विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "आधुनिक युद्ध पूरी तरह से तकनीक पर आधारित है और पिछले चार दिनों में भारत की सर्वोच्चता साबित हुई है"
केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले एक दशक के कार्यकाल के दौरान स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास में भारत की तीव्र प्रगति और आधुनिक युद्ध पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने घरेलू प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक विकसित और तैनात किया है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है
आधुनिक युद्ध में भारत की तकनीकी श्रेष्ठता और आत्मनिर्भरता पर प्रकाश डाला गया और कहा गया कि “आधुनिक युद्ध में हमारी सफलता 2047 तक विकसित भारत की दिशा में प्रगति का प्रतिबिंब है
Posted On:
11 MAY 2025 6:09PM by PIB Delhi
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में "राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस" समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि "आधुनिक युद्ध पूरी तरह से प्रौद्योगिकी संचालित है और पिछले चार दिनों में भारत की सर्वोच्चता साबित हुई है।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले एक दशक के शासन के दौरान स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास में भारत की तीव्र प्रगति और आधुनिक युद्ध पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक युद्ध तकनीक संचालित है और पिछले चार दिनों की घटनाओं ने एक बार फिर भारत की तकनीकी क्षमता को सही साबित किया है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने घरेलू प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक विकसित और तैनात किया है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "आज रक्षा क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली अधिकांश प्रौद्योगिकियां स्वदेशी रूप से विकसित हैं और यह प्रधानमंत्री मोदी ही हैं जिन्होंने हममें आत्मनिर्भर भारत बनाने का विश्वास जगाया है।"
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की उत्पत्ति को याद करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह दिवस पहली बार 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण की याद में मनाया गया था, जिसकी संकल्पना तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा, "जिस विचार ने 1998 में हमें प्रेरित किया था, वह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में परिपक्व हो गया है और भारत को वैश्विक प्रौद्योगिकी नेता के रूप में परिवर्तित कर रहा है।"
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2014 से ही स्वदेशीकरण सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, तथा प्रधानमंत्री मोदी लगातार आत्मनिर्भरता पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "भारत अब बाहरी ताकतों पर निर्भर नहीं है। आधुनिक युद्ध में हमारी सफलता 2047 तक विकसित भारत की दिशा में प्रगति का प्रतिबिंब है।"

वैज्ञानिक प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान 1000 ड्रोन शो सहित अग्रणी पहलों का समर्थन करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) की सराहना की। उन्होंने कहा कि ड्रोन, जो कभी प्रतीकात्मक थे, अब भारत के विकसित होते रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के केंद्र में हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने हर वर्ष एक नई थीम निर्धारित करने की टीडीबी की परंपरा की सराहना की और इस वर्ष की थीम "यंत्र" को विशेष रूप से रेखांकित किया, जो उन्नत अनुसंधान और तकनीकी तीव्रता के माध्यम से परिवर्तन का प्रतीक है।
उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत ने पिछले दशक में अपनी रक्षा क्षमता में काफी वृद्धि की है और वैज्ञानिक विकास के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया। उन्होंने कहा, "भारत में प्रतिभा की कभी कमी नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास ऐसा नेतृत्व है जो नवाचार को बढ़ावा देता है।"
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कई प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया जो देश के बढ़ते वैश्विक कद को दर्शाती हैं। उन्होंने वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की प्रभावशाली छलांग की ओर इशारा किया, जो 81वें स्थान से 39वें स्थान पर पहुंच गया है, तथा इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया कि अब लगभग 56% पेटेंट निवासी भारतीयों द्वारा दायर किए जाते हैं - जो घरेलू नवाचार में उछाल को दर्शाता है। भारत उद्यमशीलता और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देते हुए विश्व में तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में भी उभरा है। रक्षा क्षेत्र में निर्यात में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो 2,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो स्वदेशी क्षमताओं की ताकत को दर्शाता है। उन्होंने आगे बताया कि अनुसंधान और विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) के लिए बजटीय आवंटन दोगुने से भी अधिक हो गया है, जो 60,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,27,000 करोड़ रुपये हो गया है, साथ ही डीएसटी और डीबीटी बजट में 100% से अधिक की वृद्धि हुई है। उल्लेखनीय रूप से, अंतरिक्ष क्षेत्र का बजट लगभग तीन गुना हो गया है, जो इस क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने से संभव हुआ है - जिससे भारत भविष्य के लिए तैयार प्रौद्योगिकीय शक्ति के रूप में स्थापित हो गया है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ‘एक राष्ट्र, एक सदस्यता’ और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के अंतर्गत फेलोशिप के लिए एकल पोर्टल जैसी प्रमुख पहलों का भी उल्लेख किया, जिससे भारत में अनुसंधान करना आसान हो गया है।
कार्यक्रम के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले पांच वर्षों में टीडीबी द्वारा वित्त पोषित "सुपर 30 स्टार्टअप्स" का एक संग्रह जारी किया और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत दो नए प्रस्ताव आमंत्रित किए। उन्होंने कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) के लिए पायलट परियोजनाओं पर काम कर रहे उद्योग-अकादमिक संघों को परियोजना अनुदान भी सौंपे।
अपने संबोधन का समापन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “27वां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत के नेतृत्व की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता का प्रतीक है, जो 2047 के भारत के लिए आधार तैयार करता है।”
इस कार्यक्रम में पद्म भूषण अजय चौधरी भी शामिल हुए, जिन्होंने विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने के लिए “संपूर्ण राष्ट्र” दृष्टिकोण पर जोर दिया और सच्ची आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अनुसंधान एनआरएफ जैसी पहल का समर्थन किया।
इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश पाठक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश पाठक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समुदाय के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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