इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन
स्वदेशी उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के साथ भारत के भविष्य को सशक्त बनाना
Posted On:
28 APR 2025 6:00PM by PIB Delhi
"भारत का मंत्र है अनुसंधान के माध्यम से आत्मनिर्भरता, आत्मनिर्भरता के लिए विज्ञान।"
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
|
परिचय

राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) भारत सरकार द्वारा देश को उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) क्षमताओं द्वारा सशक्त बनाने की एक प्रमुख पहल है। 2015 में लॉन्च किए गए इस मिशन का उद्देश्य सुपरकंप्यूटिंग में भारत की तकनीकी प्रगति को बढ़ाना, अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देना और शिक्षा, उद्योग और सरकारी क्षेत्रों में वैज्ञानिक प्रगति का सहयोग करना है।
इस मिशन का उद्देश्य देश भर में फैले हमारे राष्ट्रीय शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को विभिन्न क्षमताओं के सुपर कंप्यूटर स्थापित करके सशक्त बनाना है। इन सुपर कंप्यूटरों तक पहुंच राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) के माध्यम से प्रदान की जाती है। राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क सरकार का एक और कार्यक्रम है जो शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं को हाई-स्पीड नेटवर्क से जोड़ता है।
शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थान तथा प्रमुख उपयोगकर्ता विभाग/मंत्रालय इन सुविधाओं का उपयोग करते हुए प्रतिभागिता करेंगे तथा राष्ट्रीय प्रासंगिकता के अनुप्रयोग विकसित करेंगे। मिशन में इन अनुप्रयोगों के विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए अत्यधिक पेशेवर उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) जागरूक मानव संसाधन का विकास भी शामिल है। इस क्षेत्र में मानव संसाधन विकास गतिविधियों को पुणे, खड़गपुर, चेन्नई, पलक्कड़ और गोवा में पांच प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से संचालित किया जाता है, ताकि कॉलेज के छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच सुपरकंप्यूटिंग के बारे में जागरूकता और जानकारी बढ़ाई जा सके।
वर्तमान स्थिति और उपलब्धियां
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत, मार्च 2025 तक, 35 पेटाफ्लॉप की संयुक्त गणना क्षमता वाले कुल 34 सुपरकंप्यूटर, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, शोध संगठनों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में लगाए जाएंगे, जिनमें आईआईएससी, आईआईटी, सी-डैक जैसे प्रमुख संस्थान और देश के टियर II और टियर III शहरों के अन्य संस्थान शामिल हैं। राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत कमीशन किए गए सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम ने 85 प्रतिशत से अधिक की समग्र उपयोग दर हासिल की है, जिसमें कई सिस्टम 95 प्रतिशत से अधिक हैं, जो उनकी कम्प्यूटेशनल क्षमता में उपयोग और दक्षता के उच्च स्तर को प्रदर्शित करता है।
अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) क्षेत्र में इन सुपरकंप्यूटिंग प्रणालियों का योगदान अत्यधिक प्रभावशाली रहा है, जिससे देश भर के 200 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों और आर एंड डी प्रयोगशालाओं के 1,700 से अधिक पीएचडी विद्वानों सहित 10,000 से अधिक शोधकर्ताओं को सुविधा हुई है। इन सुपरकंप्यूटिंग प्रणालियों ने दवा खोज, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु मॉडलिंग, खगोलीय अनुसंधान, कम्प्यूटेशनल रसायन विज्ञान, द्रव गतिशीलता और सामग्री अनुसंधान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान का सहयोग किया है। राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन ने अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करके टियर II और टियर III शहरों के शोधकर्ताओं के लिए अनुसंधान करने के अवसर पैदा किए हैं। इन शोधकर्ताओं ने 1 करोड़ से अधिक गणक कार्य पूरे किए हैं और प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 1,500 से अधिक पत्र प्रकाशित किए हैं। इसके अतिरिक्त, 22,000 से अधिक व्यक्तियों को एचपीसी और एआई कौशल में प्रशिक्षित किया गया है

समानांतर रूप से, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के अंतर्गत, सी-डैक ने कंप्यूटिंग नोड्स के बीच डेटा ट्रांसफर और संचार को बढ़ाने के लिए स्वदेशी हाई-स्पीड संचार नेटवर्क, "त्रिनेत्र" विकसित किया है , जिससे भारत की सुपरकंप्यूटिंग क्षमताएं मजबूत हुई हैं। त्रिनेत्र को तीन चरणों में लागू किया जा रहा है: त्रिनेत्र-पीओसी, मुख्य अवधारणाओं को मान्य करने के लिए एक प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट सिस्टम; त्रिनेत्र-ए (100 गीगाबिट प्रति सेकंड), उन्नत कनेक्शन वाला एक नेटवर्क, जिसे सी-डैक पुणे में 1 पीएफ परम रुद्र में सफलतापूर्वक तैनात और परीक्षण किया गया है; और त्रिनेत्र-बी (200 गीगाबिट प्रति सेकंड), बेहतर क्षमताओं वाला एक उन्नत संस्करण, जिसे सी-डैक बैंगलोर में नये संस्करण का 20 पीएफ परम (पीएआरएएम) रुद्र सुपरकंप्यूटर लगाया जाना है।
प्रधानमंत्री ने 2024 में, भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान में उन्नत अध्ययन की सुविधा प्रदान करने वाले देश के युवा शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को तीन परम रुद्र सुपर कंप्यूटर समर्पित किए। इन सुपर कंप्यूटरों को अग्रणी वैज्ञानिक अनुसंधान की सुविधा के लिए पुणे , दिल्ली और कोलकाता में लगाया गया है। परम रुद्र सुपरकंप्यूटर स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित एचपीसी सर्वर, जिसे "रुद्र" के रूप में जाना जाता है, के साथ-साथ स्वदेशी रूप से विकसित सिस्टम सॉफ्टवेयर स्टैक का उपयोग करके बनाया गया है। रुद्र सर्वर भारत में अपनी तरह का पहला सर्वर है जो वैश्विक रूप से उपलब्ध अन्य एचपीसी श्रेणी के सर्वरों के बराबर है।

सरकार ने एआई शोध और ज्ञान अपनाने के लिए एक सामान्य कंप्यूट प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए ऐरावत (एआईआरएडब्ल्यूएटी) नामक परियोजना शुरू की है। इस एआई कंप्यूटिंग अवसंरचना का उपयोग सभी प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग, स्टार्ट-अप और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) के तहत संस्थानों द्वारा किया जाएगा। ऐरावत के लिए अवधारणा का प्रमाण (पीओसी) 200 पेटाफ्लॉप्स मिश्रित परिशुद्धता एआई मशीन के साथ विकसित किया जाएगा जो 790 एआई पेटाफ्लॉप्स की अधिकतम गणना के लिए स्केलेबल होगा। ऐरावत ने जर्मनी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग सम्मेलन (आईएससी 2023) में घोषित शीर्ष 500 वैश्विक सुपरकंप्यूटिंग सूची में 75वां स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि से भारत दुनिया भर में एआई सुपरकंप्यूटिंग देशों में शीर्ष पर पहुंच गया है।
2022 में , भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु ने सबसे शक्तिशाली भारतीय सुपर कंप्यूटरों में से एक, परम प्रवेग को स्थापित किया। 3.3 पेटाफ्लॉप की सुपरकंप्यूटिंग शक्ति वाला परम प्रवेग, किसी भारतीय शैक्षणिक संस्थान में स्थापित किया गया सबसे बड़ा सुपर कंप्यूटर है ।
2019 में, प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू, वाराणसी में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के पहले स्वदेशी रूप से निर्मित सुपरकंप्यूटर 'परम शिवाय' का उद्घाटन किया था।
2024-25 में, स्वदेशी रूप से विकसित सर्वर और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अतिरिक्त ~45 पीएफ कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे के निर्माण की परिकल्पना की गई है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन संरचना
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन का उद्देश्य सुपरकंप्यूटिंग में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयासों के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास तथा समस्या समाधान के लिए सुपरकंप्यूटिंग का उपयोग करने की संस्कृति का निर्माण करना, विभिन्न सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए समाधान तैयार करना और देश में सुपरकंप्यूटिंग इको-सिस्टम को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है। इस मिशन के तहत बुनियादी ढांचे के हिस्से के रूप में बनाई गई प्रणालियों और सुविधाओं को तीन चरणों में विभाजित किया गया है: चरण I, चरण II और चरण III ।
चरण 1: इस चरण में विभिन्न संस्थानों में छह सुपरकंप्यूटर स्थापित करके एक बुनियादी सुपरकंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे का निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, इसमें शामिल अधिकांश घटकों को घरेलू स्तर पर इकट्ठा किया गया। इसका उद्देश्य देश के भीतर सिस्टम घटकों की असेंबली के लिए एक इको-सिस्टम का निर्माण करना था।
चरण 2: चरण 1 पर आधारित इस चरण का उद्देश्य स्थानीय सॉफ्टवेयर स्टैक विकसित करने सहित सुपर कंप्यूटरों के स्वदेशी निर्माण की ओर बढ़ना था। इस चरण में भारत की ओर से मूल्य संवर्धन में 40 प्रतिशत की वृद्धि भी देखी गई।
चरण 3: यह चरण सुपरकंप्यूटिंग के पूर्ण स्वदेशीकरण पर केंद्रित है, जिसमें स्वदेशी तौर पर प्रमुख घटकों का डिजाइन, विकास और विनिर्माण शामिल है। इस योजना में विभिन्न शैक्षणिक और शोध संस्थानों में सुपरकंप्यूटर स्थापित करना, साथ ही उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमता वाली राष्ट्रीय सुविधा स्थापित करना शामिल है।
इस मिशन को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है। इसका क्रियान्वयन सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक), पुणे तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु द्वारा किया जा रहा है। मिशन के क्रियान्वयन से सुपरकंप्यूटिंग देश के बड़े वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी समुदाय की पहुंच में आ जाएगी तथा देश को बहु-विषयक बड़ी चुनौतीपूर्ण समस्याओं को सुलझाने में सक्षम होगी।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन ने 20 पेटा फ्लॉप सिस्टम सहित अधिक कंप्यूटिंग शक्ति वाले आईआईटी सहित चुनिंदा संस्थानों में सुपर कंप्यूटरों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है। अनुसंधान और अन्य संबद्ध क्षेत्रों के लिए सुपर-कंप्यूटिंग सुविधा विकसित करने और प्रदान करने के लिए 1874 करोड़ रुपये की राशि आवंटित/उपयोग की गई है। इसमें बुनियादी ढांचे के निर्माण, अनुप्रयुक्त क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास, अनुप्रयोग, मानव संसाधन विकास और मिशन प्रबंधन के लिए धनराशि शामिल है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के माध्यम से एनएसएम को मजबूत करना
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। सुपरकंप्यूटर को प्रोसेसर, मेमोरी चिप्स और विशेष त्वरक जैसे शक्तिशाली घटकों की आवश्यकता होती है - ये सभी उन्नत सेमीकंडक्टर तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। अब तक, भारत को इन घटकों के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता था।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के साथ, इन उच्च तकनीक वाले इन घटकों को भारत में बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इससे सुपरकंप्यूटर अधिक तेज़, अधिक ऊर्जा-कुशल और बहुत अधिक किफ़ायती बनेंगे। यह भारत को ऐसे सुपरकंप्यूटर बनाने में भी सक्षम बनाएंगे जो हमारी अपनी वैज्ञानिक और औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए अनुकूलित हैं। देश के भीतर इन तकनीकों को विकसित करके, भारत सेमीकंडक्टर मिशन देश को आत्मनिर्भर बनाने और सुपरकंप्यूटिंग में वैश्विक अग्रणी बनाने के सपने के करीब पहुंचने में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन की मदद करेगा।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन एक परिवर्तनकारी पहल है जो वैश्विक सुपरकंप्यूटिंग में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। स्वदेशी विकास, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देकर, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन महत्वपूर्ण क्षेत्रों का सहयोग करता है और देश को भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार करता है। निरंतर निवेश और रणनीतिक तैनाती के साथ, भारत उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग में वैश्विक अग्रणी बनने के लिए तैयार है ।
संदर्भ
https://nsmindia.in/
https://ism.gov.in/
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1666447
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2081061
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1800356
https://dst.gov.in/pm-launches-country-1st-indigenously-build-supercomputer
https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2087506
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2088268
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/184/AU2084_k8K63G.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/annex/267/AU3905_rZLY5P.pdf?source=pqars
National Supercomputing Mission
***
एमजी/केसी/वीके/एसके
(Release ID: 2124971)
Visitor Counter : 175