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अंतर्राष्ट्रीय जूरी अध्यक्ष, आशुतोष गोवारिकर ने कहा- चयन प्रक्रिया तकनीकी विशेषज्ञता से आगे बढ़कर, भावनात्मक प्रतिध्वनि, मौलिकता और रचनात्मकता पर ध्यान केंद्रित करती है


अंतर्राष्ट्रीय जूरी सदस्य एलिजाबेथ कार्लसन ने कहाः महान कहानियां विश्वव्यापी होती हैं

महान फिल्में दर्शकों के साथ सार्वभौमिक भावनात्मक सम्बंध स्थापित करती हैं: अंतर्राष्ट्रीय जूरी सदस्य, एंथनी चेन

12 अंतर्राष्ट्रीय और 3 भारतीय फिल्में, सर्वश्रेष्ठ फिल्म के गोल्डन पीकॉक पुरस्कार की दौड़ में शामिल हैं, पुरस्कार की घोषणा कल आईएफएफआई  के समापन समारोह में की जाएगी

अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जूरी आईएफएफआई 2024 में प्रेस से मिली

55 वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) 2024 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता श्रेणी के निर्णायक मंडल ने आज गोवा में मीडिया को संबोधित किया। इस वर्ष के महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) और विशेष निर्णायक मंडल पुरस्कार सहित प्रमुख श्रेणियों में विजेताओं का चुनाव करने के लिए एक प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक निर्णायक मंडल का गठन किया गया है। प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारिकर के नेतृत्व में निर्णायक मंडल में अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा विशेषज्ञों का एक प्रतिष्ठित पैनल शामिल है।

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जूरी पैनल में शामिल सदस्य इस प्रकार हैं:

· सिंगापुरी निर्देशक एंथनी चेन

· ब्रिटिश अमेरिकी निर्माता एलिजाबेथ कार्लसन

· स्पेनिश निर्माता फ्रान बोर्गिया

· ऑस्ट्रेलियाई फिल्म संपादक जिल बिलॉक

महोत्सव के गोल्डन पीकॉक पुरस्कार विजेता को महोत्सव के शीर्ष सम्मान के साथ 40 लाख रूपए का पुरस्कार मिलेगा। इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए संस्कृतियों और सिनेमाई कलात्मकता की समृद्ध विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाली 12 अंतर्राष्ट्रीय और 3 भारतीय यानि कुल 15 फ़िल्में चुनी गई हैं।

जूरी के अध्यक्ष आशुतोष गोवारिकर ने गोवा के जीवंत माहौल और इस उत्सव को करीब से देखने के अवसर को लेकर अपने उत्साह के बारे में बताया। उन्होंने जूरी सदस्यों के बीच अद्वितीय सौहार्द को उजागर करते हुए फिल्मों में उनकी साझा रुचि को नोट किया। उन्होंने बताया कि चयन प्रक्रिया तकनीकी विशेषज्ञता से कहीं आगे बढ़कर भावनात्मक प्रतिध्वनि, मौलिकता और रचनात्मकता पर केंद्रित थी। गोवारिकर ने इस बात पर जोर दिया कि बेहतरीन फिल्में नए दृष्टिकोण लेकर आती हैं, जिससे दर्शकों को विविध संस्कृतियों से जुड़कर सीखने और आगे बढ़ने में मदद मिलती है।

गोवारिकर ने यह भी बताया कि फिल्मों की तुलना करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन पुरस्कार का उद्देश्य एक ऐसी फिल्म का चयन करना है जो सबसे अलग हो। उन्होंने जूरी की आपसी बातचीत के बारे में बताया कि उनके अलग-अलग दृष्टिकोणों को लेकर गहन चर्चाएं हुई और उनमें खासकर सांस्कृतिक अंतर और फिल्मों के भावनात्मक पहलुओं की तलाश की गई।

 

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एलिज़ाबेथ कार्लसन ने विश्वव्यापी कहानी कहने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि महान कहानियों और विचारों में राजनीतिक सीमाओं की परवाह किए बिना देश-देशांतर की सीमाओं को पार करने की शक्ति होती है। उन्होंने फिल्मों की भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रतिध्वनि पर प्रकाश डाला, जिसमें कई फिल्में उत्पीड़न के खिलाफ व्यक्तिगत जीत के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। कार्लसन ने वैश्विक सिनेमा में एक सशक्त और सकारात्मक बदलाव के रूप में, अपनी पहली ही फिल्म या दूसरी बार फिल्म बनाने वाले निर्देशकों की और विशेष रूप से महिलाओं द्वारा बनाई गई फिल्मों में अविश्वसनीय वृद्धि का भी उल्लेख किया।

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एंथनी चेन ने महोत्सव से अपने जुड़ाव को साझा करते हुए आईएफएफआई में आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पदक जीतने वाली अपनी एक फिल्म को मिले सम्मान के बारे में बताया। फिल्म निर्माण की चुनौतियों पर विचार करते हुए, उन्होंने इसे अक्सर आत्म-संदेह और निरंतर प्रश्नों से भरी यात्रा के रूप में वर्णित किया। फिर भी, उन्होंने दर्शकों के साथ सार्वभौमिक भावनात्मक सम्बंध बनाने के लिए महान फिल्मों के महत्व पर प्रकाश डाला। चेन, सिनेमा को लेखक, निर्देशक और संपादक के बीच एक गतिशील बातचीत मानते है, जिसमें फिल्मांकन और संपादन के दौरान पटकथा लगातार विकसित होती रहती है।

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फ्रान बोर्गिया ने जूरी सदस्यों के बीच हुई समृद्ध चर्चा की भी प्रशंसा की और बताया कि कैसे दुनिया भर की फ़िल्में देखने से उन्हें अलग-अलग संस्कृतियों और दृष्टिकोणों को जानने का मौका मिला। उन्होंने गहन व्यक्तिगत कहानियों से लेकर व्यापक सामाजिक मुद्दों को दर्शाने वाली फ़िल्मों की विविधता पर भी अपने विचार साझा किए।

श्री धर्मेन्द्र तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का संचालन किया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस यहां देखें:

55 वें आईएफएफआई में प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक पुरस्कार की दौड़ में हिस्सा लेने वाली  फिल्में इस प्रकार है:

1. फियर एंड ट्रेम्बलिंग (टार्स ओ लार्ज़) निर्देशक: मनीजेह हेकमत, फ़ेज़ अज़ीज़खानी

2. बेल्किस बराक द्वारा निर्देशित-  गुलिज़ार (Gülizar)

3. लुईस कौरवोज़ियर द्वारा निर्देशित- होली काउ (विंग्ट डिएक्स)

4. इसीर बोलेन द्वारा निर्देशित- मैं नेवेनका हूं (सोय नेवेनका) 

5. जॉर्ज सिकरहुलिद्ज़े द्वारा निर्देशित- पैनोप्टीकॉन (पैनोप्टिकोनी)  

6. नेलिसिया लो द्वारा निर्देशित- पियर्स (Cì xīn qiè gŭ) -

7. लोटफी अचौर द्वारा निर्देशित- रेड पाथ (लेस एनफैंट रूज)  

8. सोफी डेरास्पे द्वारा निर्देशित- शेफर्ड्स (बर्गर्स)

9. बोगदान मुरेसनु द्वारा निर्देशित- द न्यू ईयर दैट नेवर केम (एनुल नो केयर ना फोस्ट)

10. सौले ब्लुवेटे द्वारा निर्देशित- टॉक्सिक (अकिप्लासा)  

11. जिरी माडल द्वारा निर्देशित- वेव्स (वीएलएनवाई) 

12. मरियम जोबूर द्वारा निर्देशित- हू डू आई बिलॉन्ग टू (मे एल ऐन)

13. आदित्य सुहास जम्भाले द्वारा निर्देशित- अनुच्छेद 370

14. निखिल महाजन द्वारा निर्देशित- रावसाहेब 

15. ब्लेसी द्वारा निर्देशित- द गोट लाइफ (आदुजीविथम)

 

इन फिल्मों का चयन उनकी अनूठी कलात्मक दृष्टि, सांस्कृतिक प्रासंगिकता और भावनात्मक गहराई के लिए किया गया है, जो दुनिया भर के विविध दृष्टिकोणों को दर्शाती हैं। पुरस्कार के लिए चयन किए जाने वाली फिल्मों और महोत्सव के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें।

(https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2073053)

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