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श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की: भारत और सिंगापुर ‘प्रतिभा, संसाधन और बाजार’ के जरिए भागीदारी को मजबूत कर रहे हैं


श्री प्रधान ने सिंगापुर के साथ विदेशी इंटर्नशिप और अनुसंधान सहयोग पर जोर दिया

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत-सिंगापुर संबंधों को मजबूत किया तथा शैक्षणिक सहयोग और इंटर्नशिप के लिए मंच तैयार किया

भारत आपसी प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में सिंगापुर को एक विश्वसनीय ज्ञान आधारित साझेदार के रूप में देखता है: श्री धर्मेंद्र प्रधान

Posted On: 21 OCT 2024 2:46PM by PIB Delhi

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की।

दोनों मंत्रियों ने दोनों राष्ट्रों के बीच विद्यालयी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और अनुसंधान में द्विपक्षीय सहयोग के स्तर को ऊंचा करने और उसको व्यापक रूप देने पर उपयोगी बातचीत की। दोनों मंत्रियों के बीच हुई इस चर्चा में तीन प्रमुख स्तंभों- प्रतिभा, संसाधन और बाजार- के जरिए  भागीदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

 

श्री प्रधान ने इस बात पर बल दिया कि भारत सिंगापुर को एक विश्वसनीय ज्ञान आधारित भागीदार के रूप में देखता है, विशेष रूप से उन्नत प्रौकद्योगिकी (डीप टेक), स्टार्टअप और नवाचार इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने में।

श्री प्रधान ने इस बात पर भी रोशनी डाली कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री श्री वोंग दोनों ने भारत-सिंगापुर सहयोग को एक व्यापक साझेदारी में बदलने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है, जिसमें महत्वपूर्ण और उभरते हुए क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।

इससे पहले आज दिन में, श्री प्रधान ने शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष सिंगापुर के शिक्षा मंत्री श्री चान चुन सिंग से मुलाकात की। श्री प्रधान ने भारत की शिक्षा प्रणाली के अंतर्राष्ट्रीयकरण को और आसान बनाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्व पर बल दिया। दोनों मंत्रियों ने विदेशी इंटर्नशिप कार्यक्रमों के लिए रास्ते तलाशे, ताकि भारतीय छात्रों को सिंगापुर की कंपनियों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने में मदद मिले।

दोनों देशों के छात्रों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को और मजबूत करने के लिए भारत और सिंगापुर के स्कूलों को जोड़ने की संभावना पर विचार-विमर्श किया। डीप टेक, मेडिसिन, एडवांस मैटेरियल आदि जैसे पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान सहयोग पर भी चर्चा की गई।

उन्होंने दोनों देशों के विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को जोड़कर अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने पर भी विचार-विमर्श किया। श्री प्रधान ने पाठ्यक्रम विकास, शिक्षणशास्त्र और शिक्षक क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सिंगापुर के राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान और एनसीईआरटी के बीच सहयोग के अवसरों पर प्रकाश डाला।

श्री चान को भारत आने का निमंत्रण देते हुए, श्री प्रधान ने दोनों राष्ट्रों के बीच साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने तथा शैक्षणिक संबंधों को बेहतर बनाने के प्रति अपनी कटिबद्धता व्यक्त की।

श्री प्रधान ने भारत-सिंगापुर ज्ञान आधारित साझेदारी को और मजबूत करने पर विचार-विमर्श करने के लिए सिंगापुर के विदेश मंत्री श्री विवियन बालाकृष्णन से भी मुलाकात की।

दोनों नेताओं ने शिक्षा में पारस्परिक सहयोग के स्तर को ऊंचा करने और साझा उद्देश्यों को हासिल करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का विस्तार करने के लिए मिलकर काम करने के महत्व पर जोर दिया।

श्री प्रधान ने सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का भी दौरा किया और विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर टैन इंग चाई से मुलाकात की। श्री प्रधान और प्रोफेसर टैन इंग चाई ने ज्ञान के सेतु बनाने, अकादमिक और शोध सहयोग को मजबूत करने तथा सभी अकादमिक मोर्चों पर एनयूएस और शीर्ष भारतीय उच्च शिक्षण  संस्थानों के बीच जुड़ाव को और मजबूत करने के लिए एक दूसरे की शक्तियों का लाभ उठाने पर चर्चा की।

 

श्री प्रधान ने इस बात पर बल दिया कि एनयूएस और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान डीप स्टार्ट-अप,  स्वास्थ्य सेवा,  एडवांस्ड मैटेरियल्स,  डिजिटलीकरण और स्थिरता जैसे क्षेत्रों में मूल्य सृजन के लिए सहयोग कर सकते हैं। मंत्री महोदय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एनईपी 2020 का एक प्रमुख फोकस क्षेत्र भारत के युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक पहुँच बढ़ाना और इसकी शिक्षा प्रणाली का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है।

अपनी यात्रा के पहले दिन, 20 अक्टूबर 2024 को श्री प्रधान ने सिंगापुर में भारतीय डायस्पोरा के सदस्यों के साथ बातचीत की। उन्होंने भारत के युवाओं को कौशल उन्नयन प्रदान करने में एनईपी 2020 की भूमिका तथा भारत में शिक्षा की विशाल व्यापक्ता और महत्व पर प्रकाश डाला।

श्री प्रधान की 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक सिंगापुर और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया की यात्रा का उद्देश्य शिक्षा में पारस्परिक हित के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग, भागीदारी और तालमेल को बढ़ावा देना है।

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