स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने रासायनिक आपात स्थितियों के जन स्वास्थ्य प्रबंधन पर प्रशिक्षण मॉड्यूल का शुभारंभ किया
इसका उद्देश्य जन स्वास्थ्य पेशेवरों और आपात स्थिति में कार्य करने वालों को रासायनिक दुर्घटनाओं के सामयिक और प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से सुसज्जित करना है
Posted On:
23 OCT 2025 9:45AM by PIB Delhi
रासायनिक आपात स्थितियां जन स्वास्थ्य, पर्यावरण सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए एक गंभीर और उभरता हुआ जोखिम हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर समग्र तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित करता है। वर्तमान समय की तेजी से बढ़ती औद्योगिक अर्थव्यवस्था में, ऐसी किसी भी आपात स्थिति के लिए खुद को अद्यतन और तैयार रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव ने बेहतर तैयारी के एक कदम के रूप में विभिन्न संबंधित मंत्रालयों, राष्ट्रीय एजेंसियों, निजी क्षेत्र, उद्योग और शिक्षा जगत के विशेषज्ञों के साथ आज नई दिल्ली के निर्माण भवन में रासायनिक आपात स्थितियों के जन स्वास्थ्य प्रबंधन पर मॉड्यूल जारी किए।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के तहत राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ इंडिया) के तकनीकी सहयोग से रासायनिक आपात स्थितियों के जन स्वास्थ्य प्रबंधन पर तीन विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए गए हैं।
ये तीन मॉड्यूल निम्नलिखित हैं:
• मॉड्यूल 1: रासायनिक आपात स्थितियों के जन स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए तैयारी, निगरानी और रिस्पॉन्स
• मॉड्यूल 2: रासायनिक आपात स्थितियों का अस्पताल-पूर्व प्रबंधन
• मॉड्यूल 3: रासायनिक आपात स्थितियों का चिकित्सा प्रबंधन
इन मॉड्यूल का उद्देश्य जन स्वास्थ्य पेशेवरों, स्वास्थ्य सेवा कर्मियों, आपातकालीन स्थिति में काम करने वालों और नीति निर्माताओं को रासायनिक दुघटनाओं के समय पर और प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और संचालन उपकरणों से सुसज्जित करना है। रासायनिक आपातकालीन प्रबंधन को सुदृढ़ करने से अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमों (आईएचआर 2005) के अंतर्गत मुख्य क्षमताओं को भी सहायता प्राप्त होती है, जिससे राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा में योगदान मिलता है।
इस शुभारंभ कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, एनडीएमए, केंद्र सरकार के मंत्रालयों, केंद्रीय संस्थानों, शिक्षा जगत, भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय और अन्य प्रमुख साझेदारों के अधिकारी एकत्रित हुए और "आत्मनिर्भर, गतिशील राष्ट्र" के निर्माण की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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