मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2024: मत्स्य पालन विभाग (मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय)
"प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) ने 2025 तक 1.12 मिलियन टन समुद्री शैवाल उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया" "मत्स्य पालन में डिजिटल क्रांति: ई-मार्केट प्लेटफॉर्म के साथ मछुआरों को सशक्त बनाने के लिए ओएनडीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर" "भारत के मत्स्य पालन बुनियादी ढांचे को बदलने के लिए 1,200 करोड़ रुपये की पीएमएमएसवाई और एफआईडीएफ परियोजनाएं शुरू की गई" "समुद्र में सुरक्षा: ट्रांसपोंडर के साथ 1 लाख मछली पकड़ने वाले जहाज उपलब्ध कराने के लिए 364 करोड़ रुपये की पीएमएमएसवाई पहल" "जलवायु लचीले तटीय मछुआरे गाँव: तटीय समुदायों को मजबूत करने के लिए 200 करोड़ रुपये की पहल"
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12 DEC 2024 6:01PM by PIB Delhi
परिचय
मत्स्य पालन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य तथा पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार सृजन में भी योगदान देता है। मत्स्य पालन क्षेत्र को 'सूर्योदय क्षेत्र' के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह भारत में लगभग 30 मिलियन लोगों की आजीविका को बनाए रखने में सहायक है, विशेष रूप से वंचित और कमजोर समुदायों के लोगों की।
पिछले 10 वर्षों के दौरान, भारत सरकार (जीओआई) ने मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई पहल की हैं, इन पहलों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2022-23 में कुल (अंतर्देशीय और समुद्री) मछली उत्पादन बढ़कर 175.45 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 95.79 लाख टन था। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि उत्पादन बढ़कर 131.13 लाख टन हो गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 61.36 लाख टन था, जो 114% की वृद्धि दर्शाता है। इसी तरह, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात 60,523.89 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 30,213 करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है।
वर्ष के दौरान विभाग द्वारा की गई प्रमुख पहल
समुद्री शैवाल एवं मोती और सजावटी मत्स्य पालन
- समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन 27 जनवरी 2024 को गुजरात के कच्छ में आयोजित किया गया। समुद्री शैवाल की खेती समुद्री शैवाल उत्पादों के रोजगार सृजन का एक विकल्प है क्योंकि यह समुद्री उत्पादन में विविधता लाता है और मछली पालन करने वाले किसानों की आय बढ़ाने के अवसर प्रदान करता है। समुद्री शैवाल की खेती के लिए कोरी क्रीक की एक पायलट परियोजना को अधिसूचित किया गया जो समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ( पीएमएमएसवाई) का लक्ष्य 2025 तक देश में समुद्री शैवाल उत्पादन को 1.12 मिलियन टन से अधिक बढ़ाना है। भारतीय समुद्री शैवाल उत्पादन मुख्य रूप से कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी और कुछ अन्य देशी किस्मों की खेती पर निर्भर करता है। के. अल्वारेज़ी पर अत्यधिक निर्भरता के कारण यह तेजी से बढ़ने की अपनी शक्ति खो रही है और पिछले कुछ वर्षों में रोग-ग्रस्त हो गई है। इसके लिए उत्पादन और उत्पादकता में सुधार के लिए समुद्री शैवाल की नई किस्मों और उपभेदों के आयात की आवश्यकता है। मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने 31 अक्टूबर 2024 को समुद्री शैवाल के निर्यात और आयात को मजबूत करने के लिए 'भारत में जीवित समुद्री शैवाल के आयात के लिए दिशानिर्देश' नामक दिशा-निर्देशों को अधिसूचित किया था।
- क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण उत्पादन से लेकर निर्यात तक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में सभी आकारों- सूक्ष्म, लघु, मध्यम और बड़े- के भौगोलिक रूप से जुड़े उद्यमों को एकजुट करके प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता को बढ़ाता है। यह सहयोगी मॉडल मजबूत संबंधों के माध्यम से वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार करता है, मूल्य श्रृंखला अंतराल को संबोधित करता है, और नए व्यावसायिक अवसर और आजीविका बनाता है। मत्स्य विभाग ने मत्स्य पालन क्लस्टर विकास कार्यक्रम के तहत उत्पादन और प्रसंस्करण क्लस्टर पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की और लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल की खेती के लिए समर्पित तीन विशेष मत्स्य उत्पादन और प्रसंस्करण क्लस्टर की स्थापना की घोषणा की। इन क्लस्टरों का उद्देश्य इन विशिष्ट क्षेत्रों के भीतर सामूहिकता, सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देना है, जिससे उत्पादन और बाजार पहुंच दोनों में वृद्धि होगी।
- मत्स्य विभाग ने समुद्री शैवाल की खेती और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीएमएफआरआई) के मंडपम क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना के लिए अधिसूचना जारी की है। उत्कृष्टता केंद्र समुद्री शैवाल की खेती में नवाचार और विकास के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र के रूप में काम करेगा, जो खेती की तकनीकों को परिष्कृत करने, बीज बैंक की स्थापना करने और सतत प्रथाओं को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसका उद्देश्य 20,000 समुद्री शैवाल किसानों को लाभ पहुँचाना, पैदावार में सुधार करना और लगभग 5,000 नौकरियां पैदा करना है, जिससे भारत की वैश्विक समुद्री शैवाल उद्योग की उपस्थिति बढ़ेगी।
- मत्स्य पालन विभाग ने हजारीबाग में मोती की खेती, मदुरई में सजावटी मत्स्य पालन तथा लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल क्लस्टर के लिए मानक संचालन प्रक्रिया शुरू की है।
- आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों के आनुवंशिक संवर्द्धन के माध्यम से बीज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग द्वारा समुद्री और अंतर्देशीय दोनों प्रजातियों के लिए न्यूक्लियस प्रजनन केंद्रों को अधिसूचित किया गया था। मत्स्य पालन विभाग ने मीठे पानी की प्रजातियों के लिए एनबीसी की स्थापना के लिए आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (आईसीएआर-सीआईएफए), भुवनेश्वर, ओडिशा को नोडल संस्थान के रूप में नामित किया है। इसके अलावा, तमिलनाडु के मंडपम में आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीएमएफआरआई) का क्षेत्रीय केंद्र, एनबीसी के लिए नोडल संस्थान के रूप में समुद्री मछली प्रजातियों पर केंद्रित है। चल रही योजनाओं द्वारा वित्तपोषित, एनबीसी ब्रूडस्टॉक प्रबंधन को बढ़ाएँगे, उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन करेंगे और 100 नौकरियों का सृजन करेंगे, जिसमें मौजूदा सीजन की आपूर्ति 60 लाख जयंती रोहू, 20 लाख अमृत कतला और 2 लाख जीआई-स्कैम्पी शामिल हैं।
मत्स्यपालन स्टार्टअप और मत्स्यपालन किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) को समर्थन
- विभाग ने कम से कम 100 मत्स्य पालन स्टार्ट-अप, सहकारी समितियों, एफपीओ और एसएचजी को बढ़ावा देने के लिए 3 इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना को भी अधिसूचित किया है। ये केंद्र हैदराबाद में राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), मुंबई में आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई) और कोच्चि में आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) जैसे प्रमुख संस्थानों में स्थापित किए जाएँगे।
- मत्स्य पालन विभाग ने डिजिटल इंडिया पहल को पूरा करने की दिशा में ओएनडीसी के साथ पहले समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। अब तक 6 एफएफपीओ ओएनडीसी पर शामिल हो चुके हैं। सहयोग का उद्देश्य एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करना और पारंपरिक मछुआरों, मछली किसान उत्पादक संगठन, मत्स्य पालन क्षेत्र के उद्यमियों सहित सभी हितधारकों को ई-मार्केट प्लेस के माध्यम से अपने उत्पादों को खरीदने और बेचने के लिए सशक्त बनाना है। इसके अतिरिक्त, “कैच से कॉमर्स तक, डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से बाजार तक पहुँच बढ़ाना” पुस्तिका का विमोचन किया गया।
- पीएमएमएसवाई मत्स्य पालन स्नातकों सहित उद्यमियों के लिए मत्स्य पालन और जलीय कृषि के लिए उद्यमिता मॉडल का समर्थन करता है, जिसके तहत 1.3 करोड़ रुपये तक की सहायता दी जाती है। उद्यमिता मॉडल एकीकृत व्यापार मॉडल, प्रौद्योगिकी संचार परियोजनाओं, किश कियोस्क की स्थापना के माध्यम से स्वच्छ मछली विपणन को बढ़ावा देने, मनोरंजक मत्स्य पालन के विकास, समूह गतिविधियों को बढ़ावा देने आदि का समर्थन करता है। अब तक 39 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
पहल और परियोजनाएँ
- तटीय जलकृषि प्राधिकरण अधिनियम 2005 (मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन) को 2023 में संशोधित किया गया, ताकि पिंजरा पालन, समुद्री शैवाल पालन और समुद्री सजावटी मछली पालन जैसी विविध और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को इसके दायरे में लाया जा सके, सीआरजेड अधिसूचना में अस्पष्टता को दूर किया जा सके, कारावास के प्रावधानों को प्रतिस्थापित किया जा सके, सरलीकृत और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं के माध्यम से व्यापार करने में आसानी हो सके।
- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पीएमएमएसवाई और एफआईडीएफ के अंतर्गत 1200 करोड़ रुपये की लागत की मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया ।
- मत्स्य पालन विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 364 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक विशेष घटक शुरू किया है। इसके तहत एक लाख मछली पकड़ने वाले जहाजों को स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसपोंडर निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि मछुआरों को किसी भी आपात स्थिति और चक्रवात के दौरान अलर्ट भेजने और संभावित मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों के बारे में जानकारी देने के लिए दो-तरफा संचार सक्षम हो सके।
- 12 सितंबर 2024 को पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर , मत्स्य विभाग ने एनएफडीपी (राष्ट्रीय मत्स्य विकास कार्यक्रम) पोर्टल लॉन्च किया, जो मत्स्य पालन के हितधारकों की रजिस्ट्री, सूचना, सेवाओं और मत्स्य पालन से संबंधित समर्थन के लिए एक केंद्रीय केंद्र के रूप में काम करेगा और पीएम-एमकेएसएसवाई परिचालन दिशानिर्देश जारी करेगा। एनएफडीपी को प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) के तहत बनाया गया है, जो प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत एक उप-योजना है और यह देश भर में मत्स्य मूल्य श्रृंखला में लगे मछली श्रमिकों और उद्यमों की एक रजिस्ट्री बनाकर विभिन्न हितधारकों को डिजिटल पहचान प्रदान करेगी। एनएफडीपी के माध्यम से संस्थागत ऋण, प्रदर्शन अनुदान, जलीय कृषि बीमा आदि जैसे विभिन्न लाभ उठाए जा सकते हैं। एनएफडीपी पोर्टल पर अब तक कुल 12,64,079 पंजीकरण हो चुके हैं।
- पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर विभाग द्वारा 'स्वदेशी प्रजातियों को बढ़ावा देने' और 'राज्य मछली के संरक्षण' पर पुस्तिका जारी की गई थी। 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 22 ने या तो राज्य मछली को अपनाया है या घोषित किया है, 3 ने राज्य जलीय पशु घोषित किया है और केंद्र शासित प्रदेशों लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने अपने राज्य पशु घोषित किए हैं, जो समुद्री प्रजातियाँ हैं।
- मत्स्य पालन विभाग ने आज जन समर्थ पोर्टल पर किसान क्रेडिट कार्ड मत्स्य पालन योजना के एकीकरण का सफलतापूर्वक उद्घाटन किया। यह मत्स्य पालन क्षेत्र में मछली किसानों और हितधारकों के लिए एक डिजिटल मंच प्रदान करने की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।
- 12 जुलाई 2024 को मत्स्य पालन ग्रीष्मकालीन सम्मेलन 2024 के अवसर पर , केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह द्वारा 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करते हुए 114 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत कुल 321 प्रभावशाली परियोजनाओं का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया गया।
- मत्स्य पालन विभाग ने प्रत्येक पंचायत में 2 लाख पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना के लक्ष्य को साकार करने के लिए केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वी.ए.एम.एन.आई.सी.ओ.एम.) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य आईसीएआर-सीआईएफई और वी.ए.एम.एन.आई.सी.ओ.एम. के बीच तालमेल को मजबूत करना है, जिससे मत्स्य पालन में सहकारी प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
- तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 100 तटीय गाँवों को जलवायु अनुकूल तटीय मछुआरा गाँवों (सीआरसीएफवी) में विकसित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए। 200 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, यह पहल बदलती पर्यावरणीय परिस्थितियों के बीच मछली पकड़ने वाले समुदायों के लिए खाद्य सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ मछली पकड़ने, बुनियादी ढांचे में सुधार और जलवायु-स्मार्ट आजीविका पर ध्यान केंद्रित करेगी। सेंट्रल कमेटी ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंट कोस्टल फिशरमेन विलेज (सीसीसीआरसीएफवी) द्वारा विस्तृत सर्वेक्षण और अंतराल विश्लेषण ने जरूरत-आधारित सुविधाओं के चयन का मार्गदर्शन किया है, जिसमें मछली सुखाने वाले यार्ड, प्रसंस्करण केंद्र, मछली बाजार और आपातकालीन बचाव सुविधाओं जैसी सामान्य सुविधाएं शामिल हैं। यह कार्यक्रम समुद्री शैवाल की खेती के खेतों, कृत्रिम चट्टानों और हरित ईंधन को बढ़ावा देने जैसी पहलों के माध्यम से जलवायु-अनुकूल मत्स्य पालन को भी बढ़ावा देता है।
- मत्स्य पालन में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने की दिशा में एक कदम के रूप में, 100 किलोग्राम तक के पेलोड के साथ मछली और मछली उत्पादों के 10 किलोमीटर की दूरी तक परिवहन के लिए 1.16 करोड़ रुपये की लागत का एक पायलट अध्ययन जारी किया गया। इस अध्ययन का उद्देश्य अंतर्देशीय मत्स्य पालन की निगरानी और प्रबंधन में ड्रोन की क्षमता का पता लगाना, दक्षता और स्थिरता में सुधार करना है।
- मत्स्य विभाग द्वारा 721.63 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली प्राथमिकता वाली परियोजनाओं की घोषणा की गई, जिनमें समग्र जलीय कृषि विकास का समर्थन करने के लिए असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और नागालैंड राज्यों में पांच एकीकृत जल पार्कों का विकास, बाजार पहुँच बढ़ाने के लिए अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों में दो विश्व स्तरीय मछली बाजारों की स्थापना, कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार के लिए गुजरात, पुडुचेरी और दमन और दीव राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में तीन स्मार्ट और एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों का विकास, और जलीय कृषि और एकीकृत मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पंजाब राज्यों में 800 हेक्टेयर खारे क्षेत्र और एकीकृत मछली पालन शामिल हैं।
- मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को त्वरित विकास और आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत पाँच एकीकृत जल पार्क (आईएपी) की स्थापना को मंजूरी दी है। मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में मौजूदा अंतराल को दूर करने के लिए व्यापक हस्तक्षेप की आवश्यकता को पहचानते हुए, ये जल पार्क एकीकृत समाधान प्रदान करके क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए तैयार हैं जो परिचालन दक्षता को बढ़ाते हैं, अपव्यय को कम करते हैं और मछली किसानों और अन्य हितधारकों के लिए आय में सुधार करते हैं। सरकार मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने के लिए पाँच एकीकृत जल पार्कों में ₹179.81 करोड़ का निवेश कर रही है, जिसका उद्देश्य उत्पादन को अनुकूलित करना, 1,400 प्रत्यक्ष और 2,400 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना और अपव्यय को कम करना है।
- मत्स्य पालन विभाग ने आईसीएआर-केंद्रीय मीठाजल जलीय कृषि संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफए), भुवनेश्वर में "रंगीन मछली" मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के सहयोग से आईसीएआर-सीआईएफए द्वारा विकसित यह ऐप सजावटी मत्स्य पालन क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है, जो शौकीनों, एक्वेरियम शॉप मालिकों और मछली पालकों के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान संसाधन प्रदान करता है।
- मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य विभाग ने 21 नवंबर 2024 को सुषमा स्वराज भवन, नई दिल्ली में भारत के ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन: छोटे पैमाने पर और टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत बनाने की थीम के साथ विश्व मत्स्य दिवस 2024 मनाया । इस अवसर पर इटली, रोम में भारतीय राजदूत सुश्री वाणी राव, एफएओ के मत्स्य प्रभाग के एडीजी और निदेशक श्री मैनुअल बैरंगे भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में 54 दूतावासों के प्रतिनिधियों और उच्चायुक्तों ने भाग लिया। विश्व मत्स्य दिवस 2024 के अवसर पर मत्स्य विभाग ने नीचे दी गई कई महत्वपूर्ण पहलों और परियोजनाओं की श्रृंखला शुरू की:
- डेटा आधारित नीति निर्माण के लिए 5 वीं समुद्री मत्स्य पालन जनगणना का शुभारंभ ,
- शार्क के स्थायी प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय शार्क कार्य योजना और श्रीलंका , बांग्लादेश और मालदीव के सहयोग से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित मछली पकड़ने को रोकने के लिए IUU (अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित) मछली पकड़ने पर क्षेत्रीय कार्य योजना के लिए भारत का समर्थन,
- समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन-खाद्य एवं कृषि संगठन (आई.एम.ओ.-एफ.ए.ओ.) ग्लोलिटर साझेदारी परियोजना, तथा ऊर्जा कुशल , कम लागत वाले समुद्री मछली पकड़ने वाले ईंधन को बढ़ावा देने के लिए रेट्रोफिटेड एल.पी.जी. किटों के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एस.ओ.पी.)।
- तटीय जलकृषि प्राधिकरण द्वारा नई एकल विंडो प्रणाली (एनएसडब्लूएस) का शुभारंभ तटीय जलकृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण को सक्षम करने के लिए किया गया।
- स्वैच्छिक कार्बन बाजार (वीसीएम) के लिए एक रूपरेखा को लागू करने, क्षेत्र में कार्बन-पृथक्करण प्रथाओं का उपयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया।
मछली और समुद्री खाद्य निर्यात को मजबूत करने हेतु पहल
- मत्स्य पालन विभाग ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में झींगा पालन और मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए मत्स्य निर्यात संवर्धन पर हितधारक परामर्श का आयोजन किया। इस पहल ने देश को एक अंतर्राष्ट्रीय प्रसंस्करण केंद्र में बदलने, मत्स्य पालन क्षेत्र का पूंजीकरण और डिजिटलीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- मत्स्य पालन विभाग ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में टूना क्लस्टर के विकास को अधिसूचित किया। क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण उत्पादन से लेकर निर्यात तक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में सभी आकारों- सूक्ष्म, लघु, मध्यम और बड़े- के भौगोलिक रूप से जुड़े उद्यमों को एकजुट करके प्रतिस्पर्धात्मकता और दक्षता को बढ़ाता है। टूना क्लस्टर के विकास का उद्देश्य उच्च मूल्य वाली प्रजातियों के निर्यात को बढ़ावा देना भी है।
- मत्स्य पालन विभाग के माननीय केंद्रीय मंत्री, श्री राजीव रंजन सिंह, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के माननीय केंद्रीय मंत्री, वाणिज्य विभाग, श्री पीयूष गोयल के साथ मत्स्य पालन विभाग और समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के बीच समन्वय को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा के लिए हितधारक परामर्श की अध्यक्षता की। उनके बीच बेहतर तालमेल से भारत के मछली पकड़ने वाले समुदाय को काफी लाभ होगा और देश के समुद्री निर्यात को और बढ़ावा मिलेगा।
योजनाएँ और कार्यक्रम
पिछले दस वर्षों के दौरान भारत सरकार ने देश में मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास के लिए कई पहल की हैं, जिनमें मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि भी शामिल है। वर्ष 2015-16 में,
- नीली क्रांति योजना : भारत सरकार ने मत्स्य पालन के एकीकृत विकास और प्रबंधन के लिए केंद्र प्रायोजित नीली क्रांति योजना (सीएसएस-बीआर) प्रायोजित की है। 2015-16 से 2019-20 तक 5 वर्षों के लिए कार्यान्वित की गई अपनी बहुआयामी गतिविधियों के साथ बीआर योजना ने मत्स्य पालन क्षेत्र में लगभग 5000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
- ii. प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई): प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) को वर्ष 2020-21 में 20,050 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए शुरू किया गया था। पिछले चार वर्षों और मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान, पीएमएमएसवाई के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों के लिए 8871.42 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से के साथ 20864.29 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। पीएमएमएसवाई के तहत स्वीकृत प्रमुख परियोजनाओं में मछली पकड़ने के बंदरगाह, मछली लैंडिंग केंद्र, जलाशय पिंजरा संस्कृति, खारे और मीठे पानी की जलीय कृषि, मछुआरों का कल्याण, कटाई के बाद की बुनियादी ढांचा सुविधाएं, समुद्री शैवाल, सजावटी और ठंडे पानी की मत्स्य पालन आदि शामिल हैं।
पीएमएमएसवाई के अंतर्गत भौतिक उपलब्धियां (2020-21 से अब तक)
- अंतर्देशीय मत्स्य पालन: 52,058 पिंजरे, अंतर्देशीय जलकृषि के लिए 23285.06 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 12,081 पुनःपरिसंचरण जलकृषि प्रणालियां (आरएएस), 4,205 बायोफ्लोक इकाइयाँ, अंतर्देशीय खारा-क्षारीय पालन के लिए 3159.31 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 890 मछली और 5 स्कैम्पी हैचरी, जलाशयों और अन्य जल निकायों में 560.7 हेक्टेयर पेन और 25 ब्रूड बैंकों को मंजूरी दी गई है।
- समुद्री मत्स्य पालन: मशीनीकृत मछली पकड़ने वाले जहाजों में 2,259 जैव-शौचालय, मछली पालन के लिए 1,525 खुले समुद्र पिंजरे, मौजूदा मछली पकड़ने वाले जहाजों के 1,338 उन्नयन, खारे पानी के जलकृषि के लिए 1,580.86 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 480 गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज, 17 खारे पानी की हैचरी और 5 छोटी समुद्री फिनफिश हैचरी को मंजूरी दी गई है।
- मछुआरा कल्याण: मछुआरों के लिए 6,706 प्रतिस्थापन नौकाएँ और जाल, मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/कम अवधि के दौरान 5,94,538 मछुआरा परिवारों के लिए आजीविका और पोषण सहायता और 102 विस्तार और सहायता सेवाएँ (मत्स्य सेवा केंद्र) को मंजूरी दी गई है।
- मत्स्य पालन अवसंरचना: मछली परिवहन सुविधाओं की 27,189 इकाइयाँ अर्थात् मोटरसाइकिल (10,924), आइस बॉक्स वाली साइकिलें (9,412), ऑटो रिक्शा (3,860), इंसुलेटेड ट्रक (1,377), जीवित मछली विक्रय केंद्र (1,243), मछली फ़ीड मिल/प्लांट (1091), आइस प्लांट/शीत भंडारण (634) और प्रशीतित वाहन (373)। इसके अतिरिक्त, मछली खुदरा बाज़ारों की 6,733 कुल इकाइयाँ (188) और सजावटी कियोस्क सहित मछली कियोस्क (6,896) और 128 मूल्य वर्धित उद्यम इकाइयाँ स्वीकृत की गई हैं।
- जलीय स्वास्थ्य प्रबंधन: 19 रोग निदान केन्द्र और गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएँ, 31 मोबाइल केन्द्र और परीक्षण प्रयोगशालाएँ तथा 6 जलीय रेफरल प्रयोगशालाएँ स्वीकृत की गई हैं।
- सजावटी मत्स्य पालन: 2,465 सजावटी मछली पालन इकाइयों और 207 एकीकृत सजावटी मछली इकाइयों (प्रजनन और पालन) को मंजूरी दी गई है।
- समुद्री शैवाल की खेती: 47,245 राफ्ट और 65,480 मोनोलाइन ट्यूबों को मंजूरी दी गई है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्रों का विकास: 1722.79 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत को मंजूरी दी गई है, जिसमें 980.40 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है। इसमें 7063.29 हेक्टेयर नए तालाबों का निर्माण, एकीकृत मछली पालन के लिए 5063.11 हेक्टेयर क्षेत्र, 644 सजावटी मत्स्य पालन इकाइयाँ, 470 बायोफ्लोक इकाइयाँ, 231 हैचरी, 148 री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) और 140 फीड मिलों को मंजूरी दी गई है।
- आउटरीच गतिविधियां: डीओएफ एनएफडीबी, डब्ल्यूएफएफडी, मछली महोत्सव, मेले, प्रदर्शनी, सम्मेलन आदि द्वारा 155 लाख गतिविधियाँ, 12.63 लाख प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम, 10.88 लाख सफलता कहानियों, पैम्फलेट, ब्रोशर, पुस्तिकाओं और आउटरीच अभियान आदि का वितरण।
- अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियाँ: 2,494 सागर मित्र और 102 मत्स्य सेवा केन्द्रों को मंजूरी दी गई।
- प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (पीएमएमकेएसएसवाई): “प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई), वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्षों की अवधि के लिए चल रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत एक उप-योजना के रूप में ₹6000 करोड़ के अनुमानित परिव्यय से 11 सितंबर, 2024 को पीएमएमएसवाई की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर शुरू की गई थी। मत्स्य पालन क्षेत्र को लचीला बनाने और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में दक्षताओं को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए, विभाग 6000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र उप-योजना "प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएमएमकेएसएसवाई)" को कार्यान्वित कर रहा है। पीएमएमकेएसएसवाई का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को औपचारिक बनाना, जलकृषि बीमा को प्रोत्साहित करना, मत्स्य पालन सूक्ष्म और लघु उद्यम मूल्य श्रृंखला दक्षता, सुरक्षित मछली उत्पादन के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता प्रणाली को अपनाना आदि है।
उद्देश्य:
- सेवा वितरण के लिए कार्य आधारित डिजिटल पहचान के सृजन सहित असंगठित मत्स्य पालन क्षेत्र का क्रमिक औपचारिकीकरण।
- अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए कार्यशील पूंजी सहित संस्थागत वित्त तक पहुँच को सुगम बनाना।
- जलकृषि बीमा खरीदने के लिए एकमुश्त प्रोत्साहन।
- मूल्य-श्रृंखला दक्षताओं में सुधार लाने और रोजगार सृजन के लिए मत्स्य पालन और जलकृषि सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित करना
- सुरक्षित मछली और मत्स्य उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लिए मत्स्य पालन क्षेत्र में सूक्ष्म और लघु उद्यमों को प्रोत्साहित करना
- मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखलाओं का एकीकरण एवं समेकन।
- मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) : मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए अवसंरचना की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, वर्ष 2018-19 में मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) की शुरुआत की गई थी, जिसका कुल निधि आकार 7522.48 करोड़ रुपये है। यह निधि मत्स्य पालन से संबंधित परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और अनुसूचित बैंकों के माध्यम से रियायती वित्त प्रदान करती है।
- एफआईडीएफ के अंतर्गत मत्स्य पालन बंदरगाहों, मछली अवतरण केंद्रों और मछली प्रसंस्करण इकाइयों सहित 5794.09 करोड़ रुपये के परिव्यय वाले कुल 132 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। स्वीकृत परियोजनाओं से मत्स्य पालन क्षेत्र में 5794 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया गया है, जिसमें से 300 करोड़ रुपये की राशि निजी उद्यमों से जुटाई गई है।
- स्वीकृत परियोजनाओं में 22 मछली पकड़ने के बंदरगाह, 24 मछली उतारने के केंद्र, 4 प्रसंस्करण संयंत्र, मछली पकड़ने के बंदरगाह में 6 अतिरिक्त सुविधाएं, 8 बर्फ संयंत्र/शीत भंडारण, 6 प्रशिक्षण केंद्र, 21 मछली बीज फार्मों का आधुनिकीकरण आदि शामिल हैं।
- एफआईडीएफ के पहले चरण में, पूरी हो चुकी परियोजनाओं ने 8100 से अधिक मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए सुरक्षित लैंडिंग और बर्थिंग सुविधाएँ बनाईं, 1.09 लाख टन मछलियों की लैंडिंग में वृद्धि की, जिससे लगभग 3.3 लाख मछुआरों और अन्य हितधारकों को लाभ हुआ और 2.5 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए।
- किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी): भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 से मछुआरों और मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा प्रदान की है, ताकि उन्हें अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल सके। मछुआरों और मछली पालकों को अब तक 2,810 करोड़ रुपये की ऋण राशि के साथ कुल 4.39 लाख केसीसी स्वीकृत किए गए हैं।
योजना/पहल का प्रभाव
- पिछले 10 वर्षों के दौरान कार्यान्वित की गई योजनाओं और कार्यक्रमों में मछुआरों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके तहत मछली पकड़ने पर प्रतिबंध/कम मछली पकड़ने की अवधि के दौरान प्रतिवर्ष औसतन 4.33 लाख मछुआरा परिवारों को आजीविका और पोषण सहायता प्रदान की गई, जिसका कुल परिव्यय 1681.21 करोड़ रुपये था।
- इसके अतिरिक्त, 89.25 करोड़ रुपये के निवेश से 184.32 लाख मछुआरों को समूह दुर्घटना बीमा कवरेज प्रदान किया गया।
- नीली क्रांति के अंतर्गत 256.89 करोड़ रुपये के परिव्यय से मछुआरों के लिए 18481 आवास इकाइयों को समर्थन दिया गया।
- मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार द्वारा 2014-15 से क्रियान्वित विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर्गत 74.66 लाख रोजगार के अवसर (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों) सृजित किए गए हैं।
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एमजी/केसी/एसजी
(Release ID: 2084012)
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