रक्षा मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं की एकजुटता, समन्वय और एकीकरण का एक अद्वितीय एवं प्रेरणादायक उदाहरण था: रक्षा मंत्री


"इस अभियान ने उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए समन्वित, लचीली और पहले से सक्रिय रणनीतियां विकसित करने के प्रति सरकार के संकल्प की पुष्टि की”

“सरकार भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप सक्षम सशस्त्र बलों का तैयार कर राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता को सुदृढ़ बना रही है”

श्री राजनाथ सिंह ने आज के वैश्विक परिदृश्य में असैन्य-सैन्य समन्वय और एकीकरण को सशक्त करने का आह्वान किया

"असैन्य-सैन्य सम्मिश्रण को केवल एकीकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए — जो नवाचार को प्रोत्साहित करता है, प्रतिभा को संरक्षित करता है और राष्ट्र को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करता है"

Posted On: 22 OCT 2025 6:33PM by PIB Delhi

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 22 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं के बीच असाधारण एकजुटता और एकीकरण का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि इसने बदलती वैश्विक व्यवस्था और युद्ध के परिवर्तित होते स्वरूप से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने हेतु समन्वित, लचीली व दूरदर्शी रक्षा रणनीति तैयार करने के प्रति सरकार के दृढ़ संकल्प की पुष्टि की है।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया है कि वर्तमान समय में पारंपरिक रक्षा दृष्टिकोण पर्याप्त नहीं रह गया है, क्योंकि युद्ध अब केवल सीमाओं तक सीमित नहीं हैं; बल्कि अब वे एक मिश्रित और विषम स्वरूप ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करने और देश की सामरिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के अनुरूप सशस्त्र बलों के निर्माण हेतु अनेक साहसिक एवं निर्णायक सुधार लागू किए हैं।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001Z3B4.jpg 

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के पद का सृजन तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और तालमेल को सशक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक व दूरगामी कदम था। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने इस संयुक्तता और एकीकरण के अद्भुत परिणामों को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया था। आज भी पाकिस्तान हमारे सशस्त्र बलों द्वारा दी गई करारी हार से उबर नहीं पाया है।

रक्षा मंत्री ने लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) द्वारा पुस्तक ‘सिविल-मिलिट्री फ्यूजन एज अ मेट्रिक ऑफ नेशनल पावर एंड कॉम्प्रिहेंसिव सिक्योरिटी’ का विमोचन किया। श्री राजनाथ सिंह ने इस पुस्तक की एक महत्वपूर्ण अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि असैन्य-सैन्य सम्मिश्रण को केवल एकीकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्रवर्तक के रूप में देखा जाना चाहिए — जो नवाचार को प्रोत्साहित करता है, प्रतिभा को संरक्षित रखता है और राष्ट्र को तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि यह सम्मिश्रण तभी साकार हो सकता है, जब हम अपने असैन्य उद्योग, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत और रक्षा क्षेत्र को एक साझा राष्ट्रीय उद्देश्य से जोड़ें। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस समन्वय से न केवल हमारी आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि होगी, बल्कि हमारी रणनीतिक बढ़त भी सुदृढ़ होगी।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया ‘श्रम विभाजन’ से आगे बढ़कर ‘उद्देश्य एकीकरण’ की ओर अग्रसर है। इसका अर्थ यह है कि भले ही अलग-अलग इकाइयां भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियां निभाती हों, फिर भी उन्हें एक साझा दृष्टिकोण के साथ समन्वयपूर्वक कार्य करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि तक श्रम विभाजन की बात है, तो भले ही हमारा असैन्य प्रशासन और सेना अलग-अलग हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री ने बार-बार इस बात पर बल दिया है कि कोई भी प्रशासनिक तंत्र अकेले कार्य नहीं कर सकता है; सभी को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना होगा।

A person speaking into a microphoneDescription automatically generated 

श्री राजनाथ सिंह ने वर्तमान प्रौद्योगिकी-संचालित युग में असैन्य-सैन्य एकीकरण के महत्व का उल्लेख करते हुए इस क्षेत्र में चुनौतियों की पहचान करने और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भों को ध्यान में रखते हुए असैन्य तकनीकी क्षमताओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए एक विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज के वैश्विक परिदृश्य में असैन्य और सैन्य क्षेत्र धीरे-धीरे एक-दूसरे में समाहित हो रहे हैं। तकनीक, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा अब पहले से कहीं अधिक जुड़े हुए हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि सूचना, आपूर्ति श्रृंखला, व्यापार, दुर्लभ खनिज और अत्याधुनिक तकनीक जैसी क्षमताएं दोनों क्षेत्रों में समान रूप से इस्तेमाल हो रही हैं। ऐसे में, असैन्य-सैन्य एकीकरण कोई आधुनिक प्रवृत्ति नहीं बल्कि समय की आवश्यकता बन गया है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसे नजरअंदाज करना रणनीतिक विकास के लिए उचित नहीं है। कई महत्वपूर्ण तकनीकें अक्सर केवल असैन्य उपयोग तक सीमित रह जाती हैं। श्री सिंह ने कहा, "दोहरे उपयोग की अवधारणा के अंतर्गत, यदि इन नवाचारों को सैन्य अनुप्रयोगों में लाया जाए, तो हमारी राष्ट्रीय शक्ति कई गुना बढ़ सकती है।"

रक्षा मंत्री ने असैन्य-सैन्य एकीकरण की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि सशस्त्र बल, सरकार, उद्योग, स्टार्ट-अप, अनुसंधान संस्थान और युवा नवप्रवर्तक आज मिलकर इस लक्ष्य की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत के डिफेन्स इकोसिस्टम में ऐतिहासिक बदलाव आया है। वह देश, जो कभी दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में से एक था, अब तेजी से एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। श्री सिंह ने कहा कि हमारे निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत का रक्षा क्षेत्र अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छू रहा है। उन्होंने साझा किया कि एक दशक पहले जो घरेलू उत्पादन लगभग 46,000 करोड़ रुपये था, वह अब रिकॉर्ड 1.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जिसमें लगभग 33,000 करोड़ रुपये का योगदान निजी क्षेत्र द्वारा किया गया है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image00308HX.jpg 

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक मेजर जनरल बी.के. शर्मा (सेवानिवृत्त) और साथ ही वरिष्ठ असैन्य तथा सैन्य अधिकारी एवं पूर्व सैनिक भी उपस्थित थे।

***

पीके/केसी/एनके/एसएस


(Release ID: 2181649) Visitor Counter : 49
Read this release in: English , Urdu , Marathi , Tamil