं पर इतना फेमस कोई कैच नहीं हुआ। और पहली बार ऐसे फंबल करने पे अच्छा लग रहा था।
प्रधानमंत्री - आपने ये कैच लिया तब तो एक प्रकार से वो टर्निंग पॉइंट बन गया।
अमनजोत कौर - जी सर।
प्रधानमंत्री - उसके बाद यानी आपको कैच करने तक तो ठीक है एक बॉल दिखता होगा। उसके बाद आपको ट्रॉफी दिखने लगी होगी।
अमनजोत कौर - सर मुझे वो कैच में ट्रॉफी दिख रही थी। उसके बाद मेरे ऊपर इतने लोग थे मुझे सांस नहीं आ रही थी। मुझे पता भी नहीं कितने लोग थे मेरे ऊपर।
प्रधानमंत्री - आपको मालूम है ना पिछली बार सूर्य यादव ने भी ऐसा ही कैच किया था।
अमनजोत कौर - जी सर।
प्रधानमंत्री - आप में से शायद किसी का एक कैच था किसी पिछली बार जिसको मैंने रीट्वीट किया था। हां, मैंने उस समय मुझे वो काफी अच्छा वो दृश्य लगा था।
हरलीन कौर देओल- हां जी सर। सर मतलब हम लोग जब इंग्लैंड में थे जब, जब ये कैच पकड़ा था, तो हम लोग बहुत टाइम से प्रैक्टिस कर रहे थे ऐसे कैचेस तो, मुझे याद आया मैं फील्डिंग कर रही थी तो एक आगे कैच आया था तो, मैं भागी और मुझे लगा मैं नहीं पहुंची। हैरी दी डांटे कहते क्या फायदा तुम लोगों का अच्छे फील्डर होगे तुम ऐसे कैच नहीं लेते। तो जेमी मेरे पीछे खड़ी थी तो जेमी ने मुझे बोला कि कहती कोई बात नहीं मैंने उससे पूछा कि हो सकता था, कहती हां तेरे लिए हो सकता था। तो मैंने उसको बोला कि अभी दो ओवर पड़े हैं। तुझे मैं एक अच्छा कैच पकड़ के दिखाऊंगी। तो सर उसके जस्ट बाद ये बॉल आया एंड।
प्रधानमंत्री - अच्छा चैलेंज पर काम किया था। रिचा तुम जहां खेल जाती है खेल जीत करके आती है ना, मौका हर जगह पे मिलता है रिचा को, हैं।
रिचा घोष- नहीं पता सर बट हां लाइक जैसे भी अंडर19, सीनियर एंड डब्ल्यूपीएल भी ट्रॉफी जीते थे, बहुत दूर-दूर छक्के मारे।
प्रधानमंत्री - अच्छा बताइए।
रिचा घोष- जब बैटिंग की थी, जैसे लाइक छक्के एंड आई थिंक हैरी दी, स्मृति दीदी एंड सब लोग जैसे ट्रस्ट, पूरा टीम ट्रस्ट करता है, कि ऐसा अगर सिचुएशन कुछ भी आए जिधर बॉल कम है बट रन ज्यादा चाहिए। आई थिंक वो चीज़ इन्होंने दिखाया भरोसा। आई थिंक उसके लिए आई थिंक मुझे भी कॉन्फिडेंस मिला कि लाइक हां तू कर सकती है। तो आई थिंक इसलिए हर मैच में मुझे वैसा लाइक बॉडी लैंग्वेज मेरा दिखता है।
राधा यादव- हम तीन मैचेस हारे। बट सबसे बेस्ट पार्ट वही था कि हम हार में एक साथ थे सब लोग और एक दूसरे को बैक कर रहे थे, एक दूसरे से बात कर रहे थे, तो वो जेनुइनली आ रहा था, प्योर आ रहा था। इसीलिए शायद भगवान ने हमको ये ट्रॉफी दी है।
प्रधानमंत्री - नहीं नहीं आपकी मेहनत से मिली है जी। इस फील्ड में इस प्रकार से खुद को कैसे तैयार किया?
राधा यादव- सर जैसे सर ने बोला कि काफी टाइम से हम बहुत अच्छा क्रिकेट खेल रहे हैं और मतलब हर सिचुएशन के लिए प्रिपेयर कर रहे थे। फिटनेस वाइज, फील्डिंग वाइज या जो भी स्किल वाइज़ तो हम काफी टाइम से मेहनत कर रहे थे उस चीज की और जैसे मैंने बोला कि सब एक साथ रहता है तो इजी हो जाता है। अगर अकेले कोई पड़ जाता है, तो बहुत डिफिकल्ट है उसके लिए अकेले काम करना।
प्रधानमंत्री - लेकिन मैंने सुना है कि आपने शुरू में जो इनाम मिला, तो आपने पिताजी की मदद करने के लिए खर्च कर दिया।
राधा यादव - जी सर।
प्रधानमंत्री- और पिताजी पूरी तरह प्रोत्साहन देते रहे।
राधा यादव- हां पूरा टाइम मतलब इतना इजी नहीं है हमारे फैमिली में उस टाइम पे, बट पापा ने कभी ऐसा नहीं रखा, मम्मी ने भी नहीं रखा।
स्नेह राणा- सर बस मेहनत है बहुत सालों की और अपने जो बोलिंग कोच हैं हमारे आविष्कार सर उनसे भी काफी बातचीत चल रही थी, कि कौन से बैटर को कैसे टैकल करना है। तो वो सारी स्ट्रेटजीस जो कैप्टन के साथ होती हैं, वाइस कैप्टन और अपने हेड कोच के साथ करते हैं। तो वो ही उसको रेप्लिककेट करने की कोशिश करते हैं ग्राउंड पे और थैंकफुली वो हो जाता है। बहुत सारे मैचेस होते हैं जिसमें नहीं कर पाते हैं। बट स्टिल खुद को मोटिवेट करते हैं कि नेक्स्ट टाइम करेंगे तो इससे और ज्यादा बेटर करेंगे।
उमा क्षेत्री - सर अभी समझ में नहीं आ रहा आपके सामने मैं क्या बोलूं। बट
प्रधानमंत्री- जो समझ में आए वो बोलो।
उमा क्षेत्री - सर वो मेरा डेब्यू था, लेकिन मेरा हर बार ऐसे ही होता है सर। जब भी डेब्यू होता है बारिश हो जाता है तो, उस दिन भी वैसे हुआ सर बारिश हुआ और हम कीपिंग बस कीपिंग ही किया मैंने। बट इतना था, मतलब मैं खुद बहुत हैप्पी थी उस दिन, क्योंकि डेब्यू होना बहुत बड़ी बात है इंडिया के लिए करना और वो भी वर्ल्ड कप में हुआ मेरा तो बहुत एक्साइटेड थी मैं उस दिन उस मैच को लेके कि, खेलूंगी देश के लिए और मेरा ऐसा था कि मैं उस दिन मतलब मैच जीता के दूं इंडिया को, कि मतलब जो भी मेरे से अच्छा बने और मैं जितना भी एफर्ट लगाऊं और एक बात सर सबसे अच्छा था, क्योंकि सारी टीम भरोसा कर रहे थे मेरे पे और सब लोग आके मुझे मतलब हर एक बात बता रहे थे, हर एक बात कर रहे थे।
कोच - फर्स्ट गर्ल फ्रॉम द नॉर्थ ईस्ट टू प्ले फॉर इंडिया।
प्रधानमंत्री -असम से है।
रेणुका सिंह ठाकुर- ड्रेसिंग रूम का माहौल चिल रखना था तो हमने सोचा की ऐसा क्या करें कि माहौल क्रीऐट हो, जैसे मैंने मोर बनाया तो एक पोसीटिविटी का साइन होता है, तो फिर उसके बाद हमने सोचा की और क्या इन्टरिस्टिंग बना सकते हैं इसमें तो जैसे स्मृति का 50 हुआ तो हमें लगा यार ठीक है, अब हम 100 की तरफ..
प्रधानमंत्री – तो यहां आते ही मोर देखे होंगे।
रेणुका सिंह ठाकुर - हां सर मैंने वही बोला एक और मोर दिख गया। मुझे सिर्फ एक मोर ही बनाना आता था ड्राइंग में। इसलिए मैंने वही बना दिया। बना के रख दिया। सर नेक्स्ट कुछ नहीं आता बनाना।
खिलाड़ी- नेक्स्ट वो चिड़िया बना रही थी। हम लोग ने मना कर दिया।
प्रधानमंत्री – नहीं, लेकिन आपकी माताजी को तो मैं विशेष रूप से प्रणाम करूंगा। कितनी कठिन जिंदगी में से उन्होंने आपकी इतनी प्रगति के लिए उन्होंने बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन किया। एंड एक सिंगल पैरेंट के बावजूद भी आपकी जिंदगी को बनाने के लिए और एक मां इतनी मेहनत करें और बेटी के लिए करें। यह अपने आप में बड़ी बात है जी। मैं मेरी तरफ से जरूर उनको प्रणाम कहिएगा आप।
रेणुका सिंह ठाकुर - हां जी सर।
अरुंधती रेड्डी- सबसे पहले मेरे को मेरी मम्मी के मैसेज देनी थी आपको। मेरे को लगा नहीं आपसे बात हो गई। पर उन्होंने बोला कि आप उनके हीरो हो। अभी तक चार पांच बार उनका कॉल आ गया है कि मैं मेरे हीरो से कब मिल रही है? मेरे हीरो से कब मिल रही है।
प्रधानमंत्री- आप लोगों को क्या लगता है कि आप खेल के मैदान में सफलता प्राप्त की होगी? अब आगे देश आपसे क्या अपेक्षा करता होगा? क्या कर सकते हैं आप लोग?
स्मृति मंधाना- आई मीन हम जब वर्ल्ड कप जब भी वर्ल्ड कप्स के लिए जाते हैं तो हमेशा फर्स्ट थिंग हम लोग यही बोलते हैं कि जो ये इंपैक्ट अगर हम आज वर्ल्ड कप जीतेंगे जो इंपैक्ट ये वुमेन स्पोर्ट में लाएगा। नॉट ओनली फॉर क्रिकेट बट जो वुमेन स्पोर्ट में लाएगा वो बहुत मैसिव होगा और वो एक रिवॉल्यूशन स्टार्ट करेगा इंडिया में। तो आगे भी हमारी यही कोशिश रहेगी नॉट ओनली वुमन क्रिकेट बट वुमेन स्पोर्ट्स को revolutionize कर सकते हैं हम इंडिया में और आई थिंक ये टीम के पास वो कैपेसिटी है।
प्रधानमंत्री- एक मुझे लगता है कि आप लोग बहुत मोटिवेशनल कर सकते हैं] क्योंकि आपके साथ सफलता का एक बहुत बड़ा आपके पास ताकत आपके हाथ में है। जैसे एक छोटा काम आप अपने घर जाएंगे, तो नेचुरल एक वहां का euphoria होगा, उमंग होगा सब होगा। लेकिन कुछ दिन के बाद अपनी स्कूल में जाएं। जिस स्कूल में से आप पढ़ के निकलें और एक दिन बस स्कूल में बिताएं। बस बच्चों से बातें करें, वो आपको ढेर सारे सवाल पूछेंगे, बहुत सारे सवाल पूछेंगे और आप जो भी सहज लगे उनसे बातें करिए। मैं समझता हूं कि वो स्कूल भी आपको याद रखेगा और वो बच्चे जीवन भर आपको याद रखेंगे। जहां आप पढ़े हैं वही स्कूल। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वो अगर आपका एक्सपीरियंस अच्छा रहता है, तो फिर आप तीन स्कूल सिलेक्ट कीजिए। साल में जब भी मौका मिलेगा। वन डे वन स्कूल तीन स्कूल करें एक साल में। आप देखिए वो आपको ही एक प्रकार से मोटिवेट करता है। आप तो उनको मोटिवेट करते हैं, वो भी आपको मोटिवेट करता है। दूसरा ये जो फिट इंडिया मूवमेंट है, अब जैसे हमारे देश में ओबेसिटी एक बहुत बड़ा प्रॉब्लम होता जा रहा है। तो फिट इंडिया ही उसका उपाय है। जैसे मैं हमेशा कहता हूं भई आप जो खाने का तेल है 10% कम कीजिए। खरीदते समय ही कम कर दीजिए। तो ये चीजें जब आपके मुंह से लोग सुनते हैं मैं समझता हूं कि बहुत फायदा होता है और बेटियों के लिए फिट इंडिया का आप आग्रह करें। मैं समझता हूं एक बहुत बड़ा लाभ होगा और उसमें अगर आप कुछ कंट्रीब्यूट कर सकते हैं तो आप लोगों को करना चाहिए। तो मुझे अच्छा लगा आप लोगों से गप्पे गोष्ठी करने का मौका मिला। इसमें से कई लोग हैं जिनको कई बार मिला हूं। बहुतों को पहली बार मिल रहा हूं। लेकिन मेरी कोशिश रहती है आप लोगों से मिलने का मौका मिले। तो आपसे मेरा जल्दी से जल्दी आप स्वस्थ हो जाएं।
स्मृति मंधाना- आपने जो बोला हम याद रखेंगे फॉर श्योर। जब भी हमको मौका मिलेगा कि लोगों से बात कर पाए तो हम यह मैसेज जरूर पास करेंगे और हमारी टीम की तरफ से अगर आपको भी कभी भी हमको ये मैसेज के लिए जब भी हमको बुलाना है हम सब लोग कभी भी पहुंच जाएंगे, क्योंकि ऑफ कोर्स ये मैसेज।
प्रधानमंत्री - हम सबको मिलकर के देश को आगे ले जाना है।
स्मृति मंधाना- यस सर।
प्रधानमंत्री - चलिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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