शिक्षा मंत्रालय
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भारतीय शिक्षा की नब्ज को मापना

Posted On: 10 FEB 2025 5:16PM by PIB Delhi

केंद्रीय बजट 2025-26 में परिवर्तनकारी पहलों का अनावरण

 

 "शिक्षा न केवल वह नींव है जिस पर हमारी सभ्यता का निर्माण हुआ है, बल्कि यह मानवता के भविष्य की वास्तुकार भी है।"

~प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

 

 शिक्षा सरकार के लिए हमेशा प्रमुख प्राथमिकता रही है और भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाने की दृष्टि से, केंद्रीय बजट 2025-26 नवीन पहल प्रस्‍तुत करता है। मेडिकल सीटों के विस्तार, कौशल बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और बढ़ते आईआईटी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इन उपायों का उद्देश्य अधिक अवसर प्रदान करना और युवाओं को भविष्य के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना है।

 

 

अधिक स्मार्ट समावेशी भारत के लिए घोषणाएँ

 

  • भारतीय भाषा पुस्तक योजना: स्कूली और उच्च शिक्षा के लिए डिजिटल रूप में भारतीय भाषा की पुस्‍तकें उपलब्ध कराना। इसका उद्देश्य छात्रों को अपने विषयों को बेहतर ढंग से समझने में सहायता करना है।
  • कौशल के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र: जुलाई 2024 के बजट के आधार पर, युवाओं को कौशल से लैस करने के लिए वैश्विक भागीदारी के साथ कौशल के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र पाठ्यक्रम डिजाइन, प्रशिक्षक प्रशिक्षण, कौशल प्रमाणन और नियमित समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
  • आईआईटी में क्षमता का विस्तार: 2014 के बाद शुरू हुए 5 आईआईटी में 6,500 से अधिक छात्रों के लिए शिक्षा की सुविधा के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा। आईआईटी, पटना में छात्रावास और अन्य बुनियादी ढांचे की क्षमता का भी विस्तार किया जाएगा। पिछले 10 वर्षों में 23 आईआईटी में छात्रों की कुल संख्या 65,000 से 100 प्रतिशत बढ़कर 1.35 लाख हो गई है। 
  • शिक्षा के लिए एआई में उत्कृष्टता केंद्र: शिक्षा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-एआई में उत्कृष्टता केंद्र 500 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ स्थापित किया जाएगा।
  • चिकित्सा शिक्षा का विस्तार: सरकार ने दस वर्षों में लगभग 1.1 लाख यूजी और पीजी चिकित्सा शिक्षा सीटें बढ़ाई, जो 130 प्रतिशत की वृद्धि है। अगले वर्ष मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10,000 अतिरिक्त सीटें बढ़ाई जाएंगी, अगले 5 वर्षों में 75,000 सीटें बढ़ाने का लक्ष्य है।

 

भारत की शिक्षा प्रणाली के अंदर

 

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। यूडीआईएसई+ (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस 2023-24) की रिपोर्ट के अनुसार, यह 14.72 लाख स्कूलों में 24.8 करोड़ विद्यार्थियों को सेवा प्रदान करता है, यह 98 लाख शिक्षकों के समर्पित कार्यबल द्वारा समर्थित है। सरकारी स्कूल प्रणाली की रीढ़ हैं, जिनमें कुल स्‍कूलों के 69% शामिल हैं। इनमें 50% विद्यार्थियों का नामांकन होता है और 51% शिक्षक कार्यरत हैं। दूसरी ओर, निजी क्षेत्र में 22.5% संस्थान स्‍कूल हैं, जो 32.6% विद्यार्थियों को शिक्षा देते हैं और 38% शिक्षकों को नियुक्त करते हैं। यह बढ़ती संरचना भारतीय शिक्षा परिदृश्य में गतिशील परिवर्तनों को दर्शाती है, जो पिछले कुछ वर्षों में नामांकन और पहुंच में निरंतर सुधार का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

 

भारत में नामांकन रुझान

 

नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का लक्ष्य 2030 तक 100% सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) हासिल करना है। जीईआर प्राथमिक (93%) पर सार्वभौमिक के निकट है और माध्यमिक (77.4%) और उच्चतर माध्यमिक स्तर (56.2%) पर अंतर को पाटने के प्रयास चल रहे हैं। इससे देश सभी के लिए समावेशी और समान शिक्षा के अपने दृष्टिकोण के निकट पहुंच रहा है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, भारत में विद्यार्थी नामांकन में नाटकीय वृद्धि देखी गई है। उच्च शिक्षा में नामांकित विद्यार्थियों की कुल संख्या 2021-22 में 4.33 करोड़ तक पहुंच गई, जो 2014-15 में 3.42 करोड़ से 26.5% अधिक है। इसी अवधि में 18-23 आयु वर्ग के लिए सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) भी 23.7% से बढ़कर 28.4% हो गया।

 

उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, महिला नामांकन 2014-15 में 1.57 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गया है, जो 32% की वृद्धि दर्शाता है। यह प्रगति विशेष रूप से चिकित्सा विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कला जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट है, जहां महिलाएं अब नामांकन में नेतृत्व कर रही हैं।

 

 

ड्रॉपआउट दर में गिरावट

 

हालाँकि, चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं और स्कूल छोड़ने की दर गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। जबकि ड्रॉपआउट दर में लगातार गिरावट आ रही है। हाल के वर्षों में स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट आई है, जो प्राथमिक स्तर के लिए 1.9 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक के लिए 5.2 प्रतिशत और माध्यमिक स्तर के लिए 14.1 प्रतिशत है। एआईएसएचई की रिपोर्ट के अनुसार माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर भी 2013-14 में 21% से घटकर 2021-22 में 13% रह गई है।

 

 

भारत के शिक्षा परिदृश्य को बदलना

 

पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपने उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा है। उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में 51,534 से 13.8% बढ़कर 2022-23 में 58,643 हो गई है। यह विस्तार उच्च शिक्षा को अधिक सुलभ और विविध बनाने की देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 

  • चिकित्सा शिक्षा और कार्यबल में वृद्धि: वित्त वर्ष 2019 में मेडिकल कॉलेज 499 से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 780 हो गए।
  • एमबीबीएस की पढ़ाई करने के इच्छुक उम्मीदवार 2019 में 16 लाख से बढ़कर 2024 में 24 लाख हो गए।
  • एमबीबीएस सीटें वित्त वर्ष 2019 में 70,012 से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 1,18,137 हो गईं।
  • स्नातकोत्तर मेडिकल सीटें वित्त वर्ष 2019 में 39,583 से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 73,157 हो गईं।
  • डॉक्टर उपलब्ध: जुलाई 2024 तक 13.86 लाख पंजीकृत चिकित्सक, प्रति व्यक्ति 1:1263 के वर्तमान अनुपात के साथ। 50,000 डॉक्टरों की वार्षिक वृद्धि के साथ 2030 तक डब्ल्यूएचओ के 1:1000 के मानक को पूरा किया जा सकता है।

 

 

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) की वृद्धि:  आईआईटी की संख्या 2014 में 16 से बढ़कर 2023 में 23 हो गई।
  • भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) की वृद्धि:  आईआईएम की संख्या 2014 में 13 से बढ़कर 2023 में 20 हो गई।
  • विश्वविद्यालयों का विस्तार: विश्वविद्यालयों की संख्या 2014 में 723 से बढ़कर 2024 में 1,213 हो गई, जो 59.6% की वृद्धि है।
  • उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में वृद्धि: कुल एचईआई में 13.8% की वृद्धि हुई, जो 2014-15 में 51,534 से बढ़कर 2022-23 में 58,643 हो गए।

 

बुनियादी सुविधाओं में प्रगति

उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या में वृद्धि के साथ, शिक्षा के बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। चिकित्सा जांच, स्वच्छता और आईसीटी उपलब्धता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भी पर्याप्त उन्नयन देखा गया है, जो शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए स्कूल सुविधाओं में सकारात्मक प्रगति को उजागर करता है। 2019-20 से 2023-24 तक स्कूल के बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं। लड़कियों के लिए शौचालय वाले स्कूलों का प्रतिशत 96.9% से थोड़ा बढ़कर 97.2% हो गया, जबकि पुस्तकालयों/वाचनालय तक पहुंच 84.1% से बढ़कर 89% हो गई।  बिजली की उपलब्धता 83.4% से बढ़कर 91.8% हो गई और स्कूलों में कंप्यूटर की उपलब्धता 38.5% से बढ़कर 57.2% हो गई। इसके अतिरिक्त, इंटरनेट की पहुंच 22.3% से बढ़कर 53.9% हो गई, जो बेहतर सुसज्जित स्कूलों की ओर सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है।

 

निष्कर्ष

एनईपी 2020 के अनुरूप विभिन्न सरकारी पहलों के माध्यम से भारत में शिक्षा क्षेत्र को मजबूत किया जा रहा है। समग्र शिक्षा अभियान, पीएम श्री (प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) और पीएम पोषण (प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण) जैसे कार्यक्रम बुनियादी ढांचे, शिक्षक प्रशिक्षण और सीखने के परिणामों में सुधार ला रहे हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में शिक्षा को अधिक समावेशी और सुलभ बनाने की प्रगति और सरकार की प्रतिबद्धता की जानकारी दी गई है।

 

संदर्भ

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