वित्‍त मंत्रालय

आर्थिक समीक्षा 2024 में पहली बार आर्थिक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य पर विचार किया गया


उत्पादकता में नुकसान से मानसिक स्वास्थ्य विकार का बड़ा संबंध है  

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए सर्वेक्षण में नीतिगत उपाय सुझाए गए

Posted On: 22 JUL 2024 2:44PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय वित्त, एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2023-24 पेश करते हुए पहली बार मानसिक स्वास्थ्य, उसके महत्व और नीतिगत सिफारिशों पर उसके प्रभाव पर विस्तार से बात की।

मानसिक स्वास्थ्य का राष्ट्रीय महत्व

व्यक्तिगत और राष्ट्रीय विकास में मानसिक स्वास्थ्य के मुख्य कारक के महत्व को समझते हुए नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे(एनएमएचएस) 2015-16 के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए सर्वे में कहा गया है कि भारत में 10.6% वयस्क लोग मानसिक विकार यानी मेंटल डिसऑर्डर के शिकार हैं। जबकि मानसिक स्वास्थ्य विकार और अन्य विभिन्न विकारों के बीच उपचार में 70%  और 92% का अंतराल है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्र (6.9%), गैर महानगरीय शहरी क्षेत्रों (4.3%) की तुलना में महानगरीय क्षेत्रों (13.5%) में मानसिक विकार की समस्या अधिक है। एनसीईआरटी के मानसिक स्वास्थ्य और स्कूली  विद्यार्थियों के स्वास्थ्य सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए प्रमुखता से कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद किशोरों में मेंटल हेल्थ की समस्या गंभीर रूप से बढ़ी है, यही वजह है कि 11% छात्रों ने हमेशा चिंतित रहने, 14% छात्रों ने अत्यंत भावुक रहने और 43% विद्यार्थियों ने बार-बार मानसिक स्थिति बदलने (मूड स्विंग) की शिकायत की है।

अर्थव्यवस्था के आईने में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं

सर्वे में बताया गया है कि भूलने की समस्या (absenteeism), उत्पादकता में कमी,  दिव्यांगता, स्वास्थ्य सेवा पर खर्च बढ़ने आदि की वजहों से मानसिक स्वास्थ्य विकार की समस्या पूरी तरह से आर्थिक स्तर पर उत्पादकता घटने से जुड़ी हुई है। यह बात भी सामने आई है कि गरीबी की वजह से भी मानसिक स्वास्थ्य का जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण जीवन की तनावपूर्ण परिस्थितियों, आर्थिक अस्थिरता, और आगे बढ़ने के लिए जरूरी अवसरों के न मिलने की वजह से मनोवैज्ञानिक समस्याएं अधिक हावी रहती हैं।  

मानसिक स्वास्थ्य को सम्पूर्ण स्वास्थ्य के मूख्य पहलु के तौर पर मानते आर्थिक समीक्षा में सरकार की तरफ से इस संबंध में शुरू की गई प्रमुख गतिविधियों और नीतियों को रेखांकित किया गया है।   

  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमः इस योजना में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 1.73 लाख से ज्यादा उप-स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अर्बन हेल्थ एंड वेननेस सेंटर्स को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में अपग्रेड किया गया है, जहां मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं।
  • नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्रामः 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 53 मानस केंद्र खोले गए हैं जहां 1600 से अधिक प्रशिक्षित काउंसलर 20 से अधिक भाषाओं में सहायता दे रहे हैं। इन मानस केंद्रों के जरिए अक्टूबर 2022 से 31 मार्च 2024 तक 8.07 लाख से ज्यादा फोन क़ॉल्स आए जिस पर काउंसलर्स ने लोगों के सवालों के जवाब दिए।
  • मानसिक स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या में वृद्धिः 25 उत्कृष्ट केंद्रों स्नातकोत्तर (पीजी) विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने को स्वीकृति दी गई है। इससे 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों के 47 पीजी विभागों को सहयोग मिलेगा। इसके अलावा, 22 एम्स में मेंटल हेल्थ सर्विस देने का प्रावधान भी किया गया है। जनरल हेल्थ केयर मेडिकल और पैरामेडिकल पेशेवरों को ऑनलाइन ट्रेनिंग देने के लिए 3 डिजिटल एकेडमिक्स प्रदान किए गए हैं।        
  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रमः देशभर में एडोलसेंट फ्रेंडली हेल्थ क्लिनिक्स (एएफएचसी) और किशोर शिक्षा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अतिरिक्त सर्वे में राज्य स्तर पर लागू अनोखे और स्वतंत्र पहलों का भी प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। सर्वे में बताया गया है कि बच्चों और किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों के लिए  राज्य स्तर पर लागू ये पहलें पूरक हैं। 

मानसिक स्वास्थ्य पर नीतिगत सिफारिशें

सर्वे में जमीनी स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सुधारों में तेजी लाने के लिए कार्यक्रमों को सही ढंग से लागू करने और मौजूदा कार्यक्रमों में अंतराल को भरने के लिए उनके प्रभाव को अधिकतम विस्तार देने पर पर जोर दिया गया है। महत्वपूर्ण नीतिगत सिफारिशों में शामिल हैः

  • डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 3 मनोचिकित्सक होने चाहिए जबकि 2021 में एक लाख की आबादी पर 0.75 मनोचिकित्सक थे, इसलिए इसकी संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे।
  • जरूरतों को समझने के लिए उत्कृष्ट सेवा केंद्रों के साथ मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों और अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं।
  • उपयोगकर्ताओं, पेशेवरों और हितधारकों से फीडबैक लेकर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभाव का अवलोकन किया जा रहा है ताकि आवश्यक बदलाव किए जा सकें और बड़ी जनसंख्या को उसका लाभ मिले।
  • पीअर सपोर्ट नेटवर्कस, स्वयंसेवी समूहों और समुदाय आधारित पुर्नवास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि मानसिक स्वास्थ्य विकार को लेकर गलतफमियों को दूर किया जा सके और लोगों को ऐसी समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाया जा सके।
  • गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ मिलकर प्रयासों को तेज किया जा रहा है, ज्ञान का आदान-प्रदान किया जा रहा है, और भविष्य की नीतियां तैयार करने के लिए संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। सुधार वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है।
  • मानसिक स्वास्थ्य विकार की समस्या से गुजर चुके लोगों को भी इसमें शामिल किया जा रहा है ताकि नीति निर्माण, सेवा नियोजन, प्रचार के लिए प्रयास, व्यक्ति केंद्रित प्रयासों और मेंटल हेल्थ सर्विस में सुधार किया जा सके।
  • प्री-स्कूल और आंगवाड़ी के स्तर पर ही मेंटल हेल्थ को लेकर लोगों को संवेदनशील बनाया जा रहा है ताकि डिसऑर्डर्स की सटीक पहचान की जा सके।
  • सरकारी और निजी क्षेत्रों में मेंटल हेल्थ सर्विस के लिए दिशानिर्देश के मापदंड तैयार किए गए हैं।   
  • स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप के लिए एकीकृत प्रयास किए जा रहे हैं जिनमें छात्रों और शिक्षकों के लिए उम्र के हिसाब से मानसिक स्वास्थ्य                                                  पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इससे स्कूलों में समस्या के शुरुआती समय में हस्तक्षेप, सकारात्मक भाषा, सामुदायिक स्तर पर बातचीत बढ़ाने, प्रौद्योगिकी संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।
  • ऊपर से लेकर नीचे तक, सामुदायिक दृष्टीकोण से मानसिक स्वास्थ्य विकार की समस्या के विषय पर बात की जा रही है और कलंक (स्टिग्मा) की धारणा टूट रही है।
  • सरकारी स्वास्थ्य अधिकारी व्यक्तिगत स्तर पर इस समस्या को लेकर अनिइच्छा को जान-समझकर मानसिक स्वास्थ्य विकार से निपट रहे हैं।       

 

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एनबी/एमजी/एआर/हिंदी इकाई- 11



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