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महिलाओं के कल्‍याण एवं सशक्तिकरण हेतु बजट में वित्‍तीय वर्ष 2014 से वित्‍तीय वर्ष 2025 के बीच 218.08 प्रतिशत की वृद्धि


राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जन्‍म के समय लिंगानुपात बेहतर हुआ और यह 918 (2014-15) से बढ़कर 930 (2023-24) हुआ 

प्रति लाख प्रसव में मातृ मृत्‍यु दर 2014-16 के 130 घटकर 2018-20 में मात्र 97 रह गई है

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत महिलाओं की भागीदारी वित्‍तीय वर्ष 2016 में 42.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍तीय वर्ष 2024 में 52.3 प्रतिशत हुई  

Posted On: 22 JUL 2024 2:43PM by PIB Delhi

आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में इस तथ्‍य को रेखांकित किया है कि अब कल्‍याण की भारतीय अवधारणा सशक्तिकरण में रूपान्‍तरित हो गई है और भारत महिलाओं के विकास वाली स्थिति से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्‍व वाले विकास की दिशा में बढ़ रहा है। केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’, भू-राजनैतिक और वैश्विक चुनौतियों के दौर में दृढ़ता एवं सर्व-सम्‍म‍ति के माध्‍यम से देश को आगे बढ़ाने के पहलू पर ध्‍यान केन्द्रित करती है। यह सर्वेक्षण सुदृढ़ता का प्रदर्शन करते हुए भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के प्रसार पर प्रकाश डालता है। आर्थिक सर्वेक्षण ने इस तथ्‍य को दर्शाया है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था कोविड के बाद के समय की चुनौतियों से उबरते हुए मजबूत हुई है और अब यह सशक्‍त तथा स्थिर स्थिति में है।

नारी शक्ति के आह्वान को साकार करने के तथ्‍य को रेखांकित करते हुए, यह सर्वेक्षण विभिन्‍न क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने हेतु सरकार द्वारा किए गए विभिन्‍न विधायी उपायों एवं प्रावधानों पर प्रकाश डालता है।

आर्थिक सर्वेक्षण महिलाओं के कल्‍याण एवं सशक्तिकरण की विभिन्‍न योजनाओं हेतु बजट में 218.08 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह बजट वित्‍तीय वर्ष 2014 में 97 हजार 134 करोड़ रुपये (बीई) से बढ़कर वित्‍तीय वर्ष 2025 में 3.10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह जेंडर बजट स्‍टेटमेंट (जीबीएस) में वित्‍तीय वर्ष 2024 के (बीई) की तुलना में 38.7 प्रतिशत की वृद्धि को भी दर्शाता है। कुल केन्‍द्रीय बजट में लैंगिक बजट का हिस्‍सा वित्‍तीय वर्ष 2025 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गया, जो वित्‍तीय वर्ष 2006 में जीबीएस की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है।

यह सर्वेक्षण महिलाओं के नेतृत्‍व में होने वाले विकास के तहत बालिकाओं के स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा को सुनिश्चित करके शुरू होने के तथ्‍य पर जोर देता है। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर जन्‍म के समय में लिंगानुपात (एसआरबी) 918 (2014-15) से बढ़कर 930 (2023-24, अनंतिम) हो गया है और मातृ मृत्‍यु दर 2014-16 में 130 प्रति लाख जीवित प्रसव से घटकर 2018-20 में 97 प्रति लाख जीवित प्रसव हो गई है। ‘‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ और सुकन्‍या समृद्धि योजना की बालिकाओं को पालने, उन्‍हें शिक्षित करने और उनके लिए बचत करने के प्रति  सामूहिक चेतना जागृत करने में अहम भूमिका रही है।

सर्वेक्षण में इस तथ्‍य को रेखांकित किया है कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम और देश के सबसे बड़े सशर्त नकद हस्‍तांतरण कार्यक्रम के रूप में प्रसिद्ध पीएम मातृ वंदना योजना के माध्‍यम से संस्‍थागत प्रसव को प्रोत्‍साहित करने के कारण पिछले दशक में संस्‍थागत प्रसव का प्रचलन वर्ष 2015-16 में 78.9 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019-21 में 88.6 प्रतिशत हो गया है। इन कार्यक्रमों के लोक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के उपयोग में वृद्धि और बच्‍चों के जन्‍म के बीच अंतराल बढ़ाने के मामले में सकारात्‍मक प्रभाव हुए हैं।

महिला सशक्तिकरण से जुड़े सरकार के विभिन्‍न कार्यक्रमों ने उन प्रेरकों पर ध्‍यान केन्द्रित किया है, जो महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने के साथ-साथ लिंग-विशिष्‍ट कमियों को दूर करते हैं। लिंग-विशिष्‍ट कमियों से निपटने के क्रम में, ‘स्‍वच्‍छ भारत मिशन’ के तहत शौचालयों के निर्माण, ‘उज्‍ज्‍वला योजना’ के तहत स्‍वच्‍छ रसोई गैस कनेक्‍शन के प्रावधानों तथा ‘जल जीवन मिशन’ के तहत नल से पेयजल कनेक्‍शन के प्रावधानों ने महिलाओं के जीवन को बदल दिया है, जिससे उनकी मेहनत और देखभाल का बोझ कम हो गया है। इन योजनाओं ने सुरक्षा और सम्‍मान से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के अलावा, राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के माध्‍यम से महिलाओं के सामूहिक कार्यों में भागीदारी जैसे उत्‍पादक कार्यों के लिए समय और ऊर्जा भी प्रदान की है।

मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 कार्यक्रम को ऐसी पहल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिनका सिद्धांत यह है कि महिलाओं का स्‍वास्‍थ्‍य सामाजिक स्‍वास्‍थ्‍य का  आधार बनता है। ये कार्यक्रम केवल कैलोरी की पर्याप्‍तता से ध्‍यान हटाकर सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों की उपलब्‍धता के माध्‍यम से बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य, कल्‍याण और प्रतिरक्षा पर केन्द्रित करते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण इस तथ्‍य पर जोर देता है कि एक महत्‍वपूर्ण प्रेरक के रूप में महिलाओं की शिक्षा महिला सशक्तिकरण के केन्‍द्र में है। सर्वेक्षण के अनुसार, ‘‘सर्व शिक्षा अभियान और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के कार्यांन्‍वय के माध्‍यम से स्‍कूलों के नामांकन के मामले में सभी स्‍तरों पर लैंगिक समानता हासिल की गई है। उच्‍च शिक्षा के  मामले में, लगातार पांच वर्षों से महिला जीईआर पुरुष जीईआर से अधिक रही है।’’

इस तथ्‍य को रेखांकित करते हुए कि विभिन्‍न कौशल संबंधी योजनाओं में महिलाओं को शा‍मिल करने पर विशेष ध्‍यान दिया गया है, यह सर्वेक्षण इस बात की जानकारी देता है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत प्रशिक्षित लोगों में महिलाओं की  भागीदारी वित्‍तीय वर्ष 2016 में 42.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍तीय वर्ष 2024 में 52.3 प्रतिशत हो गई है। जन शिक्षण संस्‍थान (जेएसएस) योजना के तहत कुल ला‍भार्थियों में महिलाओं की हिस्‍सेदारी लगभग 82 प्रतिशत रही है। दीर्घकालिक इकोसिस्‍टम में, यानी आईटीआई और राष्‍ट्रीय कौशल शिक्षण संस्‍थानों में (एनएसटीइआई) में महिलाओं की भागीदारी वित्‍तीय वर्ष 2016 में 9.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍तीय वर्ष 2024 में 13.3 प्रतिशत हो गई है। नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रोमोशन स्‍कीम (एमएपीएस) के तहत महिलाओं की भागीदारी वित्‍तीय वर्ष 2017 में 7.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्‍तीय वर्ष 2024 में 20.8 प्रतिशत हो गई है।

स्‍टेम क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास करने वाले ‘विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएं-किरण (वाइज किरण)’ कार्यक्रम से 2018 से लेकर 2023 के बीच लगभग 1962 महिला वैज्ञानिक लाभान्वित हुई हैं। वर्ष 2020 में शुरू किए गए विज्ञान ज्‍योति कार्यक्रम, जिसका उद्देश्‍य नौवीं से लेकर बारहवीं कक्षा तक के विभिन्‍न विज्ञान और प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में लड़कियों का प्रतिनिधित्‍व बढ़ाना है, के अंतर्गत दिसंबर 2023 तक 250 जिलों की कक्षा नौवीं-बारहवीं की लगभग 21 हजार 600 छात्राएं नामांकित हुईं हैं।          

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एनबी/एमजी/एआर/हिंदी इकाई-02

 


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