वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय-वर्षांत समीक्षा


उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग - वर्षांत समीक्षा-2023

भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात संवर्धन के लिए 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन

देश के सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में विस्तारित 1,14,000 से अधिक स्टार्टअप्स ने 12 लाख से अधिक नौकरियां सृजित की

वैकल्पिक निवेश कोष ने 915 स्टार्टअप्स में 17,272 करोड़ रुपये का निवेश किया

देशभर के 500 से अधिक शहरों और कस्बों में फैले ओएनडीसी नेटवर्क पर 2.3 लाख से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता सक्रिय

17 राज्यों में यूनिटी मॉल की कुल राशि 2944 करोड़ रूपये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को स्वीकृति दी गई

व्यवसाय करने में सुगमता को प्रोत्साहन देने के लिए 3,600 से अधिक अनुपालनों को अपराधमुक्त और 41,000 से अधिक अनुपालनों की संख्या में कटौती की गई

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से 2,55,000 से अधिक अनुमोदन

मेक इन इंडिया 2.0 भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है

पीएम गतिशक्ति सरकार की मुख्यधारा बन गई

एकीकृत लॉजिस्टिक्स में इंटरफ़ेस प्लेटफ़ॉर्म में 08 मंत्रालयों की 35 प्रणालियों को सफलतापूर्वक शामिल करके 1800 से अधिक क्षेत्रों को शामिल किया गया

परियोजना निगरानी समूह 61.90 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ 2426 परियोजनाओं पर कार्यरत; 6978 मुद्दों के समाधान की सुविधा

वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.9 प्रतिशत बढ़ा; खनन, विनिर्माण और बिजली ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की

आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक ने अप्रैल से अक्टूबर, 2023-24 के दौरान 8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

वर्ष 2014-15 से 2023-24 (30 नवंबर, 2023 तक) दिए गए पेटेंट की संख्या में आठ गुना वृद्धि दर्ज की गई

वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत 2015 में 81वें से 2023 में 40वें स्थान पर बरकरार रहा।

Posted On: 26 DEC 2023 11:57AM by PIB Delhi

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

'आत्मनिर्भर' बनने के भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की घोषणा की गई। इन प्रमुख विशिष्ट क्षेत्रों में पीएलआई योजना भारतीय निर्माताओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने; दक्षता सुनिश्चित करने; पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण; निर्यात में बढ़ोतरी और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बनाने के लिए तैयार है

मुख्य उपलब्धियां:

नवंबर 2023 तक 746 आवेदनों को स्वीकृति दी गई है। 24 राज्यों के 150 से अधिक जिलों  में पीएलआई इकाइयां स्थापित की गईं। सितंबर 2023 तक 95,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश दर्ज किया गया है, जिससे 7.80 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन/बिक्री और 6.4 लाख से अधिक रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) हुआ है। निर्यात में 3.20 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 2,900 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि वितरित की गई हैं। तीन वर्ष की अवधि के दौरान मोबाइल विनिर्माण में 20 प्रतिशत का मूल्यवर्धन हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 101 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में स्मार्टफोन का हिस्सा 44 अरब डॉलर का है, जिसमें 11.1 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है।

दूरसंचार क्षेत्र में 60 प्रतिशत का आयात प्रतिस्थापन हासिल किया गया है और भारत एंटीना, गीगाबिट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क (जीपीओएन) और ग्राहक परिसर उपकरण (सीपीई) में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। फार्मा सेक्टर में कच्चे माल के आयात में काफी कमी आई है। पेनिसिलिन-जी सहित भारत में अद्वितीय मध्यवर्ती सामग्रियों और बड़ी संख्या में दवाएं बनाई जा रही है और सीटी स्कैन, एमआरआई जैसे चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण हुआ है।

ड्रोन क्षेत्र में कारोबार में सात गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसमें सभी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) से जुड़े स्टार्टअप शामिल हैं। खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत, भारत से कच्चे माल की आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसने भारतीय किसानों और एमएसएमई की आय को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।

व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी लाइट) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

इसे 7 अप्रैल 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6,238 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया था। इस योजना के अंतर्गत 64 कंपनियों का चयन किया गया है। 34 कंपनियां एयर कंडीशनर कंपोनेंट्स के लिए 5,429 करोड़ रुपये और 30 कंपनियां एलईडी कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए 1,337 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। इसके अतिरिक्त, 6,766 करोड़ रुपये के निवेश से लगभग 48 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिल सकेगा।

योजना अवधि के दौरान निवल वृद्धिशील उत्पादन एक लाख 23 हजार करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना है। 13 विदेशी कंपनियां इस योजना के तहत 2,090 करोड़ रुपये का निवेश कर रही हैं। 23 एमएसएमई आवेदकों ने इस योजना के तहत 1,042 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। मार्च, 2022 तक की जेस्टेशन अवधि का विकल्प चुनने वाले शत-प्रतिशत आवेदकों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। 1,266 करोड़ रुपये के न्यूनतम निवेश के मुकाबले, मार्च, 2023 तक लाभार्थियों ने 2,002 करोड़ रुपये का वास्तविक निवेश किया गया है। सितंबर, 2023 तक लाभार्थियों द्वारा 2,084 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।

स्टार्टअप इंडिया पहल

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 16 जनवरी, 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल का शुभारंभ किया। यह पहल देश में नवाचार के लिए विचारों के एक लॉन्चपैड के रूप में विकसित हुई है। स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत उद्यमियों का समर्थन करने, एक सुदृढ़ स्टार्टअप इको-सिस्टम बनाने और भारत को नौकरी चाहने वालों के स्थान पर नौकरी निर्माताओं के देश में बदलने के लिए कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं।

यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है कि सरकार ने 1,14,000 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता दी है। प्रत्येक स्टार्टअप्स ने औसत रूप से 11 नौकरियां सृजित की है। इसके साथ ही 1,14,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स ने कुल 12 लाख से अधिक नौकरियों के सृजन की सूचना दी है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप देश के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं।

स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस) योजना के अंतर्गत, सरकार ने 129 वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) को लगभग 10,229 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। एआईएफ द्वारा 915 स्टार्टअप में कुल 17,272 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के तहत 192 इनक्यूबेटरों को कुल 747 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। साथ ही, चयनित इनक्यूबेटरों ने 1,579 स्टार्टअप को कुल 291 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

सरकार ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ)  द्वारा दिए गए ऋणों को ऋण गारंटी प्रदान करने के लिए स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (सीजीएसएस) की स्थापना को भी अधिसूचित किया है। यह योजना 1 अप्रैल 2023 को लागू की गई है।

21,800 से अधिक उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर शामिल किया गया है। इन्हें सार्वजनिक संस्थाओं से कुल 18,540 करोड़ रुपये के 2,43,000 से अधिक ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। जीईएम स्टार्टअप रनवे जीईएम प्लेटफॉर्म पर स्टार्टअप्स को ऑनबोर्डिंग के लिए एक फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया है।

2023 में भारत की जी 20 अध्यक्षता के तहत, स्टार्टअप का समर्थन करने और स्टार्टअप, कॉर्पोरेट्स, निवेशकों, नवाचार एजेंसियों और अन्य प्रमुख पारिस्थितिकी तंत्र हितधारकों के बीच तालमेल बनाए रखने और एक वैश्विक उपलब्धि हासिल करने के लिए एक स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप को संस्थागत बनाया गया था। भारत की जी20 की अध्lयक्षता में स्टार्टअप 20 एंगेजमेंट ग्रुप ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चार बैठकें आयोजित कीं।

2023 में, स्टार्टअप इंडिया ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के लिए तीन क्षेत्रीय और दो अंतर्राष्ट्रीय क्षमता निर्माण और अपनी विशेषताओं को प्रदर्शित करने के लिए दौरे आयोजित किए, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में नीति निर्माताओं, इनक्यूबेटरों और अन्य पारिस्थितिकी तंत्र सक्षमकर्ताओं के साथ बातचीत कर सकें और उनसे सीख सकें।

डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी)

डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) डीपीआईआईटी की एक पहल है जिसका उद्देश्य डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के सभी पहलुओं के लिए खुले नेटवर्क को बढ़ावा देना है।

ओएनडीसी ने 600 से अधिक शहरों में नवंबर 2023 में 6.3 मिलियन से अधिक लेनदेन दर्ज किए। 2.3 लाख से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता पूरे भारत में 500 से अधिक शहरों और कस्बों में फैले ओएनडीसी नेटवर्क पर सक्रिय हैं। 59 नेटवर्क प्रतिभागी नेटवर्क पर लाइव हैं। विक्रेता और सेवा प्रदाता ओएनडीसी नेटवर्क के भौगोलिक कवरेज का विस्तार करते हुए 500 से अधिक शहरों में फैले हुए हैं। वर्तमान में, 3000 से अधिक किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) ने विभिन्न विक्रेता नेटवर्क प्रतिभागियों के माध्यम से ओएनडीसी नेटवर्क का हिस्सा बनने के लिए पंजीकरण कराया है। लगभग 400 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), सूक्ष्म उद्यमियों और सामाजिक क्षेत्र के उद्यमों को नेटवर्क पर जोड़ा गया है।

डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) के माध्यम से बेंगलुरु, मैसूरु, कोच्चि और कोलकाता में टैक्सी और ऑटो चालकों के साथ जुड़ा हुआ है। ओएनडीसी टीम ने निर्यात के लिए एक पायलट योजना का सफलतापूर्वक संचालन किया है, जिसमें सिंगापुर ओएनडीसी नेटवर्क के माध्यम से भारतीय विक्रेताओं से उत्पाद खरीदने वाला पहला बाजार है।

राज्य स्तरीय सहभागिता योजनाओं में तेजी लाने के लिए प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और देश भर में जागरूकता अभियान और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। ओएनडीसी नेटवर्क ने दो श्रेणियों फूड एंड बेवरेज (एफ एंड बी) और किराना के साथ शुरुआत की और मोबिलिटी, फैशन, ब्यूटी एंड पर्सनल केयर, होम एंड किचन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसेज, हेल्थ एंड वेलनेस और बी 2 बी में श्रेणियों का विस्तार किया है।

डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) एमएसएमई मंत्रालय के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है ताकि मौजूदा विक्रेता अनुप्रयोगों के माध्यम से एमएसएमई को नेटवर्क में जोड़ा जा सके और एमएसएमई-मार्ट को एकीकृत करने के लिए भी काम किया जा सके, जिसमें 2 लाख से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की ईकाई हैं।

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी)

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) का उद्देश्य स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास में वृद्धि लाना है। देश के 767 जिलों में 1,200 से अधिक उत्पादों की पहचान की गई है जो एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पोर्टल पर दर्शाए गए हैं। इनमें से कई उत्पाद जैम (जीईएम) और अन्य ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर भी बेचे जा रहे हैं।

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) - एकता/ यूनिटी मॉल

केंद्रीय बजट 2023-24 में राज्यों में एकता/ यूनिटी मॉल की स्थापना की घोषणा की गई थी, ताकि उनके स्वयं के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी),  जीआई टैग उत्पादों और अन्य हस्तशिल्प उत्पादों को बढ़ावा मिले और बिक्री की जा सके। अन्य सभी राज्यों के इस प्रकार के उत्पादों के लिए स्थान उपलब्ध कराया जा सके। केंद्रीय बजट में 'पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2023-24' के अंतर्गत राज्यों को 5,000 करोड़ रुपये के पचास वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के परिव्यय का भी प्रावधान किया गया है। इसे कुछ उद्देश्यों के लिए जोड़ा या आवंटित किया जाएगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यूनिटी मॉल का निर्माण शामिल है। मौजूदा समय में, 27 राज्यों ने अपनी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी हैं। इनमें से 17 को व्यय विभाग ने अनुमोदित कर दिया गया है।

कारोबार में सुगमता (ईओडीबी) को प्रोत्साहन देना और अनुपालन बोझ को कम करना

अनुपालन बोझ को कम करने के उद्देश्य के एक भाग के रूप में और नियामक अनुपालन पोर्टल पर अपलोड किए गए आंकड़ों के आधार पर, विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों ने व्यवसाय करने में सुगमता को प्रोत्साहन देने के लिए 3,600 से अधिक अनुपालनों को अपराधमुक्त और 41,000 से अधिक अनुपालनों की संख्या में कटौती की गई है। विश्व बैंक डूइंग बिजनेस 2020 रिपोर्ट में भारत 2014 में 142वें स्थान पर था और अब देश में कारोबार की सुगमता में 63वें स्थान पर पहुंच गया है।

जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2023 संसद ने पारित किया गया था। इस संशोधन अधिनियम के माध्यम से 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केन्द्रीय अधिनियमों में कुल 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त बनाने का प्रस्ताव है।

सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों का मूल्यांकन व्यवसाय सुधार कार्य प्रणाली के अंतर्गत किया जा रहा है। इस कार्य योजना में सुधार पैरामीटरों जैसे निवेश सक्षमकर्ता, सूचना और पारदर्शिता पहुंच, ऑनलाइन एकल खिड़की प्रणाली, भूमि आवंटन, निर्माण परमिट सक्षमकर्ता, श्रम विनियमन सक्षमकर्ता, पर्यावरण पंजीकरण सक्षमकर्ता, निरीक्षण सक्षमकर्ता, उपयोगिता परमिट प्राप्त करना, संविदा प्रवर्तन, क्षेत्र-विशिष्ट सुधार आदि को लागू करने को आधार बनाया जा रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडिया रैंक (बीआरएपी) 2022 की रिपोर्ट जल्द ही जारी की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, कारोबार में सुगमता (ईओडीबी) को प्रोत्साहन देने की सुधार प्रक्रिया के अंतर्गत, सरकार एकल व्यवसाय पहचान और नियामक प्रभाव मूल्यांकन के रूप में केंद्रीकृत केवाईसी और पैन को बढ़ावा दे रही है,  जिससे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और घरेलू विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है।

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस)

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में गवर्नमेंट टू बिजनेस सर्विसेज (जी2बी-सरकार से व्यावसायिक सेवाएं) की मंजूरी के लिए एकल मंच प्रदान करके प्रक्रियाओं को सरल बनाता है, जिससे निवेशकों के प्रोफाइल के आधार पर क्षेत्रीय कार्यालयों में जमा फॉर्म के दोहराव को कम किया जा सकता है। वर्तमान में यह 32 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और 25 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों से अनुमोदन प्रदान करता है।

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) पोर्टल ने नवंबर 2023 तक 2,55,000 से अधिक अनुमोदनों को सफलतापूर्वक संसाधित किया है, जो केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों दोनों के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। इसमें वाहन स्क्रैपिंग, भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास (आईएफएलडीपी), चीनी और इथेनॉल नीतियों जैसी सरकारी योजनाएं शामिल हैं, जो आईएफएलडीपी में 400 से अधिक निवेशकों के लिए पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा के लिए 25 और 19 स्वचालित परीक्षण स्टेशनों के लिए आवेदन की सुविधा प्रदान करती हैं।  

मेक इन इंडिया 2.0

अपनी शुरुआत के बाद से, मेक इन इंडिया ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और अब मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) 15 विनिर्माण क्षेत्रों के लिए कार्य योजनाओं का समन्वय कर रहा है, जबकि वाणिज्य विभाग 12 सेवा क्षेत्रों के लिए समन्वय कर रहा है।

अब, डीपीआईआईटी 24 उप-क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिनका चयन भारतीय उद्योग की क्षमता और प्रतिस्पर्धी बढ़त, आयात प्रतिस्थापन की आवश्यकता, निर्यात की क्षमता और बढ़ी हुई रोजगार क्षमता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इन 24 उप-क्षेत्रों में फर्नीचर, एयर-कंडीशनर, चमड़ा और जूते-चप्पल, रेडी टू ईट खाद्यान्न,  मत्स्य पालन, कृषि-उत्पाद, ऑटो घटक, एल्यूमीनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि रसायन, इस्पात, वस्त्र, ईवी घटक और एकीकृत सर्किट, इथेनॉल, सिरेमिक, सेट टॉप बॉक्स, रोबोटिक्स, टेलीविजन, क्लोज सर्किट कैमरा, खिलौने, ड्रोन, चिकित्सा उपकरण, खेल के सामान, जिम उपकरण शामिल हैं। समग्र और समन्वित तरीके से उप-क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं।

मंत्रालयों, राज्य सरकारों और विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से निवेश तक पहुंच सुनिश्चित की जा रही है। भारत में निवेश के अंतर्गत संभावित निवेशकों की पहचान, हैंडहोल्डिंग और निवेश सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) आदेश, 2017

सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) आदेश,  सार्वजनिक खरीद में स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं, कार्यों और सेवाओं को प्राथमिकता देता है, जिससे देश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है और इसकी जनता के लिए आय और नौकरी के अवसर बढ़ जाते हैं।

"आत्मनिर्भर भारत" के जनादेश को ध्यान में रखते हुए, डीपीआईआईटी ने 16.09.2020 को निम्नलिखित मुख्य विशेषताओं के साथ अपनी सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया ऑर्डर, 2017 को प्राथमिकता) को संशोधित किया है :

आपूर्तिकर्ताओं का पुन: वर्गीकरण

  1. वर्ग-I  स्थानीय आपूर्तिकर्ता' – 50 प्रतिशत स्थानीय सामग्री के बराबर या उससे अधिक वस्तुओं की पेशकश करने वाले आपूर्तिकर्ता
  2. 'वर्ग-II स्थानीय आपूर्तिकर्ता' - 20 प्रतिशत के बराबर या अधिक लेकिन 50 प्रतिशत  से कम स्थानीय सामग्री के साथ वस्तुओं की पेशकश करने वाले आपूर्तिकर्ता
  3. 'गैर स्थानीय आपूर्तिकर्ता' – 20  प्रतिशत से कम स्थानीय सामग्री वाले वस्तुओं की पेशकश करने वाले आपूर्तिकर्ता

 

  • नोडल मंत्रालयों/विभागों को किसी भी वस्तु के लिए उच्च न्यूनतम स्थानीय सामग्री की आवश्यकता को अधिसूचित करने के लिए अधिकृत किया जाता है, अर्थात 50/20 प्रतिशत से अधिक, यदि वे उचित समझते हैं।
  • वर्ग-I स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं (50 प्रतिशत  से अधिक स्थानीय सामग्री वाले आपूर्तिकर्ताओं) के लिए खरीद वरीयता।
  • 20 प्रतिशत से कम घरेलू स्थानीय मूल्य वर्धन वाली वस्तुओं की पेशकश करने वाले आपूर्तिकर्ता घरेलू/राष्ट्रीय बोली प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते हैं।
  • 200 करोड़ रुपये से कम अनुमानित मूल्य वाली खरीद के लिए, कोई वैश्विक निविदा जांच जारी नहीं की जाएगी।

पांच राज्यों मणिपुर, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और गोवा ने पहले ही पीपीपी-एमआईआई आदेश, 2017 को अपना लिया है। डीपीआईआईटी शेष राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पीपीपी-एमआईआई आदेश अपनाने या पीपीपी-एमआईआई आदेश, 2017 के समान समान आदेश रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान

पीएम गतिशक्ति (पीएमजीएस) के तहत अब तक आयोजित 62 नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप की बैठकों में, 12.08 लाख करोड़ रुपये की 123 से अधिक बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पीएम गतिशक्ति के सिद्धांतों पर जांच की गई है।

पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान (एनएमपी) में अब तक 1463 श्रेणियां हैं, जिनमें 39 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों में (585) और 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (878) से संबंधित हैं। 39 केंद्रीय मंत्रालयों (बुनियादी ढांचा, सामाजिक और आर्थिक) के अलग-अलग पोर्टल विकसित किए गए हैं और नेशनल मास्टर प्लान (एनएमपी) के साथ एकीकृत किए गए हैं। एनएमपी (जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं, डाकघर, छात्रावास, कॉलेज, पीवीटीजी विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह, आदि) पर मैप किए गए 200 से अधिक श्रेणियों के साथ 22 सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालयों को पीएम गतिशक्ति पर शामिल किया गया है।

अवसंरचना परिसंपत्तियों के मानचित्रण और समकालिक एकीकरण के लिए 36 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए राज्य मास्टर प्लान (एसएमपी) पोर्टल विकसित किए गए हैं। इस वर्ष फरवरी और अप्रैल के बीच पीएम गति शक्ति पर पांच क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिसमें मंत्रालयों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा व्यापक संवेदीकरण, ज्ञान के आदान-प्रदान और उपयोग के मामलों के प्रदर्शन के लिए सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया।

राज्यों में सभी बुनियादी ढांचा कार्यों में गतिशक्ति को और एकीकृत करने के लिए, व्यय विभाग (डीओई) ने 2023-24 के लिए पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता की योजना के तहत प्रस्तावित सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के मानचित्रण और योजना के लिए एनएमपी का उपयोग करने का निर्देश दिया। 11 जुलाई 2023 को व्यय विभाग (डीओई) ने सभी राज्य सरकारों के लिए पीएम गतिशक्ति मंच का उपयोग करके योजना के तहत अनुमोदित पूंजी निवेश परियोजनाओं का नक्शा और योजना बनाने के लिए अधिसूचना जारी की। इससे पीएम गतिशक्ति एनएमपी के उपयोग को और बढ़ावा मिलेगा।

विभिन्न राज्यों में मॉल ढुलाई में आसानी (एलईएडीएस)

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 16 दिसंबर, 2023 को रिपोर्ट का 5वां संस्करण जारी किया।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के शुभारंभ के एक वर्ष पूरा होने पर इसके लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की गई है, जैसे लॉजिस्टिक लागत में कमी, लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में भारत की रैंकिंग में सुधार और एक कुशल लॉजिस्टिक इको-सिस्टम प्रणाली के लिए डेटा-संचालित निर्णय समर्थन तंत्र बनाना।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति (एनएलपी) के तहत परिभाषित व्यापक संभार तंत्र कार्य योजना (सीएलएपी) के तहत आठ कार्य क्षेत्रों पर हुई प्रगति इस प्रकार है :

  • सेवा सुधार समूह (एसआईजी) लॉजिस्टिक क्षेत्र में 30 से अधिक व्यावसायिक संघों की भागीदारी है, एसआईजी और ई-एलओजीएस ने लॉजिस्टिक्स मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और समाधान करने/लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए एक सुदृढ़ तंत्र स्थापित किया है।
  • सीमा शुल्क के साथ 7 सेवा सुधार समूह (एसआईजी) और एक विशेष एसआईजी बैठकें और सदस्य सीमा शुल्क के साथ एक बैठक आयोजित की गई है।
  •  ई-लॉग्स प्लेटफॉर्म पर लॉजिस्टिक्स से संबंधित 108 मुद्दे प्राप्त हुए, जिनमें से 16 मुद्दों का समाधान किया गया, 58 विचाराधीन हैं, 19 की समीक्षा की जा रही हैं और 15 गैर-स्वीकार्य हैं।
  • कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजना को बढ़ावा देने के लिए 16 नवंबर 2023 को अलग-अलग मंत्रालयों/विभागों द्वारा चर्चा के लिए एक नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप

(एनपीजी) की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सहयोग को प्राथमिकता देने और समग्र योजना के लिए मॉडल मिक्स के अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया गया।

  • व्यापक संभार तंत्र कार्य योजना (सीएलएपी) के कार्यान्वयन में हुई प्रगति निम्नानुसार है
  1. व्यापार सुविधा पर राष्ट्रीय समिति के तहत बुनियादी ढांचे की कमी को दूर कर डिजिटल पहल की जा रही है।
  2. राज्य स्तर पर सार्वजनिक नीति में 'लॉजिस्टिक्स' पर समग्र ध्यान केंद्रित करने के लिए, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र एनएलपी के साथ संरेखित राज्य लॉजिस्टिक योजनाएं (एसएलपी) विकसित कर रहे हैं। अब तक, 23 राज्यों ने अपनी-अपनी राज्य संभार तंत्र नीतियों को अधिसूचित कर दिया है।
  3. कोयला मंत्रालय ने विकसित क्षेत्र विशिष्ट योजनाओं का मसौदा और छठी ईजीओ में चर्चा की गई।

मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण:

संभार तंत्र और अवसंरचना विकास में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को और बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के साथ पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए जा रहे हैं। इस दौरान वेबिनार, कार्यशालाओं, डिजिटल प्रशिक्षण, शारीरिक प्रशिक्षण, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों (सीटीआई) और प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों (एटीआई) के मौजूदा पाठ्यक्रम के साथ पाठ्यक्रमों को एकीकृत किया जा रहा है।  

सभी मंत्रालयों और व्यापार/व्यापार संघों आदि के लिए क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी) के साथ 04 अगस्त 2023 को पीएम गतिशक्ति पर एक वेबिनार आयोजित किया गया था। अब तक, 17 सीटीआई और 19 राज्य एटीआई ने इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं।

पीएम गतिशक्ति पर क्षमता निर्माण, आउटरीच, ज्ञान साझा करने और संबंधित पहलुओं के लिए 4 अक्टूबर 2023 को डीपीआईआईटी के लॉजिस्टिक्स डिवीजन और गतिशक्ति विश्वविद्यालय (रेल मंत्रालय) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

एकीकृत लॉजिस्टिक इंटरफ़ेस प्लेटफॉर्म (यूलिप) पर प्रगति:

1,800 से अधिक  क्षेत्रों को कवर करते हुए 113 अप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के माध्यम से 08 विभिन्न मंत्रालयों की 35 प्रणालियों के साथ यूलिप का एकीकरण पूरा हो गया है। यूलिप पर 699 उद्योग कंपनियों को पंजीकृत किया गया है। 125 से अधिक निजी कंपनियों ने एनडीए पर हस्ताक्षर किए हैं और इससे आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार होगा और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। 65 से अधिक एप्लिकेशन लाइव किए गए हैं। जीएसटी डेटा को यूलिप के साथ एकीकृत किया जा रहा है ताकि कार्गो की एंड-टू-एंड मल्टीमॉडल ट्रैकिंग और व्यापार के लिए मांग-आपूर्ति मानचित्रण प्रदान किया जा सके।

परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी)

परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) पोर्टल को एक विषय-आधारित समाधान व्यवस्था से उपलब्धि-आधारित निगरानी प्रणाली में उन्नत किया गया है। नई प्रणाली परियोजनाओं की सक्रिय निगरानी सुनिश्चित करेगी और समय पर पाठ्यक्रम सुधार उपायों को शुरू करने में मदद करेगी। यह परियोजना निगरानी समूह को बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में परिवर्तन लाने में सर्वश्रेष्ठ बनाएगा।

नवंबर, 2023 तक पीएमजी पोर्टल ने 61.90 लाख करोड़ रुपये की 2426 परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। इनमें उच्च प्रभाव वाली गतिशक्ति परियोजनाओं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा अंतर परियोजनाओं सहित सभी प्रमुख मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं। पीएमजी ने 51.90 लाख करोड़ रुपये के 6978 मुद्दों के समाधान की सुविधा प्रदान की है।

औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम

इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में भविष्य के औद्योगिक शहरों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण और निवेश स्थलों के समान विकसित करना है। यह रोजगार के अवसर सृजित करेगा और समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आर्थिक विकास करेगा। कुछ अनुमोदित परियोजनाएं हैं : धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (गुजरात), शेंद्र बिदकिन औद्योगिक क्षेत्र (औरंगाबाद), एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप, विक्रम उद्योगपुरी आदि। नवंबर, 2023 तक कुल 274 भूखंड (1,707 एकड़) आवंटित किए गए, जो दक्षिण कोरिया, रूस, चीन, ब्रिटेन, जापान की कंपनियों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों सहित भारत से निवेश को आकर्षित करते हैं।

औद्योगिक प्रदर्शन

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन अप्रैल-अक्टूबर 2023-24 के दौरान पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 6.9 प्रतिशत बढ़ा। खनन, विनिर्माण और बिजली तीनों क्षेत्रों में इस अवधि के दौरान मजबूत वृद्धि दर्ज की गई।

कोविड-19 महामारी के बाद लगातार सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में, औद्योगिक उत्पादन कोविड महामारी से उबर गया और 11.4 प्रतिशत की दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2022-23 में औद्योगिक उत्पादन में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल से अक्टूबर अवधि के दौरान, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) ने पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.9 प्रतिशत की संचयी वृद्धि दर्ज की। उपर्युक्त अवधि के दौरान विनिर्माण, खनन और विद्युत क्षेत्र के सूचकांक में क्रमश 6.4 प्रतिशत, 9.4 प्रतिशत और 8.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

आठ प्रमुख उद्योगों के विकास में रुझान

आठ प्रमुख उद्योग सूचकांक (आईसीआई), आठ प्रमुख उद्योगों यानी सीमेंट, कोयला, कच्चा तेल, बिजली, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात के प्रदर्शन को दर्शाता  है। आईसीआई में शामिल उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 40.27 प्रतिशत भारांश शामिल है। 2022-23 के दौरान  आठ कोर इंडस्ट्रीज आईसीआई ने पिछले 3 वर्षों यानी 2019-20 से 2021-22 के दौरान 1.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर की तुलना में 7.8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान, बुनियादी उद्योगों का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.6 प्रतिशत अधिक बढ़ा। आठ बुनियादी उद्योगों में से, इस्पात ने 14.5 प्रतिशत, कोयला ने 13.1 प्रतिशत  और सीमेंट ने 12.2 प्रतिशत की दो अंकों की वृद्धि दर्ज की।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए आज दुनिया के सर्वाधिक आकर्षक स्थलों में प्रमुख है। सरकार ने एक निवेशक अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति लागू की है जिसके तहत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत शत-प्रतिशत एफडीआई के लिए खुले हैं।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति सुधारों पर सरकार द्वारा किए गए उपायों के परिणामस्वरूप देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह में वृद्धि हुई है। भारत में एफडीआई प्रवाह 2013-14 में 36 अरब डॉलर था, जो बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 85 अरब डॉलर हो गया। यह अब तक का सर्वाधिक वार्षिक एफडीआई प्रवाह है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, 71 बिलियन अमरीकी डालर (अनंतिम आंकड़ा) का एफडीआई प्रवाह दर्ज किया गया है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 (सितंबर 2023 तक) के दौरान 33 अरब डॉलर का एफडीआई दर्ज किया गया है।

पिछले 9 वित्तीय वर्षों (2014-23 : 596 बिलियन अमरीकी डॉलर) में एफडीआई प्रवाह (2005-14 : 298 बिलियन अमरीकी डालर) की तुलना में शत-प्रतिशत बढ़ गया है और यह पिछले 23 वर्षों (920 बिलियन अमरीकी डालर) में रिपोर्ट किए गए कुल एफडीआई का लगभग 65 प्रतिशत है। पिछले 9 वित्तीय वर्षों (2014-23) (149 बिलियन अमरीकी डालर) में विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी अंतर्वाह पिछले नौ वर्षों (2005-14) (96 बिलियन अमरीकी डालर) की इसी अवधि की तुलना में 55% बढ़ गया है। भारत के एफडीआई में ये रुझान वैश्विक निवेशकों के बीच भारत को वैश्विक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में इसकी स्थिति का समर्थन करते हैं।

बौद्धिक संपदा का अधिकार (आईपीआर) का सुदृढ़ीकरण

संस्थागत सुदृढ़ीकरण और डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के क्षेत्र में पिछले 9 वर्षों में विभिन्न नीतिगत और विधायी सुधार किए गए हैं। 132 अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में भारत की रैंक 2015 में 81वें स्थान से सुधरकर जीआईआई 2022 रैंकिंग में 40वें स्थान पर पहुंच गई है और 2023 में भारत ने अपना 40वां स्थान बरकरार रखा है।

प्रदान किए गए पेटेंटों की संख्या में 2014-15 में 5978 से आठ गुना वृद्धि देखी गई है जो 2023-24 में (30 नवंबर, 2023 तक) 47735 हो गई है। पंजीकृत डिजाइनों की संख्या में 2014-15 में 7,147 से दो गुना वृद्धि दर्ज की गई है जो 2023-24 में (30 नवंबर, 2023 तक) 15,506 हो गई है। महिलाओं द्वारा दायर पेटेंट में 345 गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है, 2014-15 में इसकी संख्या केवल 15 थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 (30 नवंबर, 2023 तक) में 5183 हो गई है।

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