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विश्‍व खाद्य दिवस 2025


“बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य साथ-साथ”

Posted On: 15 OCT 2025 5:41PM by PIB Delhi

Text Box: मुख्‍य विशेषताएं •	विश्व खाद्य दिवस हर वर्ष खाद्य सुरक्षा, पोषण और टिकाऊ कृषि के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 16 अक्टूबर को मनाया जाता है।•	2025 का विषय, "बेहतर खाद्य पदार्थों और बेहतर भविष्य के लिए साथ-साथ‍", कृषि खाद्य प्रणालियों को बदलने के लिए वैश्विक सहयोग की शक्ति पर प्रकाश डालता है। •	भारत ने पिछले दशक में खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 90 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की; फल और सब्जी उत्पादन में 64 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक की वृद्धि हुई।•	भारत दूध और बाजरा उत्पादन में विश्व स्तर पर पहले स्थान पर है और मछली, फल और सब्जियों के उत्पादन में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। शहद और अंडे का उत्पादन भी 2014 की तुलना में दोगुना हो गया है।•	एनएफएसए, पीएमजीकेएवाई और पीएम पोषण जैसी प्रमुख पहलों के साथ-साथ चावल की पोषण गुणवत्‍ता बढ़ाने और स्मार्ट-पीडीएस सुधार जैसे उपाय खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत कर रहे हैं; विश्व खाद्य भारत 2025 खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण और नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका की प्रशंसा करता है।

परिचय

विश्व खाद्य दिवस प्रतिवर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, यह अवसर विश्‍व स्‍तर पर खाद्य सुरक्षा, पोषण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है। यह दिवस प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित, पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में आने वाली चुनौतियों की याद दिलाता है। भोजन जीवन का आधार है, स्वास्थ्य, विकास और कल्याण के लिए अत्यंत आवश्यक है, और खाद्य उत्पादन में वैश्विक प्रगति के बावजूद, लाखों लोग अभी भी भूख और कुपोषण का सामना कर रहे हैं, जो प्रभावी नीतियों, लचीली खाद्य प्रणालियों और सहयोगात्मक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देता है।

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विश्व खाद्य दिवस 1945 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की स्थापना का प्रतीक है। इसे पहली बार औपचारिक रूप से 1981 में "भोजन सर्वप्रथम" विषय वस्‍तु के साथ मनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1984 में इस दिवस को मान्यता दी थी। दुनिया भर के 150 देशों में मनाया जाने वाला यह सामूहिक प्रयास, विश्व खाद्य दिवस को संयुक्त राष्ट्र कैलेंडर के सबसे प्रतिष्ठित दिनों में से एक बनाता है, जो भूख के प्रति जागरूकता और भोजन, लोगों और पृथ्‍वी के भविष्य के लिए कार्य करने को बढ़ावा देता है। 2025 का विषय, "बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य के लिए साथ-साथ", कृषि-खाद्य प्रणालियों में बदलाव लाने के लिए सरकारों, संगठनों, समुदायों और क्षेत्रों के बीच वैश्विक सहयोग पर ज़ोर देता है।

एक पोषित और टिकाऊ राष्ट्र का निर्माण

विश्व की आबादी के एक बड़े हिस्से वाले, भारत ने कुपोषण कम करने, गरीबी उन्मूलन और कृषि स्थिरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई कार्यक्रमों और नीतियों के माध्यम से भूख से निपटने और खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस की विषय वस्‍तु के अनुरूप, देश के निरंतर प्रयास लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और हर घर तक पौष्टिक भोजन पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत के विविध खाद्य सुरक्षा ढाँचे में राष्ट्रीय योजनाएँ और स्थानीय पहल, दोनों शामिल हैं जो निम्न-आय वाले परिवारों, बच्चों और बुजुर्गोंकी सहायता करती हैं। पिछले एक दशक में, भारत ने खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 90 मिलियन मीट्रिक टन की वृद्धि दर्ज की है, जबकि फल और सब्जियों के उत्पादन में 64 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक की वृद्धि हुई है। भारत अब दूध और बाजरा उत्पादन में विश्व स्तर पर पहले स्थान पर है और दुनिया में मछली, फल और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। शहद और अंडे का उत्पादन भी 2014 की तुलना में दोगुना हो गया है। देश ने वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है क्योंकि पिछले 11 वर्षों में भारत का कृषि निर्यात लगभग दोगुना हो गया है।

खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली प्रमुख सरकारी पहल

राष्ट्रीय विकास में खाद्य और कृषि की प्रमुख  भूमिका को स्वीकार करते हुए, सरकार ने सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अनेक पहल लागू की हैं, साथ ही टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया है और किसानों की आजीविका में सुधार किया है। ये सरकारी कल्याणकारी योजनाएँ भूख और कुपोषण को प्रभावी ढंग से समाप्त करने के लिए भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। खाद्य सुरक्षा यह सुनिश्चित करती है कि सभी लोगों की, हर समय, पर्याप्त सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक भौतिक और आर्थिक पहुँच हो जो एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए उनकी आहार संबंधी आवश्यकताओं और खाद्य प्राथमिकताओं को पूरा करे। इसे प्राप्त करने के लिए न केवल खाद्यान्न का पर्याप्त उत्पादन आवश्यक है, बल्कि इसका समान वितरण भी आवश्यक है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम)

उत्पादन को मज़बूत करने के लिए, सरकार ने 2007-08 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) की शुरुआत की। इसका उद्देश्य क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि, मृदा उर्वरता और उत्पादकता की बहाली, रोज़गार के अवसर पैदा करने और कृषि-स्तरीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर चावल, गेहूँ और दालों का उत्पादन बढ़ाना था। 2014-15 में, एनएफएसएम का विस्तार मोटे अनाजों को शामिल करने के लिए किया गया, जिससे उत्पादकता, मृदा स्वास्थ्य और किसान आय पर ध्यान केन्‍द्रित होता रहा। 2024-25 में, इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) कर दिया गया, जिसमें खाद्य उत्पादन और पोषण पर दोहरा ज़ोर दिया गया।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए)

यह कानून अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवारों के अंतर्गत ग्रामीण आबादी का 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत परिवारों को शामिल करता है, जो 2011 की जनगणना के अनुसार कुल 81.35 करोड़ हैं। एएवाई परिवारों को प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है, जबकि प्राथमिकता वाले परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम मिलता है। वर्तमान में, लगभग 78.90 करोड़ लाभार्थी इस कानून के अंतर्गत आते हैं।

जहां एनएफएसएम/एनएफएसएनएम केन्‍द्रीय पूल के लिए अधिक खाद्यान्न उत्पादन सुनिश्चित करता है, वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए), 2013 उनके समान वितरण की गारंटी देता है। एनएफएसएम/एनएफएसएनएम और एनएफएसए मिलकर भारत के खाद्य सुरक्षा ढांचे का आधार हैं, एक उत्पादन को बढ़ावा देता है, दूसरा वितरण सुनिश्चित करता है, इस प्रकार उत्पादकता लाभ को समावेशी विकास, स्थिरता और पोषण सुरक्षा के साथ जोड़ता है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई)  

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) देश में कोविड-19 के प्रकोप से उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के कारण गरीबों और ज़रूरतमंदों को होने वाली कठिनाइयों को कम करने के विशिष्ट उद्देश्य से शुरू की गई थी। पीएमजीकेएवाई का मुख्य कार्य एनएफएसए द्वारा पहले से चिन्हित और कवर किए गए परिवारों को निःशुल्क खाद्यान्न वितरित करना है। यह योजना सात चरणों में संचालित थी। पीएमजीकेएवाई का सातवाँ चरण 31.12.2022 तक कार्य कर रहा था।

The period for distribution of free of cost foodgrains has been extended for five years from 1st January, 2024, with an estimated financial outlay of Rs. 11.80 lakh crore totally to be borne by Central Government. केंद्र सरकार ने गरीब लाभार्थियों पर वित्तीय बोझ कम करने और गरीबों की सहायता के कार्यक्रम में देशव्यापी एकरूपता और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, पीएमजीकेएवाई के तहत 1 जनवरी 2023 से अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों और प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच) के लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। मुफ्त खाद्यान्न वितरण की अवधि 1 जनवरी, 2024 से पाँच वर्षों के लिए बढ़ा दी गई है, जिसका अनुमानित वित्तीय परिव्यय 11.80 लाख करोड़ रुपये है, जिसे पूरी तरह से केन्‍द्र सरकार उठाएगी।

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पीएम पोषण (पोषण शक्ति निर्माण) योजना

  • प्रधानमंत्री पोषण (पोषण शक्ति निर्माण) योजना एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार लाकर शिक्षा को बढ़ावा देना और भूख से मुकाबला करना है, जिससे उपेक्षित छात्रों की नियमित उपस्थिति को बढ़ावा मिलता है। इस योजना के तहत, 14 वर्ष तक की आयु के सभी प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को एक पौष्टिक गर्म पका हुआ मध्याह्न भोजन प्रदान किया जाता है। पोषण मानकों को पूरा करने वाले मध्याह्न भोजन को सुनिश्चित करके, यह बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, स्कूल में उपस्थिति बढ़ाता है और बच्चों के सीखने के परिणामों में सुधार करता है, साथ ही सामाजिक समानता और सामुदायिक भागीदारी को भी बढ़ावा देता है।
  • वित्त वर्ष 24-25 के लिए डीएफपीडी से आवंटन: 22.96 एलएमटी चावल और गेहूं

भारत में चावल का फोर्टिफिकेशन

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और लोगों के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता में सुधार लाना भारत सरकार की सदैव प्राथमिकता रही है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है और समग्र पोषण परिदृश्य में सुधार के लिए प्रयासरत है।

  • विभाग द्वारा शुरू किए गए प्रमुख हस्तक्षेपों में से एक चावल फोर्टिफिकेशन पहल शामिल है।
  • आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ मुख्य खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त, सुरक्षित, किफायती और साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों में से एक रहा है जो सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के बोझ को कम करने के लिए एक पूरक रणनीति है।
  • चूँकि चावल भारत की लगभग 65 प्रतिशत आबादी का मुख्य भोजन है, इसलिए भारत सरकार ने 2019 में चावल फोर्टिफिकेशन पर एक प्रारंभिक परीक्षण कार्यक्रम शुरू किया। 2021 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने सरकार की खाद्य-आधारित योजनाओं के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से 2024 तक आबादी के सबसे गरीब और सबसे कमजोर वर्गों को फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने की घोषणा की।
  • फोर्टिफाइड चावल, चावल के साथ 1 प्रतिशत वजन के अनुपात में एक्सट्रूडेड फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) को मिलाकर बनाया जाता है। इन एफआरके में चावल का आटा और तीन प्रमुख सूक्ष्म पोषक तत्व आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 होते हैं, जो आकार, आकृति और रंग में पिसे हुए चावल के समान होते हैं और सामान्य चावल के समान ही सुगंध, स्वाद और बनावट वाले होते हैं।
  • भारत में चावल फोर्टिफिकेशन को लागू करने का निर्णय एक पूर्ण परियोजना जीवनचक्र से गुजरा, जिसमें पायलट परीक्षण, मानकीकरण, आवश्यक इकोसिस्‍टम का निर्माण, कार्यान्वयन और फिर विस्तार शामिल था। 
  • इस योजना का चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया गया। पहले चरण (2021-22) में आईसीडीएस और प्रधानमंत्री पोषण योजना को शामिल किया गया, और दूसरे चरण (2022-23) में 269 आकांक्षी और बौनापन लिए उच्च बोझ वाले जिलों में आईसीडीएस, प्रधानमंत्री पोषण और टीपीडीएस को शामिल किया गया। तीसरे चरण (2023-24) में टीपीडीएस के अंतर्गत शेष जिलों को भी शामिल किया गया।
  • मार्च 2024 तक, सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में पीएमजीकेएवाई, आईसीडीएस, पीएम-पोषण आदि जैसी केन्‍द्र सरकार की सभी योजनाओं के तहत आपूर्ति किए जाने वाले 100 प्रतिशत चावल को फोर्टिफाइड किया गया है।
  • हाल ही में कैबिनेट ने दिसम्‍बर 2028 तक सभी केन्‍द्रीय सरकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल की सार्वभौमिक आपूर्ति जारी रखने को मंजूरी दी है, जिसमें पीएमजीकेएवाईके हिस्से के रूप में भारत सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषण (17,082 करोड़ रुपये) किया जाएगा।

 

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी-संचालित सुधार

  • भारत सरकार ने स्मार्ट-पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार योजना) के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण किया है। भारत दिसम्‍बर 2025 तक चरणों में स्मार्ट-पीडीएस पहल शुरू करने के लिए तैयार है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तकनीकी रीढ़ को मजबूत करना और चार प्रमुख मॉड्यूल पर ध्यान केन्‍द्रित करके परिवर्तनकारी बदलाव लाना है:

1. खाद्यान्न खरीद

2. आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और अनाज आवंटन

3. राशन कार्ड और उचित मूल्य दुकान प्रबंधन

4. बायोमेट्रिक आधारित अनाज वितरण मॉड्यूल (ई-केवाईसी)।

  • मेरा राशन 2.0: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लाभार्थियों के लिए पारदर्शिता और सुविधा बढ़ाने के लिए, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) ने 20 अगस्त 2024 को मेरा राशन 2.0 मोबाइल एप्लिकेशन शुरू किया। यह उन्नत ऐप लाभार्थियों को उनके अधिकारों, निकासी विवरण और उचित मूल्य की नजदीकी दुकान (एफपीएस) के बारे में वास्तविक जानकारी प्रदान करता है, साथ ही एक सहज, उपयोगकर्ता-अनुकूल अनुभव के लिए कई नई मूल्यवर्धित सुविधाएँ भी प्रदान करता है। 1 करोड़ से ज़्यादा बार इसे डाउनलोड किया जा चुका है।

सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) सुधारों को बढ़ाने के लिए कई अन्य हस्तक्षेप किए हैं:

  • डिजिटलीकरण: सभी राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों (यूटी) में राशन कार्ड और लाभार्थियों के डेटाबेस को पूरी तरह से (100 प्रतिशत) डिजिटल कर दिया गया है।
  • पारदर्शिता और शिकायत निवारण: एक पारदर्शिता पोर्टल, ऑनलाइन शिकायत निवारण सुविधा और टोल-फ्री नंबर देश भर में लागू किया गया है।
  • ऑनलाइन आवंटन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन: चंडीगढ़, पुडुचेरी और दादरा एवं नगर हवेली के शहरी क्षेत्रों को छोड़कर, सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में ऑनलाइन आवंटन लागू किया गया है, जहाँ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना को अपनाया गया है। दूसरी ओर, 31 राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को कम्प्यूटरीकृत किया गया है।
  • आधार सीडिंग: राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 99.9 प्रतिशत राशन कार्डों को आधार संख्या के साथ जोड़ा गया है
  • उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) का स्वचालन: लगभग सभी एफपीएस अब ईपीओएस उपकरणों से सुसज्जित हैं, जिससे एनएफएसए के तहत खाद्यान्नों के इलेक्ट्रॉनिक और पारदर्शी वितरण के लिए बायोमेट्रिक/आधार-आधारित प्रमाणीकरण संभव हो गया है।
  • एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी): यह पहल लाभार्थियों को देश में कहीं भी पीडीएस लाभों का उपयोग करने की अनुमति देती है, जिससे पोर्टेबिलिटी और सुविधा सुनिश्चित होती है।
  • हेल्पलाइन नंबर 1967/1800-राज्य श्रृंखला संख्या सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित शिकायतों के निवारण और इच्छित लाभार्थियों द्वारा किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में कार्यरत है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार और गबन सहित किसी भी स्रोत से इस विभाग को जब भी कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो उसे जाँच और उचित कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश सरकारों को भेज दिया जाता है।

खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस(डी)]

अधिशेष खाद्यान्न (गेहूं और चावल) को खुले बाजार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस (डी)] के माध्यम से बेचा जाता है ताकि बाजार में उपलब्धता बढ़ाई जा सके, मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सके और आम जनता के लिए सामर्थ्य सुनिश्चित किया जा सके।

इससे निम्नलिखित में मदद मिलती है:

  • बाजार में खाद्यान्न की उपलब्धता बढ़ाएँ
  • कीमतों को स्थिर करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित करें
  • खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करें
  • आम जनता के लिए खाद्यान्न को अधिक किफायती बनाएँ

इसके अतिरिक्त, ओपन मार्केट सेल स्कीम डोमेस्टिक (ओएमएसएस-डी) नीति के तहत सामान्य उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर गेहूं का आटा और चावल उपलब्ध कराने के लिए भारत आटा और भारत चावल की शुरुआत की गई।

दालों में आत्मनिर्भरता का मिशन

प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर, 2025 को ₹11,440 करोड़ के बजटीय आवंटन के साथ दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन (2025-26 से 2030-31) का शुभारंभ किया। दलहन मिशन का उद्देश्य पोषण सुरक्षा और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए घरेलू दलहन उत्पादन को बढ़ावा देना है, जिससे खेती के तहत 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वृद्धि होने से लगभग दो करोड़ दलहन किसान लाभान्वित होंगे।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2025: भारत के वैश्विक खाद्य नेतृत्व का प्रदर्शन

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा सितम्‍बर 2025 में आयोजित वर्ल्ड फ़ूड इंडिया 2025, एक प्रमुख आयोजन था जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों को बढ़ावा देकर और खाद्य प्रसंस्करण, स्थिरता और नवाचार में देश की क्षमताओं का प्रदर्शन करके भारत को एक "वैश्विक खाद्य केन्‍द्र" के रूप में स्थापित करना था। 90 से अधिक देशों और 2,000 से अधिक प्रदर्शकों की भागीदारी के साथ, इस आयोजन ने सहयोगात्मक प्रयासों और तकनीकी प्रगति के माध्यम से वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने में भारत की भूमिका को रेखांकित किया।

भारतीय थाली वैश्विक सुर्खियों में

भारतीय थाली को हाल ही में वैश्विक मान्यता मिली है, जब डब्ल्यूडब्ल्यूएफ लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट ने पोषण और स्थिरता में इसके उल्लेखनीय योगदान को मान्यता दी। पारंपरिक भारतीय आहार, जो मुख्यतः पादप-आधारित है, अनाज, दालों, मसूर और सब्जियों पर केन्‍द्रित है, जो पशु-आधारित आहार की तुलना में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम करते हैं। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यदि वैश्विक जनसंख्या भारत के उपभोग पैटर्न को अपना ले, तो 2050 तक वैश्विक खाद्य उत्पादन को बनाए रखने के लिए हमें पृथ्वी के केवल 0.84 भाग की आवश्यकता होगी। यह मान्यता भारत को स्थायी खाद्य प्रथाओं में अग्रणी बनाती है, यह दर्शाती है कि कैसे स्थानीय परंपराएँ पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती हैं और साथ ही सभी के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकती हैं।

निष्‍कर्ष

विश्व खाद्य दिवस 2025 हमें सभी के लिए सुरक्षित, पौष्टिक और टिकाऊ भोजन तक पहुँच सुनिश्चित करने के महत्वपूर्ण महत्व की याद दिलाता है। "बेहतर भोजन और बेहतर भविष्य साथ-साथ" विषय भूख और कुपोषण से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर देता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की पहल खाद्य सुरक्षा और अपने नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कृषि उत्पादकता बढ़ाने, खाद्य वितरण को मज़बूत करने और कमज़ोर आबादी की सहायता करने के उद्देश्य से व्यापक कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत भूख उन्मूलन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। इस दिन, ये प्रयास लचीली खाद्य प्रणालियां बनाने के प्रति देश के समर्पण को उजागर करते हैं और भूख के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

संदर्भ

खाद्य एवं कृषि संगठन

https://www.fao.org/world-food-day/about/en

खाद्य एंव सार्वजनिक वितरण विभाग

https://nfsa.gov.in/portal/nfsa-act

शिक्षा मंत्रालय

https://pmposhan.education.gov.in/Union%20Budgetary.html

लोक सभा

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https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2844_3rLPAM.pdf?source=pqals

मायस्‍कीम पोर्टल

https://www.myscheme.gov.in/schemes/pm-poshan

हरियाणा सरकार

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पीआईबी प्रेस विज्ञप्‍ति

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