प्रधानमंत्री कार्यालय
खूंटी, झारखंड में जनजातीय गौरव दिवस, 2023 समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
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15 NOV 2023 5:27PM by PIB Delhi
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
धरती आबा भगवान बिरसामुंडा की जय,
धरती आबा भगवान बिरसामुंडा की जय,
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन जी, मुख्यमंत्री श्रीमान हेमंत सोरेन जी, केंद्र सरकार के मेरे सहयोगी मंत्री अर्जुन मुंडा जी, अन्नपूर्णा देवी जी, हम सब के वरिष्ठ मार्गदर्शक श्रीमान करिया मुंडा जी, मेरे परम मित्र बाबू लाल मरांडी जी, अन्य महानुभाव और झारखंड के मेरे प्रिय परिवारजन।
आप सभी को जोहार! आज का दिन सौभाग्य से भरा हुआ है। मैं कुछ देर पहले ही भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु से लौटा हूं। उनके परिजनों से भी बड़ी सुखद मुलाकात हुई है, और उस पवित्र माटी को माथे पर चढ़ाने का एक परम सौभाग्य मुझे मिला है। मुझे भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क और फ्रीडम फाइटर म्यूजियम देखने का भी अवसर मिला है। दो साल पहले आज के ही दिन मुझे ये म्यूजियम देश को समर्पित करने का सौभाग्य मिला था। मैं सभी देशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस की बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं। और देश के सैकड़ों स्थानों पर देश के सभी वरिष्ठ जन आज झारखंड का स्थापना दिवस भी मना रहे हैं। अटल जी के प्रयास से ही इस राज्य का गठन हुआ था। देश को, विशेषकर झारखंड को अभी 50 हजार करोड़ रुपए की अलग-अलग योजनाओं का उपहार मिला है। आज झारखंड में रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के विस्तार के तहत कई रेल परियोजनाओं को शुरू किया गया है। आपको ये जानकर खुशी होगी कि झारखंड भी देश के 100 परसेंट इलेक्ट्रिफाइड रेल रूट वाला राज्य बन गया है। इन परियोजनाओं के लिए मैं आप सभी मेरे झारखंड वासियों को बहुत सारी बधाई देता हूँ।
मेरे परिवारजनों,
जनजातीय गौरव और संघर्ष के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा की गाथा हर देशवासी को प्रेरणा से भर देती है। झारखंड का कोना-कोना ऐसे ही महान विभूतियों, उनके हौसलों और अनथक प्रयासों से जुड़ा है। तिलका मांझी, सिद्धू कान्हू, चांद भैरव, फूलो झानो, नीलाम्बर, पीताम्बर, जतरा ताना भगत और अल्बर्ट एक्का जैसे अनेक वीरों ने इस धरती का गौरव बढ़ाया है। अगर हम आजादी के आंदोलन को देखें तो देश का ऐसा कोई कोना नहीं था, जहां आदिवासी योद्धाओं ने मोर्चा नहीं लिया हो। मानगढ़ धाम में गोविंद गुरू के योगदान को कौन भुला सकता है? मध्य प्रदेश के तंत्या भील, भीमा नायक, छत्तीसगढ़ के शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुंडाधुर, मणिपुर की रानी गाइडिन्ल्यू... तेलंगाना के वीर रामजी गोंड, आदिवासियों को प्रेरित करने वाले आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू, गोंड प्रदेश की रानी दुर्गावती, ये वो विभूतियां हैं, जिनका देश आज भी ऋणी है। ये देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद ऐसे वीरों के साथ न्याय नहीं हुआ। मुझे संतोष है कि आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव के दौरान हमने ऐसे वीर-वीरांगनाओं को याद किया, उनकी स्मृतियों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया।
साथियों,
झारखंड आना मुझे पुरानी स्मृतियों को ताजा करने का अवसर भी देता है। गरीबों की सबसे बड़ी ताकत आयुष्मान योजना की शुरुआत झारखंड से ही हुई थी। कुछ ही साल पहले खूंटी में मैंने सोलर पावर से चलने वाले जिला न्यायालय का उद्घाटन किया था। अब आज झारखंड की इस पावन भूमि से एक नहीं बल्कि दो-दो ऐतिहासिक अभियानों की शुरुआत होने जा रही है। विकसित भारत संकल्प यात्रा, सैचुरेशन के सरकार के लक्ष्यों को प्राप्त करने का सशक्त माध्यम बनेगी। पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान, विलुप्त होने की कगार पर खड़ी जनजातियां, जिसे हम अब तक प्रिमिटिव ट्राइब्स के रूप में जानते हैं। उनकी रक्षा करेगा, उन्हें सशक्त करेगा। ये दोनों ही अभियान, अमृतकाल में भारत की विकास यात्रा को नई ऊर्जा देंगे।
मेरे परिवारजनों,
मुझे सरकार के मुखिया के तौर पर, Head Of the Government के तौर पर अब दो दशक से भी ज्यादा समय बीत गया है। देशवासियों की आकांक्षाओं को जानने का, समझने का, मुझे बहुत करीब से मौका मिला है। अपने उन अनुभवों के आधार पर मैं आज एक अमृत मंत्र आपके सामने रख रहा हूं। और भगवान बिरसा मुंडा की धरती से रख रहा हूं। अगले 25 वर्षों के अमृतकाल में अगर हमें विकसित भारत की भव्य और दिव्य इमारत का निर्माण करना है, तो हमें उसके चार अमृत स्तंभों को और मजबूत करना होगा, निरंतर मजबूत करना होगा। हमारी सरकार ने जितना 10 साल में किया, अब उससे भी ज्यादा ऊर्जा के साथ हमें इन चार अमृत स्तंभों पर अपनी पूरी ताकत लगानी है। और विकसित भारत के ये चार अमृत स्तंभ मैं आपको बताना चाहता हूं। ये चार अमृत स्तंभ हैं क्या? पहला अमृत स्तंभ- भारत की हमारी महिलाएं, हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारीशक्ति। दूसरा अमृत स्तंभ है- हमारे भारत के किसान भाई-बहन और किसानी से जुड़े हुए जो कारोबार हैं, चाहे पशुपालक हो, चाहे मछली पालक हो, ये सारे हमारे अन्नदाता। तीसरा अमृत स्तंभ- भारत के नौजवान, हमारे देश की युवाशक्ति जो आने वाले 25 साल में देश को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाली सबसे बड़ी शक्ति है। और चौथा अमृत स्तंभ- भारत का मध्यम वर्ग, नियो मिडिल क्लास और भारत के मेरे गरीब भाई-बहन। इन चार स्तंभों को हम जितना मजबूत करेंगे, विकसित भारत की इमारत भी उतनी ही ऊंची उठेगी। मुझे संतोष है कि बीते 10 वर्षों में इन चार अमृत स्तंभों को सशक्त करने के लिए जितना कार्य हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ।
साथियों,
आज तक और आजकल हर तरफ भारत की इस सफलता की चर्चा है कि हमारी सरकार के 5 वर्षों में 13 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। आखिर बीते कुछ वर्षों में ऐसा क्या हुआ जो इतना बड़ा परिवर्तन जमीन पर देखने को मिला है? 2014 में जब हमें आप सबने दिल्ली की गद्दी पर बिठाया, सरकार चलाने का दायित्व दिया, उस दिन से हमारा सेवा काल शुरू हुआ है। हम सेवा करने के लिए आए हैं। और उस सेवाकाल की बात करूं तब उस समय हमारे आने से पहले भारत की एक बहुत बड़ी आबादी मूलभूत सुविधाओं से वंचित थी। देश के करोड़ों गरीबों ने इस बात की उम्मीद भी छोड़ दी थी कि कभी उनका जीवन बदल पाएगा। और सरकारों का रवैया भी ऐसा था कि वो खुद को जनता का माई-बाप समझती थीं। हमने माई-बाप की भावना से नहीं बल्कि सेवक की भावना से आपके सेवक की तरह काम करना शुरू किया। जो वंचित थे, हमने उन्हें वरीयता देना शुरू किया। जिन्हें सबसे दूर समझा जाता था, सरकार खुद चलकर उनके पास गई। जो दशकों से उपेक्षित थे, हमारी सरकार उनका संबल बनी, उनकी साथी बनी। ब्यूरोक्रेसी वही थी, लोग वही थे, फाइले भी वही थीं, कानून नियम भी वही थे। लेकिन सोच बदली और सोच बदली तो परिणाम भी बदल गए। 2014 से पहले देश के गांवों में स्वच्छता का दायरा 40 प्रतिशत से भी कम था। आज हम शत प्रतिशत के लक्ष्य पर पहुंच रहे हैं। हमारी सरकार से पहले एलपीजी कनेक्शन सिर्फ 50-55 प्रतिशत घरों में था। आज करीब-करीब 100 प्रतिशत घरों में महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिल चुकी है। पहले देश के सिर्फ 55 प्रतिशत बच्चों को ही जीवनरक्षक टीके लग पाते थे, आधे बच्चे रह जाते थे। आज लगभग शत-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण हो पा रहा है। आजादी के बाद सात दशकों में देश के सिर्फ 17 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक नल से जल की सुविधा थी, 20 पर्सेंट भी नहीं। जल जीवन मिशन की वजह से आज ये भी 70 प्रतिशत तक पहुंच रहा है।
और साथियों,
हम आप जानते हैं कि समाज में जिनको उस समय मिला था, वो कौन थे? ये शुरूआती मलाई मिली वो लोग कौन थे? ये सारे रसूखदार लोग हुआ करते थे। जो संपन्न लोग होते थे, जिनकी सरकार में पहुंच होती थी, पहचान होती थी वो सुविधाएं और व्यवस्थाएं आसानी से जुटाते थे और सरकार का भी दिमाग ऐसा था, उन्हीं को ज्यादा देते थे। लेकिन जो लोग समाज में पीछे रहे थे, जो मूल सुविधाओं से वंचित थे, उन पर ध्यान देने वाला भी कोई नहीं था। वो असुविधाओं के बीच अपना जीवन काट रहे थे। मोदी ने समाज के ऐसे वंचितों को अपनी प्राथमिकता बनाया। क्योंकि वो लोग हैं जिनके बीच मैं जिया हूं, मैंने कभी ऐसे परिवारों की रोटी खाई है, मैंने कभी समाज के आखिरी व्यक्ति का नमक खाया है, मैं आज भगवान बिरसा मुंडा की इस धरती पर वो कर्ज चुकाने आया हूं।
मेरे परिवारजनों,
आमतौर पर सरकारों का रवैया रहता है कि जो आसानी से हासिल हो जाए, उस लक्ष्य को पहले प्राप्त करो। लेकिन हमने दूसरी रणनीति पर काम किया। मैं तो ज्ञानियों को कहूंगा इसका अध्ययन करें, आपको याद होगा, आजादी के इतने दशकों के बाद भी 18 हजार गांव ऐसे रह गए थे, जहां बिजली नहीं पहुंची थी। 18वीं शताब्दी में जीने के लिए अंधेरे में जीने के लिए मजबूर थे। उन्हें अंधेरे में जीने के लिए छोड़ दिया गया था, क्योंकि वहां बिजली पहुंचाने के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना कठिन था मैं मानता हूं। लेकिन कठिन था, तभी तो करना होता है। मक्खन पर लकीर तो हर कोई करता है, अरे पत्थर पर भी तो लकीर करनी चाहिए। और मैंने लाल किले से वादा किया था देश को कि मैं एक हजार दिन में 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाने का कठिन संकल्प मैंने सार्वजनिक रूप से लिया था और आज मुझे सर झुकाकर के कहना है कि ये आपके सेवक ने उस काम को समय पर पूरा कर दिया था।
साथियों,
हमारे देश में 110 से ज्यादा जिले ऐसे थे, जो विकास के हर पैरामीटर पर पिछड़े हुए थे, बहुत पीछे थे। इन जिलों पर पुरानी सरकारों ने ठप्पा लगा दिया, ये तो पिछड़े हैं। और पहले की सरकारों ने बस उसकी पहचान कर ली, ये बेकार है, पिछड़े हैं, आगे कुछ नहीं हो सकता है और सरकार सोती रही। इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुविधाएं, दशकों से दयनीय स्थिति में थी। औऱ संयोग देखिए कि इन्हीं पिछड़े जिलों में देश की सबसे ज्यादा मेरे आदिवासी परिवारों की जनसंख्या रहती थी। जब अफसरों को पनिशमेंट पोस्टिंग करनी होती थी, तो इन्हीं जिलें में भेज दिया जाता था। थका हुआ, हारा हुआ नाकाम जो व्यक्ति है, उसी को कहते जाओ यार तुम उधर ही जाओ तुम्हारा इधर काम नहीं है। अब वो जाकर क्या करेगा? इन 110 से ज्यादा जिलों को अपने हाल पर छोड़कर, भारत कभी विकसित नहीं हो सकता था। इसलिए वंचितों को वरीयता के सिद्धांत पर चलते हुए हमारी सरकार ने इन जिलों को Aspirational District आकांक्षी जिलों के रूप में घोषित किया। हमने इन जिलों में सरकारों को विश्वास में लेकर के सबसे होनहार अफसरों को नियुक्त करने पर जोर दिया। इन जिलों में हम शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, ऐसे अनेक विषयों पर शून्य से काम शुरू करके सफलता के नए शिखर पर पहुंच रहे हैं। यहां झारखंड में भी ये अपना खूंटी समेत ऐसे कई जिले उस सूची में हैं। अब आकांक्षी जिला अभियान की इस सफलता को आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के जरिए, इसका विस्तार किया जा रहा है।
मेरे परिवारजनों,
दशकों तक हमारे देश में सोशल जस्टिस- सामाजिक न्याय और सेकुलरिज्म न जाने रोज सुबह शाम इसके गीत तो बहुत गाए गए, बयानबाजी बहुत होती रही। सच्चा सेकुलरिज्म तभी आता है, जब देश के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव की सारी संभावनाएं खत्म हो जाएं। सामाजिक न्याय का भरोसा तभी मिलता है, जब सबको बराबरी से, समान भावना से सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। दुर्भाग्य से, आज भी बहुत से राज्यों में कई गरीब हैं, जिनके पास योजनाओं की पर्याप्त जानकारी नहीं हैं। कई ऐसे भी गरीब हैं, जो योजनाओं का लाभ लेने के लिए भागदौड़ करने में सक्षम नहीं हैं। आखिर कब तक हम उन्हें उनके हाल पर छोड़े रहेंगे। इसी दर्द में से, इसी पीड़ा में से, इसी संवेदना में से ये एक सोच निर्माण हुई है। और इसी सोच के साथ अब आज से विकसित भारत संकल्प यात्रा शुरू हो रही है। ये यात्रा आज 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा की जन्मजयंती 15 नवंबर से शुरू करके अगले साल 26 जनवरी तक उसको चलाया जाएगा। इस यात्रा में सरकार मिशन मोड में देश के गांव-गांव जाएगी, हर गरीब, हर वंचित को सरकारी योजनाओं का जो हकदार है, उसके हक के लिए उसको लाभार्थी बनाया जाएगा। उसको ये योजना पहुंचे, उसकी व्यवस्था की जाएगी। और आपको याद होगा, मेरे मीडिया के कुछ मित्रों को मालूम नहीं रहता है। 2018 में भी मैंने एक प्रयोग किया था। केंद्र सरकार ने ऐसे ही एक ग्राम स्वराज अभियान चलाया था। और मैंने भारत सरकार के एक हजार अफसरों को गांवों में भेजा था। एयर कंडिशन कमरों से निकालकर के 1 हजार अफसर गांव में जाकर के बैठे थे। इस अभियान में भी हम सात प्रमुख योजनाओं को लेकर हर गांव तक गए थे। मुझे विश्वास है कि ग्राम स्वराज अभियान की तरह ही हमें विकसित भारत संकल्प यात्रा में भी हर गांव जाकर के, ऐसे हर हकदार को मिलकर के इस योजना को सफल करने का प्रण लेकर के निकलना है, और जब भगवान बिरसा की धरती से निकलते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है। मैं वो दिन देख रहा हूं, जब हर गरीब के पास मुफ्त राशन देने वाला राशन कार्ड होगा। जब हर गरीब के पास उज्ज्वला का गैस कनेक्शन होगा, सौभाग्य का बिजली कनेक्शन होगा, और नल से जल होगा। मैं वो दिन देख रहा हूं, जब हर गरीब के पास 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने वाला आयुष्मान कार्ड होगा। जब हर गरीब के पास उसका अपना पक्का घर होगा। मैं वो दिन देख रहा हूं, जब हर किसान, केंद्र सरकार की पेंशन योजना से जुड़ जाएगा। जब हर मजदूर, पेंशन योजनाओं का लाभार्थी हो जाएगा। जब हर पात्र नौजवान, मुद्रा योजना का लाभ ले सकेगा, और एक entrepreneur बनने की दिशा में कदम रखेगा। विकसित भारत संकल्प यात्रा एक तरह से देश के गरीबों को, देश की माताओं-बहनों को, देश के नौजवानों को, देश के किसानों को मोदी की गारंटी है। और जब मोदी की गारंटी होती है, ना तो आप जानते हैं वो गारंटी क्या होती है? मोदी की गारंटी यानि गारंटी पूरा होने की भी गारंटी।
मेरे परिवारजनों,
विकसित भारत के संकल्प का एक प्रमुख आधार है पीएम जनमन...यानि पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान। सामाजिक न्याय जनरल-जनरल बातें हुई, मोदी हिम्मत करके निकला है आदिवासी न्याय अभियान को लेकर के। आजादी के बाद कई दशकों तक आदिवासी समाज को लगातार नजरअंदाज किया गया। मैं अटल जी की सरकार थी, जिसने आदिवासी समाज के लिए अलग मंत्रालय बनाया, अलग से बजट बनाया। हमारी सरकार के दौरान अब आदिवासी कल्याण का बजट, पहले के मुकाबले 6 गुना तक बढ़ चुका है। पीएम जनमन, योजना का नाम रखा है- पीएम जनमन। पीएम जनमन यानि पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान, इसके तहत अब हमारी सरकार उन आदिवासी भाई-बहनों तक पहुंचेगी, जिन तक कभी नहीं पहुंचा गया। ये वो जनजातीय समूह हैं, हमने कह तो दिया वो प्रिमिटिव ट्राइब्स हैं, जिनमें से ज्यादातर अब भी जंगलों में रहने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने रेल की देखने की बात छोड़ो, आवाज भी नहीं सुनी है। देश के 22 हजार से ज्यादा गांवों में रह रहे ऐसे 75 जनजातियाँ, वो 75 जनजाति समुदायों की, प्रिमिटिव ट्राइब्स की, पहचान हमारी सरकार ने की है। जैसे पिछड़ों में भी अति पिछड़े होते हैं, वैसे ही ये आदिवासियों में भी सबसे पीछे रह गए आदिवासी हैं। देश में इनकी संख्या लाखों में है। इन सबसे पिछड़े आदिवासियों को मूल सुविधाएं भी नहीं मिली हैं, आजादी के 75 साल बाद भी नहीं मिली है। इस आदिवासी समाज के लोगों को कभी पक्का मकान नहीं मिला। इनकी कई-कई पीढ़ियों में बच्चों ने स्कूल तक देखा नहीं है। इस समाज के लोगों के कौशल विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए अब इन जनजातियों तक भारत सरकार विशेष अभियान चलाकर पहुंचने वाली है। पहले की सरकारों ने आंकड़ों को जोड़ने का काम कर लिया, जो नजदीक हैं, जो ऊपर पहुंच चुके उन्हीं से काम करवा लेना, लेकिन मुझे सिर्फ आंकड़ों को जोड़कर के नहीं बैठना है, मुझे तो जीवन को जोड़ना है, जिंदगियों को जोड़ना है, हर जिंदगी में जान भरनी है, हर जिंदगी में नया जज्बा भरना है। इसी लक्ष्य के साथ आज पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान यानि पीएम जन मन , हम जन गण मन तो गाते हैं आज मैं पीएम जन मन के साथ इस महान अभियान की शुरुआत कर रहा हूँ। इस महाअभियान पर भारत सरकार 24 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
साथियों,
इस महाअभियान के लिए मैं विशेष तौर पर आदरणीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हमने अभी उनका वीडियो संदेश भी सुना है। जब वो यहां झारखंड में राज्यपाल थीं और उससे पहले जब ओडिशा में भी वो मंत्री के रूप मे काम करती थीं, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप मे काम करती थीं। तो ऐसे आखिरी छोर पर रहने वाले आदिवासी समूहों को आगे लाने के लिए वो दिन रात प्रयास करती रहती थीं। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वो राष्ट्रपति भवन में ऐसे समूहों को सम्मान के साथ बुलाती रहीं, उनकी समस्याओं को समझकर के उसके उपाय की चर्चा करती रहीं। मुझे विश्वास है कि उन्होंने हमें जो मार्गदर्शन दिया है, उन्होंने हमें जो प्रेरणा दी है, उनकी इस प्रेरणा से हम ये पीएम जनमन, पीएम जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान में जरूर सफल होंगे।
मेरे परिवारजनों,
हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी, Women Led Development का भी प्रेरक प्रतीक हैं। बीते वर्षों में जिस तरह भारत ने पूरी दुनिया को नारी शक्ति के विकास का मार्ग दिखाया है, वो अभूतपूर्व है। ये वर्ष माताओं-बहनों-बेटियों की सुविधा, सुरक्षा, सम्मान, स्वास्थ्य और स्वरोज़गार के रहे हैं। ये हमारे झारखंड की बेटियां खेलकूद में जो नाम कमा रही हैं ना, सीना चौड़ा हो जाता है। हमारी सरकार ने महिलाओं के जीवन के हर पड़ाव को ध्यान में रखते हुए, उनके लिए योजनाएं बनाईं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं से बेटियों की जनसंख्या बढ़ी है और स्कूलों में छात्राओं के नामांकन में भी वृद्धि हुई है। सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय के निर्माण से स्कूल छोड़ने की मजबूरी कम हुई है। पीएम आवास योजना के तहत करोड़ों घर की मालकिन बहनें बनी हैं, बहनों के नाम पर घर रजिस्टर हुआ है, पहली बार उनके नाम पर कोई प्रॉपर्टी हुई है। सैनिक स्कूल, डिफेंस एकेडमी को बेटियों के एडमिशन के लिए पहली बार खोल दिया गया है। मुद्रा योजना के तहत लगभग 70 प्रतिशत बिना गारंटी के ऋण देने वाली मेरे देश की महिलाएं हैं, मेरी बेटियां हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों को भी आज सरकार से रिकॉर्ड आर्थिक मदद दी जा रही है। और लखपति दीदी अभियान, कुछ लोगों को मेरी बातें सुनकर के चक्कर आ जाते हैं। मेरा सपना है दो करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाकर रहूंगा, दो करोड़ महिलाओं को। स्वयं सहायता समूह चलाने वाली दो करोड़ महिलाएं लखपति बनकर रहने वाली हैं देख लेना। कुछ महीने पहले ही हमारी सरकार ने विधानसभा औऱ लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण देने वाला नारीशक्ति वंदन अधिनियम भी अपनाया है। आज भाई दूज का पवित्र पर्व है। देश की सभी बहनों को उनका ये भाई गारंटी देता है कि बहनों के विकास में आने वाली हर रुकावट को ये आपका भाई ऐसे ही दूर करता रहेगा, आपका भाई आपकी मुसीबतों की मुक्ति के लिए जी-जान से जुटा रहेगा। नारीशक्ति का अमृत स्तंभ, विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा।
मेरे परिवारजनों,
केंद्र सरकार विकसित भारत की यात्रा में हर व्यक्ति के सामर्थ्य का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। दो महीने पहले ही हमने पीएम विश्वकर्मा योजना भी शुरू की है। सरकार ने उन लोगों को आगे लाने का प्रयास किया है, जो अपने पारंपरिक कौशल के लिए जाने जाते हैं। कुम्हार हो, लोहार हो, सुतार हो, सुनार हो, मालाकार हो, राजमिस्त्री हो, बढ़ई हो, अरे कपड़े धोने हो, कपड़े सिलने वाले हो, जूते बनाने वाले हो, ऐसे हमारे साथी, ये हमारे विश्वकर्मा साथी इस योजना के तहत विश्वकर्मा साथियों को आधुनिक ट्रेनिंग मिलेगी, और ट्रेनिंग के दौरान उनको पैसा मिलेगा। उनको अच्छे नए औजार मिलेंगे, नई टेक्नोलॉजी मिलेगी और इस पर 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
मेरे परिवारजनों,
आज देश के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि की 15वीं किश्त रिलीज की गई। अब देश के करोड़ों किसानों के खातों में भेजी गई कुल रकम 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए को पार कर गई है। आपमें से जो किसान यहां बैठे होंगे, उनके मोबाइल पर मैसेज आ चुका होगा कि दो हजार रुपया आपके खाते में जमा हो गया है। कोई कट की कंपनी नहीं, कोई बिचौलिया नहीं, डायरेक्ट मोदी का सीधा नाता रहता है आपके साथ। ये वही किसान हैं, जिनकी पहले कोई पूछ नहीं होती थी। अब इन किसानों की जरूरतों का ध्यान सरकार रख रही है। ये हमारी ही सरकार है जिसने पशुपालकों और मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से जोड़ा है। पशुधन के मुफ्त टीकाकरण पर हमारी सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए। कोरोना के बाद आपको मुफ्त टीका दिया, हजारों करोड़ खर्च किए गए। आपके हर परिवार जन को बचाने की कोशिश की गई, इतना ही नहीं अब 15 हजार करोड़ रुपया खर्च करके मुफ्त में पशु का टीकाकरण भी हो रहा है, आप भी इसका फायदा उठाइये। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए, अभी मैं यहां आया एक प्रदर्शनी लगी है एक-एक, डेढ़-डेढ़ लाख रुपये की मछली और उसमें से मोती बनाने का काम कर रहे हैं। मत्स्य संपदा योजना के तहत आर्थिक मदद दी जा रही है। आज देश में 10 हजार नए किसान उत्पाद संघ- FPO बन रहे हैं। इससे किसानों की लागत कम हुई है और बाजार तक पहुंच आसान हुई है। हमारी सरकार के प्रयासों से ही इस वर्ष इंटरनेशनल मिलेट ईयर मनाया जा रहा है। मोटे अनाज को श्रीअन्न की पहचान देकर विदेश के बाजारों तक पहुंचाने के लिए पूरी तैयारी हो रही है। इसका भी लाभ हमारे आदिवासी भाई-बहनों को होगा।
साथियों,
सरकार के इन चौतरफा प्रयासों से झारखंड जैसे राज्यों में नक्सली हिंसा में भी कमी आई है। एक-दो साल में झारखंड की स्थापना के 25 साल पूरे होने जा रहे हैं। ये झारखंड के लिए बहुत ही प्रेरणादायी समय है। इस माइलस्टोन पर, झारखंड में 25 योजनाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य लेकर काम शुरू किया जा सकता है। मैं झारखंड सरकार से भी आग्रह करुंगा , मैं झारखंड के सभी नेताओं से आग्रह करुंगा कि 25 साल का लक्ष्य तय करके एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जाए, इससे राज्य के विकास को नई गति मिलेगी और यहां के लोगों का जीवन भी और आसान बनेगा। हमारी सरकार शिक्षा के विस्तार और युवाओं को अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में आज आधुनिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है। अब विद्यार्थियों को मातृभाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का विकल्प मिल रहा है। बीते 9 वर्षों में पूरे देश में 300 से अधिक यूनिवर्सिटीज़ बनी हैं, साढ़े 5 हज़ार से अधिक नए कॉलेज बने हैं। डिजिटल इंडिया अभियान ने युवाओं को नए अवसर दिए हैं। गांव-गांव कॉमन सर्विस सेंटर्स में हजारों युवाओं को रोजगार मिला है। एक लाख से अधिक स्टार्ट-अप्स के साथ दुनिया का तीसरा बड़ा इकोसिस्टम भारत में बना है। आज रांची में IIM कैंपस और IIT-ISM, धनबाद में नए हॉस्टल का भी लोकार्पण हुआ है।
साथियों,
अमृतकाल के चार अमृत स्तंभ, हमारी नारीशक्ति, हमारी युवाशक्ति, हमारी कृषि शक्ति और हमारे गरीबों-मध्यम वर्ग की सामर्थ्यशक्ति, भारत को निश्चित ही नई ऊंचाई पर ले जाएंगे, विकसित भारत बनाएंगे। मैं इन परियोजनाओं के लिए, राष्ट्र निर्माण के इन अभियानों के लिए एक बार फिर आप सबको निमंत्रण भी देता हूं, आप सबको बधाई भी देता हूं। मेरे साथ, मैं कहूंगा भगवान बिरसा मुंडा – आप कहिए अमर रहें, अमर रहें। भगवान बिरसा मुंडा –अमर रहें, अमर रहें। भगवान बिरसा मुंडा –अमर रहें, अमर रहें। दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिये, भगवान बिरसा मुंडा – अमर रहें, अमर रहें। भगवान बिरसा मुंडा –अमर रहें, अमर रहें। भगवान बिरसा मुंडा –अमर रहें, अमर रहें। भगवान बिरसा मुंडा –अमर रहें, अमर रहें। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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