महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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पोषण पखवाड़ा 2025 (8 अप्रैल से 23 अप्रैल)

Posted On: 07 APR 2025 5:24PM by PIB Delhi

सारांश:

  • पोषण पखवाड़ा का 7वां संस्करण 8 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
  • पोषण अभियान का मकसद तकनीक और परंपरा के तालमेल से बच्चों और महिलाओं के बीच स्वस्थ और पौष्टिक आहार को बढ़ावा देना है।
  • पोषण पखवाड़ा 2025 बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों पर केंद्रित है, क्योंकि यह बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम वक्त होता है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग - पोषण ट्रैकर आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण सेवाओं की वास्तविक समय की निगरानी को सक्षम बनाता है।
  • लाभार्थी अब बेहतर पहुँच के लिए पोषण ट्रैकर वेब ऐप के ज़रिए खुद पंजीकरण कर सकते हैं।
  • गंभीर कुपोषण का समुदाय-आधारित प्रबंधन प्रोटोकॉल (सीएमएएम), समस्या का शीघ्र पता लगाने और समुदाय-आधारित प्रबंधन में मदद करता है।
  • पोषण पखवाड़ा स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देकर बचपन के मोटापे पर भी ध्यान केंद्रित करता है।

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परिचय

हर बच्चे को जीवन की स्वस्थ शुरुआत का हक है, हर माँ को उचित पोषण का अधिकार है और हर परिवार को भी पौष्टिक भोजन मिलना चाहिए। लेकिन फिर भी, भारत में लाखों लोगों के लिए कुपोषण, खामोशी के साथ लगातार संकट बना हुआ है - जो न केवल लोगों को बल्कि देश के भविष्य को भी प्रभावित करता है। एक बदलावकारी कार्रवाई की ज़रुरत को महसूस करते हुए, सरकार ने 8 मार्च 2018 को पोषण अभियान की शुरूआत की - एक प्रमुख कार्यक्रम जिसका मकसद, समग्र दृष्टिकोण के ज़रिए महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करना है। इसकी प्रमुख पहलों में से एक, पोषण पखवाड़ा, कुपोषण को दूर करने में जागरूकता बढ़ाने और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में उभरा है।

पोषण पखवाड़ा का 7वां संस्करण

पोषण पखवाड़ा, एक वार्षिक पोषण जागरूकता अभियान, महज़ एक अभियान नहीं है - यह अहम मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए आह्वान है। वर्ष 2025 में, पोषण पखवाड़े का सातवां संस्करण 8 अप्रैल से 23 अप्रैल तक मनाया जाएगा। मातृ एवं शिशु पोषण, लाभार्थियों के लिए डिजिटल पहुंच और बाल्यावस्था में मोटापे से निपटने जैसे विषयों पर केंद्रित पोषण पखवाड़े का 7वां संस्करण, पोषण संबंधी कल्याण को बढ़ाने के लिए परिणाम-आधारित उपायों पर केंद्रित है।

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पोषण पखवाड़ा 2025 की गतिविधियाँ

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पोषण पखवाड़ा 2025 महिलाओं और बच्चों पर मुख्य ध्यान केंद्रित करते हुए पौष्टिक भारत के निर्माण की दिशा में एक कदम है। भारत सरकार के सभी मंत्रालय और विभाग, देश भर के आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ मिलकर समुदाय को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं:

  • प्रसवपूर्व देखभाल, उचित पोषण और नियमित स्वास्थ्य जांच को प्राथमिकता दें।
  • स्वस्थ भविष्य के लिए प्रतिज्ञा लें - स्वस्थ भोजन करें, सक्रिय रहें और जागरूकता फैलाएँ।
  • संतुलित और स्वस्थ आहार लें।
  • प्रतिदिन 8 गिलास पानी पिएँ।
  • पोषण ट्रैकर ऐप पर रजिस्टर करें।

पहले 1,000 दिन क्यों मायने रखते हैं?

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कल्पना कीजिए कि एक माँ, जो गर्भवती है, अपने बच्चे को जीवन में सबसे अच्छी शुरुआत देने के लिए उत्सुक है। इस दौरान वह जो खाना खाती है, स्वास्थ्य से जुड़ी जो सेवाएं उसे मिलती है, और इन अहम शुरुआती महीनों में उसे जो सलाह मिलती है, वह न केवल उसके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य को आकार देता है, बल्कि उसके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी आकार देता है। पहले 1,000 दिन - गर्भाधान से लेकर बच्चे के दूसरे जन्मदिन तक - शारीरिक विकास और मस्तिष्क के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान, एक बच्चे का शरीर और दिमाग अविश्वसनीय गति से बढ़ता है, जो उसके भविष्य के सीखने, प्रतिरक्षा और समग्र स्वास्थ्य की नींव रखता है। इस पूरे वक्त में अच्छा पोषण, प्यार, देखभाल और शुरुआती सीखने के अनुभव, उन्हें एक स्वस्थ, स्मार्ट और खुशहाल व्यक्ति बनने में मदद कर सकते हैं।

इसलिए, पोषण अभियान ने जीवन के पहले 1000 दिनों पर विशेष जोर दिया है, जो वास्तव में किसी भी बच्चे के लिए जादुई काल है। इस साल की थीम के ज़रिए, पोषण पखवाड़ा 2025 का मकसद परिवारों को मातृ पोषण, उचित स्तनपान के तराकों और बचपन में पूर्ण विकास और एनीमिया को रोकने में संतुलित आहार की भूमिका के बारे में शिक्षित करना है। इसमें स्थानीय समाधानों पर भी जोर दिया जाता है - पारंपरिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में, जहां स्वदेशी आहार बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है।

तकनीक और परंपरा का मिश्रण

कैसा हो, अगर हर बच्चे के विकास, हर माँ के स्वास्थ्य और आंगनवाड़ी केंद्र में परोसे जाने वाले हर भोजन को वास्तविक समय में ट्रैक किया जा सके? क्या हो, अगर तकनीक यह सुनिश्चित कर सके कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में कोई भी बच्चा पीछे न छूटे? यह अब ‘क्या होगा अगर’ वाली बात नहीं रह गई है, बल्कि पोषण ट्रैकर के साथ यह हकीकत बन गई है।

1 मार्च 2021 को लॉन्च किए गए इस एआई-सक्षम प्लेटफ़ॉर्म ने भारी-भरकम रजिस्टरों की जगह, स्मार्टफ़ोन के ज़रिए वास्तविक समय की ट्रैकिंग की सुविधा दी है, जिससे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्ल्यूडब्ल्यू) को उपस्थिति, विकास निगरानी, ​​भोजन वितरण और बचपन की शिक्षा को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने में सक्षम बनाया गया है। इस एप्लिकेशन की सफलता का पता इसी बात से लगाया जा सकता है, कि 28 फरवरी 2025 तक भारत के सभी आंगनवाड़ी केंद्र पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन पर पंजीकृत हैं। पहली बार, पात्र लाभार्थी - गर्भवती महिलाएँ, स्तनपान कराने वाली माताएँ, किशोर लड़कियाँ और बच्चे (0-6 वर्ष) पोषण ट्रैकर वेब एप्लिकेशन के माध्यम से स्वयं पंजीकरण कर सकते हैं।

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पोषण पखवाड़ा 2025 के ज़रिए, सरकार परिवारों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है, ताकि लाभार्थियों को अपनी पोषण प्रगति की निगरानी करने के लिए ऐप तक पहुँच प्राप्त हो सके।

सीएमएएम के साथ जमीनी स्तर पर कुपोषण से निपटना

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प्रौद्योगिकी ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के जीवन को, समुदाय-आधारित गंभीर कुपोषण प्रबंधन (सीएमएएम) प्रोटोकॉल के रूप में एक मानकीकृत मार्गदर्शिका प्रदान करके आसान बना दिया है। अक्टूबर 2023 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमओडब्ल्यूसीडी) द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के इनपुट के साथ लॉन्च किया गया सीएमएएम प्रोटोकॉल एक गेम-चेंजर है। पहली बार, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास अपने समुदायों में कुपोषित बच्चों का पता लगाने, उन्हें रेफर करने और उनका इलाज करने के लिए एक संरचित व्यवस्था है।

पोषण पखवाड़ा 2025 के दौरान, यह प्रोटोकॉल मुख्य केंद्र में है। इसका लक्ष्य हर आंगनवाड़ी को एक फ्रंटलाइन पोषण क्लिनिक में बदलना है - जहाँ भूख की जाँच नियमित रुप से हो, समय पर रेफरल हो और हर बच्चे को मजबूत शरीर बनाने का मौका मिले। इसके तहत समुदायों को संवेदनशील बनाया जाएगा, परिवारों को सूचित किया जाएगा और नीति को सटीक रूप से निर्देशित करने के लिए पोषण ट्रैकर में डेटा डाला जाएगा।

स्वस्थ जीवनशैली के ज़रिए बचपन में मोटापे से लड़ना

कुपोषण सिर्फ़ कम वज़न वाले बच्चों के बारे में नहीं है,बल्कि यह ज़्यादा वज़न वाले बच्चों को लेकर भी है। आज जब भारत कुपोषण के खिलाफ़ अपनी लड़ाई लड़ रहा है, एक और बढ़ती हुई चुनौती है - बचपन में मोटापा आना। आज के वक्त में, बच्चे ज़्यादा वसा, ज़्यादा चीनी, ज़्यादा नमक, कम ऊर्जा और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थों के संपर्क में लगातार आ रहे हैं।

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर 5 वर्ष से कम आयु के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 (एनएफएचएस -4) में 2.1% से बढ़कर 2019-21 में 3.4% हो गया है।

भारत के स्कूलों में वसा, नमक और चीनी (एचएफएसएस) से भरपूर खाद्य पदार्थों की खपत को कम करने और स्वस्थ नाश्ते को बढ़ावा देने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 2015 में एक कार्य समूह का गठन किया था। समूह की सिफारिशें इस प्रकार थीं:

  • स्कूल कैंटीन में सभी एचएफएसएस खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाएँ और स्कूल के समय के दौरान स्कूलों के 200 मीटर के भीतर निजी विक्रेताओं द्वारा उनकी बिक्री को प्रतिबंधित करें।
  • स्कूल कैंटीन में हमेशा हरी श्रेणी के खाद्य पदार्थ जैसे फल और सब्जियाँ उपलब्ध होनी चाहिए।
  • स्कूल कैंटीन में नारंगी श्रेणी के खाद्य पदार्थ जैसे मिष्ठान्न और तली हुई चीज़ें रखने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • स्कूल कैंटीन में हाइड्रोजनीकृत तेलों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
  • स्कूलों में शारीरिक गतिविधि अनिवार्य होनी चाहिए।

12 अप्रैल 2012 को जारी एक परिपत्र में, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी संबद्ध स्कूलों को निर्देश जारी किए, कि स्कूल सुनिश्चित करें कि जंक/फास्ट फूड को पूरी तरह से स्वस्थ स्नैक्स में बदल दिया जाए। परिपत्र में स्कूलों को कार्बोनेटेड और वात युक्त पेय पदार्थों की जगह जूस और डेयरी उत्पाद (लस्सी, छाछ, फ्लेवर्ड मिल्क आदि) देने का भी निर्देश दिया गया।

निष्कर्ष

पोषण पखवाड़ा 2025 सिर्फ़ जागरूकता अभियान से कहीं ज़्यादा है—यह पोषण, एक माँ, एक बच्चा और एक समय में एक भोजन की व्यवस्था में बदलाव लाने का आंदोलन है। परंपरा को तकनीक के साथ जोड़कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाकर और समुदायों को शामिल करके, भारत एक स्वस्थ, मज़बूत पीढ़ी की दिशा में साहसिक कदम उठा रहा है।

लेकिन असली बदलाव आपसे शुरू होता है। चाहे वह स्वस्थ खाने की आदतें अपनाना हो, अपने आस-पास के लोगों को शिक्षित करना हो या यह सुनिश्चित करना हो कि हर पात्र लाभार्थी पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत हो, हर काम मायने रखता है। इस पोषण पखवाड़ा पर, आइए समाधान का हिस्सा बनने का संकल्प लें—क्योंकि एक पोषित भारत ही, मज़बूत भारत है!

संदर्भ:

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एमजी/आरपीएम/केसी/एनएस


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