स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय परीक्षण लाइसेंस तथा बीए/बीई अध्ययन आवेदन प्रक्रियाओं को सरल बनाने लिए नई औषधि एवं नैदानिक परीक्षण नियम, 2019 में संशोधन करेगा
Posted On:
03 SEP 2025 12:12PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों के अनुसार, औषधि और नैदानिक अनुसंधान क्षेत्रों में नियामक अनुपालन को कम करने और व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय नई औषधि एवं नैदानिक परीक्षण (एनडीसीटी) नियम-2019 में संशोधन करने जा रहा है। ये प्रस्तावित संशोधन 28 अगस्त, 2025 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए गए थे और इस संबंध में लोगों से सुझाव मांगे गए थे। इन संशोधनों का उद्देश्य परीक्षण लाइसेंस प्राप्त करने और जैवउपलब्धता/जैव तुल्यता (बीए/बीई) अध्ययनों से संबंधित आवेदन जमा करने की आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। प्रस्तावित संशोधनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
1. परीक्षण लाइसेंस आवेदन: प्रस्तावित संशोधन के तहत, परीक्षण लाइसेंसों के लिए वर्तमान लाइसेंस प्रणाली को अधिसूचना/सूचना प्रणाली में बदल दिया गया है। इसके माध्यम से, आवेदकों को परीक्षण लाइसेंस (उच्च जोखिम श्रेणी की दवाओं की कुछेक श्रेणी को छोड़कर) के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि उन्हें केवल केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचित करना होगा। इसके अलावा, परीक्षण लाइसेंस आवेदनों के लिए कुल वैधानिक प्रक्रिया समय 90 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया जाएगा।
2. जैवउपलब्धता/जैवसमतुल्यता (बीए/बीई) अध्ययन आवेदन: प्रस्तावित संशोधन के तहत, बीए/बीई अध्ययनों की कुछ श्रेणियों के लिए मौजूदा लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त कर दिया जाएगा, जो कि केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचना या अधिसूचना प्रस्तुत करने पर शुरू किया जा सकता है।
इन नियामक सुधारों से आवेदनों पर कार्रवाई की समयसीमा में उल्लेखनीय कमी आएगी जिससे हितधारकों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इन प्रस्तावित संशोधनों से लाइसेंस आवेदनों की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे बीए/बीई अध्ययन, अनुसंधान के लिए दवाओं के परीक्षण और जांच शीघ्रता से शुरू हो सकेंगे और औषधि निर्माण एवं अनुमोदन प्रक्रियाओं में होने वाली देरी कम होगी।
इन संशोधनों से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को बेहतर तरीके से अपने मानव संसाधनों की तैनाती करने में भी मदद मिलेगी जिससे नियामक निगरानी की दक्षता एवं प्रभावशीलता में वृद्धि होगी।
यह पहल फार्मास्युटिकल क्षेत्र में चल रहे नियामक सुधारों के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारतीय फार्मा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने और घरेलू नियमों को सर्वोत्तम वैश्विक नियमों के अनुरूप बनाने के लिए व्यापार सुगमता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के अंतर्गत ये संशोधन किए जा रहे हैं। इन कदमों से भारत, नैदानिक अनुसंधान का एक केंद्र बन सकता है जिससे फार्मास्युटिकल अनुसंधान और विकास के मामले में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।
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पीके/केसी/बीयू/जीआरएस
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