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प्रगति : विकास और जवाबदेही की ओर एक कदम


ऑक्सफोर्ड अध्ययन ने भारत की प्रमुख परियोजनाओं को गति देने में 'प्रगति' की भूमिका को रेखांकित किया है

Posted On: 03 DEC 2024 6:23PM by PIB Delhi

परिचय
गेट्स फाउंडेशन की ओर से समर्थित ऑक्सफोर्ड के सैद बिजनेस स्कूल द्वारा एक अभूतपूर्व केस स्टडी की गई। इसका शीर्षक 'ठहराव से विकास तकः कैसे नेतृत्व भारत के प्रगति पारिस्थितिकी तंत्र को शक्ति प्रगति में सक्षम बनाता है' ने प्रगति (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) को भारत के डिजिटल गवर्नेंस परिदृश्य में एक गेम-चेंजर के रूप में उजागर किया है। अध्ययन से पता चलता है कि इस अभिनव मंच ने मार्च 2015 में अपनी स्थापना के बाद से 205 बिलियन डॉलर की 340 से अधिक महत्वपूर्ण परियोजनाओं में तेजी लाने में मदद की है, जो देश भर में तेजी से बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास की पहलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

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यह प्रभाव इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे प्रगति के अभिनव दृष्टिकोण ने प्रौद्योगिकी संचालित सहयोग के माध्यम से शासन में दूरी को कम किया है। डिजिटल डेटा प्रबंधन, विडियो-कॉन्फ्रेंसिंग और भू-स्थानिक मानचित्रण को एकीकृत करके यह प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के बीच निर्बाध सहयोग को सक्षम बनाता है। यह प्रत्यक्ष जुड़ाव सुनिश्चित करता है कि मुद्दों को वास्तविक समय में हल किया जाए। प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं और इसकी अड़चनों को दूर कर रहे हैं। इस तरह के समग्र दृष्टिकोण ने जवाबदेही और कार्यक्षमता की संस्कृति का निर्माण किया है, जिससे प्रगति सहकारी संघवाद और अभिनव शासन का एक मॉडल बन गई है।

प्रमुख हितधारकों को जोड़ने और जमीनी स्तर के तथ्यों का नवीनतम खाका प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया प्रगति प्रधानमंत्री को अभूतपूर्व कुशलता के साथ मुद्दों की निगरानी, मूल्यांकन और समाधान करने का अधिकार देता है। जैसा कि अध्ययन में बताया गया है कि शासन को सुव्यवस्थित करने के लिए मंच की परिकल्पना ने न केवल निर्णय लेने में क्रांति ला दी है बल्कि ई-गवर्नेंस और सुशासन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी मजबूत किया है।

प्रगति की प्रमुख विशेषताएं

भारत सरकार द्वारा प्रमुख कार्यक्रमों और परियोजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन।
राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि उनकी चिंताओं का समाधान किया जाए।

परियोजना कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना।
अनुवर्ती और निरंतर समीक्षा के लिए निर्णयों को बनाए रखने की अंतर्निहित सुविधा।
विभिन्न साझेदारों के बीच वास्तविक समय में सहयोग और आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।

कार्यान्वयन संबंधी मुद्दों को हल करने और परियोजना को शीघ्र पूरा करने में प्रधानमंत्री कार्यालय को सक्षम बनाता है।

सरकारी एजेंसियों में परस्पर निर्भरता के कारण परियोजनाओं में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।

यह तीन स्तरीय आईटी-आधारित प्रणाली के साथ काम करता है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार के सचिव और राज्य के मुख्य सचिव शामिल हैं।

केस स्टडी के निष्कर्ष

2015 में अपनी स्थापना के बाद से प्रगति भारत के बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र के विकास को बदलने में एक प्रेरक शक्ति रही है। सक्रिय नेतृत्व, रणनीतिक परियोजना चयन और एक मजबूत डिजिटल प्रशासन ढांचे के माध्यम से इस मंच ने विभिन्न उच्च प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में जटिल चुनौतियों का समाधान किया है। केस स्टडी से पता चलता है कि कैसे प्रगति ने बुनियादी ढांचे के विकास में प्रगति को तेज किया है, बाधाओं को दूर किया है, राज्यों में सहयोग को बढ़ावा दिया है और प्रमुख सामाजिक उपक्रमों का सहयोग किया है, जिससे देश की विकास गति में काफी सुधार हुआ है।

यहां प्रमुख निष्कर्ष दिए गए हैं :

बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाना

2015 में अपनी शुरुआत के बाद से प्रगति भारत के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बदलने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है। जून 2023 तक इस प्लैटफॉर्म ने 17.05 लाख करोड़ रुपये (205 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की 340 परियोजनाओं की समीक्षा की थी, जिससे कार्यान्वयन में काफी तेजी आई। इसमें 50,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास और देश के हवाई अड्डों को दोगुना करना शामिल है, जो एक दशक की अभूतपूर्व प्रगति को दर्शाता है।

इन 340 परियोजनाओं का चयन अत्यधिक रणनीतिक था, जो राष्ट्रीय महत्व की पहलों पर केंद्रित थे जो अद्वितीय और जटिल चुनौतियां पेश करते थे। प्रगति ने प्रमुख परियोजनाओं से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिन्हें निष्पादन के मामले में सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है।

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प्रगति का दायरा विभिन्न प्रकार के बुनियादी ढांचे को शामिल करता है। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा सड़क, रेलवे और बिजली संयंत्रों पर केंद्रित है, जो आर्थिक विकास के मूलभूत तत्व हैं। ये लक्ष्य-उन्मुख पहल बाधाओं को दूर करती हैं और आर्थिक रिटर्न को अधिकतम करती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के अध्ययनों से पता चलता है कि बुनियादी ढांचे में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये से सकल घरेलू उत्पाद में 2.5 रुपये से 3.5 रुपये का लाभ होता है।

शीर्ष नेतृत्व

प्रधानमंत्री की सक्रिय भागीदारी ने प्रगति की सफलता को प्रेरित किया है, जिससे 340 महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की गति सुनिश्चित हुई है। सीधे प्रगति की समीक्षा, समयसीमा का निर्धारण और नौकरशाही अड़चनों को दूरकर उनके नेतृत्व में कई रुकी हुई पहलों को पुनर्जीवित किया गया और जवाबदेही की संस्कृति का निर्माण किया गया। उदाहरण के लिए झारखंड में 2006 से विलंबित पकरी बरवाडीह कोयला खदान में 2016 में पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद तेजी से प्रगति हुई। इसके परिणामस्वरूप 2019 में इसे पूरा किया गया। इस व्यावहारिक दृष्टिकोण में अक्षमताओं को दूर करने के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना शामिल है। 2017 में प्रधानमंत्री ने रेल मंत्रालय को परियोजना अनुमोदन में देरी को दूर करने का निर्देश दिया। इसके परिणामस्वरूप 2020 में एक इलेक्ट्रॉनिक ड्रॉइंग अनुमोदन प्रणाली बनाई गई। इस नवाचार ने अनुमोदन की समय-सीमा को काफी कम कर दिया, जिससे मंत्रालयों में कार्यक्षमता बढ़ गई।

प्रगति के प्रभाव के केंद्र में सहयोग भी रहा है। एन्नोर-थिरुवल्लूर-बंगलुरु गैस पाइपलाइन को लेकर तीन राज्यों में भूमि संबंधी समस्याएं थीं। प्रधानमंत्री ने विवादों को हल करने के लिए एक एकल कार्यान्वयन एजेंसी बनाने का आग्रह किया। इस निर्णायक कार्रवाई ने जनवरी 2024 में परियोजना के पूरा होने को सुनिश्चित किया, जो समन्वय और समय पर निष्पादन के लिए उत्प्रेरक के रूप में प्रगति की भूमिका का उदाहरण है।


जवाबदेही तय करना और अड़चनों को दूर करना

प्रगति ने अधिकारियों के बीच तात्कालिकता की भावना पैदा की और उन्हें परियोजनाओं की समीक्षा से पहले समस्याओं को हल करने के लिए प्रोत्साहित किया। मासिक समीक्षा में प्रधानमंत्री की भागीदारी की बढ़ती संभावना अक्सर हितधारकों को देरी से निपटने के लिए प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के लिए अपनी प्रगति समीक्षा से पहले के पांच महीनों में राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन ने सार्वभौमिक इंटरनेट पहुंच के अपने लक्ष्य में तेजी लाते हुए विभिन्न प्राधिकरणों से अपनी आधी लंबित स्वीकृतियां हासिल कर ली।

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यह मंच हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। साथ ही लंबे समय से चले आ रहे विवादों को दूर करता है। एनएच 48 के दहिसर-सूरत खंड का विस्तार जो पर्यावरण मंजूरी के कारण रुका हुआ था, 2017 में प्रगति में शामिल होने के बाद इसका समाधान होते देखा गया।

 

राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने निर्णय लेने का अधिकार महाराष्ट्र के राज्य बोर्ड को सौंपा, जिसने वर्षों से चले आ रहे गतिरोध को तोड़ते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करते हुए परियोजना को मंजूरी दी।

प्रगति हितधारकों को उलझे हुए मुद्दों को सुलझाने का अधिकार भी देती है। हरिदासपुर-पारादीप रेल लिंक के मामले में प्रगति ने विकास प्रक्रिया को खोलते हुए अपने वित्तीय ढांचे में विवादास्पद निवेशकों को कमजोर करने के लिए शिपिंग मंत्रालय को अधिकार दिया। यहां तक कि प्रगति त्वरित कार्रवाई को प्रोत्साहित करती है। इसी वजह से अनसुलझी चुनौतियों से बचने के लिए हितधारक मंच पर आने से बचते हैं।

 

डिजिटल गवर्नेंस इकोसिस्टम

अध्ययन में भारत के उल्लेखनीय डिजिटल परिवर्तन पर प्रकाश डाला गया है। इसमें दिखाया कहा गया है कि कैसे प्रगति, पीएम गति शक्ति, परिवेश और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप (पीएमजी) पोर्टल जैसे प्लैटफॉर्मों ने शासन और बुनियादी ढांचे के विकास में क्रांति ला दी है। प्रगति परियोजना की निगरानी और निष्पादन को सुव्यवस्थित करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ड्रोन फीड और केंद्रीकृत डेटा सिस्टम जैसे उपकरणों को एकीकृत करती है। इसका एक उदाहरण दहिसर-सूरत राजमार्ग परियोजना है, जहां जीपीएस ट्रैकिंग ने संसाधन उपयोग में सुधार कर देरी को कम किया। परिवेश ने पर्यावरण और वन मंजूरी प्रक्रियाओं में काफी तेजी ला दी है। समयसीमा को 600 दिनों से घटाकर 70-75 दिन कर दिया है। वन मंजूरी के लिए अब केंद्रीय अनुमोदन के लिए केवल 20-29 दिनों की आवश्यकता होती है। इसका स्वचालन और डिजीटल वर्कफ्लो पारदर्शिता, कार्यक्षमता और पर्यावरणीय अनुपालन का पालन सुनिश्चित करते हैं। पीएम गति शक्ति एक केंद्रीकृत पोर्टल और भू-स्थानिक उपकरणों का उपयोग करके अंतर-मंत्रालयी समन्वय को बढ़ाती है, जो स्थायी परियोजना को सक्षम बनाती है, जैसा कि पुणे-बंगलुरु एक्सप्रेसवे के लिए मार्ग समायोजन द्वारा प्रदर्शित किया गया है, जिसने पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया और लागत को भी घटा दिया। पीएमजी पोर्टल सभी प्लैटफॉर्मों पर डेटा को समेकित करता है, बुनियादी ढांचे की परियोजना पर नजर रखने के लिए एक एकीकृत प्रणाली बनाता है और पूर्वानुमानित निगरानी के लिए एआई को एकीकृत करता है। साथ में ये प्लैटफॉर्म एक एकीकृत डिजिटल गवर्नेंस इकोसिस्टम बनाते हैं, जो विकास को गति देते हैं, सहयोग को बढ़ावा देते हैं और भारत के बुनियादी ढांचे क्षेत्र के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देते हैं।

सामाजिक क्षेत्र में प्रगति

प्रगति ने सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे लाखों भारतीयों के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। प्रमुख कार्यक्रमों को प्रधानमंत्री के दायरे में लाकर मंच ने समन्वय को बढ़ाया है और सेवा वितरण में तेजी लाई है, जीवन स्तर, संपर्क और आवश्यक सेवाओं में सुधार किया है।

इसका प्रमुख उदाहरण जल जीवन मिशन है, जिसका लक्ष्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल का पानी कनेक्शन उपलब्ध कराना है। प्रगति समीक्षाओं ने तेजी से प्रगति की सुविधा प्रदान की है, जिससे 2019 में ग्रामीण घरों में पानी की सुविधा का प्रतिशत 17% से बढ़कर 2024 में 74% हो गया है। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के तहत 100 मिलियन से अधिक शौचालय बनाए गए, जो खुले में शौच और भूजल प्रदूषण पर अंकुश लगाकर बेहतर स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में योगदान दे रहा है। इसके अतिरिक्त सौभाग्य योजना ग्रामीण परिवारों को मुफ्त बिजली प्रदान करती है और प्रगति की देखरेख में सार्वभौमिक विद्युतीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

इन उपायों के अलावा प्रगति बैठकें सरकारी सेवाओं के प्रदर्शन पर भी ध्यान केंद्रित करती हैं। उदाहरण के लिए पासपोर्ट जारी करने में देरी के बारे में बार-बार शिकायतों के बाद विदेश मंत्रालय ने प्रगति की जांच के तहत सुधारों को लागू किया, जिसने प्रोसेस टाइम को 16 दिनों से घटाकर 7 दिन कर दिया। इस तरह के उच्च-स्तरीय निरीक्षण से सरकारी सेवाओं में प्रणालीगत सुधार हुआ है, जिससे समग्र प्रतिक्रियाशीलता और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई है।


राज्यों के बीच सहयोग

2015 में अपनी स्थापना के बाद से प्रगति ने 'टीम इंडिया' की अवधारणा को मूर्त रूप देते हुए राज्यों में सहयोग को बढ़ावा दिया है-राष्ट्रीय विकास के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण जो राजनीतिक विभाजन से परे है। प्रगति की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा ने केंद्र-राज्य बातचीत में क्रांति ला दी है। यह मंच एक तटस्थ स्थान प्रदान करता है जहां विकास के लक्ष्य राजनीतिक मतभेदों से पहले होते हैं। प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रालय के सचिवों और राज्य के मुख्य सचिवों को एक मंच पर एक साथ लाते हुए प्रगति प्रत्यक्ष संचार की सुविधा प्रदान करती है, जिससे पारंपरिक नौकरशाही की कमियों को खत्म करते हुए अंतर-राज्य और केंद्र-राज्य के मुद्दों का तेजी से समाधान किया जा सकता है।

प्रगति केंद्रीय मंत्रालयों को भी संरेखित करती है, जिससे शासन के लिए एक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण तैयार होता है। प्रगति यह सुनिश्चित करती है कि सभी विभागों में पारदर्शिता को सक्षम करके निर्णय सभी प्रासंगिक हितधारकों को दिखाई दें। यह साझा दृश्यता और डेटा-साझाकरण देरी को कम करता है और परियोजनाओं को नौकरशाही बाधाओं में फंसने से रोकता है, यह सुनिश्चित करता है कि विकास सुचारू रूप से और कुशलता से जारी रहे।

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वैश्विक लीडर्स के लिए डिजिटल शासन सबक

प्रगति अपने देशों में बुनियादी ढांचे के विकास में बदलाव लाने के इच्छुक वैश्विक लीडर्स के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करती है। नियमित जवाबदेही समीक्षाओं को अपनाकर, समावेशी सहयोगात्मक ढांचे को बढ़ावा देकर और निर्णय लेने में व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करके राष्ट्र अपनी कार्यक्षमता को बढ़ा सकते हैं और अपने विकास लक्ष्यों में अधिक से अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं। बेहतर समन्वय के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, जैसा कि प्रगति अपने डिजिटल प्लैटफॉर्मों के साथ करता है, देशों को प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और परियोजना वितरण में सुधार करने में सक्षम बनाता है।


ये सबक विशेष रूप से उन विकासशील देशों के लिए प्रासंगिक हैं जो बुनियादी ढांचे को आर्थिक विकास का प्रमुख चालक बनाना चाहते हैं। हालांकि ऐसी प्रणालियों में परिवर्तन के लिए प्रारंभिक निवेश और सांस्कृतिक बदलाव की आवश्यकता हो सकती है, अधिक विश्वसनीय बुनियादी ढांचे और बढ़े हुए सार्वजनिक विश्वास के दीर्घकालिक लाभ लागत से कहीं अधिक होंगे। प्रगति के उदाहरण का अनुसरण करके देश एक मजबूत, अधिक टिकाऊ विकास की नींव का निर्माण कर सकते हैं।

निष्कर्ष
गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित ऑक्सफोर्ड के सैद बिजनेस स्कूल द्वारा की गई केस स्टडी प्रगति को डिजिटल प्रशासन के लिए एक परिवर्तनकारी मॉडल के रूप में उजागर करती है, जो बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं में तेजी लाने में इसकी प्रभावशीलता को प्रदर्शित करती है। प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके, सहयोग को बढ़ावा देकर और जवाबदेही सुनिश्चित करके प्रगति ने नौकरशाही बाधाओं को दूर करने और राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस केस स्टडी से प्राप्त जानकारी वैश्विक लीडर्स विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करती है कि कैसे अधिक कुशल प्रशासन और सतत विकास के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाया जाए। प्रगति की सफलता शासन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की शक्ति का उदाहरण देती है, जो अन्य देशों को अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक खाका पेश करती है।

संदर्भ
 

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