नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2024: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
जैसे-जैसे हम 2025 में प्रवेश कर रहे हैं, भारत सतत विकास के वैश्विक पथ प्रदर्शक के रूप में खड़ा है: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी
कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान 27 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी गई
2024 में सौर ऊर्जा क्षमता 94.17 गीगावाट तक और पवन ऊर्जा 47.96 गीगावाट पर पहुंच गई
पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के अंतर्गत 10 महीनों में 7 लाख छतों पर सौर ऊर्जा स्थापित की गई-औसतन 70,000/माह
Posted On:
31 DEC 2024 8:24PM by PIB Delhi
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 2024 में भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदलने की दिशा में अपनी उल्लेखनीय यात्रा जारी रखी है। यह प्रगति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित 'पंचामृत' लक्ष्यों के अनुरूप 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के परिवर्तनकारी नेतृत्व में 2024 भारत की अक्षय ऊर्जा यात्रा में एक महान क्षण है। गैर-जीवाश्म स्रोतों से 214 गीगावाट से अधिक की हमारी उपलब्धि केवल एक संख्या नहीं है, यह 2030 तक हमारे महत्वाकांक्षी 500 गीगावाट लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमारे देश की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे हम 2025 में कदम रख रहे हैं, भारत सतत विकास के वैश्विक प्रकाश स्तंभ के रूप में दिख रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में हमारी उपलब्धियां केवल लक्ष्यों को पूरा करने के बारे में नहीं हैं, वे दुनियाभर में ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में क्या संभव है, इसकी फिर से कल्पना करने के बारे में हैं। इन पहलों के माध्यम से हम एक ऐसे भविष्य का खाका तैयार कर रहे हैं जहां आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण एक साथ चलते हैं।
श्री प्रहलाद जोशी ने जून 2024 में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री का पदभार संभाला और उनके मार्गदर्शन में भारत ने सितंबर 2024 में कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के 200 गीगावाट की महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल कर लिया है। नवंबर 2024 में कुल स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बढ़कर 214 गीगावाट हो गई है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में 187.05 गीगावाट की तुलना में 14 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। केवल 2024 के अप्रैल और नवंबर के बीच भारत ने लगभग 15 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान जोड़े गए 7.57 गीगावाट से लगभग दोगुनी है।
प्रमुख घटनाक्रमों का अवलोकन
केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अक्षय ऊर्जा में नवाचार, नीति संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की मेजबानी की। मंत्रालय ने गुजरात के गांधीनगर में 16-18 सितंबर को आयोजित चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेश सम्मेलन और एक्सपो (री-इनवेस्ट) का आयोजन किया जिसमें भारत की अक्षय ऊर्जा उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया और वैश्विक हितधारकों को आकर्षित किया गया। 11-13 सितंबर को नई दिल्ली में ग्रीन हाइड्रोजन (आईसीजीएच) पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक में प्रगति और इस क्षेत्र में भारत के नेतृत्व पर बल दिया गया। मंत्रालय ने 14 और 15 नवंबर को भुवनेश्वर में चिंतन शिविर का आयोजन किया जिसमें अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के सभी हितधारकों के साथ भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा को बढ़ावा दिया गया।
मंत्रालय ने 14 मई को मुंबई में बैंकर्स कॉन्क्लेव जैसे अन्य प्रमुख कार्यक्रम भी आयोजित किए जिसमें पीएम कुसुम योजना के तहत वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित किया गया। 18-22 मार्च 2024 को अर्थव्यवस्था में हाइड्रोजन और ईंधन सेल के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी (आईपीएचई) और 15 मई 2024 को विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन ने एक स्थायी ऊर्जा समाधान के रूप में हाइड्रोजन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और उजागर किया। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने 21 मई को विकसित भारत के लिए राष्ट्रीय बायोगैस रोड मैप, 6 जून को राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन पर एक कार्यशाला और 25 जुलाई को कार्बन बाजारों पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला की मेजबानी की जिसमें एक स्थायी ऊर्जा भविष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के व्यापक दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया। इस वर्ष नीदरलैंड के रोटरडैम में विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2024 जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के अभिनव अक्षय ऊर्जा समाधानों का प्रदर्शन भी हुआ।
वर्ष 2024 के दौरान नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की गतिविधियों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना
- सरकार ने 13 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना शुरू की, जिसे 75,021 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ मंज़ूरी दी गई। इस योजना का लक्ष्य एक करोड़ घरों में छत पर सौर ऊर्जा स्थापित करना, हर महीने 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली प्रदान करना और हर घर को 30,000 से 78,000 रुपए तक की सब्सिडी प्रदान करना है।
- इस योजना के शुरू होने के 10 महीनों के भीतर ही 7 लाख इंस्टॉलेशन पूरे हो गए हैं यानी हर महीने औसतन 70,000। यह फ़रवरी 2024 में योजना के शुरू होने से पहले हर महीने औसतन 7,000 इंस्टॉलेशन की तुलना में मासिक इंस्टॉलेशन में दस गुना वृद्धि दर्शाता है। गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने असाधारण प्रगति दिखाई है, जो मज़बूत बुनियादी ढांचे और हितधारकों के सहयोग को दर्शाता है।
- सरकार ने 4,950 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ 'डिस्कॉम को प्रोत्साहन' के लिए दिशानिर्देश जारी किए जिसमें नेट मीटर की उपलब्धता और इसे लगाए जाने की सुविधा शामिल है।
- 05.08.2024 तक ओडिशा राज्य के लिए छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए कुल 102 विक्रेता पंजीकृत हैं।
- 'आदर्श सौर ग्राम' योजना के लिए परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जिसका कुल परिव्यय 800 करोड़ रुपए है। इसके अंतर्गत प्रत्येक जिले में विजेता गांव को 1 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देना और गांवों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। 5,000 (या विशेष राज्यों में 2,000) से अधिक आबादी वाले गांव अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता के आधार पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
पढ़ें: PMSGMBY मार्च 2025 तक 10 लाख इंस्टॉलेशन को पार करने के लिए तैयार, 2027 तक एक करोड़ का लक्ष्य
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
मंत्रालय ने 19,744 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ स्वीकृत राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का कार्यान्वयन जारी रखा है। इस मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
प्रमुख उपलब्धियों में शामिल हैं:
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का वित्त वर्ष 2024-25 के लिए परिव्यय 600 करोड़ रुपए है।
- मिशन का लक्ष्य 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता हासिल करना है जिससे संभावित रूप से 8 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का निवेश आकर्षित होगा। इस निवेश से 2030 तक 6,00,000 रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
- इस मिशन से 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आ सकती है तथा कार्बन उत्सर्जन में 5 एमएमटी की कटौती हो सकती है।
हरित हाइड्रोजन परिवर्तन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम कार्यान्वयन :
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- 4.12 लाख टीपीए हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए कंपनियों को निविदाएं प्रदान की गईं
- 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता के लिए निर्माताओं का चयन
- सरकार ने उर्वरक क्षेत्र के लिए हरित अमोनिया आवंटन प्रति वर्ष 5.5 लाख टन से बढ़ाकर 7.5 लाख टन कर दिया है।
एसआईजीएचटी योजना के अंतर्गत (मोड 1 ट्रांच-II): नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा इस योजना के दिशानिर्देशों के अंतर्गत, इस ट्रांच में कुल 450,000 टीपीए क्षमता शामिल है जिसमें 40,000 टीपीए बायोमास आधारित मार्गों के लिए आरक्षित है।
- परिवहन क्षेत्र में 496 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ पायलट परियोजनाओं के लिए दिशानिर्देश जारी
- 5.39 लाख मीट्रिक टन/प्रतिवर्ष क्षमता के लिए ग्रीन अमोनिया उत्पादकों के चयन हेतु अनुरोध (आरएफएस) जारी किया गया
- शिपिंग क्षेत्र के लिए 115 करोड़ रुपए के बजट के साथ नई पहल शुरू की गई
- परीक्षण सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और संस्थागत सहायता के तौर पर वित्तपोषण के लिए एमएनआरई द्वारा हरित हाइड्रोजन परीक्षण और बुनियादी ढांचे के समर्थन के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए जिसके लिए 2025-26 तक 200 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है, जिसका ध्यान जीएच2 में एक मजबूत गुणवत्ता और परीक्षण तंत्र की स्थापना पर केंद्रित है।
ग्रीन हाइड्रोजन पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच-2024)
- मंत्रालय ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से 11 से 13 सितंबर तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रीन हाइड्रोजन (आईसीजीएच-2024) पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया।
- इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक में प्रगति का पता लगाने के लिए विचारक, नीति निर्माता, उद्योग जगत के विशेषज्ञ और नवप्रवर्तक एक साथ आए। श्री जोशी ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत ग्रीन हाइड्रोजन में वैश्विक अग्रणी बनने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया। इस वर्ष के आयोजन में 2000 से अधिक पंजीकरण हुए जिसमें 120 से अधिक प्रदर्शकों सहित 6000 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। सम्मेलन में ग्रीन फाइनेंसिंग, मानव संसाधन कौशल विकास और स्टार्ट-अप पहल जैसे विषयों को शामिल किया गया। उद्घाटन संस्करण की सफलता के बाद, भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है जिसमें इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण के लिए 3000 मेगावाट और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 4,12,000 टीपीए प्रदान करना शामिल है। स्टील, शिपिंग और मोबिलिटी क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट भी योजना के चरण में हैं और ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम में अनुसंधान का समर्थन करने के लिए 400 करोड़ रुपए की आरएंडडी योजना शुरू की गई है।
रीइन्वेस्ट: वैश्विक अक्षय ऊर्जा शिखर सम्मेलन
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में 16 से 18 सितंबर 2024 तक चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेश सम्मेलन एवं प्रदर्शनी (री-इन्वेस्ट) का आयोजन किया। प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किए गए इस कार्यक्रम में भारत की अक्षय ऊर्जा उपलब्धियों और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया। राज्य सरकारों, बैंकों, डेवलपर्स और ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने इसमें भाग लिया और लक्ष्यों और वित्तपोषण प्रतिबद्धताओं की रूपरेखा तैयार करते हुए शपथ-पत्र दिए। इसमें 10,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें 44 सत्र शामिल थे। कार्यक्रम में उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन के अनुप्रयोगों पर प्रमुख चर्चाएँ शामिल थीं।
पढ़ें: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने चौथे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश सम्मेलन एवं एक्सपो (री-इन्वेस्ट 2024) की घोषणा की
सौर ऊर्जा
- नवंबर 2024 तक भारत की संचयी स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता 94.17 गीगावाट तक पहुंच गई है।
- आगामी विकास: देश की कुल स्थापित और योजना अधीन सौर परियोजनाएं संयुक्त रूप से (नवंबर 2024 तक) 261.15 गीगावाट पर हैं, जो सौर क्षेत्र में भविष्य के विकास और विस्तार के लिए एक मजबूत आधार को दर्शाती है।
सौर पार्क और बैटरी भंडारण
- लक्षद्वीप के पहले ऑन-ग्रिड सौर संयंत्र का कावारत्ती में उद्घाटन किया गया जिसकी क्षमता 1.7 मेगावाट और बीईएसएस 1.4 मेगावाट है
- राजनांदगांव में 40 मेगावाट/120 मेगावाट प्रतिघंटा क्षमता के साथ भारत का सबसे बड़ा सौर-बीईएसएस शुरू किया गया। इसे 152.325 मेगावाट प्रतिघंटा सौर संयंत्र के साथ एकीकृत किया गया
सौर पीवी मॉड्यूल
- 30.06.2024 तक देश में सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) बिजली की कुल स्थापित क्षमता 85.47 गीगावाट है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) ने 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 को अधिसूचित किया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2034-35 तक निर्धारित अपशिष्ट भंडारण दिशानिर्देशों के साथ सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल, पैनल या सेल पर लागू होता है।
पवन ऊर्जा
- नवंबर 2024 तक भारत की संचयी पवन ऊर्जा क्षमता 47.96 गीगावाट है।
- भावी वृद्धि: देश की स्थापित और योजना अधीन पवन ऊर्जा परियोजनाएं (नवंबर 2024 तक) कुल 74.44 गीगावाट हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा में निरंतर प्रगति को बढ़ावा दे रही हैं।
- विद्युत एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान पवन ऊर्जा क्षमता में अग्रणी के रूप में गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु को मान्यता दी।
अपतटीय पवन ऊर्जा
- एसईसीआई ने तमिलनाडु तट पर 4 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं जिन्हें 1 गीगावाट के चार ब्लॉकों में विभाजित किया गया है।
- कैबिनेट ने अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वीजीएफ योजना को मंजूरी दी: भारत की पहली अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए 7,453 करोड़ रुपए की व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) योजना को मंजूरी दी गई। इस योजना में 1 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता (गुजरात और तमिलनाडु के तटों पर 500-500 मेगावाट) के लिए 6,853 करोड़ रुपए और इन परियोजनाओं के लिए साजोसामान हेतु बंदरगाह उन्नयन के लिए 600 करोड़ रुपए शामिल हैं।
भू-तापीय ऊर्जा
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने देशभर में 381 क्षेत्रों में भूतापीय ऊर्जा की खोज की है जिसमें 10,600 मेगावाट की क्षमता का अनुमान लगाया गया है।
- सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने तेलंगाना के मणुगूरु में 20 किलोवाट का भूतापीय विद्युत संयंत्र शुरू किया।
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भूतापीय ऊर्जा को निरंतरता देने के लिए ‘नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम’ का क्रियान्वयन कर रहा है।
- कोयला मंत्रालय ने तेलंगाना में 20 किलोवाट के पायलट प्लांट की स्थापना के लिए 2.42 करोड़ रुपए आवंटित किए।
पीएम जनमन
मंत्रालय, प्रधानमंत्री-जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत नई सौर ऊर्जा योजना (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी), बस्तियों/गांवों के लिए) को कार्यान्वित कर रहा है। इसका लक्ष्य जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा पहचाने गए गैर-विद्युतीकृत पीवीटीजी घरों को ऑफ-ग्रिड सौर प्रणाली प्रदान करके विद्युतीकृत करना है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां ग्रिड बिजली उपलब्ध नहीं है और तकनीकी-आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।
छत पर सौर ऊर्जा पैनल
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सहायता: टीईडीए, तमिलनाडु में सरकारी इमारतों को सौर ऊर्जा से रोशन कर रहा है। इन इमारतों में कार्यालय, न्यायालय और शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। तमिलनाडु ने 2023-24 में 33.17 बीयू और मई 2024 तक 4.62 बीयू नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न की।
पीएम कुसुम
विभिन्न घटकों के अंतर्गत हासिल की गई महत्वपूर्ण प्रगति:
- 2.95 लाख से अधिक स्टैंडअलोन ऑफ-ग्रिड सौर जल पंप स्थापित किए गए
- किसानों की जमीन पर 10,000 मेगावाट के विकेन्द्रीकृत सौर संयंत्र
- ग्रिड से जुड़े 35 लाख कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया
- 30.06.2024 तक देश भर में 4,11,222 किसान पीएम-कुसुम योजना से लाभान्वित हुए हैं। इसमें 29.07.2024 तक उत्तर प्रदेश के 51,097 किसान लाभान्वित हुए।
- पीएम-कुसुम के घटक बी और सी के अंतर्गत: स्टैंडअलोन कृषि पंपों की स्थापना और ग्रिड से जुड़े पंपों को सौर ऊर्जा से संचालित करने के लिए 30 प्रतिशत सीएफए प्रदान किया गया (या पूर्वोत्तर/पहाड़ी क्षेत्रों/द्वीपों के लिए 50 प्रतिशत)।
- जनवरी से नवंबर 2024 के दौरान लगभग 11.34 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई है।
जैव-ऊर्जा
राष्ट्रीय बायोमास कार्यक्रम
- पेलेट विनिर्माण के लिए संशोधित सीएफए: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पेलेट विनिर्माण संयंत्रों के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) को संशोधित किया है। गैर-टोरिफाइड पेलेट संयंत्रों के लिए यह सहायता 21 लाख रुपए/एमटीपीएच (अधिकतम 105 लाख रुपए/परियोजना) है जबकि टोरिफाइड पेलेट संयंत्रों के लिए यह 42 लाख रुपए/एमटीपीएच (अधिकतम 210 लाख रुपए/परियोजना) है।
- बायोमास आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर एसएसएस-एनआईबीई द्वारा 5 सितंबर, 2024 को एमजीएसआईपीए कॉम्प्लेक्स, चंडीगढ़ में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में भारत में बायोमास आपूर्ति श्रृंखलाओं के प्रबंधन में चुनौतियों और अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया। मिशन निदेशक के रूप में विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत ने वाले ‘समर्थ’ ने बायोमास के कारोबार के लिए मांग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं पंजाब राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के कार्यकारी निदेशक ने आधुनिक जैव ऊर्जा मार्गों के महत्व पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और शोधकर्ताओं ने भारत को चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए जरूरी कुशल बायोमास आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास पर चर्चा की।
वार्षिक बोली विवरण
- वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक अक्षय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों [आरईआईए: सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई), नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी), सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन)] द्वारा 50 गीगावाट/वार्षिक की नवीकरणीय ऊर्जा बोलियों के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी।
- ‘अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए रणनीति’ जारी की गई है जिसमें 2030 तक 37 गीगावाट की बोली प्रक्रिया और परियोजना विकास के लिए विभिन्न व्यवसाय मॉडल का संकेत दिया गया है।
- तीव्र नवीकरणीय ऊर्जा के लिए आवश्यक पारेषण अवसंरचना के विस्तार के लिए 2030 तक की योजना तैयार की गई है।
नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ)
- भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा खपत को बढ़ावा देने के लिए विकेन्द्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अलग आरपीओ सहित 2029-30 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) की घोषणा की है।
हरित ऊर्जा कॉरिडोर का दूसरा चरण–लद्दाख में 13 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली
- लद्दाख में 13 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विद्युत निकासी और ग्रिड एकीकरण तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से देश के अन्य भागों में विद्युत प्रेषण के लिए एक अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली स्थापित की जाएगी।
- 2024 में प्रगति:
- पांग में 300 एकड़ भूमि अधिग्रहित
- एचवीडीसी निविदा प्रकाशित; मार्च 2025 तक निविदा दिए जाने की उम्मीद
- ट्रांसमिशन लाइनों के लिए लिडार सर्वेक्षण शुरू किया गया
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की उपलब्धियां
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा)
- भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) ने 2024 में भी अपनी शानदार वृद्धि जारी रखी और अब तक का अपना सर्वोच्च वार्षिक प्रदर्शन किया। एजेंसी ने 37,354 करोड़ रुपए के ऋण स्वीकृत किए और 25,089 करोड़ रुपए वितरित किए। कर भुगतान के बाद एजेंसी को 1,252 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड लाभ हुआ और इसकी ऋण पुस्तिका में 26.71 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यह 59,650 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इरेडा ने अपनी गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) को घटाकर 1 प्रतिशत से नीचे कर दिया। इंडियन ओवरसीज बैंक और आईआईटी भुवनेश्वर के साथ समझौता ज्ञापनों के माध्यम से रणनीतिक साझेदारी की गई और एक खुदरा सहायक योजना की घोषणा की गई। 31 मार्च, 2024 तक, इरेडा ने अक्षय ऊर्जा ऋणों में कुल 1,25,917 करोड़ रुपए वितरित किए हैं, जो भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन के वित्तपोषण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
- इरेडा को अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग हासिल: एसएंडपी ग्लोबल से 'स्थिर' अनुमान के साथ 'बीबीबी-' दीर्घावधि और 'ए-3' अल्पावधि क्रेडिट रेटिंग प्राप्त हुई है। इस रेटिंग ने इरेडा की वैश्विक स्थिति को मजबूत बनाया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण तक पहुंच संभव हुई है और इसकी उधारी योजनाओं को समर्थन मिला है।
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई)
- सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने नवरत्न का दर्जा प्राप्त किया: एसईसीआई की संचयी स्वीकृत क्षमता 69.25 गीगावाट है, जिसका वार्षिक व्यापार वॉल्यूम 42 बिलियन यूनिट से अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 में एसईसीआई ने 20.85 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 13,118.68 करोड़ रुपए का समेकित कारोबार और 34.89 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाते हुए 510.92 करोड़ रुपए का लाभ हासिल किया।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
- आईएसए ने 3-6 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की 7वीं असेम्बली बैठक की मेजबानी की जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने की। भारत के नेतृत्व में आईएसए वैश्विक सौर सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में विकसित हुआ है जिसमें अब 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देश शामिल हैं। भारत को लगातार चौथी बार दो साल के कार्यकाल के लिए आईएसए का अध्यक्ष चुना गया।
- केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने 07-08 अक्टूबर 2024 को आयोजित हैम्बर्ग सस्टेनेबिलिटी कॉन्फ्रेंस (एचएससी) में भाग लिया जहां उन्होंने ग्रीन शिपिंग पर सत्र के दौरान मुख्य भाषण दिया। उन्होंने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों और अपने कार्यक्रमों और नीतियों के माध्यम से ऊर्जा परिवर्तन में नेतृत्व पर प्रकाश डाला।
- केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने जापान के साथ भारत के पहले ग्रीन अमोनिया निर्यात समझौते पर हस्ताक्षर समारोह की अध्यक्षता की। यह ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादन में भारत के नेतृत्व में एक बड़ा कदम है। यह सीमा पार साझेदारी, वैश्विक हरित ऊर्जा क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर करती है।
- भारत ने नीदरलैंड के रोटरडैम में वार्षिक विश्व हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2024 में अपना पहला मंडप स्थापित किया।
- एसईसीआई ने आत्मनिर्भर भारत उत्सव में हिस्सा लिया।
- नवंबर 2024 में यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह के साथ भारत की विशेष साझेदारी हुई।
- आईसीजीएच-2024 के दौरान नीदरलैंड के चैन टर्मिनल और भारत के एसीएमई क्लीनटेक के बीच अमोनिया आयात टर्मिनलों के लिए एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
अटल अक्षय ऊर्जा भवन (एमएनआरई बिल्डिंग)
- नई दिल्ली के लोधी रोड स्थित अटल अक्षय ऊर्जा भवन को ग्रीन बिल्डिंग के लिए एलईईडी प्लेटिनम 4.1 प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ तथा एकीकृत आवास मूल्यांकन के लिए 5-स्टार जीआरआईएचए रेटिंग प्रदान की गई।
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