पंचायती राज मंत्रालय
आत्मनिर्भर भारत का निर्माण
स्वामित्व योजना के 5 वर्ष
Posted On:
23 APR 2025 5:56PM by PIB Delhi
“देश ने ठान लिया है कि गांव और गरीब को आत्मनिर्भर बनाना है, भारत के सामर्थ्य को साकार करना है। इस संकल्प की सिद्धि में स्वामित्व योजना की भूमिका बहुत बड़ी है।”
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
सारांश
- अप्रैल 2020 में शुभारंभ किया गया, ‘स्वामित्व’ ड्रोन-आधारित सर्वेक्षणों का उपयोग करके ग्रामीण आवासीय भूमि का कानूनी स्वामित्व प्रदान करता है।
- ‘स्वामित्व’ को भारतीय सर्वेक्षण विभाग और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र सेवा (एनआईसीएसआई) के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया गया।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण नागरिकों को संपत्ति कार्ड प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना, ऋण सुलभ कराना, विवाद समाधान और बेहतर योजना बनाना है।
- इस योजना के अंतर्गत 1.61 लाख गांवों के लिए 2.42 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड बनाए गए हैं।
- 3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हुआ, 68,122 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया।

‘स्वामित्व’ ग्रामीण शासन में बदलाव ला रहा है, आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रहा है और वैश्विक स्तर पर भारत की भूमि संबंधी तकनीक को प्रदर्शित कर रहा है।
भूमिका

प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर ‘स्वामित्व’ (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर तकनीक के साथ मानचित्रण) योजना का शुभारंभ किया था। इस वर्ष ‘स्वामित्व’ अपनी पांचवीं वर्षगांठ मना रहा है! यह योजना गांवों में लोगों को उनके उन घरों एवं ज़मीन, जहां वे रहते हैं, के लिए कानूनी स्वामित्व के कागजात पाने में मदद करती है। यह संपत्ति की सीमाओं को स्पष्ट रूप से चिन्हित करने हेतु ड्रोन और मानचित्रण संबंधी विशेष उपकरणों का उपयोग करती है। इन कागजात के साथ, लोग बैंक से ऋण ले सकते हैं, भूमि विवादों का निपटारा कर सकते हैं और यहां तक कि अपनी संपत्ति का उपयोग अधिक कमाई के लिए भी कर सकते हैं। यह योजना बेहतर ग्राम नियोजन में भी मदद करती है।
‘स्वामित्व’ योजना को भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र सेवा इंक (एनआईसीएसआई) प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में शामिल है। वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024-25 तक कुल लागत 566.23 करोड़ रुपये है, जिसे वित्तीय वर्ष 2025-26 तक बढ़ाया जा सकता है।
इस योजना के तहत प्रमुख उपलब्धियां
- 18 जनवरी 2025 को, 10 राज्यों (छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) और 2 केन्द्र-शासित प्रदेशों (जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख) के 50,000 से अधिक गांवों में 65 लाख स्वामित्व संपत्ति कार्ड वितरित किए गए।
- 2 अप्रैल 2025 तक, ‘स्वामित्व’ योजना के तहत 3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इन सर्वेक्षणों ने प्रत्येक गांव में बसे हुए क्षेत्रों के औसत आकार के आधार पर अनुमानित 68,122 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया है।
- 11 मार्च 2025 तक, 31 राज्यों व केन्द्र-शासित प्रदेशों ने समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप, लद्दाख एवं दिल्ली और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पूर्ण कवरेज के साथ 3.20 लाख गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। 1.61 लाख गांवों के लिए कुल 2.42 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए गए हैं।

‘स्वामित्व’ : वैश्विक स्तर पर भूमि के प्रशासन से संबंधित नवाचारों को प्रेरित करना
‘स्वामित्व’ भूमि के प्रशासन में परिवर्तन लाने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण स्थापित कर रहा है और अन्य देशों को इसी प्रकार का मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है।
- गुरुग्राम स्थित हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) में 24-29 मार्च, 2025 को आयोजित भूमि के प्रशासन से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में 22 देशों के वरिष्ठ अधिकारी एकत्रित हुए। इस कार्यक्रम में ड्रोन आधारित सर्वेक्षण, डिजिटल संपत्ति रिकॉर्ड और ‘स्वामित्व’ योजना के जरिए पारदर्शी शासन सहित भारत के रचनात्मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया गया।
- भारत मंडपम में आयोजित भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले 2024 में इस योजना ने इस बात को प्रदर्शित किया कि कैसे ड्रोन एवं जीआईएस मैपिंग ग्रामीण समुदायों को स्पष्ट और कानूनी भूमि स्वामित्व हासिल करने में मदद कर रहे हैं। इससे न केवल विवाद कम होते हैं, बल्कि ऋण तक पहुंच भी बेहतर होता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, ग्रामीण भारत को सशक्त बनाया जाता है और संपत्ति के अधिकारों को बढ़ाया जाता है।
स्वामित्व की आवश्यकता
दशकों से, भारत में कई गांवों के घरों और ज़मीनों का सही तरीके से रिकॉर्ड नहीं रखा गया। कानूनी दस्तावेज़ों के बिना, लोग स्वामित्व साबित नहीं कर सकते थे या बैंक से ऋण नहीं ले सकते थे या सरकारी सहायता प्राप्त करने हेतु अपनी संपत्ति का उपयोग नहीं कर सकते थे। रिकॉर्ड की कमी ने ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक विकास को धीमा कर दिया और अक्सर भूमि विवाद पैदा हुए। इस समस्या को हल करने के उद्देश्य से ‘स्वामित्व’ योजना लोगों को कानूनी स्वामित्व के कागजात देती है, जिससे उन्हें अपने अधिकारों को सुरक्षित करने और बेहतर भविष्य बनाने में मदद मिलती है।
इस योजना के उद्देश्य

‘स्वामित्व’ के घटक
‘स्वामित्व’ योजना उन प्रमुख घटकों पर आधारित है, जो भूमि का सटीक मानचित्रण, कुशल कार्यान्वयन और सामुदायिक जागरूकता सुनिश्चित करते हैं:
- सतत प्रचालन संदर्भ स्टेशन (सीओआरएस) नेटवर्क की स्थापना: सीओआरएस नेटवर्क ग्राउंड कंट्रोल प्वाइंट स्थापित करने में सहायता करता है, जो सटीक भू-संदर्भन, ग्राउंड ट्रुथिंग और भूमि के सीमांकन की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।
- ड्रोन का उपयोग करके बड़े पैमाने पर मानचित्रण: भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन सर्वेक्षण का उपयोग करके ग्रामीण आबादी क्षेत्र का मानचित्रण किया जा रहा है। यह स्वामित्व संपत्ति अधिकार प्रदान करने हेतु उच्च रिज़ॉल्यूशन वाला और सटीक मानचित्र तैयार करता है। इन मानचित्रों या डेटा के आधार पर, ग्रामीण घरेलू मालिकों को संपत्ति कार्ड जारी किए जाते हैं।
- सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) संबंधी पहल: इस योजना की कार्यप्रणाली और इसके लाभों के बारे में स्थानीय आबादी को जागरूक बनाने हेतु जागरूकता कार्यक्रम।
- स्थानिक नियोजन अनुप्रयोग “ग्राम मंच” का उन्नयन: ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) की तैयारी का समर्थन करने हेतु स्थानिक विश्लेषणात्मक उपकरणों के निर्माण के लिए ड्रोन सर्वेक्षण के तहत बनाए गए डिजिटल स्थानिक डेटा / मानचित्रों का लाभ उठाना।
- ऑनलाइन निगरानी प्रणाली: गतिविधियों की प्रगति पर नजर रखने के लिए ऑनलाइन निगरानी और रिपोर्टिंग डैशबोर्ड की निगरानी की जाती है।
- परियोजना प्रबंधन: योजना के कार्यान्वयन में मंत्रालय और राज्य को सहयोग देने हेतु राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कार्यक्रम प्रबंधन इकाइयां।
सफलता की कहानियां
‘स्वामित्व’ योजना स्पष्ट संपत्ति अधिकार प्रदान करके और भूमि के प्रबंधन को बेहतर बनाकर ग्रामीण शासन को बदल रही है। ये उदाहरण ग्रामीण प्रगति को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने में इस योजना की भूमिका को रेखांकित करते हैं।
- विवाद समाधान: 25 वर्षों की अनिश्चितता के बाद, हिमाचल प्रदेश के तारोपका गांव की श्रीमती सुनीता को स्वामित्व योजना के जरिए अपनी पैतृक भूमि का कानूनी स्वामित्व मिला। अपने संपत्ति कार्ड की सहायता से, उन्होंने अपने पड़ोसी के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद को सुलझाया, जिससे उसके परिवार के भविष्य में शांति और सुरक्षा आई। ‘स्वामित्व’ योजना ने उन्हें स्पष्ट स्वामित्व दिया, जिससे उनका जीवन बेहतर हुआ।
- वित्तीय समावेशन: राजस्थान के फलाटेड गांव के श्री सुखलाल पारगी को ‘स्वामित्व’ योजना के तहत पट्टा और संपत्ति कार्ड मिला। इन दस्तावेजों की मदद से वे वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बनाने में सक्षम हो गए। उन्होंने संपत्ति कार्ड का उपयोग करके बैंक से तीन लाख रुपये का ऋण तुरंत प्राप्त किया। ‘स्वामित्व’ योजना ने उन्हें कानूनी स्वामित्व दिया और उनकी वित्तीय स्थिरता को बेहतर बनाने में मदद की।
निष्कर्ष
‘स्वामित्व’ योजना ग्रामीण भारत में भूमि के स्वामित्व को बदल रही है। यह पुरानी चुनौतियों को विकास एवं सशक्तिकरण के नए अवसरों में बदल रही है। यह योजना विवादों को सुलझाने और बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है। यह लोगों को आर्थिक प्रगति के लिए अपनी भूमि का उपयोग करने में मदद करती है। ड्रोन और डिजिटल संपत्ति कार्ड से लैस इस योजना का संबंध नई संभावनाओं के सृजन से है। ‘स्वामित्व’ एक सरकारी कार्यक्रम से कहीं बढ़कर है। यह आत्मनिर्भरता, बेहतर नियोजन और एक मजबूत ग्रामीण भारत की दिशा में एक कदम है।
संदर्भ
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jun/doc20226862301.pdf
https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2021/oct/doc202110721.pdf
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