प्रधानमंत्री कार्यालय
ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट 2024 के दौरान प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
Posted On:
09 FEB 2024 11:09PM by PIB Delhi
गयाना के पीएम श्रीमान मार्क फिलिप्स जी, श्री विनीत जैन जी, इंडस्ट्री के लीडर्स, CEOs, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,
Friends, Global Business Summit की टीम ने इस बार समिट की जो थीम रखी है, मैं समझता हूँ वो थीम itself बहुत अहम है। Disruption, Development और Diversification, आज के इस दौर में ये बहुत ही चर्चित शब्द हैं। और disruption, development and diversification की इस चर्चा में कोई इस बात पर सहमत है कि ये भारत का समय है – This is India’s Time. और पूरे विश्व का भारत पर ये विश्वास लगातार बढ़ रहा है। हमने अभी दावोस में यानि एक प्रकार का वो कि इस प्रकार के लोगों का कुंभ मेला होता है, वहां liquid कुछ और होता है, गंगाजल नहीं होता है वहां। दावोस में भी भारत के प्रति अभूतपूर्व उत्साह देखा है। किसी ने कहा कि भारत एक अभूतपूर्व इकोनॉमिक सक्सेस स्टोरी है। ये जो दावोस में बोला जाता था दुनिया के नीति निर्धारक बोल रहे थे। कोई बोला कि भारत का डिजिटल और फिज़िकल इंफ्रास्ट्रक्चर नई ऊंचाई पर है। एक दिग्गज ने कहा कि दुनिया में अब कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां भारत का दबदबा ना हो। एक बड़े पदाधिकारी ने तो भारत के सामर्थ्य की तुलना ‘रेजिंग बुल’ से कर दी। आज दुनिया के हर डवलपमेंट एक्सपर्ट ग्रुप में चर्चा है कि भारत 10 साल में ट्रांसफॉर्म हो चुका है। और अभी विनीत जी वर्णन कर रहे थे, उसमें काफी चीजें उसका जिक्र था। ये बाते, दिखाती हैं कि आज दुनिया का भारत पर भरोसा कितना ज्यादा है। भारत के सामर्थ्य को लेकर दुनिया में ऐसा Positive Sentiment पहले कभी नहीं था। भारत की सफलता को लेकर दुनिया में ऐसा Positive Sentiment शायद ही कभी किसी ने अनुभव किया हो। इसलिए ही लाल किले से मैंने कहा है- यही समय है, सही समय है।
Friends,
किसी भी देश की Development Journey में एक समय ऐसा आता है, जब सारी परिस्थितियां उसके favour में होती हैं। जब वो देश अपने आपको, आने वाली कई-कई सदियों के लिए मजबूत बना लेता है। मैं भारत के लिए आज वही समय देख रहा हूं। और जब मैं हजार साल की बात करता हूँ, तो बहुत ही समझदारी पूर्वक करता हूँ। ये ठीक है कि किसी ने हजार शब्द कभी सुना नहीं, हजार दिन का नहीं सुना तो उसके लिए तो हजार साल बहुत बड़ी लगती है लेकिन कुछ लोग होते हैं जो देख पाते हैं। ये Time Period-ये कालखंड, वाकई अभूतपूर्व है। एक प्रकार से ‘वर्चुअस Cycle’ शुरू हुई है। ये वो समय है जब हमारी ग्रोथ रेट लगातार बढ़ रही है और हमारा Fiscal Deficit घट रहा है। ये वो समय है जब हमारा Export बढ़ रहा है और Current Account Deficit कम होती जा रही है। ये वो समय है जब हमारा Productive Investment रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और महंगाई नियंत्रण में है। ये वो समय है जब Opportunities और Income, दोनों बढ़ रही है और गरीबी कम हो रही है। ये वो समय है जब Consumption और Corporate Profitability दोनों बढ़ रही हैं और बैंक NPA में रिकॉर्ड कमी आई है। ये वो समय है जब Production और Productivity दोनों में वृद्धि हो रही हो। और... ये वो समय है जब हमारे आलोचक All time low हैं।
Friends,
इस बार हमारे अंतरिम बजट को भी एक्सपर्ट्स और मीडिया के हमारे मित्रों की खूब प्रशंसा मिली है। कई सारे Analysts ने भी इसकी प्रशंसा करते हुए कहा है कि ये लोकलुभावन बजट नहीं है और तारीफ का एक कारण ये भी है। मैं उन्हें इस समीक्षा के लिए धन्यवाद देता हूं। लेकिन मैं उनके आकलन में कुछ और बातें भी जोड़ना चाहता हूं... कुछ मूल बातों की तरफ ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। अगर आप हमारे बजट या ओवरऑल पॉलिसी मेकिंग की चर्चा करेंगे, तो आपको उसमें कुछ first principles नजर आएंगे। और वो फर्स्ट प्रिंसिपल्स हैं- stability, consistency, continuity, ये बजट भी उसी का extension है।
Friends,
जब किसी को परखना हो तो उसे किसी मुश्किल या चुनौती के समय में ही परखा जा सकता है। कोरोना महामारी और उसके बाद का पूरा कालखंड भी, पूरे विश्व में सरकारों के लिए एक बड़ी परीक्षा बनकर आया था। किसी को कोई अंदाजा नहीं था कि health और economy की इस दोहरी चुनौती से निपटा कैसे जाए। इस दौरान भारत ने सबसे… वो दिन याद कीजिए आप, मैं लगातार टीवी पर आकर के देश के साथ संवाद करता था। और उस संकट की घड़ी में सीना तान करके देशवासियों के सामने हर पल खड़ा रहा था। और उस समय प्रारंभिक दिनों में मैंने कहा था और मैंने जान जान बचाने को प्राथमिकता दी। और हमने कहा, जान है तो जहान है। आपको याद होगा। हमने जीवन बचाने वाले संसाधन जुटाने में, लोगों को जागरूक करने में पूरी शक्ति लगा दी। सरकार ने गरीबों के लिए राशन मुफ्त कर दिया। हमने मेड इन इंडिया वैक्सीन पर फोकस किया। हमने ये भी सुनिश्चित किया कि तेज़ी से हर भारतीय तक ये वैक्सीन पहुंचे। जैसे ही इस अभियान ने गति पकड़ी...हमने कहा जान भी है, जहान भी है।
हमने स्वास्थ्य और आजीविका, दोनों ही डिमांड को एड्रेस किया। सरकार ने महिलाओं के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे... हमने रेहड़ी-पटरी वालों, छोटे उद्योगपतियों को आर्थिक मदद दी, हमने खेती-किसानी में दिक्कत ना आए, इसके लिए सारे उपाय किए। हमने आपदा को अवसर में बदलने का संकल्प लिया। मीडिया जगत के मेरे साथी, उस समय के न्यूज पेपर्स निकाल कर देख सकते हैं.... उस समय बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स की यही राय थी कि Money print करो, नोट छापो, ताकि डिमांड बढ़े और बिग बिजनेस को मदद दो। Industrial House वाले तो मुझे रुबाब डाले वो तो मैं समझ सकता हूँ, वो तो आज भी डालेंगे। लेकिन सारे Nobel Prize Winner भी मुझे यही कहते थे, दो-दो बस यही चल रहा था। दुनिया की अनेक सरकारों ने ये रास्ता अपनाया भी था। लेकिन इस कदम से और भले कुछ हुआ नहीं, लेकिन हम देश की इकॉनोमी को हमारी मर्जी के हिसाब से चला पाए और महंगाई, उन लोगों का हाल ये था कि आज भी महंगाई को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। जो रास्ता उन्होंने चुना उसके side effects आज भी हैं। हम पर भी दबाव बनाने के बहुत प्रयास हुए थे। हमारे सामने भी ये सरल रास्ता था कि जो दुनिया कह रही है, जो दुनिया कर रही है, चलो ही भी उसमें बह चलें। लेकिन हम जमीनी सच्चाइयों को जानते थे... हम समझते थे... हमने अनुभव के आधार पर अपने विवेक से कुछ निर्णय किए। और उसका जो नतीजा निकला जिसकी आज दुनिया भी सराहना कर रही है। दुनिया उसकी गौरवगान कर रही है। हमारी जिन नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे थे, वो हमारी नीतियां साबित हुईं। और आज इसलिए भारत की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत स्थिति में है।
साथियों,
हम एक वेलफेयर स्टेट हैं। देश के सामान्य मानवी का जीवन आसान हो, उसकी क्वालिटी ऑफ लाइफ सुधरे, ये हमारी प्राथमिकता है। हमने नई योजनाएं बनाईं वो तो स्वाभाविक है, बल्कि हमने ये भी सुनिश्चित किया कि हर पात्र लाभार्थी तक ये योजना का लाभ पहुंचना चाहिए।
हमने सिर्फ वर्तमान पर ही नहीं बल्कि देश के भविष्य पर भी Invest किया। आप ध्यान देंगे तो हमारे हर बजट में आपको चार प्रमुख फैक्टर्स नजर आएंगे। पहला- Capital Expenditure के रूप में Record Productive खर्च, दूसरा- welfare schemes पर unprecedented निवेश, तीसरा- Wasteful Expenditure पर कंट्रोल और चौथा- Financial Discipline. हमने इन चारों बातों को, आपने बराबर देखा होगा हमने इन चारों विषयों में संतुलन बिठाया और चारों विषयों में ही तय लक्ष्य प्राप्त करके दिखाए। आज कुछ लोग हमसे पूछते हैं कि ये काम हमने किया कैसे? इसके कई तरीके से मैं जवाब दे सकता हूँ। और उनमें से एक अहम तरीका रहा है- money saved is money earned का मंत्र. जैसे हमने प्रोजेक्ट तेजी से पूरा करके, उन्हें समय पर खत्म करके भी देश के काफी पैसे बचाए। टाइम-बाउंड तरीके से प्रोजेक्ट पूरे करना हमारी सरकार की पहचान बनी है। मैं एक उदाहरण देता हूं। ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, 2008 में शुरू हुआ था। अगर पहले की सरकार ने तेजी से काम किया होता तो उसकी लागत 16 हजार 500 करोड़ रुपए होती। लेकिन ये पूरा हुआ पिछले साल, तब तक इसकी लागत बढ़कर 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई। इसी तरह, आप असम के बोगीबील ब्रिज को भी जानते हैं। इसे साल 1998 में शुरू हुआ था और इसे 1100 करोड़ रुपए के खर्च से पूरा होना था। आपको जानकर के हैरानी होगी क्या हुआ उधर, कई बाद में हम आए हमने इसको जरा तेज गति लगाई। 1998 से चल रहा था मामला। हमने 2018 में उसका पूरा किया। फिर भी जो 1100 करोड़ का मामला था वो 5 हजार करोड़ पर पहुंच गया। मैं आपको ऐसे कितने ही प्रोजेक्ट गिना सकता हूं। पहले जो पैसा बर्बाद हो रहा था, वो पैसा किसका था? वो पैसे किसी नेता की जेब से नहीं आ रहा था, वो पैसा देश का था, देश के टैक्सपेयर का पैसा था, आप लोगों का पैसा था। हमने Taxpayers Money का सम्मान किया, हमने परियोजनाओं को तय समय पर पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। आप देखिए, नए संसद भवन का निर्माण कितनी तेजी से हुआ। कर्तव्य पथ हो... मुंबई का अटल सेतु हो... इनके निर्माण की गति देश ने देखी है। इसलिए ही आज देश कहता है- जिस योजना का शिलान्यास मोदी करता है, उसका लोकार्पण भी मोदी करता है।
साथियों,
हमारी सरकार ने व्यवस्था में पारदर्शिता लाकर, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके भी देश के पैसे बचाए हैं। आप कल्पना कर सकते हैं... हमारे यहां कांग्रेस सरकार के समय से, कागजों में… आप ये सुनकर के हैरान हो जाओगे, कागजों में 10 करोड़ ऐसे नाम चले आ रहे थे, जो फर्जी लाभार्थी थे... ऐसे लाभार्थी जिनका जन्म नहीं हुआ था। ऐसे ही विधवाएं थीं जो बेटी कभी पैदा ही नहीं हुई थी, 10 करोड़। हमने ऐसे 10 करोड़ फर्जी नामों को कागजों से हटाया। हमने Direct Benefit Transfer Scheme शुरू की। हमने पैसे की लीकेज रोकी। एक प्रधानमंत्री कह कर गए थे, 1 रुपये निकलता है तो 15 पैसा पहुंचता है। हमने Direct Transfer किए, 1 रुपये निकलता है, 100 पैसे पहुंचते हैं, 99 भी नहीं। एक Direct Benefit Transfer Scheme का परिणाम ये हुआ है कि देश के करीब 3 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं। हमारी सरकार ने सरकार को जो चीजें purchase करनी होती हैं, उसमें transparency लाने के लिए GeM एक पोर्टल शुरू किया, GeM… उससे हमने समय तो बचाया है, quality improve हुई है। बहुत सारे लोग supplier बन चुके हैं। और उसमें सरकार की करीब 65 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है, 65 हजार करोड़ का सेविंग… Oil Procurement का Diversification भी हमने किया और उसके कारण 25 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। ये आपके भी इसका लाभ मिल रहा है, day to day मिल रहा है। पिछले 1 साल में सिर्फ Petrol में Ethanol Blending करके भी हमने 24 हजार करोड़ रुपये बचाए हैं। और इतना ही नहीं, जिस स्वच्छता अभियान का कुछ लोग मजाक उड़ाते हैं... ये देश का Prime Minister स्वच्छता की ही बातें करता रहता है। स्वच्छता अभियान के तहत हमने सरकारी इमारतों में जो सफाई का काम करवाया, उसमें से जो कबाड़ निकला, वो बेचकर मैं 1100 करोड़ रुपये कमाया हूँ।
और साथियों,
हमने अपनी योजनाओं को भी ऐसे बनाया कि देश के नागरिकों के पैसे बचें। आज जल जीवन मिशन की वजह से गरीबों को पीने का शुद्ध पानी मिलना संभव हुआ। इस वजह से बीमारी पर होने वाला उनका खर्च कम हुआ है। आयुष्मान भारत ने देश के गरीब के 1 लाख करोड़ रुपए खर्च होने से बचाए हैं और उसका उपचार हुआ है। पीएम जन औषधि केंद्रों पर 80 परसेंट discount और हमारे देश में discount ही एक ताकत होता है, कितना ही बढ़िया स्टोर हो, कितना ही बढ़िया माल हो, बगल वाला 10 परसेंट discount लिखे तो सारी महिलाएं वहां चली जाएंगी। 80 परसेंट discount से हम देश के मध्यम वर्ग और गरीब परिवार को दवाई देते हैं, जन औषधि केंद्र में और उससे जिन्होंने वहां से दवाई खरीदी है उनके 30 हजार करोड़ रुपये बचे हैं।
साथियों,
मैं वर्तमान पीढ़ी के साथ ही आने वाली अनेकों पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हूं। मैं सिर्फ रोजमर्रा की जिंदगी पूरी करके जाना नहीं चाहता हूँ। मैं आपको आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करके जाना चाहता हूँ।
साथियों,
खजाना खाली करके चार वोट ज्यादा पा लेने की राजनीति से मैं कोसों दूर रहता हूं। और इसलिए हमने नीतियों में, निर्णयों में वित्तीय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण दूंगा। बिजली को लेकर कुछ दलों की अप्रोच आपको पता है। वो अप्रोच, देश की बिजली व्यवस्था को बर्बादी की तरफ ले जाने वाली है। मेरा तरीका उनसे भिन्न है। आपको पता ही है कि हमारी सरकार एक करोड़ घरों के लिए रूफटॉप सोलर स्कीम लेकर आई है। इस स्कीम से लोग बिजली पैदा करके अपना बिजली बिल जीरो कर सकेंगे और ज्यादा बिजली बेचकर पैसा भी कमाएंगे। हमने सस्ते LED बल्ब देने वाली उजाला योजना चलाकर… हमारी पहले की सरकार थी तब LED बल्ब 400 रूपये में मिलता था। हम यहां आए तो स्थिति बन गई 40-50 रुपये में मिलने लगा और quality same, company same. LED के कारण बिजली बिल में लोगों के करीब-करीब 20 हजार करोड़ रुपए बचे हैं।
साथियों,
यहां तो आप सब… यहां बहुत बड़ी मात्रा में सीजन्ड पत्रकार भी बैठे हैं... आप जानते हैं... सात दशक पहले से हमारे यहां गरीबी हटाओ के नारे दिन-रात दिए जाते रहे हैं। इन नारों के बीच गरीबी तो हटी नहीं लेकिन तब की सरकारों ने गरीबी हटाने का सुझाव देने वाली एक इंडस्ट्री तैयार जरूर कर दी। उनको उसी से कमाई होती थी। Consultancy services देने निकल पड़े थे। इस इंडस्ट्री के लोग, गरीबी दूर करने का हर बार नया-नया फॉर्मूला बताते जाते थे और खुद करोड़पति बन जाते थे, लेकिन देश गरीबी कम नहीं कर पाया। सालों तक, एसी कमरों में बैठकर... wine and cheese के साथ गरीबी हटाने के फॉर्मूले पर डिबेट होती रही और गरीब गरीब ही बना रहा। लेकिन 2014 के बाद जब वो गरीब का बेटा प्रधानमंत्री हुआ, तो गरीबी के नाम पर चल रही ये इंडस्ट्री ठप हो गई। मैं गरीबी से निकलकर यहां पहुंचा हूं इसलिए मुझे पता है कि गरीबी से लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। हमारी सरकार ने गरीबी के खिलाफ लड़ाई अभियान अभियान शुरू किया। हर दिशा में काम शुरू किया, तो परिणाम ये आया कि पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग, गरीबी से बाहर आ गए। ये दिखाता है कि हमारी सरकार की नीतियां सही है, हमारी सरकार की दिशा सही है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए हम देश की गरीबी कम करेंगे, अपने देश को विकसित बनाएंगे।
साथियों,
हमारा गवर्नेंस मॉडल दो धाराओं पर एक साथ आगे बढ़ रहा है। एक तरफ हम 20वीं सदी की चुनौतियों को एड्रेस कर रहे हैं। जो हमें विरासत में मिली है। और दूसरी तरफ, 21वीं सदी की aspirations को पूरा करने में हम जुटे हुए हैं। हमने कोई काम छोटा नहीं माना। दूसरी तरफ, हम बड़ी से बड़ी चुनौती से टकराए, हमने बड़े लक्ष्यों को हासिल किया। हमारी सरकार ने अगर 11 करोड़ शौचालय बनाए हैं, तो स्पेस सेक्टर में भी नई संभावनाएं बनाई हैं। हमारी सरकार अगर गरीबों को 4 करोड़ घर दिए हैं तो 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब्स भी बनाई हैं। हमारी सरकार ने अगर 300 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाए हैं तो फ्रेट कॉरिडोर, डिफेंस कॉरिडोर का काम भी बहुत तेजी से चल रहा है। हमारी सरकार ने वंदे भारत ट्रेनें चलाई हैं तो दिल्ली समेत देश के कई शहरों में करीब 10 हजार इलेक्ट्रिक बसें भी चलवाई हैं। हमारी सरकार ने करोड़ों भारतीयों को बैंकिंग से जोड़ा है, तो वहीं डिजिटल इंडिया से, फिनटेक से सुविधाओं का सेतु भी बनाया है।
साथियों,
इस हॉल में अभी देश, दुनिया के तमाम विचारक और उद्योग जगत के गणमान्य महानुभाव बैठे हैं। आप अपने संस्थान के लिए Target कैसे बनाते हैं, आपके लिए सफलता की परिभाषा क्या है? बहुत से लोग कहेंगे कि हम पिछले साल जहां थे, वहां से अपना टारगेट तय करते हैं कि पहले 10 पर थे तो अब 12 पर जाएंगे, 13 पर जाएंगे, 15 पर जाएंगे। अगर 5-10 परसेंट की ग्रोथ है तो इसको अच्छा मान लिया जाता है। मैं कहूंगा कि यही “कर्स ऑफ इंक्रीमेन्टल थिंकिंग” है। ये इसलिए गलत है क्योंकि आप खुद को दायरे में बांध रहे हैं। क्योंकि आप खुद पर भरोसा करके अपनी गति से आगे नहीं बढ़ रहे हैं। मुझे याद है, मैं सरकार में आया था तो हमारी ब्यूरोक्रेसी भी इसी सोच में फंसी हुई थी। मैंने तय किया कि ब्यूरोक्रेसी को भी इस सोच से बाहर निकालूंगा तभी देश उस सोच से निकल पाएगा। मैंने पिछली सरकारों से कहीं ज्यादा Speed से, कहीं बड़े Scale पर काम करना तय किया। और आज इसका परिणाम दुनिया देख रही है। कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें बीते 10 सालों में इतना काम हुआ है जितना पिछले 70 साल में, 7 दशक में नहीं हुआ है। यानि 7 दशक और 1 दशक की तुलना कीजिए आप… 2014 तक 7 दशक में करीब 20 हजार किलोमीटर रेलवे लाइन का Electrification हुआ था, 7 दशक में 20 thousand kilometre. हमने अपनी सरकार के 10 साल में 40 हजार किलोमीटर से ज्यादा रेलवे लाइन का Electrification किया है। अब मुझे बताइए कोई मुकाबला है? मैं मई महिने की बात नहीं कर रहा हूँ। 2014 तक 7 दशक में 4 लेन या उससे अधिक के करीब 18 हजार किलोमीटर National Highways बने, 18 हजार। हमने अपनी सरकार के 10 सालों में ऐसे करीब 30 हजार किलोमीटर हाइवे बनाए हैं। 70 साल में 18 हजार किलोमीटर... 10 साल में 30 हजार किलोमीटर... अगर incremental सोच के साथ मैं काम करता तो कहां पहुंचता भाई?
साथियों,
2014 तक 7 दशक में भारत में 250 किलोमीटर से भी कम मेट्रो रेल नेटवर्क बना था। बीते 10 सालों में हमने 650 किलोमीटर से ज्यादा का नया मेट्रो रेल नेटवर्क बनाया है। 2014 तक 7 दशक में भारत में साढ़े 3 करोड़ परिवारों तक नल से जल के कनेक्शन था, साढ़े 3 करोड़… 2019 में हमने जल जीवन मिशन शुरू किया था। बीते 5 साल में ही हमने ग्रामीण इलाकों में 10 करोड़ से अधिक घरों तक नल से जल पहुंचा दिया हैं।
साथियों,
2014 के पहले के 10 साल में देश जिन नीतियों पर चला, वो वाकई देश को कंगाली की राह पर लेकर जा रही थीं। इस बारे में संसद के इसी सेशन में हमने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर के एक White Paper भी रखा है। आज उसकी चर्चा भी चल रही है और मुझे मैं आज जब इतना बड़ा audience है तो अपने मन की बात भी बता देता हूँ। ये White Paper जो मैं आज लाया हूँ ना, वो मैं 2014 में ला सकता था। राजनीतिक स्वार्थ अगर मुझे साधना होता तो वो आंकड़े मैं 10 साल पहले देश के सामने रख देता। लेकिन 2014 में जो चीजें जब मेरे सामने आई, मैं चौंक गया था। अर्थव्यवस्था हर प्रकार से बहुत गंभीर स्थिति में थी। घोटालों और पॉलिसी पैरालिसिस को लेकर पहले ही दुनियाभर के निवेशकों में घोर निराशा व्यापी थी। अगर मैं उन चीजों को उस समय खोल देता, ज़रा भी एक नया गलत सिग्नल जाता, तो शायद देश का विश्वास टूट जाता, लोग मानते डूब गए, अब नहीं बच सकते। जैसे किसी मरीज को पता चलें ना कि भई तुम्हें ये गंभीर बीमारी है, तो आधार तो वहीं खत्म हो जाता है, देश का वही हाल हो जाता। पॉलिटिकली मुझे वो सूट करता था, वो सारी चीजें बाहर लाना। राजनीति तो मुझे कहती है वो करो लेकिन राष्ट्रहित मुझे वो नहीं करने देती और इसलिए मैंने राजनीति का रास्ता छोड़ा, राष्ट्रनीति का रास्ता चुना। और पिछले 10 साल में जब सारी स्थितियां मजबूत हुई हैं। कोई भी हमला झेलने की हमारी ताकत बन चुकी है, तो मुझे लगा कि देश के सामने सत्य मुझे बता देनी चाहिए। और इसलिए मैंने कल parliament में मैंने White Paper पेश किया है। उसको देखोगे तो पता चलेगा, हम कहां थे और कितनी बुरी स्थितियों से निकलकर के आज हम यहां पहुंचे हैं।
साथियों,
आज आप भारत की उन्नति की नई ऊंचाई देख रहे हैं। हमारी सरकार ने अनेक-अनेक काम किए हैं। और अभी मैं देख रहा था कि दुनिया की तीसरी इकोनॉमी, तीसरी इकोनॉमी हमारे विनीत जी बार-बार कह रहे थे। और किसी को आशंका नहीं है मैं देख रहा था विनीत जी तो बड़ी नम्रता से बोलते हैं, अत्यंत soft spoken हैं। लेकिन फिर भी आप सब भरोसा करते हैं कि हां यार! हम तीसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे, क्यों? बगल में मैं बैठा था। और में आपको गारंटी देता हूँ, हमारे तीसरे टर्म में देश इकॉनोमी में दुनिया में नंबर 3 तक पहुंच जाएगा। और साथियों, आप ये भी तैयारी रखिए, मैं कोई चीज छिपाता नहीं हूँ। हर एक को तैयारी करने का मौका भी देता हूँ। लेकिन लोगों को क्या है कि लगता है Politician है तो बोलते रहते हैं। लेकिन अब जब अनुभव मेरा हो गया है आपको, मैं ऐसे ही बोलता नहीं हँ। और इसलिए मैं बताता हूँ, तीसरे टर्म में… और भी बड़े फैसले होने जा रहे हैं। भारत की गरीबी दूर करने, भारत के विकास को नई गति देने के लिए हमने नई योजनाओं की तैयारी पिछले डेढ़ साल से मैं कर रहा हूँ। और बहुत एक-एक दिशा में कैसे काम करूँगा, कहां ले जाऊंगा। इसका पूरा रोड मैप मैं बना रहा हूँ। और करीब-करीब 15 लाख से ज्यादा लोगों से मैंने सुझाव लिए हैं, अलग-अलग तरीके से। 15 लाख से ज्यादा लोगों से, उस पर काम करता रहा हूँ। जिसकी मैंने कभी Press Note नहीं दिए हैं, ये पहली बार बताता हूँ। काम चल रहा है और आने वाले कुछ दिनों तक 20-30 दिन के अंदर वो फाइनल रूप भी ले लेगा। नया भारत, अब ऐसे ही सुपर स्पीड से काम करेगा...और ये मोदी की गारंटी है। मैं आशा करता हूं कि इस समिट में सकारात्मक चर्चाएं होंगी। बहुत से अच्छे सुझाव निकलकर के आएंगे, जो हमको भी जो रोड मैप तैयार हो रहा है उसमें काम आएंगे। एक बार फिर इस आयोजन के लिए मेरी तरफ ढेर सारी शुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
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