ग्रामीण विकास मंत्रालय
मिशन अमृत सरोवर
स्थानीय समुदाय के संरक्षण में भारत की जल विरासत को पुनर्जीवित करना
Posted On:
17 APR 2025 5:45PM by PIB Delhi
परिचय

भारत की जल चुनौतियों ने लंबे समय से संरचनात्मक और भागीदारीपूर्ण हस्तक्षेप की मांग की है। इस पृष्ठभूमि में, सरकार ने आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत एक प्रमुख पहल के रूप में 2022 में मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत की। इस मिशन का उद्देश्य देश भर के प्रत्येक जिले में 75 जल स्रोतों का निर्माण और पुनरुद्धार करना है, जिससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिले, स्थिरता सुनिश्चित हो और जन भागीदारी के माध्यम से पारंपरिक सामुदायिक जल निकायों को पुनर्जीवित किया जा सके।
15 अगस्त, 2023 तक 50,000 अमृत सरोवर बनाने के लक्ष्य के साथ शुरू की गई इस पहल को अब आगे बढ़ाया गया है और यह ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक सशक्तिकरण को एक साथ लाने वाला एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन गया है। यह केवल जलाशय निर्माण की पहल नहीं है - यह राष्ट्रीय गौरव, पर्यावरण की बहाली और जमीनी स्तर पर शासन के संयोजन का प्रतिनिधित्व करता है। भूजल की कमी और ग्रामीण जल की कमी के बारे में बढ़ती चिंताओं की पृष्ठभूमि में, मिशन अमृत सरोवर परंपरा को आधुनिकता और संस्थागत गठबंधन को सार्वजनिक लामबंदी के साथ मिलाते हुए एक रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है।
मार्च 2025 तक 68,000 से ज़्यादा सरोवर बनकर तैयार हो चुके हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सतही और भूजल उपलब्धता में वृद्धि हुई है। महात्मा गांधी नरेगा के तहत 46,000 से ज़्यादा सरोवरों का निर्माण/पुनरुद्धार किया गया। इन सरोवरों ने न सिर्फ़ पानी की तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा किया है, बल्कि टिकाऊ जल स्रोत भी स्थापित किए हैं, जो दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
पृष्ठभूमि और दूरदर्शिता
अमृत सरोवर सतही और भूमिगत जल की उपलब्धता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अमृत सरोवरों का विकास रचनात्मक कार्यों का एक महत्वपूर्ण प्रतीक भी है, जो आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश को समर्पित है, जो जीवों और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी टिकाऊ और दीर्घकालिक उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण करता है।
मिशन अमृत सरोवर की घोषणा 24 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री द्वारा जम्मू के सांबा जिले के पल्ली ग्राम पंचायत में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर की गई थी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित इस पहल में सात मंत्रालय शामिल हैं: ग्रामीण विकास मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय। इस मिशन को भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन्स एंड जियो-इनफॉरमेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) का भी समर्थन प्राप्त है। इस बहु-हितधारक दृष्टिकोण का उद्देश्य पहल के अभिसरण, दक्षता और भागीदारी स्वामित्व को सुनिश्चित करना था। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) ने एक केन्द्रीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म- amritsarovar.gov.in प्रदान किया है, जो मोटे स्तर पर वास्तविक समय की प्रगति पर निगाह रखता है, पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और विभागों और राज्यों के बीच समन्वय को सक्षम बनाता है।
इस मिशन का उद्देश्य "देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर (तालाब) का निर्माण/पुनरुद्धार करना" है। प्रत्येक अमृत सरोवर को कम से कम 1 एकड़ (0.4 हेक्टेयर) के तालाब क्षेत्र के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें लगभग 10,000 क्यूबिक मीटर की जल धारण क्षमता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जलाशय सामाजिक-सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में भी काम करते हैं - कई राष्ट्रीय नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े हैं, जो स्वामित्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देते हैं।
मिशन का मुख्य उद्देश्य है:
- जल संरक्षण और स्थायी जल प्रबंधन कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देना
- विकेंद्रीकृत शासन को मजबूत करना और ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाना
- मनरेगा और संबंधित योजनाओं के तहत रोजगार को बढ़ावा देना
- पारंपरिक और सांस्कृतिक जल संरचनाओं और सामुदायिक भागीदारी को पुनर्जीवित करना
संस्थागत अभिसरण और कार्यान्वयन तंत्र
मिशन अमृत सरोवर के कार्य राज्यों और जिलों द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा), 15वें वित्त आयोग अनुदान, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की उप-योजनाओं जैसे वाटरशेड विकास घटक, हर खेत को पानी के अलावा राज्यों की अपनी योजनाओं के समन्वय से शुरू किए जा रहे हैं।
अमृत सरोवर की प्रगति की निगरानी के लिए पंचायत स्तर पर निम्नलिखित व्यवस्थाएं हैं:
- प्रत्येक अमृत सरोवर के लिए दो समर्पित प्रभारी अर्थात पंचायत प्रतिनिधि और पंचायत स्तर के अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
- ग्राम पंचायत पंचायत प्रतिनिधि मनोनीत करेगी, जो नागरिक पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करेगा तथा सामुदायिक हितों की रक्षा करते हुए पंचायत में अमृत सरोवर के ईमानदारीपूर्ण एवं निष्पक्ष क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा।
- पंचायत स्तर के अधिकारी प्रगति की निगरानी करेंगे और पंचायत में मिशन के ईमानदारीपूर्वक कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे तथा प्रगति की रिपोर्ट दस्तावेज के रूप में, उचित फोटो और वीडियो के साथ प्रस्तुत करेंगे।
मिशन अमृत सरोवर के दिशा-निर्देशों के अनुसार, अमृत सरोवरों के प्रभावी रखरखाव और स्थायित्व के लिए प्रत्येक सरोवर से जुड़े उपयोगकर्ता समूहों का गठन और स्पष्ट मानचित्रण आवश्यक है, जो बड़े पैमाने पर स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से लिए गए हों। उपयोगकर्ता समूह एक स्वैच्छिक समूह है जो जल उपयोग को कुशलतापूर्वक बढ़ावा देने के लिए सरोवर के संरक्षण और प्रबंधन के लिए सामूहिक रूप से कार्य करता है। यह सरोवर के उपयोगकर्ता सदस्यों का एक प्रतिनिधि निकाय है, जिसमें महिलाओं और कमजोर वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। सरोवरों के सर्वोत्कृष्ट उपयोग और रखरखाव के लिए इन उपयोगकर्ता समूहों की उचित पहचान और समन्वय आवश्यक है। वृक्षारोपण गतिविधियों सहित अमृत सरोवर के वर्तमान उपयोग और रखरखाव के लिए भी उपयोगकर्ता समूह जिम्मेदार होगा। जलग्रहण क्षेत्र से गाद को हटाने का काम प्रत्येक मानसून मौसम के बाद उपयोगकर्ता समूहों द्वारा स्वैच्छिक रूप से किया जाना चाहिए।
उपयोग के आधार पर विभिन्न प्रकार के उपयोगकर्ता समूह बनाए जा सकते हैं:
1. ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) / पानी समिति (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, भारत सरकार)
2. स्वयं सहायता समूह (एनआरएलएम)
3. मछुआरा समूह (मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार)
4. वन समिति (वन विभाग)
5. जलकृषि व्यवसायी
6. सिंघाड़ा उत्पादक
7. कमल उत्पादक
8. मखाना उत्पादक
9. बत्तख पालन
10. पशुधन उपयोगकर्ताओं के लिए जल
11. घरेलू जल उपयोगकर्ता
12. स्थानीय झीलों के सामाजिक-आर्थिक महत्व के आधार पर कोई अन्य

अमृत सरोवरों के लाभ को अधिकतम करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यान्वयन सर्वाधिक विश्वसनीय तरीके से किया जाए, सुदूर संवेदन और भू-स्थानिक जैसी नवीनतम और सर्वाधिक प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग स्थल चयन से लेकर इसके पूरा होने तक व्यापक रूप से किया जा रहा है।
चरण I (अप्रैल 2022 – अगस्त 2023)
कुल मिलाकर, 15 अगस्त 2023 तक 50,000 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य तय समय से पहले ही हासिल कर लिया गया। मई 2023 तक 59,492 अमृत सरोवर सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं।
मिशन के लक्ष्य को पूरा करने के अतिरिक्त, अमृत सरोवर को पंचायत प्रतिनिधियों, पंचायत स्तर के अधिकारियों, उपयोगकर्ता समूहों से जोड़ना भी महत्वपूर्ण पहलू था। इस मिशन में लगभग 79,080 पंचायत प्रतिनिधि और 92,359 पंचायत स्तर के अधिकारी शामिल थे। मिशन में लगभग 2,203 स्वतंत्रता सेनानी, पंचायत के 22,993 वरिष्ठ सदस्य, स्वतंत्रता सेनानियों के 385 परिवार के सदस्य, शहीदों के 742 परिवार के सदस्य और 69 पद्म पुरस्कार विजेताओं ने भाग लिया।
प्रत्येक पूर्ण हो चुके अमृत सरोवर पर एक सामान्य साइनेज बोर्ड है, जिसमें साइट के सभी विवरण दिए गए हैं, जिसमें वह योजना भी शामिल है जिसके तहत इसका निर्माण किया गया था और नीम, बरगद, पीपल और किसी भी अन्य देशी पेड़ों का अनिवार्य रोपण शामिल है। मिशन के माध्यम से लगभग 23,51,331 पेड़ लगाए गए, जिनमें से 5,32,124 नीम, 3,65,791 पीपल, 3,24,945 बरगद और 11,28,471 अन्य देशी पेड़ थे।


चरण II (सितम्बर 2023 से जारी)
मिशन अमृत सरोवर के चरण II में जल उपलब्धता सुनिश्चित करने पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित करने की परिकल्पना की गई है, जिसमें सामुदायिक भागीदारी (जन भागीदारी) को इसके मूल में रखा गया है, और इसका उद्देश्य जलवायु लचीलापन को मजबूत करना, पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देना और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी लाभ प्रदान करना है। 17 अप्रैल, 2025 तक मिशन के चरण II के तहत कुल 3,182 स्थलों की पहचान की गई है।
राज्यवार प्रदर्शन पर विशेष ध्यान
मार्च 2025 तक मिशन अमृत सरोवर पहल के तहत प्रदर्शन करने वाले शीर्ष 5 राज्य, पूर्ण किए गए अमृत सरोवरों की संख्या के आधार पर क्रमबद्ध हैं:
रेंक
|
राज्य
|
पूर्ण किये गये अमृत सरोवरों की संख्या
|
1
|
उत्तर प्रदेश
|
16,630
|
2
|
मध्य प्रदेश
|
5,839
|
3
|
कर्नाटक
|
4,056
|
4
|
राजस्थान
|
3,138
|
5
|
महाराष्ट्र
|
3,055
|
सामुदायिक सहभागिता और अभिनव अभ्यास
जन भागीदारी इस मिशन का मूल रहा है और इसमें सभी स्तरों पर लोगों की भागीदारी शामिल है। अब तक प्रत्येक अमृत सरोवर के लिए 65,285 उपयोगकर्ता समूह बनाए गए हैं। ये उपयोगकर्ता समूह अमृत सरोवर के विकास की पूरी प्रक्रिया में पूरी तरह से शामिल हैं, जैसे व्यवहार्यता मूल्यांकन, निष्पादन और उसका उपयोग। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार के प्रयासों को पूरक बनाने के लिए नागरिकों और गैर-सरकारी संसाधनों को जुटाने को प्रोत्साहित करने के लिए, मिशन अमृत सरोवर के दिशानिर्देशों में निम्नलिखित स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं:
- अमृत सरोवर की आधारशिला स्वतंत्रता सेनानी या उसके परिवार के सदस्य या शहीद (स्वतंत्रता के बाद) के परिवार या स्थानीय पद्म पुरस्कार विजेता द्वारा रखी जाएगी, और यदि ऐसा कोई नागरिक उपलब्ध नहीं है, तो स्थानीय ग्राम पंचायत के सबसे वरिष्ठ सदस्य द्वारा रखी जाएगी।
- लोगों को निर्माण सामग्री, बेंच दान करने और श्रमदान के माध्यम से भाग लेने का प्रावधान।
- यदि ग्राम समुदाय चाहे तो सरोवर स्थल पर सौंदर्यीकरण कार्यों के लिए क्राउड सोर्सिंग और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) योगदान के माध्यम से आवश्यक दान जुटाया जा सकता है।
- यह प्रावधान किया गया है कि स्वतंत्रता दिवस/गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रत्येक अमृत सरोवर स्थल पर स्वतंत्रता सेनानी या उसके परिवार के सदस्य या शहीद के परिवार के सदस्य या स्थानीय पद्म पुरस्कार विजेता द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। अमृत सरोवर स्थलों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम मनाए जाएंगे।
- सिंचाई, मत्स्य पालन या सिंघाड़े की खेती सहित ऐसी जल संरचना के संभावित उपयोगकर्ताओं की पहचान की जानी चाहिए और उनके समूह के गठन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मिशन विशेष रूप से किसानों, मछुआरों और स्थानीय समुदायों के बीच उपयोगकर्ता समूहों के गठन को बढ़ावा देता है, ताकि सिंचाई, जलीय कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए जल संसाधनों का सर्वोत्कृष्ट उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
आर्थिक और पारिस्थितिकीय प्रभाव
मिशन अमृत सरोवर ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा दे रहा है क्योंकि पूर्ण हो चुके सरोवरों को सिंचाई, मत्स्य पालन, बत्तख पालन, सिंघाड़े की खेती और पशुपालन आदि जैसी विभिन्न गतिविधियों के लिए चिन्हित किया गया है। ये गतिविधियाँ विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों द्वारा की जा रही हैं जो प्रत्येक अमृत सरोवर से जुड़े हुए हैं।

केन्द्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से किए गए भूजल संसाधन मूल्यांकन से पता चलता है कि निरंतर संरक्षण प्रयासों के कारण भूजल पुनर्भरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। टैंकों, तालाबों और जल संरक्षण संरचनाओं से पुनर्भरण 2017 में 13.98 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) से बढ़कर 2024 में 25.34 बीसीएम हो गया, जो मिशन अमृत सरोवर जैसे जल संरक्षण की सफलता और भूजल स्तर को बनाए रखने में टैंकों, तालाबों और जल संरक्षण संरचनाओं की भूमिका को दर्शाता है। इन सरोवरों ने न केवल तत्काल जल आवश्यकताओं को पूरा किया है, बल्कि स्थायी जल स्रोत भी स्थापित किए हैं जिनका उपयोग सिंचाई और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिससे कृषि उत्पादकता में सुधार होता है।
सफलता की कहानियाँ
- कब्रिस्तान के निकट तालाब का पुनरुद्धार: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

अमृत सरोवर के तहत तालाब का जीर्णोद्धार किया गया है और यह ग्रेट निकोबार के कैंपबेल बे में ग्राम पंचायत गोविंद नगर के अंतर्गत कब्रिस्तान के पास सैटेलाइट बस्ती में स्थित है। यह सामुदायिक उपयोग आधारित सरोवर है, जिसका सीधा लाभ 200 ग्रामीणों को मिलता है। इस कार्य से 24 परिवारों को रोजगार मिला है। सरोवर के चारों ओर नीम और अन्य पेड़ लगाए गए हैं और ट्री गार्ड लगाए गए हैं। इसके साथ ही, सरोवर स्थानीय किसानों के लिए भी मददगार है क्योंकि इससे आस-पास के खेतों में नमी बनी रहती है और वे सरोवर के पानी का उपयोग सिंचाई और पशुपालन के लिए करते हैं।
- इन्दपे गदराही पोखर: बिहार

बिहार के जमुई जिले में इंदपे पंचायत है, जहां एक तालाब उपेक्षित हालत में था। इंदपे ग्राम पंचायत ने इस तालाब के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया। महात्मा गांधी नरेगा के तहत जीर्णोद्धार कार्य कराया गया। जीर्णोद्धार के कारण इस तालाब को नया जीवन मिला है और यह आकर्षक दिखने लगा है। 1.04 एकड़ क्षेत्र में फैला यह सरोवर आकर्षण का केन्द्र बन गया है। इसे पेवर ब्लॉक पाथवे से खूबसूरती से सजाया गया है और बैठने के लिए बेंच की उचित सुविधा दी गई है। तालाब के चारों ओर पौधारोपण भी किया गया है। इस तालाब में नौका विहार की सुविधा भी शुरू की गई है, जो इसे अनूठा बना रही है और आजीविका का साधन भी बन रही है। खूबसूरती से सजाए गए इस अमृत सरोवर में सोलर ट्री और सौर लाइट लगाकर इसे अद्भुत रूप दिया जा रहा है। यहां एक इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड भी लगाया गया है। बड़ी संख्या में सुबह की सैर करने वाले लोग यहां आकर स्वास्थ्य लाभ उठा रहे हैं। सरोवर और उसके आसपास का क्षेत्र अब बच्चों के खेलने और मौज-मस्ती के लिए सबसे पसंदीदा जगह बन गया है। नारी शक्ति जीविका समूह इस अमृत सरोवर का उपयोग मत्स्य पालन गतिविधि के लिए कर रहा है।
- डाइन डाइट रिजो में मछली तालाब: अरुणाचल प्रदेश

मिशन अमृत सरोवर के तहत डाइन डिटे रिजो में मछली तालाब का निर्माण किया जा रहा है, जो एक नियंत्रित तालाब, छोटी कृत्रिम झील या प्रतिधारण बेसिन है, जिसमें मछलियाँ भरी हुई हैं और इसका उपयोग मछली पालन, मनोरंजक मछली पकड़ने या सजावटी उद्देश्यों के लिए जलीय कृषि में किया जाता है। तालाब का उपयोग बहुत ही लाभदायक मूल्य पर बिक्री के लिए मछली पालने के लिए किया जा रहा है। मछलियों के उचित पालन-पोषण और प्रबंधन से, खाद्य मछली उत्पादन में इस तरह से भारी वृद्धि हुई है कि इसका उपयोग खाद्य उत्पादन के लिए किया जा रहा है। यह तालाब पशुधन पालन, प्रजनन और मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के पालन-पोषण के लिए भी अपरिहार्य है।
निष्कर्ष
मिशन अमृत सरोवर सहकारी संघवाद, पर्यावरण कार्रवाई और स्थानीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। सांस्कृतिक श्रद्धा, नागरिक सहभागिता, वैज्ञानिक डिजाइन और संस्थागत अभिसरण के इसके मिश्रण ने इसे जन आंदोलन में विकसित होने दिया है - जल सुरक्षा के लिए लोगों का आंदोलन। जैसे-जैसे राष्ट्र अमृत काल में आगे बढ़ रहा है, यह मिशन न केवल भारत की तत्काल जल आवश्यकताओं का समाधान कर रहा है, बल्कि एक लचीले, जल-समृद्ध ग्रामीण भविष्य की नींव भी रखता है। मिशन अमृत सरोवर की सफलता से ऐसे और भी समुदाय-केन्द्रित विकास मॉडल प्रेरित होंगे, जो लोगों को राष्ट्रीय परिवर्तन के केन्द्र में रखेंगे।
संदर्भ
https://amritsarovar.gov.in/
https://ncog.gov.in/AmritSarovar/EbookAmritSarovar.pdf
https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2101868
https://amritsarovar.gov.in/AtaGlancePhase2
https://ncog.gov.in/AmritSarovar/IEC-UserGroups_English.pdf
https://sansad.in/getFile/annex/267/AU734_wedqul.pdf?source=pqars
https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2114884
https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2088996
https://sansad.in/getFile/annex/265/AU618_WCmPvE.pdf?source=pqars
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/184/AU4001_53M2AW.pdf?source=pqals
https://ncog.gov.in/AmritSarovar/Eventscelebrations_English.pdf
https://amritsarovar.gov.in/gallery_photos_nt
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