सूचना और प्रसारण मंत्रालय
'फिल्मों की समीक्षा: आलोचना से लेकर सिनेमा को समझने तक' - मीडिया प्रतिनिधियों को इफ्फी 2024 में फिल्मों के मूल्यांकन के लिए प्रशिक्षित किया गया
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई), पुणे के सहयोग से गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों के लिए 'रिव्यूइंग फिल्म्स: फ्रॉम क्रिटिकिंग टू रीडिंग सिनेमा' विषय पर एक फिल्म मूल्यांकन पाठ्यक्रम का आयोजन किया। यह पाठ्यक्रम विशेष रूप से इफ्फी मीडिया प्रतिनिधियों के लिए आयोजित किया गया था, जो फिल्मों के विभिन्न पहलुओं के महत्व पर केंद्रित था। इस पाठ्यक्रम का नेतृत्व एफटीआईआई, पुणे के डॉ. इंद्रनील भट्टाचार्य, प्रोफेसर अमलान चक्रवर्ती और सुश्री मालिनी देसाई जैसे फिल्म उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने किया था।
प्रोफेसर डॉ. इंद्रनील भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों को 'फिल्म विश्लेषण के सिद्धांत' से रूबरू कराया। इसके बाद प्रोफेसर अमलान चक्रवर्ती के नेतृत्व में 'एडिटिंग एज़ एन आर्टिस्टिक टूल' पर एक सत्र आयोजित किया गया। एक अन्य सत्र में, प्रो. मालिनी देसाई ने 'लाइट एज़ ए ड्रामेटिक टूल' के महत्व के बारे में जानकारी दी।
प्रोफेसर अमलान चक्रवर्ती ने फिल्म मूल्यांकन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "फिल्म का मूल्यांकन केवल उसकी प्रशंसा के बारे में नहीं है, बल्कि फिल्म की समझ के लिए भी है। हर फिल्म को अपने दर्शकों को प्रभावित करने के लिए बनाया जाता है। कुछ फिल्में आपके साथ रह जाती हैं, और आपको पूछने की जरूरत होती है कि ऐसा क्यों होता है।” उन्होंने ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि ‘लापता लेडीज़’ के ज़रिए फिल्मों के भीतर छिपे गहरे सामाजिक अर्थों को चित्रित किया।
प्रोफेसर भट्टाचार्य ने बाद में लघु फिल्मों के विश्लेषण पर केंद्रित एक विशेष सत्र आयोजित किया, जिसमें प्रतिभागियों के साथ लघु-रूप सिनेमा की संरचना और कहानी कहने की तकनीकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की गई।
एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक श्री पृथुल कुमार ने मीडिया को सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और फिल्मों को बढ़ावा देने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने फिल्मों को समझने के महत्व के बारे में कहा, "फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स, फिल्मी दुनिया में गहराई तक जाने में मददगार साबित होगा, जिससे मीडिया को उसके बारे में समझने और लिखने में मदद मिलेगी।“
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पश्चिम क्षेत्र की महानिदेशक, सुश्री स्मिता वत्स शर्मा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा, “यह पाठ्यक्रम गोवा और देश भर के प्रतिनिधियों सहित भारतीय मीडिया के लिए उपलब्ध था, क्योंकि मीडिया सिनेमाई उत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और फिल्मों को देश और दुनिया के हर कोने तक पहुंचाता है। इसलिए हमारे मीडिया पेशेवरों की सुविधा के लिए इफ्फी के दौरान इस पाठ्यक्रम का समय निर्धारित किया गया।” उन्होंने इस पाठ्यक्रम के लिए एफटीआईआई को उसके अमूल्य समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया।
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) मुंबई के संयुक्त निदेशक, सैय्यद रबी हाशमी ने न केवल फिल्मों का जश्न मनाने, बल्कि उनके जटिल विवरणों पर जानकारी जुटाने पर जोर दिया।
प्रोफेसर मालिनी देसाई ने इस तरह की पहल के महत्व के बारे में जोर देकर कहा, “विचारों के आदान-प्रदान और दुनिया को सिनेमा की कला को समझाने में मीडिया एक बेहद अहम भूमिका निभाता है। फिल्म निर्माताओं के रूप में हम भी अपने नज़रिए को दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं। मीडिया और फिल्म निर्माताओं के बीच इस संवाद ने एक-दूसरे के नज़रिए के बारे में हमारी समझ को काफी समृद्ध किया।”
वर्ष 1999 से इफ्फी को कवर करने वाली पत्रकार और प्रतिभागी, स्क्रीन ग्राफिया से जुड़ी सुश्री हर्षिता ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, "फिल्म पत्रकारों को शिक्षित करने के लिए मंत्रालय की यह पहल बेहद सराहनीय है। यह फिल्मों के बारे में उनके ज्ञान को और बढ़ाएगा। मुझे उम्मीद है कि यह पाठ्यक्रम भविष्य के आयोजनों में भी दोहराया जाएगा।"
चार दशकों से इफ्फी में भाग ले रहे वयोवृद्ध पत्रकार श्री सत्येंद्र मोहन ने कहा, ''मैं 1983 से इफ्फी में भाग ले रहा हूं। यह सत्र बहुत जानकारीपूर्ण और शैक्षिक था। यह पत्रकारों को बहुत अधिक बारीकी से फिल्मों का मूल्यांकन करने में मदद करेगा, जिससे 55वें इफ्फी की अहमियत और बढ़ेगी।“
यह कार्यक्रम समापन सत्र के साथ खत्म हुआ। इस सत्र में भाग लेने वाले 30 से अधिक मीडिया प्रतिनिधियों को प्रमाण पत्र दिए गए, जिसमें फिल्मों के मूल्यांकन की उनकी समझ को और बढ़ाने संबंधी प्रयासों की सराहना की गई।
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एमजी/केसी/जेके/एसके
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