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हज यात्रा में समावेशिता और समानता को बढ़ाना

Posted On: 09 NOV 2024 11:33AM by PIB Delhi

परिचय

इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज, सऊदी अरब में मक्का की एक पवित्र तीर्थयात्रा है, जिसे मुसलमान अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार करने की ख्वाहिश रखते हैं। हर साल, लाखों लोग भक्ति और आध्यात्मिकता की साझा भावना से प्रेरित होकर मक्का में इकट्ठा होते हैं। हज की अहमियत को समझते हुए, भारत सरकार ने खासकर कम आय वाले लोगों के लिए इस तीर्थयात्रा को सुविधाजनक बनाने के कई प्रावधान किए हैं। विशेष रूप से भिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करने वाली महिलाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए तीर्थयात्री सहायता तथा सुविधा कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। मौजूदा वक्त में जारी सुधारों और नीतिगत बदलावों ने हज के अनुभव को और समृद्ध किया है, जिससे समावेशिता को बढ़ावा मिला है। इस दौरान यह सुनिश्चित किया गया है कि मुस्लिम समुदाय के विभिन्न वर्ग इस आध्यात्मिक यात्रा में भाग ले सकें।

पृष्ठभूमि

बंबई शहर का हज के साथ पुराना संबंध रहा है, क्योंकि ब्रिटिश शासन के वक्त से ही मुसलमान इसी बंदरगाह से समुद्री मार्ग के ज़रिए अपनी इस पवित्र यात्रा पर निकलते थे। बंबई हज समिति की स्थापना 1927 में हुई थी, जिसमें तत्कालीन पुलिस आयुक्त श्री डी. हीली, एस्क, अन्य मुस्लिम जन प्रतिनिधियों के साथ इसके अध्यक्ष थे। समिति की पहली औपचारिक बैठक 14 अप्रैल 1927 को हुई। श्री मुस्तफा फकीह हज समिति अधिनियम 1959 के तहत गठित हज समिति के पहले अध्यक्ष बने।

यात्रा के तरीकों का विकास

साल 1994 तक करीब 5,000 तीर्थयात्री बम्बई से जहाज़ द्वारा यात्रा करते थे, जबकि करीब 20,000 तीर्थयात्री हवाई मार्ग से यात्रा करते थे। हालाँकि 1995 में, हज यात्रियों के लिए समुद्री यात्रा बंद कर दी गई, फिर सभी तीर्थयात्री हवाई यात्रा करने लगे। नतीजतन, लोगों के यात्रा पर निकलने के लिए अतिरिक्त स्थान बनाए गए, जो साल दर साल बढ़ते गए।

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हज प्रबंधन का विविधिकरण

आरोहण स्थलों की बढ़ती संख्या के चलते भारतीय हज समिति के भीतर देश भर से उचित प्रतिनिधित्व की ज़रुरत महसूस हुई। इससे हज समिति अधिनियम 2002 पारित हुआ, जो भारतीय हज समिति में सभी क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।

हज यात्रियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के मकसद से, हज से संबंधित सभी मामलों की जिम्मेदारी 1 अक्टूबर 2016 को विदेश मंत्रालय (एमईए) से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (एमओएमए) को स्थानांतरित कर दी गई थी, जो मुस्लिम तीर्थयात्रियों का समर्थन करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारतीय हज समिति (सीएचसी) के कार्य

भारत की हज समिति जिसे आमतौर पर केंद्रीय हज समिति (सीएचसी) के रूप में जाना जाता है, इसकी स्थापना सरकार द्वारा हज समिति अधिनियम 2002 के तहत मुसलमानों की हज यात्रा के लिए सभी व्यवस्थाएं करने और उससे जुड़े मामलों के लिए की गई है।

ये समिति, सरकार के प्रशासनिक पर्यवेक्षण के तहत काम करती है और निम्नलिखित मुख्य कार्य करती है: -

  1. वार्षिक सम्मेलन: पिछली हज व्यवस्थाओं की समीक्षा करने, सुधार की योजना बनाने और प्रमुख हितधारकों के साथ आगामी हज के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप देने के लिए एक अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन का आयोजन करता है।
  2. सार्वजनिक घोषणाएँ: समाचार पत्रों के माध्यम से हज के लिए आवेदन आमंत्रित करने वाली घोषणाएँ जारी करता है, जिसमें जमा राशि, आवास विकल्प और समय सीमा का विवरण होता है।
  3. आवेदन वितरण: राज्य हज समितियों को निशुल्क हज आवेदन पत्र और दिशानिर्देश प्रदान करता है, जो इच्छुक तीर्थयात्रियों से आवेदन और प्रेषण एकत्र करते हैं।

4. कोटा आवंटन: मुस्लिम आबादी के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच हज कोटा वितरित करता है, अतिरिक्त आवेदनों को ड्रा (कुर्रह) के ज़रिए प्रबंधित किया जाता है।

5. डेटा प्रोसेसिंग: आवेदनों का डिजिटलीकरण करता है और आवास तथा उड़ानों के प्रबंधन के लिए डेटा को भारत के महावाणिज्य दूतावास, जेद्दा में भेजता है।

6. पासपोर्ट और वीज़ा: वीज़ा समर्थन के लिए सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ समन्वय करता है, आवेदनों को नई दिल्ली में सऊदी दूतावास और मुंबई में वाणिज्य दूतावास में संसाधित किया जाता हैं।

7. डेटा संकलन: हज व्यवस्था के लिए विभिन्न एजेंसियों को भेजने से पहले डेटा को संकलित और सत्यापित करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि यह डेटा त्रुटि रहित है।

8. धन संग्रह: आवास की पसंद के आधार पर धन एकत्र करता है, किराये और बकाया के लिए उनका उपयोग करता है, और दैनिक खर्चों के लिए तीर्थयात्रियों को शेष राशि सऊदी रियाल में वितरित करता है।

9. विदेशी मुद्रा दर निर्धारण: निविदाओं के माध्यम से रियाल विनिमय दर निर्धारित करता है और इसे हज सीज़न के लिए अंतिम रूप देता है।

10. हवाई किराया संग्रह: तीर्थयात्रियों को कोर बैंकिंग के माध्यम से भुगतान भेजने के साथ, हवाई किराया दरों को अधिसूचित करता है।

11. उड़ान शेड्यूलिंग: शेड्यूलिंग के बाद उड़ानें आवंटित करता है, तीर्थयात्रियों को प्रस्थान तिथियों के बारे में सूचित करता है और रिपोर्टिंग के वक्त की ज़रुरतों पर सलाह देता है।

12. आरोहण सहायता: 21 आरोहण बिंदुओं से संचालित होता है, शिविर कार्यालय प्रदान करता है और बुकिंग, प्रेषण सत्यापन और यात्रा के दस्तावेज़ीकरण में मदद  करता है।

13. टीकाकरण व्यवस्था: मेनिन्जाइटिस और पोलियो टीकों की आपूर्ति सुनिश्चित करता है और सभी तीर्थयात्रियों के लिए टीकाकरण को प्रमाणित करता है।

14. हज गाइड का वितरण: कई भाषाओं में हज की परंपराओं, सामग्री और सऊदी नियमों पर एक व्यापक गाइड प्रदान करता है।

15. प्रशिक्षण कार्यक्रम: चयनित प्रशिक्षकों के साथ दिशानिर्देशों के लिए शिविर आयोजित करता है, जो निजी टूर ऑपरेटरों के तीर्थयात्रियों सहित तीर्थयात्रियों को यात्रा के लिए तैयार करते हैं।

16. दुर्घटना बीमा: तीर्थयात्रियों से एकमुश्त प्रीमियम लेकर समूह दुर्घटना मुआवजा योजना लागू करता है।

17. मदीना आवास: मदीना में एक समान आवास की व्यवस्था करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि अधिकांश तीर्थयात्री प्रमुख क्षेत्रों से 850 मीटर के भीतर रहें।

18. हवाई परिवहन: 1995 में जहाज यात्राएँ बंद होने के बाद एयर इंडिया और सऊदी अरब एयरलाइंस के माध्यम से तीर्थयात्रियों के लिए हवाई यात्रा व्यवस्था का प्रबंधन करता है।

समस्या रहित हज यात्रा के लिए पहल

समय के साथ, सरकार ने हज यात्रा को परेशानी मुक्त बनाने के लिए कई सुधार लागू किए हैं, बेहतर पहुंच और सुविधा के लिए डिजिटल बैकबोन बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि की है। ये पहल महिलाओं की समानता को भी बढ़ावा देती हैं, जिससे अधिक महिलाओं को स्वतंत्र रूप से तीर्थयात्रा करने की आज़ादी मिलती है।

  1. हज सब्सिडी की समाप्ति

हज सब्सिडी, जिसका मकसद भारत से सऊदी अरब तक तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा लागत की भरपाई करना था, वर्ष 1994 में 10.51 करोड़ रु. से 2012-13 में 836.56 करोड़ रुपये तक बढ़ गई। हालाँकि इस सब्सिडी को धीरे-धीरे कम कर दिया गया और हज 2018 के लिए पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। तब से, रिकॉर्ड 4.54 लाख भारतीय तीर्थयात्री बिना सब्सिडी के हज कर चुके हैं। सब्सिडी से लगभग 400 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान है, जिसे अल्पसंख्यक छात्रों, खासकर लड़कियों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए इस्तेमाल किया गया, जिससे बच्चों के नामांकन में वृद्धि हुई और स्कूलों से ड्रॉपआउट दर में कमी आई है।

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  1. महिलाओं के लिए हज करने के लिए मेहरम (पुरुष साथी) की आवश्यकता को हटाया गया

दशकों से, भारत में मुस्लिम महिलाएं मेहरम (पुरुष साथी) के बिना हज करने के अपने अधिकार की वकालत करती रही हैं। शिक्षकों और डॉक्टरों जैसे पेशेवरों सहित कई लोगों को इस आवश्यकता के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ा। वर्ष 2017 में, सरकार ने आखिरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए इन प्रतिबंधों को हटा दिया।

हज 2023 के दौरान, भारत सरकार ने एकल पात्र महिलाओं को एलडब्ल्यूएम (लेडी विदाउट मेहरम) श्रेणी के तहत व्यक्तिगत रूप से आवेदन करने की अनुमति दी, जिससे चार का समूह बनाने की पिछली आवश्यकता समाप्त हो गई। इस बदलाव के चलते महिला भागीदारी में ज़बरदस्त वृद्धि हुई और 5,000 से अधिक महिलाओं ने एलडब्ल्यूएम श्रेणी के तहत आवेदन किया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 20% ज्यादा थी। सरकार की इन पहलों ने तीर्थयात्रा के संदर्भ में लैंगिक समावेशिता और महिला सशक्तिकरण को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाया है।

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  1. हज की प्रक्रिया का डिजिटलीकरण

पिछले वर्षों में, हज प्रबंधन प्रक्रियाएँ मैन्युअल और ऑफ़लाइन तरीकों पर बहुत ज्यादा निर्भर थीं, जिसके परिणामस्वरूप एक बोझिल और अपारदर्शी प्रणाली बन गई, जिसमें कई एजेंसियां ​​शामिल थीं। इस चुनौती से निपटने के लिए, भारतीय हज समिति (एचसीओआई) ने अधिक कुशल दृष्टिकोण की ज़रुरत को पहचाना और हज से जुड़ी कई सेवाओं को सफलतापूर्वक डिजिटल कर दिया है, जिससे अब नागरिक कभी भी और कहीं भी उन सुविधाओं तक पहुंच सकते हैं। इस आधुनिकीकरण में आवेदन प्रक्रिया में सुधार और हज यात्रियों के चयन के लिए ड्रा का कम्प्यूटरीकरण भी शामिल है।

आवेदक अब आसानी से आधिकारिक वेबसाइट hajcommittee.gov.in के ज़रिए हज के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।

इसके अलावा 3 मार्च, 2024 को हज सुविधा ऐप का लॉन्च, तीर्थयात्रा के अनुभव को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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  1. विवेकाधीन कोटा की समाप्ति

हज 2023 के बाद से, भारत सरकार ने सभी नागरिकों के लिए समान अवसरों को बढ़ावा देने के लिए, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय सहित गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पहले रखे गए सभी विवेकाधीन कोटा हटा दिए हैं। इन सीटों को हज यात्रियों के लिए सामान्य आवंटन में मिला दिया गया है। चयन अब डिजिटलीकृत रेंडम प्रक्रिया के ज़रिए किया जाता है, जिससे चयनित और प्रतीक्षासूची वाले दोनों तीर्थयात्रियों के लिए पारदर्शिता और तत्काल अधिसूचना सुनिश्चित होती है।

  1. प्रतिनियुक्तिकर्ताओं का चयन

वर्ष 2023 में, तीर्थयात्रियों के लिए पेशेवर सेवाएं और समर्थन बढ़ाने के लिए प्रशासनिक प्रतिनियुक्तिकर्ताओं का चयन विशेष रूप से सीएपीएफ कर्मियों से किया गया। सऊदी अरब में चुनौतीपूर्ण भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए, सीएपीएफ सदस्य अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और ऐसे चुनौतीपूर्ण कार्यों के लिए उपयुक्त हैं।

हज 2023 के लिए की गईं प्रमुख नई पहल:

  • सरकार ने बाल्टियों, चादरों, सूटकेस आदि की अनिवार्य खरीद के कारण होने वाली गैर-जरूरी लागतों को हटाकर हज पैकेज में लागत में कटौती के खास उपाय किए हैं।
  • प्रत्येक हज यात्री को 2100 सऊदी रियाल प्रदान करने के अनिवार्य प्रावधान को हटा दिया गया है और तीर्थयात्रियों को उनकी व्यक्तिगत ज़रुरत के अनुसार सऊदी रियाल रखने की छूट दी जा रही है।
  • पहली बार, इच्छुक तीर्थयात्रियों को सबसे प्रतिस्पर्धी दरों पर सीधे एसबीआई के माध्यम से विदेशी मुद्रा और फॉरेक्स प्रदान की जा रही है। इससे हज यात्रियों द्वारा विदेशी मुद्रा प्राप्त करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
  • बीमा लागत प्रति तीर्थयात्री 13 रुपये से घटाकर 10.50 रुपये कर दी गई है।
  • इस वर्ष, हज के दौरान भारत में तीर्थयात्रियों और केएसए के अस्पतालों/डिस्पेंसरी में मेडिकल स्क्रीनिंग और टीकाकरण के लिए एमओएच एंड एफडब्ल्यू और इसकी एजेंसियों की सीधी भागीदारी रही है।
  • हज नीति में विशेष प्रावधानों को शामिल करके, दिव्यांगजनों और वृद्ध तीर्थयात्रियों की समग्रता का खास ख्याल रखा गया है।
  • चूंकि हज प्रतिनियुक्ति के लिए चुने गए प्रशासनिक कर्मचारियों के कर्तव्यों में मुख्य रुप से शारीरिक शक्ति और जलवायु के लिहाज़ से अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करना शामिल है, इसलिए हज-2023 के लिए प्रशासनिक प्रतिनियुक्तिकर्ताओं का चयन केवल सीएपीएफ कर्मियों से किया जाता है।
  • हज-2023 के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिक्स का चयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उनकी क्षेत्र विशिष्ट विशेषज्ञता को प्रयोग करने और चिकित्सा दल के चयन में सुधार करने के लिए किया गया है।

हज यात्रा 2024 के लिए प्रमुख पहल

  1. सउदी अरब के साथ द्विपक्षीय समझौता:

वर्ष 2024 में जेद्दा में सऊदी अरब साम्राज्य (केएसए) के हज और उमराह मंत्री महामहिम डॉ. तौफीक बिन फौजान अल-रबिया के साथ 7 जनवरी 2024 को एक द्विपक्षीय हज समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत हज 2024 के लिए भारत से कुल कोटा 1,75,025 तीर्थयात्रियों का था, जिसमें भारतीय हज समिति के ज़रिए यात्रा करने वालों के लिए 1,40,020 सीटें आरक्षित थीं। यह आवंटन विशेष रूप से पहली बार तीर्थयात्रियों के लिए फायदेमंद है, जबकि 35,005 सीटें हज समूह ऑपरेटरों के लिए नामित की गईं हैं।

  1. चिकित्सा देखभाल व्यवस्था:

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने करीब 1,75,025 तीर्थयात्रियों के लिए व्यापक चिकित्सा देखभाल की निगरानी की, जिनमें 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 40,000 बुजुर्ग व्यक्ति शामिल थे। चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में भी, चौबीसों घंटे चिकित्सा सहायता प्रदान की गई, जिसमें पिछले अनुभवों के आधार पर मौखिक स्वास्थ्य और दंत चिकित्सा देखभाल जैसी उन्नत सेवाएं भी शामिल थीं। इस वर्ष, सभी तीर्थयात्रियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा टीमों के नियमित दौरों के साथ-साथ लगभग 2 लाख बाह्य रोगी परामर्श आयोजित किए गए।

  1. हज यात्रियों के लिए सुविधा केंद्र:

सरकार ने विदेशों में तीर्थयात्रियों के कल्याण और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए भारतीय मिशनों के भीतर मजबूत सुविधा केंद्र स्थापित किए हैं। ये केंद्र फोन कॉल, ईमेल और सोशल मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों से तीर्थयात्रियों द्वारा उठाए गए मुद्दों और समस्याओं पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं। भारतीय मिशन सक्रिय रूप से भारतीय नागरिकों के हित को ध्यान में रखते हुए निगरानी करते हैं और आपात स्थिति के दौरान तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए तैयार रहते हैं, तथा जरूरत पड़ने पर वाणिज्य दूतावास संबधी सहायता, भोजन, आश्रय और वापसी मार्ग की पेशकश करते हैं।

निष्कर्ष:

भारतीय हज समिति और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा की गईं पहलों की बदौलत हज यात्रा में काफी सुधार हुआ है। हज समिति ने प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है, बेहतर लॉजिस्टिक्स और समर्पित सहायता सेवाओं के माध्यम से हजारों तीर्थयात्रियों के लिए पहुंच को आसान बनाया है। इन प्रयासों को लागू करते हुए, मंत्रालय ने ऐसी नीतियां पेश की हैं, जो वित्तीय सहायता और जागरूकता कार्यक्रम प्रदान करती हैं, तीर्थयात्रियों को सशक्त बनाती हैं तथा उनकी यात्रा को आसान बनाती हैं। ये पहल न केवल हज के आध्यात्मिक महत्व का सम्मान करती हैं, बल्कि भारतीय मुसलमानों के बीच समुदाय की भावना को भी मज़बूत करती हैं। जैसे-जैसे इन संगठनों का सहयोग लगातार जारी हैं, यह तीर्थयात्रा और भी अधिक सार्थक तथा सुलभ बनती जा रही है, जो तीर्थयात्रियों के कल्याण और भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

संदर्भ

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