आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
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2014 के बाद से शहरी योजनाओं पर खर्च में काफी इजाफा हुआ है: आवास मंत्री हरदीप एस.पुरी


हरदीप एस पुरी ने कहा कि सरकार का जोर देश के शहरी क्षेत्रों में सर्कुलर इकोनॉमी हासिल करने पर है

हमारे शहरों में कचरा प्रबंधन की मूल्य श्रृंखला को नवाचार सक्षम बनाने के लिए सीआईटीआईआईएस 2.0: हरदीप एस.पुरी

हरदीप एस. पुरी ने सीआईटीआईआईएस 2.0 चैलेंज की शुरुआत की

स्मार्ट सिटी एसपीवी 28 फरवरी 2024 तक अपने आवेदन सीआईटीआईआईएस प्रबंधन प्लेटफ़ॉर्म (सीएमपी) के माध्यम से जमा करेंगे

Posted On: 16 NOV 2023 3:03PM by PIB Delhi

आवास और शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, हमारे शहरों में कचरा प्रबंधन की मूल्य श्रृंखला को नवाचार सक्षम बनाने के कार्य में "सीआईटीआईआईएस 2.0, स्मार्ट सिटीज मिशन का स्थान लेगा और स्वच्छ भारत मिशन के साथ जुड़ जाएगा।" सीआईटीआईआईएस 2.0, चैलेंज की शुरुआत के अवसर पर उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य जैविक कचरे से जैव-ईंधन बनाने के लिए गोबर धन मिशन के साथ जुड़ना भी है। उन्होंने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आने वाले सभी 100 स्मार्ट शहरों से आग्रह किया कि वे इस चुनौती के लिए अपने आवेदन करें। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए उन्हें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय का पूर्ण समर्थन और मार्गदर्शन मिलेगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 31 मई 2023 को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सीआईटीआईआईएस 2.0 को मंजूरी दी गई थी। केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज यानी 16 नवंबर 2023 को सीआईटीआईआईएस 2.0 चैलेंज की शुरुआत की। इस कार्यक्रम में भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत महामहिम श्री हर्वे डेल्फ़िन और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव श्री मनोज जोशी भी उपस्थित थे।

श्री पुरी ने उन अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने सीआईटीआईआईएस कार्यक्रम और स्मार्ट सिटीज मिशन का समर्थन किया है। सीआईटीआईआईएस 2.0 के लिए कुल फंडिंग में एएफडी और केएफडब्ल्यू से 1,760 करोड़ रुपये या 200 मिलियन यूरो (प्रत्येक से 100 मिलियन यूरो) का ऋण शामिल है। कार्यक्रम को यूरोपीय संघ से 106 करोड़ रुपये (12 मिलियन यूरो) का तकनीकी सहायता अनुदान भी मिलेगा।

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सभा को संबोधित करते हुए, श्री पुरी ने सीआईटीआईआईएस 1.0 की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसमें 1,000 से अधिक नए इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरूआत; 100 किलोमीटर से अधिक गैर-मोटर चालित परिवहन गलियारों का विकास; 750 एकड़ से अधिक हरे खुले स्थानों का निर्माण; और 1,400 किफायती आवास इकाइयों का निर्माण; 350 शैक्षणिक सुविधाओं और 51 स्वास्थ्य सुविधाओं का संचालन शामिल है श्री पुरी ने बताया कि हुबली-धारवाड़ में सीआईटीआईआईएस परियोजना ने हाल ही में भारत के माननीय राष्ट्रपति से नवाचार श्रेणी के तहत स्मार्ट सिटी पुरस्कार-2022 हासिल किया।

श्री पुरी ने कहा कि सरकार देश में शहरीकरण क्षेत्र की वृद्धि और विकास पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। देश में इस समय दुनिया का सबसे बड़ा योजनाबद्ध शहरीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 2014 के बाद से शहरी विकास में कुल निवेश 2004 और 2014 के बीच 10 साल की अवधि की तुलना में 10 गुना बढ़कर 18 लाख करोड़ से अधिक हो गया है।

देश के शहरी क्षेत्रों में सर्कुलर अर्थव्यवस्था हासिल करने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बारे में श्री पुरी ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत, हम पहले ही 112 जैव-मिथेनेशन संयंत्र, 2,391 कचरे से खाद बनाने वाले संयंत्र और 55 कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र स्थापित कर चुके हैं। इसके अलावा 2,281 सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएं, 972 निर्माण और विध्वंस मलबा प्रबंधन संयंत्र, और 335 ठोस और तरल संसाधन प्रबंधन संयंत्र भी लगाएं गए हैं। उन्होंने कहा कि अमृत और अमृत 2.0 से हमारे शहरों को जल सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण  प्रगति हासिल हुई है। एसबीएम-यू 2.0 हमारे शहरों को कचरा मुक्त बनाएगा और देश में सभी प्रकार के पुराने कचरे का निपटारा करेगा”।

सीटीआईआईएस 2.0:

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए  सीटीआईआईएस 2.0 एक महत्वपूर्ण कदम है। नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) में सीओपी 26 के दौरान, प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्रवाई के पांच अमृत तत्व (पंचामृत) प्रस्तुत किए थे, जिसमें 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना भी शामिल था। इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने के लिए अपनी कई योजनाओं के जरिए विभिन्न उपाय किए हैं, जिनमें अन्य योजनाओं के अलावा स्मार्ट सिटीज मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, अमृत और शहरी परिवहन शामिल हैं। सीआईटीआईआईएस 2.0, भारत सरकार की जलवायु परिवर्तन संबंधी पहलों का पूरक होगा और आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय सरकार के सभी तीन स्तरों पर अपने अनूठे कार्रवाई मॉडल के साथ सहयोग करेगा।

सीआईटीआईआईएस 2.0 सिटी इन्वेस्टमेंट टू इनोवेट, इंटीग्रेट एंड सस्टेन (सीआईटीआईआईएस) कार्यक्रम का दूसरा चरण है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने फ्रांसीसी विकास एजेंसी (एएफडी), केएफडब्ल्यू विकास बैंक, यूरोपीय संघ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) के सहयोग से इसकी कल्पना निम्न उद्देश्यों के लिए की है:

क. एकीकृत कचरा प्रबंधन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली चयनित परियोजनाओं के जरिए शहरी जलवायु कार्रवाई में निवेश को प्रोत्साहित करना।

ख. प्रामाणिक दृष्टिकोण के जरिए राज्यों और शहरों में जलवायु-संवेदी योजना बनाने और उस पर कार्रवाई को बढ़ावा देना।

  ग. भारत में सभी शहरी स्थानीय निकायों के लिए संस्थागत तंत्र, लाभदायक भागीदारी और क्षमता निर्माण करना।

सीआईटीआईआईएस 2.0 के लिए 1,866 करोड़ रुपये (212 मिलियन यूरो) की बाहरी फंडिंग प्राप्त होगी। इसमें से एएफडी और केएफडब्ल्यू प्रत्येक से 100 मिलियन यूरो का ऋण शामिल है, यानी, कुल 1,760 करोड़ रुपये (200 मिलियन यूरो) का ऋण और यूरोपीय संघ से 106 करोड़ रुपये (12 मिलियन यूरो) का तकनीकी सहायता अनुदान शामिल है। कार्यक्रम का प्रबंधन एनआईयूए में सीआईटीआईआईएस कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा किया जाएगा।

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सभी 100 एसपीवी सीआईटीआईआईएस 2.0 कार्यक्रम के तहत सहायता लेने के लिए पात्र हैं। एकीकृत कचरा प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली 18 नवीन परियोजनाओं को सहायता के लिए चुना जाएगा। प्रत्येक परियोजना के लिए सीआईटीआईआईएस अनुदान राशि कुल परियोजना लागत का 80प्रतिशत, 135 करोड़ रुपये तक सीमित होगी (उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्यों के मामले में, कुल परियोजना लागत का 90 प्रतिशत)। अतिरिक्त धनराशि, यानी, कुल परियोजना लागत का 20% राज्य/स्थानीय सरकारों द्वारा स्वयं के स्रोत के माध्यम से जुटाया जाएगा (उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्यों के मामले में, कुल परियोजना लागत का 10प्रतिशत)।

स्मार्ट सिटी एसपीवी को 28 फरवरी 2024 तक सीआईटीआईआईएस प्रबंधन प्लेटफॉर्म (सीएमपी) के माध्यम से अपने आवेदन जमा करने होंगे।

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