उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की वर्षांत समीक्षा-2023


प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत एक जनवरी, 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए 81.35 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों के लिए मुफ्त खाद्यान्न

केंद्र ने 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की एमआरपी पर 'भारत' आटे की बिक्री शुरू की

तीसरे चरण के दौरान आईसीडीएस, पीएम-पोषण और टीपीडीएस के तहत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 207.31 एलएमटी फोर्टिफाइड चावल उठाया गया

लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न के पारदर्शी और सुनिश्चित वितरण के लिए 99.8 प्रतिशत उचित दर की दुकानें इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) उपकरणों का उपयोग करके स्वचालित की गईं

2023 में नवंबर तक, 28 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन ने 80 एलएमटी से अधिक खाद्यान्न का वितरण किया

Posted On: 27 DEC 2023 12:56PM by PIB Delhi

वर्ष 2023 के दौरान खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की गतिविधियों की प्रमुख झलकियां इस प्रकार हैं:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई):

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) देश में कोविड​​-19 महामारी के प्रकोप के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट की वजह से गरीबों और जरूरतमंदों को होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के विशिष्ट उद्देश्य से शुरू की गई थी। कोविड संकट को देखते हुए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न का आवंटन नियमित आवंटन के अतिरिक्त था। पीएमजीकेएवाई (चरण I-VII) के तहत 28 महीने की अवधि में लगभग 1,118 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न को आवंटित किया गया, जिसका कुल नियोजित वित्तीय परिव्यय लगभग 3.91 लाख करोड़ रुपये था।

केंद्र सरकार ने गरीब लाभार्थियों के वित्तीय बोझ को दूर करने और राष्ट्रव्यापी एकरूपता एवं अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लाभार्थियों यानी एएवाई परिवारों और पीएचएच लाभार्थियों को शुरुआत में एक जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिए मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। इससे पहले, एनएफएसए के तहत, लाभार्थियों को चावल के लिए तीन रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए दो रुपये प्रति किलोग्राम और मोटे अनाज के लिए एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी वाला खाद्यान्न वितरित किया गया।

केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार, अन्य बातों के साथ-साथ दो खाद्य सब्सिडी योजनाओं को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) में शामिल कर दिया गया है।

लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और गरीबों तक खाद्यान्न की पहुंच, वहनीयता व उपलब्धता के संदर्भ में एनएफएसए- 2013 के प्रावधानों को मजबूत करने और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार ने एक जनवरी, 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत लगभग 81.35 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों (यानी अंत्योदय अन्न योजना-एएवाई परिवारों और प्राथमिकता वाले परिवारों- पीएचएच लाभार्थियों) को एनएफएसए के तहत पात्रता के अनुरूप नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराना जारी रखने का निर्णय किया है।

पीएमजीकेएवाई योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) का प्रभावी और समान कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी। एक राष्ट्र- एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत, जो राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी की एक सफल पहल है, कोई भी लाभार्थी पूरे देश में एक समान एनएफएसए पात्रता और कीमत पर किसी भी एफपीएस से खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है। नि:शुल्क खाद्यान्न एक साथ पूरे देश में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत पोर्टेबिलिटी के एकसमान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के साथ इस विकल्प-आधारित मंच को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

पीएमजीकेएवाई के तहत जनवरी से नवंबर 2023 तक वितरण का विवरण

महीने

वितरण मात्रा (एमटी)

जनवरी, 2023

40,72,922

फरवरी, 2023

40,93,818

मार्च, 2023

41,19,561

अप्रैल, 2023

40,64,491

मई, 2023

40,84,928

जून, 2023

40,91,201

जुलाई, 2023

41,24,719

अगस्त, 2023

41,20,305

सितम्बर, 2023

40,65,725

अक्टूबर, 2023

41,02,089

नवम्बर, 2023*

38,42,479

* नवंबर 2023 महीने के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत वितरण के अंतिम आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं।

भारत आटे की बिक्री

गेहूं व आटे की कीमतों को नियंत्रित करने और आम उपभोक्ताओं को कम कीमत पर आटा उपलब्ध कराने के लिए ओएमएसएस (डी) के तहत अर्द्ध-सरकारी व सहकारी संगठनों जैसे कि केंद्रीय भंडार, भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नेफेड) को आटा बनाने के लिए 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया गया। इसे लोगों को 'भारत आटा' ब्रांड के तहत अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) 27.50/किलोग्राम पर बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के तहत आवंटित गेहूं की मात्रा को और अधिक बढ़ाकर चार लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।

मुक्‍त बाज़ार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस(डी)]:

वर्ष 2023 के दौरान मुक्‍त बाजार बिक्री योजना (घरेलू) (ओएमएसएस(डी)) के माध्यम से एफसीआई द्वारा ई-नीलामी के माध्यम से अब तक कुल 82.89 लाख मीट्रिक टन गेहूं और 3.04 लाख मीट्रिक टन चावल खुले बाजार में बेचा गया है।

* चूंकि अब कोविड-19 के प्रकोप की स्थिति नहीं है, इसलिए लॉकडाउन की स्थिति के कारण प्रवासी मजदूरों/गरीबों के लिए राहत कार्यों/राहत शिविर चलाने में लगे सभी धर्मार्थ/गैर-सरकारी संगठनों आदि को ओएमएसएस (डी) के तहत खाद्यान्न की बिक्री बंद कर दी गई है। हालांकि, मार्च 2024 तक सामुदायिक रसोई में गेहूं के लिए 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम और चावल के लिए 24.00 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खाद्यान्न की बिक्री के लिए उप-योजना को जारी रखा जा रहा है।

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना की प्रगति:

अगस्त, 2019 में केवल 4 राज्यों में अंतर-राज्य पोर्टेबिलिटी के साथ ओएनओआरसी की शुरुआत की गई थी। अब इस योजना को सभी 36 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों (पूरे देश में) में कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके तहत लगभग देश के 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थी (100 फीसदी एनएफएसए जनसंख्या) शामिल हैं। छत्तीसगढ़ और असम राज्य क्रमशः फरवरी, 2022 और जून, 2022 में ओएनओआरसी में शामिल हुए।

अगस्त 2019 में ओएनओआरसी योजना की शुरुआत के बाद से देश में ओएनओआरसी योजना के तहत 125 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेन-देन दर्ज किए गए हैं, जिसमें 241 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है, जिसमें राज्य के भीतर और राज्य के बाहर लेन-देन शामिल हैं।

वर्ष 2023 के दौरान 11 महीनों में लगभग 28 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन-देन किए गए, जिसमें एनएफएसए और पीएमजीकेएवाई के राज्य के भीतर और राज्य के बाहर पोर्टेबिलिटी लेन-देन के तहत 80 लाख मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किए गए। वर्तमान में पीएमजीकेएवाई खाद्यान्न वितरण के तहत हर महीने 2.5 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेन-देन दर्ज किए जा रहे हैं।

टीपीडीएस, ओडब्ल्यूएस और अतिरिक्त आवंटन (बाढ़, त्योहार आदि) के तहत 2023-24 के लिए खाद्यान्न का वार्षिक आवंटन:

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, एनएफएसए {अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई), प्राथमिकता वाले परिवार (पीएचएच), टाइड ओवर, प्रधानमंत्री पोषण योजना, गेहूं आधारित पोषण कार्यक्रम [समग्र आईसीडीएस का एक घटक]} और अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे किशोर लड़कियों के लिए योजना, अन्नपूर्णा योजना और कल्याण संस्थान व छात्रावास योजना (डब्ल्यूआईएच) के तहत खाद्यान्न का आवंटन करता है। वर्ष 2023-24 के लिए योजना-वार आवंटन संलग्न है।

 

2023-24 हेतु खाद्यान्न का वार्षिक आवंटन

 

लाख टन में

 

 

योजना का नाम

चावल

गेहूं

न्यूट्री-अनाज

कुल

टीपीडीएस (एनएफएसए आवंटन)

 

 

 

अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई)

73.01

26.58

0.00

99.59

 

प्राथमिकता घरेलू (पीएचएच)

280.96

137.45

9.53

427.94

 

टीपीडीएस (टाइड ओवर)

21.25

5.03

0.00

26.29

 

पीएम पोषण (एमडीएम)

19.36

4.26

0.00

23.61

 

डब्ल्यूबीएनपी (आईसीडीएस)

12.83

11.28

0.00

24.11

 

कुल

407.40

184.60

9.53

601.53

 

 

 

 

 

 

 

बी

अन्य कल्याणकारी योजनाएं

 

 

 

 

छात्रावास एवं कल्याण संस्थान

2.90

0.78

0.00

 

3.67

 

 

किशोरियों के लिए योजना (एसएजी)

0.225

0.225

0.00

 

0.45

 

 

अन्नपूर्णा

0.00

0.00

0.00

 

0.00

 

 

 

कुल

3.12

1.00

0.00

 

4.12

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सी

अतिरिक्त आवंटन (त्योहार, आपदा, अतिरिक्त टीपीडीएस आदि)

 

 

 

 

प्राकृतिक आपदा आदि
(एमएसपी दरें)

0.30

0.00

0.00

 

0.30

 

 

 

त्योहार/अतिरिक्त आवश्यकता आदि
(आर्थिक लागत)

0.93

0.60

0.00

 

1.53

 

 

 

कुल

1.23

0.60

0.00

 

1.83

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

+बी+सी

कुल योग

411.75

186.20

9.53

 

607.49

 

 

 

चावल के फोर्टिफिकेशन और प्रवर्धन पर प्रधानमंत्री की घोषणा:

प्रधानमंत्री ने 75वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2021) के अवसर पर अपने संबोधन में सरकारी योजनाओं के दौरान फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति करके पोषण प्रदान करने की घोषणा की। इस घोषणा के अनुसार, भारत सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और आईसीडीएस और पीएम पोषण सहित भारत सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं में चरणबद्ध तरीके से फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति को मंजूरी प्रदान की।

चरण-I (2021-22): चरण-I आईसीडीएस और पीएम-पोषण को कवर करते हुए लागू किया गया। आईसीडीएस और पीएम पोषण के तहत वितरण के लिए राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों द्वारा लगभग 17.51 एलएमटी फोर्टिफाइड चावल उठाया गया।

चरण- II (2022-23): टीपीडीएस और ओडब्ल्यूएस के तहत सभी आईसीडीएस, पीएम-पोषण केंद्रों और 291 आकांक्षी और उच्च बोझ वाले जिलों को कवर करते हुए चरण- II का कार्यान्वयन अप्रैल, 2022 से शुरू किया गया। चरण- II 31 मार्च 2023 को पूरा हो गया। आईसीडीएस, पीएम-पोषण और टीपीडीएस के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लगभग 136 एलएमटी फोर्टिफाइड चावल उठाया गया।

चरण-III (2023-24): चरण-III का कार्यान्वयन अप्रैल, 2023 से शुरू आरंभ हुआ और 31.03.2024 तक कार्यान्वयन के अधीन है। 01.12.2023 तक, आईसीडीएस, पीएम-पोषण और टीपीडीएस के तहत राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों द्वारा लगभग 207.31 एलएमटी फोर्टिफाइड चावल उठाया गया है।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) सुधार:

  • सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एनएफएसए के तहत शत-प्रतिशत  डिजिटल राशन कार्ड/लाभार्थियों का डेटा। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पारदर्शिता पोर्टल पर लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करने वाले लगभग 20.06 करोड़ राशन कार्डों का विवरण उपलब्ध है।
  • राशन कार्डों (कम से कम एक सदस्य) 99.8 प्रतिशत  से अधिक की आधार सीडिंग।
  • देश में लगभग 99.8प्रतिशत  (कुल 5.44 लाख में से 5.41 लाख) उचित दर की दुकानें (एफपीएस) लाभार्थियों को सब्सिडी वाले खाद्यान्नों के पारदर्शी और सुनिश्चित वितरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) उपकरणों का उपयोग करके स्वचालित हो चुकी हैं।
  • खाद्यान्न वितरण के तहत, 97 प्रतिशत  से अधिक लेन-देन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा प्रमाणित बायोमैट्रिक/आधार पर दर्ज किए गए हैं।

खरीद परिचालनों में -गवर्नेंस:

भारत सरकार ने एक एप्लिकेशन इको-सिस्टम के विकास की दिशा में एमटीपी (न्यूनतम थ्रेशोल्ड पैरामीटर्स) की शुरुआत की है, जिसमें निगरानी और रणनीतिक निर्णय लेने तथा एकरूपता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम थ्रेशोल्ड पैरामीटर्स सहित सभी राज्य खरीद पोर्टलों को एकीकृत करके खरीद के संबंध में अपेक्षित जानकारी एकल स्रोत पर उपलब्ध है। एमटीपी में आधार सीडिंग वाले किसानों का ऑनलाइन पंजीकरण, भूमि रिकॉर्ड का एकीकरण, डिजिटलीकृत मंडी परिचालन, किसानों को एमएसपी हस्तांतरण, चावल/गेहूं वितरण प्रबंधन, बिलों का स्वत: जेनरेट होना आदि शामिल है। ऑनलाइन खरीद प्रणाली ने बिचौलियों से खरीद को बड़े पैमाने पर खत्म कर दिया है और इसकी परिणति किसानों को बेहतर एमएसपी के लक्ष्यीकरण में हो रही है।

खाद्यान्नों की खरीद:

चालू खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2023-24 के दौरान, 17.12.2023 तक, 365.48 एलएमटी धान (चावल के संदर्भ में 244.99 एलएमटी) की खरीद की गई है, जिससे 30,90,303 किसानों को 80,515.26 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य से लाभ हुआ है।

रबी विपणन सीज़न (आरएमएस) 2023-24 के दौरान, 262.02 एलएमटी गेहूं की खरीद की गई, जिससे 21,28,985 किसानों को 55,679.73 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य से लाभ हुआ।  

मोटे अनाज/श्री अन्‍न की खरीद:

पिछले दो वर्षों के दौरान मोटे अनाज/ श्री अन्‍न की खरीद और चालू वर्ष के लिए अनुमानित खरीद इस प्रकार है:

के एम एस

जिन्‍सें

आंकड़े मीट्रिक टन में

2021-22


ज्वार

 

156575

 

बाजरा

13251

 

मक्का

22767

 

रागी

437339

 

कुल

629931

2021-22

ज्वार

85197

 

बाजरा

182005

 

मक्का

13122

 

रागी

456745

 

कुल

737069

2023-24*

ज्वार

162548

 

बाजरा

743000

 

मक्का

168778

 

रागी

455185

 

माइनर मिलेट्स

11470

 

कुल

1540981

*राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों से प्राप्त अनुरोध के अनुसार अनुमानित खरीद मात्रा।

गेहूं भंडार सीमा को लागू करना:

i. समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और जमाखोरी व गलत सट्टेबाजी को रोकने के लिए भारत सरकार ने 12 जून, 2023 को गेहूं स्टॉक सीमा लागू की है, जो सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं व प्रोसेसर पर लागू है। यह सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च 2024 तक लागू है, जिसे 08.12.2023 को निम्नानुसार संशोधित किया गया है:

इकाई

गेहूं भंडारण सीमा

व्यापारी/थोक विक्रेता

1000 मीट्रिक टन

खुदरा विक्रेता

प्रत्येक रिटेल आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन

बड़ी श्रृंखला के लिए खुदरा विक्रेता

प्रत्येक आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन और उनके सभी डिपो पर 1000 मीट्रिक टन

प्रोसेसर

2023-24 के शेष महीनों में मासिक आधार पर स्थापित क्षमता का 70% हिस्सा बढ़ाया गया।

(ii) गेहूं स्टॉक पोर्टल (18.12.2023 तक) पर पंजीकृत संस्थाओं की कुल संख्या 20,456 है और गेहूं स्टॉक पोर्टल पर 65.43 लाख मीट्रिक टन गेहूं का भंडार घोषित किया गया है

भंडारण क्षेत्र

खाद्यान्नों का भंडारण एवं भंडारण क्षमता में वृद्धि:

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) भंडारण क्षमता का लगातार आकलन और निगरानी करता है और भंडारण अंतर मूल्यांकन के आधार पर, भंडारण संबंधी व्यवस्था की जाती है या किराए पर ली जाती हैं। भारतीय खाद्य निगम में भंडारण क्षमता की आवश्यकता मुख्य रूप से चावल और गेहूं के लिए खरीद के स्तर, बफर मानदंडों की आवश्यकता और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के संचालन पर निर्भर करती है। खरीद करने वाले राज्यों में भंडारण अंतर का आकलन पिछले तीन वर्षों में उच्चतम भंडार स्तर के आधार पर किया जाता है और उपभोग करने वाले राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य नये गोदामों के सृजन/निर्माण हेतु कल्याण योजना (ओडब्लूएस) की 4 महीने (पूर्वोत्तर क्षेत्रों के मामले में 6 महीने) की आवश्यकता के आधार पर किया जाता है। 01 दिसंबर 2023 तक, भारतीय खाद्य निगम के पास 363.69 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) की भंडारण क्षमता उपलब्ध है और खाद्यान्न के केंद्रीय पूल भंडार के लिए राज्य एजेंसियों के पास 397.60 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) की भंडारण क्षमता उपलब्ध है। परिणामस्वरूप, खाद्यान्नों के केंद्रीय पूल भंडार के भंडारण के लिए कुल कवर क्षमता 761.29 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) उपलब्ध है। (सीएपी क्षमताओं का अब उपयोग नहीं किया जाता है और चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जा रहा है)।

  निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) योजना:

भंडारण की आवश्यकता को पूरा करने और देश भर में खाद्यान्नों का सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, सरकार निजी उद्यमियों, केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) और राज्य भंडारण निगमों (एसडब्ल्यूसी) के माध्यम से भंडारण क्षमता बनाने के लिए निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) योजना लागू कर रही है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) योजना के अलावा योजना व्यवस्था और कोष्‍ठागार के माध्यम से क्षमता वृद्धि को भी अत्यधिक महत्व दिया जाता है। निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) योजना के अंतर्गत, जिसे वर्ष 2008 में गैर-विकेंद्रीकृत खरीद राज्यों (डीसीपी) के लिए तैयार किया गया था और बाद में वर्ष 2009 में डीसीपी राज्यों तक विस्तारित किया गया था, निजी निवेश को आकर्षित करके 22 राज्यों में पारंपरिक गोदामों का निर्माण किया गया है। एफसीआई निजी निवेशकों को भंडारण क्षमताओं के 10 वर्ष और सीडब्ल्यूसी और एसडब्ल्यूसी को 9 वर्ष की गारंटी देता है। 01 दिसंबर 2023 तक गोदामों के लिए स्वीकृत कुल क्षमता 151.74 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) है। इसमें से 146.45 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) की क्षमता प्राप्त की जा चुकी है।

 ● भारतीय गुणवत्ता परिषद से एफसीआई के स्वामित्व और किराये पर लिए गए गोदामों का तृतीय पक्ष मूल्यांकन-

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा संचालित सभी गोदामों का तृतीय पक्ष मूल्यांकन भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के माध्यम से किया गया, जिसमें भौतिक बुनियादी ढांचे, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का अनुपालन, सुरक्षा मानकों और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के साथ बेंचमार्किंग जैसे क्षेत्र शामिल रहे। इसके अनुसार, सभी गोदामों की ग्रेडिंग छह श्रेणियों अर्थात् "उत्कृष्ट, 5 स्टार, 4 स्टार, 3 स्टार, 2 स्टार और 1 स्टार" में की गई थी।

क्यूसीआई ने एफसीआई के स्वामित्व वाले 556 डिपो और एफसीआई द्वारा किराए पर लिए गए 1591 डिपो के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत की और इसके अनुसार कमियों और सुधार के क्षेत्रों की पहचान की गई। क्यूसीआई फीडबैक के आधार पर, एफसीआई ने एसओपी की फिर से जांच/संशोधन किया। संशोधित एसओपी को क्षेत्रीय कार्यालयों में प्रसारित किया गया। गोदामों के उन्नयन हेतु कार्ययोजना तैयार की गयी। इसके अनुसार, एफसीआई ने क्यूसीआई द्वारा बताई गई कमियों में सुधार किया है और एफसीआई कार्यालयों द्वारा इसका मूल्यांकन किया गया है।

इसके अलावा, डीएफपीडी के निर्देशानुसार, क्यूसीआई ने एफसीआई के स्वामित्व वाले डिपो का पुनर्मूल्यांकन किया है जो 4-स्टार, 5-स्टार और उत्कृष्ट श्रेणी में स्थानांतरित हो गए हैं। मूल्यांकन पूरा हो गया है और उन्नयन के बाद एफसीआई के स्वामित्व वाले 479 डिपो 5 स्टार और उससे ऊपर की श्रेणी में आते हैं, जो क्यूसीआई द्वारा किए गए पहले मूल्यांकन में केवल 102 थे।

भंडारण क्षेत्र की इस वर्ष की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ थीं:

i. सीएपी (कवर और प्लिंथ) का कवर क्षमता में रूपांतरण - परंपरागत रूप से, गेहूं को राज्य एजेंसियों/एफसीआई द्वारा मुख्य रूप से खरीद क्षेत्रों में सीएपी (कवर और प्लिंथ) में भी संग्रहित किया जाता है। हालांकि, सीएपी की इस क्षमता यानी लगभग 180 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए एक नीतिगत निर्णय लिया गया। राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद एफसीआई द्वारा विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई थी, जिसे 10 मई 2022 को भारत सरकार (डीएफपीडी) द्वारा अनुमोदित किया गया। कवर क्षमता बनाने का भी निर्णय लिया गया ताकि भविष्य में सीएपी का उपयोग करने की कोई आवश्यकता न हो। एफसीआई ने प्रस्तावित नई 5 वर्ष की गारंटी योजना के अंतर्गत 117.75 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) भंडारण क्षमता बनाने का प्रस्ताव दिया है और इसे डीएफपीडी द्वारा अनुमोदित किया गया है। भंडारण परिदृश्य में बदलाव के कारण, पहले चरण में हरियाणा (4 एलएमटी) और पंजाब (9 एलएमटी) में 13 एलएमटी की परिकल्पना की गई है। इसके लिए हरियाणा और पंजाब में पहले ही टेंडर जारी किए जा चुके हैं।

 ii.  परिसंपत्ति मुद्रीकरण-

केंद्रीय पूल भंडार/सीएपी चरण समाप्ति के लिए राज्यों द्वारा परिसंपत्ति मुद्रीकरण:

चरण 1 में पंजाब (9 एलएमटी) और हरियाणा (4 एलएमटी) में 13 एलएमटी का निर्माण करने की योजना है। पंजाब (पनग्रेन) और हरियाणा (हैफेड) में संबंधित नोडल एजेंसियों द्वारा निविदाएं जारी की गई हैं।

केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार एफसीआई परिसंपत्तियों का आधुनिकीकरण और मुद्रीकरण/एफसीआई रिक्त भूमि:

श्रेणी ए: ऐसी संपत्तियां जहां भूमि उपलब्ध है और क्षेत्र में भंडारण की कमी है, पीएमएस के अंतर्गत 21 स्थानों पर 4.32 एलएमटी और 48 स्थानों पर गैर पीएमएस के तहत 2.80 एलएमटी के लिए भंडारण क्षमता बनाई जाएगी।

श्रेणी बी: ऐसी संपत्तियां जहां भूमि उपलब्ध है, लेकिन भंडारण में कोई खामी नहीं है

श्रेणी सी: उच्च मुद्रीकरण मूल्य के साथ शहरी क्षेत्रों में स्थित संपत्ति

श्रेणी डी: मौजूदा रेलवे बुनियादी ढांचे वाली संपत्ति

केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) को 29 स्थानों की पेशकश की गई है जिसके लिए सीडब्ल्यूसी द्वारा निविदाएं जारी की गई हैं।

iii. भण्डारण विकास नियामक प्राधिकरण (डब्लूडीआरए) प्रमाणन- गोदामों को मानकीकृत करने के लिए भण्डारण विकास नियामक प्राधिकरण से एफसीआई के स्वामित्व वाले 557 गोदामों का प्रमाणीकरण लेने का निर्णय लिया गया। 552 एफसीआई डिपो को भण्डारण विकास नियामक प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित किया गया है। 2 मामलों में, प्रमुख इंजीनियरिंग मरम्मत चल रही है। 03 गोदामों को अस्वीकृत कर दिया गया है जिन्हें परिसंपत्ति मुद्रीकरण के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।

iv. मॉडल टेंडर फॉर्म को जीईएम के अनुरूप बनाया गया- सभी फील्ड कार्यालय जीईएम पोर्टल पर संबंधित 'पंजीकृत सेवा श्रेणी' के माध्यम से हैंडलिंग और परिवहन अनुबंध व सड़क परिवहन अनुबंध निविदाएं जारी कर रहे हैं। 11 अप्रैल 2023 प्रासंगिक मॉड्यूल की बेहतर समझ के लिए एफसीआई क्षेत्रीय और आंचलिक कार्यालयों के साथ-साथ संभावित बोलीदाताओं के लिए जीईम के समन्वय से प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं। अब एफसीआई टीसी/आरटीसी/एचटीसी निविदाएं जीईएम के अनुरूप हैं।

खाद्यान्नों का वैज्ञानिक भंडारण

 1. भंडारण क्षमता में वृद्धि और उन्नयन/आधुनिकीकरण के लिए भारत सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माध्यम के अंतर्गत देश भर में 100 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) क्षमता वाले कोष्ठागार के निर्माण के लिए एक कार्य योजना को मंजूरी दे दी है। 100 एलएमटी में से 29 एलएमटी क्षमता वाले कोष्ठागार का निर्माण पीपीपी मोड के अंतर्गत एफसीआई द्वारा, 2.5 एलएमटी सीडब्ल्यूसी द्वारा और 68.5 एलएमटी क्षमता वाले कोष्ठागार का निर्माण राज्य सरकार द्वारा किया जाना था। जिसमें से 29 स्थानों पर 14.75 एलएमटी की क्षमता पूरी हो चुकी है और उपयोग में लाई जा चुकी है, 18 स्थानों पर 9.00 एलएमटी क्षमता कार्यान्वयन के अधीन है। इसके अलावा, वर्ष 2007-09 में सर्किट मॉडल के अंतर्गत 7 स्थानों पर 5.50 एलएमटी की कोष्ठागार क्षमता बनाई गई, जिसका उपयोग भी किया जा रहा है, इस प्रकार पूरी की गई और उपयोग में लाई गई कुल क्षमता 20.25 एलएमटी है। इनमें से अधिकांश कोष्ठागार रेलवे साइडिंग के पास हैं।

2. साइलो का हब और स्पोक मॉडल: साइलो (कोष्ठागार) के विकास को और बढ़ाने के लिए, एफसीआई ने देश भर में चरणबद्ध तरीके से 249 स्थानों पर 111.125 एलएमटी क्षमता के साइलो के विकास के लिए रूपरेखा तैयार किया है, जिनमें से अधिकांश सड़क-पोषित होंगे और हब और स्पोक मॉडल पर काम करेंगे। यह अनुमान लगाया गया है कि हब और स्पोक मॉडल कुशल होगा और रेल साइडिंग साइलो के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित जटिलताएं नहीं होंगी। हब एंड स्पोक मॉडल के पहले चरण में, 80 स्थानों पर 34.875 एलएमटी क्षमता के साइलो का निर्माण करने की योजना है, जिसमें से 14 स्थानों पर 10.125 एलएमटी क्षमता डीबीएफओटी मोड (एफसीआई की अपनी भूमि) के अंतर्गत और 66 स्थानों पर 24.75 एलएमटी क्षमता डीबीएफओओ मोड के तहत बनाई जाएगी। चरण-I स्थानों के लिए निविदाएं प्रदान कर दी गई हैं। 18 बंडलों/परियोजनाओं में डीबीएफओओ मोड के अंतर्गत 66 स्थानों पर 30.75 एलएमटी साइलो के चरण 2 के लिए निविदाएं 05.05.2023 को जारी की गई हैं और बोलियां 21.09.2023 को खोली गई हैं और वर्तमान में तकनीकी मूल्यांकन चरण में हैं।

भंडारण गोदामों के निर्माण के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना 

विभाग कुछ अन्य राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ गोदामों के निर्माण के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना (पूर्व योजना व्यवस्था) लागू कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत, केंद्रीय क्षेत्र योजना (2017-20) को 31.03.2025 तक बढ़ा दिया गया है, इसके अंतर्गत भूमि अधिग्रहण और खाद्य भंडारण गोदामों और रेलवे साइडिंग, विद्युतीकरण, वेटब्रिज की स्थापना आदि जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निवेश के रूप में एफसीआई को सीधे धनराशि जारी की जाती है। पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 1,05,890 मीट्रिक टन और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के अलावा 56,690 मीट्रिक टन की कुल क्षमता को 419.99 करोड़ रुपये (पूर्वोत्तर के लिए 315.41 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर के अलावा अन्य के लिए 104.58 करोड़ रुपये), जिसे बढ़ाकर रु. 484.08 करोड़ (पूर्वोत्तर के लिए 379.50 करोड़ रुपये और पूर्वोत्तर के अलावा अन्य के लिए 104.58 करोड़ रुपये) के वित्तीय परिव्यय के साथ पूरा करने की मंजूरी दी गई है। सीएसएस के अंतर्गत, एफसीआई द्वारा 01.04.2017 से 30.11.2023 तक कुल 77,650 मीट्रिक टन (पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 56,430 मीट्रिक टन, पूर्वोत्तर क्षेत्रों के अलावा 21,220 मीट्रिक टन) की क्षमता बनाई गई है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 5 कार्य (49,460 मीट्रिक टन) हैं जो वर्तमान में प्रगति पर हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्रों के अलावा, कुल 4 कार्य (33,540 मीट्रिक टन) प्रगति पर हैं।

चीनी क्षेत्र

भारतीय चीनी उद्योग कृषि-आधारित एक महत्वपूर्ण उद्योग है जो लगभग 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके परिवारों व चीनी कारखानों में सीधे कार्यरत लगभग 5 लाख श्रमिकों की ग्रामीण आजीविका को प्रभावित करता है। परिवहन, व्यापार मशीनरी की सर्विसिंग और कृषि उत्पादन की आपूर्ति से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में भी रोजगार उत्पन्न होता है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। आज, भारतीय चीनी उद्योग का वार्षिक उत्पादन लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये है।

चीनी सीजन 2022-23 में देश में 534 चीनी मिलें चालू थीं। गन्ने का औसत वार्षिक उत्पादन अब लगभग 5000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) तक बढ़ गया है, जिसका उपयोग इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 43 एलएमटी चीनी को हटाने के बाद लगभग 330 एलएमटी चीनी का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। लगभग 280 एलएमटी चीनी की घरेलू खपत को पूरा करने के बाद, चीनी सीजन 2022-23 के दौरान 63 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया।

सरकार द्वारा उठाए गए किसान-समर्थक उपायों के परिणामस्वरूप, पिछले चीनी सीज़न का लगभग 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया चुका दिया गया है। चीनी सीजन 2022-23 के लिए गन्ना बकाया 1,14,494 करोड़ रुपये के सापेक्ष, लगभग 1,12,829 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और केवल 1,665 करोड़ रुपये बकाया चुकाना है। इस प्रकार, किसानों को 98 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप सबसे कम गन्ना बकाया लंबित है।

इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम

इथेनॉल एक कृषि-आधारित उत्पाद है जिसका उपयोग ईंधन के रूप में पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण और हैंड सैनिटाइज़र के निर्माण सहित कई अन्य औद्योगिक उपयोगों में किया जाता है। इसका उत्पादन चीनी उद्योग के सह-उत्पाद, अर्थात् गुड़ और स्टार्चयुक्त खाद्यान्न से किया जाता है। गन्ने के अधिशेष उत्पादन के वर्षों में, जब कीमतें कम होती हैं, तो चीनी उद्योग किसानों को गन्ना मूल्य का समय पर भुगतान करने और अतिरिक्त चीनी की समस्या का स्थायी समाधान खोजने तथा चीनी मिलों की मदद करके उनकी लिक्विडिटी में सुधार करने में असमर्थ होता है। समय पर गन्ने की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए, सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। भारत सरकार पूरे देश में इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसमें तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) सम्मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं। ईबीपी कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है।

वर्ष 2014 तक गुड़ आधारित डिस्टिलरीज की इथेनॉल आसवन क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में ओएमसी को इथेनॉल की आपूर्ति 1.53 प्रतिशत सम्मिश्रण स्तर के साथ केवल 38 करोड़ लीटर ही थी। हालांकि, पिछले 9 वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के कारण गुड़ आधारित डिस्टिलरीज की क्षमता बढ़कर 875 करोड़ लीटर हो गई है। अनाज आधारित डिस्टिलरीज की क्षमता बढ़कर 505 करोड़ लीटर हो गई है।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (दिसंबर-अक्टूबर) 2022-23 के दौरान, 12 प्रतिशत का सम्मिश्रण लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया, जिसके लिए पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण के लिए लगभग 502 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की गई। देश में इथेनॉल उत्पादन की मौजूदा क्षमता (30 नवंबर, 2023 तक) बढ़कर 1380 करोड़ लीटर (505 करोड़ लीटर अनाज आधारित और 875 करोड़ लीटर गुड़ आधारित डिस्टिलरीज) हो गई है। पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रित (ईबीपी) कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन से विभिन्न पहलुओं में कई लाभ हुए हैं:

इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों के लिए बेहतर नकदी प्रवाह हुआ है जिसके परिणामस्वरूप गन्ना किसानों को बकाया राशि का शीघ्र भुगतान हुआ है। पिछले 10 वर्षों (2014-15 से 2022-23) में, चीनी मिलों ने इथेनॉल की बिक्री से 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया है, जिससे चीनी मिलों की आय में काफी बढोतरी हुई है।

इथेनॉल के उत्पादन ने आयातित पेट्रोल या कच्चे तेल की जगह ले ली है जिसके परिणामस्वरूप भारत के लिए विदेशी मुद्रा की काफी बचत हुई है। वर्ष 2022-23 में, लगभग 502 करोड़ लीटर इथेनॉल के उत्पादन से भारत में 24,300 करोड़ रूपये की विदेशी मुद्रा बची है तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा में भी सुधार हुआ है।

भारत सरकार ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन में कमी के संबंध में अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन लगभग 30-50 प्रतिशत और अन्य हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन लगभग 20 प्रतिशत कम हुआ है। वास्तव में परिवहन में इथेनॉल का बढ़ता उपयोग भारतीय परिवहन क्षेत्र को हरित और पर्यावरण के अनुकूल बना देगा।

इस प्रभावी सरकारी नीति के परिणामस्वरूप 40,000/- करोड़ रूपये से अधिक के निवेश के अवसर सामने आए हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में नई डिस्टिलरीज की स्थापना को बढावा मिला है और इन क्षेत्रों में लगभग 60,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन में मदद मिली है। उम्मीद है कि वर्ष 2025-26 तक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के रूप में एक लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

चीनी क्षेत्र में डिजिटलीकरण

इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढावा देने, पारदर्शिता लाने और चीनी मिलों को सुविधा प्रदान करने के लिए डीएफपीडी ने इन्वेस्ट इंडिया के सहयोग से डीएसवीओ की विभिन्न नियमित गतिविधियों को स्वचालित किया है। संपूर्ण सिस्टम का पूरी तरह और एकीकृत डिजिटलीकरण करने के साथ-साथ चीनी मिलों और इथेनॉल उद्योग के सभी प्रासंगिक डेटा को एक ही स्थान पर रखने के लिए, एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर एक समर्पित पोर्टल विकसित किया गया है।

एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर अब तक की प्रगति:

सभी चीनी मिलों को एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।

एमआईएस फॉरमेट एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर विकसित किया गया है।

चीनी मिलों ने एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल पर डेटा भरना शुरू कर दिया है।

एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल से सभी चीनी मिलों के लिए मासिक रिलीज का डेटा लिया जा रहा है।

चीनी मिलों द्वारा भरे गए प्रपत्रों तक पहुंचने और एमआईएस रिपोर्ट तैयार करने के लिए राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई।

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एमजी/एआर/एकेपी/आरके/एमकेएस/एके/ आईपीएस/एसके  



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