पंचायती राज मंत्रालय
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केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल 18 जनवरी, 2024 को आंध्र प्रदेश के तिरूपति में स्वस्थ कल की ओर स्वस्थ गांव विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करेंगे


इस कार्यशाला का उद्देश्य समग्र कार्यों और सर्वोत्तम प्रथाओं के संदर्भ में अनुकरणीय रणनीतियों, दृष्टिकोण, समावेशी कार्यों और नवाचारी मॉडलों का प्रदर्शन करना है

राष्ट्रीय कार्यशाला में 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 800 से अधिक प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है

Posted On: 17 JAN 2024 1:27PM by PIB Delhi

केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल 18 जनवरी, 2024 को आंध्र प्रदेश के तिरूपति में स्वस्थ कल की ओर स्वस्थ गांव विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करेंगे। आंध्र प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री और पंचायती राज तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री बुदी मुत्याला नायडू, पंचायती राज मंत्रालय में सचिव श्री विवेक भारद्वाज और मुख्य सचिव, आंध्र प्रदेश सरकार डॉ. के एस जवाहर रेड्डी भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) द्वारा आंध्र प्रदेश सरकार के पंचायत राज और ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग सेयह राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। यह कार्यशाला विषयगत दृष्टिकोण अपनाने के माध्यम से ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर थीम 2: हेल्दी विलेज पर 18-20 जनवरी के दौरान आयोजित की जाएगी।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य समग्र कार्यों के संदर्भ में अनुकरणीय रणनीतियों, दृष्टिकोण, समावेशी कार्यों और नवाचारी मॉडल का प्रदर्शन करना होगा; जिसमे सर्वोत्तम प्रथाएं; स्वास्थ्य मापदंडों की निगरानी में पंचायतों की भूमिका, संचारी और गैर-संचारी बीमारियों से निपटने के बारे में निवारक उपाय और ग्राम स्वास्थ्य योजना को ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में एकीकृत करना भी शामिल है।

स्वस्थ गांव के विभिन्न पहलुओं पर इंटरैक्टिव समूह चर्चा के लिए भाग लेने वाले राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ विभिन्न कार्य समूहों का गठन किया जाएगा। इस विषय में प्रस्तुति विभिन्न प्रोत्साहनों के माध्यम से स्वस्थ गांव की कल्पना करने के लिए रणनीतियों, दृष्टिकोण और रोड मैप पर अभिज्ञान प्रदान करेगी। यह कार्य प्रत्येक नागरिक के लिए कुपोषण को कम करने के लिए निवारक उपाय, जीवनशैली संबंधी बीमारियां, वेक्टर जनित रोग और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने में पीआरआई की भूमिका एवं महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकेतकों को मापने के माध्यम से किया जाएगा।

संचारी और गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम के उपायों, गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता; महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए कुपोषण के मुद्दों से निपटने, बुजुर्गों और विशेष आवश्यकता वाले लोगों के लिए उपशामक देखभाल; जीवनशैली बीमारियों से निपटने में ग्राम पंचायतों की भूमिका, (उच्च रक्तचाप/मधुमेह/अस्थमा आदि); नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम और उपचार, नारकोटिक्स ड्रग्स,शराब और तंबाकू के हानिकारक उपयोग तथा यौन और प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तथा परिवार नियोजन सहित मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम और उपचार जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

यह कार्यशाला स्वस्थ कल के निर्माण की दिशा में सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और रणनीति बनाने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करती है। सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण का उद्देश्य वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को स्थानीय बनाना और जमीनी स्तर पर विशिष्ट चुनौतियों और अवसरों का समाधान करना है। एलएसडीजी की थीम 2 यानी स्वस्थ गांव स्वास्थ्य और कल्याण पर जोर देते हुए गांवों के समग्र विकास पर केंद्रित करती है।

पंचायती राज मंत्रालय में अपर सचिव, डॉ. चंद्र शेखर कुमार, विशेष मुख्य सचिव, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग, आंध्र प्रदेश सरकार श्री बुदिथि राजशेखर, संयुक्त सचिव, श्री विकास आनंद, आयुक्त, आरडी और पीआर विभाग, सरकार आंध्र प्रदेश की श्रीमती . सूर्या कुमारी और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति और पंचायत प्रतिनिधि भी इस राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेंगे। भारत सरकार और राज्य सरकारों के संबंधित विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारियों, एनआईआरडी एंड पीआर, एसआईआरडी एंड पीआर, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थानों, संयुक्त राष्ट्र/राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और देश भर से पंचायती राज संस्थानों के लगभग 800 निर्वाचित प्रतिनिधियों के भी इस कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है। तिरुपति में आयोजित यह राष्ट्रीय कार्यशाला नीति निर्माताओं, सरकारी अधिकारियों, विशेषज्ञों, पंचायत प्रतिनिधियों और हितधारकों को रणनीतिक और पहल के उद्देश्य से सक्षम वातावरण बनाने, स्थानीय कार्यों को प्रोत्साहित करने, संसाधनों को जुटाने और स्वस्थ ग्रामीण समुदायों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगी।

पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि और पदाधिकारी, आंध्र प्रदेश राज्य के विभिन्न संबंधित विभागों के अधिकारी भी इस राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेंगे। जिन पंचायतों को थीम 2: स्वस्थ गांव पर प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, उन्हें भी स्वस्थ गांव के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने पर केंद्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। पुरस्कृत/अच्छा प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतें स्वस्थ गांव के विभिन्न पहलुओं में अपने अनुभव साझा करेंगी और छोटी वीडियो फिल्म प्रस्तुति के माध्यम से स्वस्थ कल को बदलने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के शिक्षण का आदान-प्रदान करेंगी।

विभिन्न नवीन मॉडलों के माध्यम से सभी उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए अनुकरणीय कार्य करने वाली पंचायतें, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और राष्ट्रीय संगठन इस राष्ट्रीय कार्यशाला में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, झपीगो, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए), राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान,निमहांस और राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों जैसे ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआईएफ) के प्रतिनिधि भी योगदान देंगे और स्वस्थ गांव की दिशा में ठोस कार्यों में सक्रिय योगदान के लिए अपनी विशेषज्ञता को साझा करेंगे।

पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य 1 जनवरी, 2016 से लागू हुए हैं। पंचायत राज मंत्रालय ने इन लक्ष्यों के लिए विषयगत दृष्टिकोण अपनाया है। यह 'वैश्विक योजना' प्राप्त करने के लिए 'स्थानीय कार्रवाई' सुनिश्चित करने की एक पहल है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य 17 'लक्ष्यों' को '9 थीम' में एकत्रित करके पीआरआई, विशेष रूप से ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में एसडीजी को स्थानीय बनाना है। उचित नीतिगत निर्णयों और संशोधनों का पालन किया गया है जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) और ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में सुधार हुआ है। संशोधित आरजीएसए योजना के तहत, पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों और अन्य हितधारकों को पंचायत विकास योजनाओं में शामिल होकर मुख्य रूप से नौ विषयों पर एसडीजी के स्थानीयकरण पर काम करने के लिए सक्षम बनाया गया है। ग्राम पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए ग्रामीण योजनाएँ तैयार करने का काम सौंपा गया है। ग्राम सभा में, ग्राम पंचायतें समुदाय और अन्य हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से व्यापक योजना के लिए स्थानीय लक्ष्यों और कार्रवाई योग्य बिंदुओं की कल्पना करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एसडीजी प्राप्त करने के लिए विषयों की परिपूर्णता के लिए ग्राम पंचायत को ग्राम सभा में एलएसडीजी के विभिन्न विषयों पर संकल्प लेना होगा।

पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीयकृत करने के एजेंडे के अनुपालन में, पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) द्वारा परिपूर्ण किए जाने वाले नौ विषयों के आधार पर सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजी) के स्थानीयकरण पर विषयगत कार्यशालाओं/सम्मेलनों की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। यह आयोजन राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के पंचायती राज विभागों, राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थानों (एसआईआरडी एवं पीआर), संबंधित मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों के साथ निकट सहयोग से विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए जा रहे हैं। एलएसडीजी का सक्षम और प्रभावशाली कार्यान्वयन तभी हो सकता है जब अवधारणा और इसकी प्रक्रिया को त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) द्वारा ठीक से समझा जाए, आत्मसात किया जाए और कार्यान्वित किया जाए क्योंकि तभी यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई भी पीछे न छूटे।

स्वस्थ गांव का विजन ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को मजबूत करने और वितरित करने पर नए सिरे से ध्यान देने के साथ सभी उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ जीवन और कल्याण सुनिश्चित करना है। स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित सभी पहलुओं को बेहतर बनाने में ग्राम पंचायतों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। स्वास्थ्य ग्राम पंचायतों की क्रियात्मक जिम्मेदारी के रूप में शामिल उन 29 विषयों में से एक है, जो ग्राम पंचायतों को प्रदान की जाने वाली बुनियादी सेवाओं और कुछ अन्य विषयों में ग्राम पंचायतों में लोगों की स्वास्थ्य स्थिति में योगदान करते हैं।

ग्राम पंचायतों को स्वास्थ्य उप-केंद्रों/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों, टेली-मेडिसिन सुविधाओं जैसी उपचारात्मक सुविधाओं में प्रभावी और कुशल कार्य के माध्यम से और आपूर्ति जैसे निवारक उपाय करके अपने आप को स्वस्थ गांव में बदलने की कल्पना करनी होगी। इन सुविधाओं में सुरक्षित पेयजल, वेक्टर प्रजनन पर नियंत्रण, ठोस और तरल कचरे का प्रभावी संग्रह और निपटान, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरों में कुपोषण रोकने के उपाय, बाहरी गतिविधियों के माध्यम से जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को नियंत्रित करने के उपाय शामिल हैं। इसके अलावा, ग्राम पंचायत यह भी सुनिश्चित करेगी कि सभी ग्रामीणों, बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को उचित भोजन और पोषण मिले।

ग्राम पंचायतों को स्वास्थ्य, आयुष, महिला एवं बाल विकास, पेयजल एवं स्वच्छता, युवा मामले, स्कूल शिक्षा आदि विभागीय पदाधिकारियों के सक्रिय सहयोग से ग्राम स्वास्थ्य योजना तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

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