इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा 2024 भाग-2
2024 में प्रमुख नीतिगत विकास: सीसीटीवी मानकों को उन्नत किया गया और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला को आईटी अधिनियम की धारा 79 ए के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य परीक्षको के रूप में मान्यता दी गई
सरकार की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए साइबर सुरक्षित भारत पहल, अधिकारियों, व्यापारियों और नागरिकों के लिए सीएससी कल्याण शिविर, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी) द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम
अब तक 138.34 करोड़ आधार प्रदान किए गए और दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षा मंच दीक्षा 556.37 करोड़ शिक्षण सत्रों के साथ लाखों लोगों को सशक्त बना रहा है
67 मिलियन आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) खोले गए, और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के अंतर्गत 1,803 संस्थान और 637 जिले जोड़े गए
उमंग, सभी राज्यों में केंद्र और राज्य सरकारों के 207 विभागों में दी जाने वाली 2,000 से अधिक सरकारी सेवाओं से 7.12 करोड़ उपयोगकर्ताओं को सशक्त बना रही है
ग्राम पंचायत स्तर पर 4.63 लाख सहित 5.84 लाख परिचालित सीएससी, 800 से अधिक सरकारी सेवाएं प्रदान करके ग्रामीण भारत में डिजिटल अंतर को कम कर रहे हैं
पेपरलेस सरकारी कामकाज के लिए डिजिलॉकर, एंटिटीलॉकर और गोवड्राईव द्वारा 37 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के लिए दस्तावेज प्रबंधन में बदलाव
Posted On:
31 DEC 2024 11:56AM by PIB Delhi
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने वर्ष 2024 में कई महत्वपूर्ण नीतिगत पहल/संशोधन किए हैं, जिनका उद्देश्य नवाचार और शासन को बढ़ावा देना और नागरिकों को सशक्त बनाना है।
नीतिगत विकास: वर्ष 2024 की नीतियां या संशोधन
1. सीसीटीवी सुरक्षा मानक अद्यतन
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने व्यापक विनियामक आदेश (CRO) के अंतर्गत सीसीटीवी कैमरों के लिए नियमों को अपडेट किया है, जो अक्टूबर 2024 से प्रभावी है। भारत में निर्मित या बेचे जाने वाले सभी सीसीटीवी कैमरों को भौतिक सुरक्षा, एक्सेस कंट्रोल, नेटवर्क एन्क्रिप्शन और पैठ परीक्षण सहित सख्त सुरक्षा मानकों को पूरा करना होगा। इस अपडेट का उद्देश्य देश में निगरानी प्रणालियों की गुणवत्ता और साइबर सुरक्षा को बढ़ाना है।
2. आईटी अधिनियम 2000 की धारा 79ए के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स साक्ष्य के परीक्षक के रूप में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की अधिसूचना
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का अध्याय XIIए धारा 79ए के अंतर्गत केंद्र सरकार को केंद्र सरकार या राज्य सरकार के किसी विभाग, निकाय या एजेंसी को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अदालत या अन्य प्राधिकरण के समक्ष इलेक्ट्रॉनिक रूप के साक्ष्य पर विशेषज्ञ राय प्रदान करने के प्रयोजनों के लिए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक के रूप में अधिसूचित करने की शक्ति प्रदान करता है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी अधिनियम 2000 की धारा 79ए के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स साक्ष्य परीक्षक के रूप में अधिसूचना प्राप्त करने की इच्छुक आवेदक प्रयोगशालाओं के आकलन और मूल्यांकन का कार्य मानकीकरण परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन (एसटीक्यूसी) निदेशालय को सौंपा है। अब तक 15 फोरेंसिक प्रयोगशालाएं अधिसूचित की जा चुकी हैं और कई अन्य प्रयोगशालाएं अधिसूचना की प्रक्रिया में हैं।
क्षेत्रीय पहुंच: विभिन्न राज्यों में क्रियान्वित क्षेत्रीय पहलों/कार्यक्रमों की मुख्य विशेषताएं
1. साइबर सुरक्षा को मजबूत करना
साइबर सुरक्षित भारत पहल के अंतर्गत , इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय साइबर चुनौतियों से निपटने के लिए मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) और आईटी अधिकारियों की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत बना रहा है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी) ने अप्रैल 2024 में 43वां मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) डीप-डाइव प्रशिक्षण कार्यक्रम और सितंबर 2024 में नई दिल्ली में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) कार्यशाला आयोजित की, जिसमें 250 से अधिक प्रतिभागियों ने जागरूकता और लचीलापन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अतिरिक्त, नवंबर 2024 में केरल में तीन दिवसीय साइबर सुरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई , जिसमें साइबर रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए 100 से अधिक राज्य अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
2. सीएससी कल्याण शिविरों के माध्यम से व्यापारियों और नागरिकों को सशक्त बनाना
सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज और सीएआईटी ने शिविरों के माध्यम से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस), अटल पेंशन योजना और प्रधानमंत्री स्वनिधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान करके व्यापारियों और नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। देश भर में लगभग 6 लाख सीएससी के साथ , सीएससी एसपीवी सरकारी योजनाओं और दूरदराज के क्षेत्रों के अंतर को कम करता है।
9 करोड़ से अधिक व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीएआईटी का लक्ष्य डिजिटल इंडिया मिशन और प्रधानमंत्री के समावेशी सशक्तिकरण के दृष्टिकोण के अनुरूप व्यापारियों के लिए सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
3. राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग द्वारा क्षमता निर्माण कार्यक्रम
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, एनईजीडी के माध्यम से और आईआईएम विशाखापत्तनम के सहयोग से एआई/एमएल अनुप्रयोगों पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम के साथ डिजिटल शासन को बढ़ावा दे रहा है। कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों को शासन में एआई को जिम्मेदारी से लागू करने, डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और नैतिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए रणनीतियों से लैस करना है। यह नियामक चुनौतियों से निपटने और यह सुनिश्चित करने पर जोर देता है कि एआई अनुप्रयोग पारदर्शी हों और गोपनीयता मानकों का अनुपालन करें।
4. कार्यशाला से राज्य अधिकारियों की ई-गवर्नेंस और एआई की समझ बढ़ी
28 नवंबर, 2024 को चेन्नई में एनईजीडी, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और टीएनईजीए द्वारा आयोजित डिजिटल इंडिया राज्य परामर्श कार्यशाला का उद्देश्य तमिलनाडु राज्य के अधिकारियों की केंद्रीय ई-गवर्नेंस पहलों और एआई एकीकरण के बारे में समझ को बढ़ाना था। साइबर सुरक्षा और क्षमता निर्माण जैसे विषयों के साथ-साथ डिजिलॉकर, उमंग और एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस जैसे प्रमुख कार्यक्रमों पर चर्चा की गई। कार्यशाला में तमिलनाडु ने अपने जीआईडी-आधारित भूमि रिकॉर्ड, ई-ऑफिस और एआई -आधारित मोतियाबिंद का पता लगाने वाले ऐप, ई-परवाई सहित अपनी अभिनव परियोजनाओं को दर्शाया।
भारत की डिजिटल क्रांति: बुनियादी ढांचे, शासन और सार्वजनिक सेवा में बदलाव
हाल के वर्षों में भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे में परिवर्तनकारी विकास हुआ है, जिसने देश को डिजिटलीकरण अपनाने में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है। क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और डिजिटल गवर्नेंस में नवाचारों द्वारा संचालित तेजी से विस्तारित डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ, भारत का बुनियादी ढांचा सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए लगातार विकसित हो रहा है। देश में डिजिटलीकरण को मजबूत करने, सरकारी सेवाओं को वितरित करने में पहुंच, मापनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रमुख पहल और परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
भारत का डिजिटल अवसंरचना परिदृश्य
भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के केंद्रीय स्तंभों में से एक डेटा सेंटर का विस्तार और विकास है। क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा स्टोरेज और एआई/एमएल अनुप्रयोगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ये केंद्र महत्वपूर्ण हैं। भारत का डेटा सेंटर उद्योग पर्याप्त वृद्धि के लिए तैयार है, जिसमें आईटी लोड क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है, जो वर्तमान में लगभग 1000 मेगावाट है।
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने दिल्ली, पुणे, भुवनेश्वर और हैदराबाद जैसे शहरों में अत्याधुनिक राष्ट्रीय डेटा केंद्र (एनडीसी) स्थापित किए हैं, जो सरकारी मंत्रालयों, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को मजबूत क्लाउड सेवाएं प्रदान करते हैं। ये डेटा सेंटर आवश्यक आपदा रिकवरी और होस्टिंग सेवाएं भी प्रदान करते हैं, जिससे सरकारी कार्यों में निरंतरता सुनिश्चित होती है।
एनडीसी में, स्टोरेज क्षमता को लगभग 100 पीबी तक बढ़ाया गया है, जिसमें ऑल फ्लैश एंटरप्राइज क्लास स्टोरेज, ऑब्जेक्ट स्टोरेज और यूनिफाइड स्टोरेज शामिल है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न क्लाउड वर्कलोड के लिए लगभग 5,000 सर्वर लगाए गए हैं। 200 रैक का एक और अत्याधुनिक एनडीसी (टियर-III) जिसे 400 रैक तक बढ़ाया जा सकता है, गुवाहाटी, असम में स्थापित किया जा रहा है।
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों का समाधान करने के लिए, राष्ट्रीय डेटा केंद्र - उत्तर पूर्व क्षेत्र (एनडीसी-एनईआर) सितंबर 2020 में शुरू किया गया था। इस सुविधा का उद्देश्य डिजिटल अंतर को कम करना, सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और एक विश्वसनीय, उच्च-प्रदर्शन डेटा भंडारण और क्लाउड सेवा बुनियादी ढांचा प्रदान करके क्षेत्र में सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करना है।
क्लाउड सेवाओं को बढ़ाना: एनआईसी और मेघराज की भूमिका
भारत का क्लाउड इकोसिस्टम इसके डिजिटल परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण है। वर्ष 2022 में शुरू की गई एनआईसी नेशनल क्लाउड सर्विसेज परियोजना ई-गवर्नेंस सेवा वितरण को बढ़ावा देती है। 300 से अधिक सरकारी विभाग क्लाउड सेवाओं का उपयोग करते हैं। जीआई क्लाउड (मेघराज) पहल का उद्देश्य केंद्र और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी सरकारी विभागों को क्लाउड के माध्यम से आईसीटी सेवाएं प्रदान करना है, जिससे पूरे देश में क्लाउड इकोसिस्टम को बढ़ावा मिले।
यह आईटी अवसंरचना का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करता है और डिजिटल भुगतान, पहचान सत्यापन और सहमति-आधारित डेटा साझाकरण जैसे ई-गवर्नेंस अनुप्रयोगों के विकास में तेजी लाता है। इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सरकारी विभागों की क्लाउड जरूरतों को पूरा करने के लिए क्लाउड सेवा प्रदाताओं (सीएसपी) के पैनल की शुरुआत की है।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई): परिवर्तनकारी पहल
भारत का डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) सुलभ और सुरक्षित सार्वजनिक सेवाओं को आगे बढ़ाता है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलाव आता है। प्रमुख उपलब्धियों में 138.34 करोड़ आधार प्रदान किए जाना शामिल है। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (यूपीआई) डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करता है और वित्तीय समावेशन को बढ़ाता है। 30 जून 2024 तक यूपीआई ने 24,100 करोड़ रूपये के वित्तीय लेन-देन की सुविधा प्रदान की है। डिजिलॉकर , डिजिटल दस्तावेज़ सत्यापन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। डिजिलॉकर ने 37.046 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं को सुविधा प्रदान की है और जारी किए गए 776 करोड़ दस्तावेज़ उपलब्ध कराए गए हैं।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (दीक्षा) दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षा मंच है। 22 जुलाई 2024 तक , दीक्षा के माध्यम से 556.37 करोड़ शिक्षण सत्रों का आयोजन किया गया हैं। दीक्षा पर पाठ्यक्रमों के लिए 17.95 करोड़ नामांकन किए गए है और 14.37 करोड़ पाठ्यक्रम पूरे किए हैं।
भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में खरीद के लिए गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (जेम), सरकारी सेवाओं के लिए उमंग और ओपन एपीआई के लिए एपीआई एप जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। कोविन और आरोग्य सेतु ने स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति ला दी है, जबकि ई-संजीवनी, ई-हॉस्पिटल और ई-कोर्ट्स ने स्वास्थ्य सेवा और न्याय को बेहतर बनाया है। पोषण ट्रैकर, ई-ऑफिस और एनसीडी प्लेटफॉर्म जैसे उपकरण शासन और स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार करते हैं। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के अंतर्गत 67 मिलियन आभा पंजीकरण किए गए हैं। स्किल इंडिया डिजिटल हब कौशल विकास का समर्थन करता है और इंडिया स्टैक लोकल 493 राज्य-स्तरीय डिजिटल समाधान प्रदर्शित करता है।
राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) जी2जी, जी2सी सेवाओं और सहयोगी अनुसंधान का समर्थन करने के लिए डेटा केंद्रों, क्षेत्र नेटवर्क और संस्थानों को जोड़ता है। इसमें 1,803 संस्थागत लिंक और 637 जिला लिंक हैं, जो संसाधन साझाकरण और कुशल डिजिटल शासन को बढ़ावा देते हैं।
नागरिक-केंद्रित डिजिटल सेवाएं
उमंग और मेरी पहचान जैसी अभिनव डिजिटल सेवाएं नागरिकों की सहभागिता को बढ़ाती हैं और सरकारी सेवाओं तक पहुंच को सरल बनाती हैं। उमंग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 23 भाषाओं में 2,077 सेवाएं प्रदान करता है, जिससे 7.12 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ संचार आसान हो जाता है ।
मेरी पहचान का राष्ट्रीय एकल साइन-ऑन (एसएसओ) 132 करोड़ से अधिक लेनदेन को संसाधित करता है, जिससे निर्बाध प्रमाणीकरण सुनिश्चित होता है। ई-हस्ताक्षर (ई-साइन) सेवा नागरिकों को दस्तावेजों पर डिजिटल हस्ताक्षर करने में सक्षम बनाती है, जो भौतिक हस्ताक्षरों के लिए कानूनी रूप से स्वीकार्य विकल्प है। सभी ईएसपी द्वारा कुल 81.97 करोड़ ई-साइन जारी किए गए हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना, एपीआई सेतु , सरकार की ओपन एपीआई नीति के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करती है, जिससे सरकारी प्रणालियों में निर्बाध डेटा विनिमय और सेवा वितरण संभव होता है। 6,000 से अधिक एपीआई प्रकाशित किए गए हैं, जिससे 312.01 करोड़ से अधिकल के लेनदेन संभव हुए हैं। पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण, कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र और सीबीएसई जैसी प्रमुख संस्थाओं सहित 1,700 से अधिक प्रकाशकों के साथ , यह प्लेटफ़ॉर्म 634 से अधिक उपभोक्ताओं को भी सेवा प्रदान करता है।
माय गोव प्लेटफॉर्म भारत सरकार की नागरिक सहभागिता पहल है, जो नागरिकों को विभिन्न सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों पर विचार, राय और प्रतिक्रिया साझा करने की अनुमति देता है। 4.89 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ , माय गोव पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और शासन में सक्रिय नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी): ग्रामीण भारत तक पहुंच
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रबंधित CSC पहल ने ग्रामीण भारत में ई-सेवाएँ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अक्टूबर 2024 तक, देश भर में 5.84 लाख से अधिक CSC चालू हैं, जिनमें ग्राम पंचायत स्तर पर 4.63 लाख शामिल हैं, इस पहल ने सरकारी योजनाओं से लेकर शिक्षा, टेलीमेडिसिन और वित्तीय सेवाओं तक 800 से अधिक सेवाओं की डिलीवरी की सुविधा प्रदान की है।
नागरिक-केंद्रित डिजिटल सेवाएं
एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन उमंग सरकारी सेवाओं तक पहुंच को सरल बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल है। 7.12 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ, उमंग ने नागरिकों के सरकारी सेवाओं से जुड़ने के तरीके को सुव्यवस्थित किया है। उमंग 23 बहुभाषी भाषाओं (शीर्ष 100 सेवाओं के लिए) में उपलब्ध है, जिसमें अंग्रेजी और हिंदी शामिल हैं। उमंग केंद्र और राज्य सरकारों के 207 विभागों को लगभग 2,077 सेवाएँ प्रदान करता है।
मेरी पहचान प्लेटफॉर्म, एक राष्ट्रीय एकल साइन-ऑन (एसएसओ) सेवा है, जो नागरिकों को एक ही क्रेडेंशियल का उपयोग करके विभिन्न सरकारी सेवाओं को प्रमाणित करने और उन तक पहुँचने का एक सहज तरीका प्रदान करती है। इस प्लेटफ़ॉर्म पर 132 करोड़ से अधिक लेन-देन संसाधित किए गए हैं, जिससे सेवा वितरण में सुधार हुआ है और कई खातों और क्रेडेंशियल के प्रबंधन की जटिलताएं कम हुई हैं।
ई -हस्ताक्षर (ई-साइन) सेवा नागरिकों के दस्तावेजों पर डिजिटल हस्ताक्षर करने में सक्षम बनाती है, जो भौतिक हस्ताक्षरों के लिए कानूनी रूप से स्वीकार्य विकल्प प्रदान करती है। सभी ईएसपी द्वारा कुल 81.97 करोड़ ई-साइन जारी किए गए हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना, एपीआई सेतु , सरकार की ओपन एपीआई नीति के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करती है, जिससे सरकारी प्रणालियों में निर्बाध डेटा विनिमय और सेवा वितरण संभव होता है। 6,000 से अधिक एपीआई प्रकाशित किए गए हैं, जिससे 312.01 करोड़ से अधिक लेनदेन संभव हुए हैं।
माय गोव प्लेटफॉर्म भारत सरकार की नागरिक सहभागिता पहल है, जो नागरिकों को विभिन्न सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों पर विचार, राय और प्रतिक्रिया साझा करने की अनुमति देता है। 4.89 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ, माय गोव पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और शासन में सक्रिय नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है ।
सरकारी कामकाज में क्रांतिकारी बदलाव
कागज रहित शासन के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप, डिजी लॉकर दस्तावेजों को जारी करने और सत्यापन के लिए महत्वपूर्ण मंच बन गया है। 37 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ, डिजी लॉकर से नागरिकों के लिए दस्तावेजों को प्रमाणित करने के तरीके में बदलाव आया है।
कोलैब फाइल्स सरकारी अधिकारियों के लिए स्प्रेडशीट और टेक्स्ट फाइल जैसे कार्यालय दस्तावेज़ बनाने, प्रबंधित करने और साझा करने के लिए एक केंद्रीकृत मंच है। यह ई-ऑफिस और एनआईसी ईमेल जैसे प्लेटफ़ॉर्म के साथ एकीकृत होता है और सरकार की ईमेल आईडी के माध्यम से सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करता है, और दस्तावेज़ साझा करने का रिकॉर्ड रखता है।
गोव ड्राईव एक क्लाउड-आधारित, मल्टी-टेनेंट प्लेटफ़ॉर्म है जो भारत सरकार के अधिकारियों के लिए स्टोरेज की सुविधा प्रदान करता है। यह सभी डिवाइस में दस्तावेज़ों के सुरक्षित भंडारण, साझाकरण, सिंक्रनाइज़ेशन और प्रबंधन को सक्षम बनाता है, जिससे अधिकारी गोव ड्राईव एप्लिकेशन के माध्यम से फ़ाइलों और फ़ोल्डरों को ऑनलाइन स्टोर, संशोधित या हटा सकते हैं।
सरकारी इंट्रानेट प्लेटफ़ॉर्म सरकारी अधिकारियों के लिए एक आधुनिक, सुरक्षित पोर्टल है, जो परिचय के ज़रिए सिंगल साइन-ऑन (एसएसओ) के साथ वर्कफ़्लो प्रबंधन को सुव्यवस्थित करता है। यह ईमेल, ई-ऑफ़िस और मंत्रालय के प्रदर्शन डैशबोर्ड जैसे अनुप्रयोगों तक पहुँच प्रदान करता है, जबकि कुशल कैलेंडर प्रबंधन, कार्य असाइनमेंट, ईवेंट प्लानिंग में सक्षम बनाता है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की आगामी योजनाएं: भारत के डिजिटल भविष्य को आकार देना
1. सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देना
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अपनी उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने और स्थानीय स्टार्टअप को बढ़ावा देने के माध्यम से, मंत्रालय का लक्ष्य सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना है, जिससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सतत विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके।
2. एआई विकास और विनियमन को आगे बढ़ाना
इंडियाएआई मिशन के अंतर्गत, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय उन्नत कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, एआई शोध को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में एआई-संचालित अनुप्रयोगों को सक्षम करने के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित करने के लिए तैयार है। जनरेटिव एआई और सरकारी और निजी क्षेत्र के संचालन में इसके निर्बाध एकीकरण, नवाचार को बढ़ावा देने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जिम्मेदारी से उपयोग को सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया जाएगा।
3. डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का विस्तार
आधार, यूपीआई और डिजीलॉकर जैसे मौजूदा डिजिटल प्लेटफॉर्म को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए जा रहें है। इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का लक्ष्य इंडियास्टैक इकोसिस्टम का विस्तार करना, वैश्विक अंतर-संचालन को बढ़ावा देना और डिजिटल वित्त और ई-गवर्नेंस में नए अवसरों को बढ़ावा देना भी है। इन डिजिटल सुविधाओं को सेवाओं करो सुव्यवस्थित करने और नागरिकों और व्यवसायों को समान रूप से सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
4. साइबर सुरक्षा को मजबूत करना
साइबर खतरों से निपटने के लिए मजबूत और लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय उन्नत तकनीकों का लाभ उठा रहा है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत कर रहा है। इन पहलों का उद्देश्य भारत की डिजिटल संपत्तियों की सुरक्षा करना और नागरिकों और उद्यमों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है।
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एमजी/आरपीएम/केसी/जेके/एनजे
(Release ID: 2089072)
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