मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
पशु स्वास्थ्य के विश्व संगठन ने भारतीय पोल्ट्री क्षेत्र में एवियन इन्फ्लूएंजा से मुक्ति की स्व-घोषणा को मंजूरी दी
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रुपाला ने चेन्नई से सागर परिक्रमा कार्यक्रम के अगले चरण की शुरुआत करते हुए संवाददाताओं से कहा कि यह एक बड़ी खबर है और यह हमारे पोल्ट्री क्षेत्र के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित होगी
Posted On:
14 OCT 2023 1:14PM by PIB Delhi
भारत के पोल्ट्री उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने विशिष्ट पोल्ट्री क्षेत्रों में अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा से मुक्ति की भारत की स्व-घोषणा को मंजूरी दे दी है। यह उपलब्धि पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा के उच्च मानकों को बनाये रखने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
क्षेत्रीयकरण और वर्गीकरण पर पृष्ठभूमि
क्षेत्रीयकरण और वर्गीकरण रणनीतिक उपाय हैं। इनका उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार और बीमारी की रोकथाम अथवा नियंत्रण के उद्देश्यों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों वाले जानवरों के समूहों को बनाए रखने के लिए किया जाता है। वर्गीकरण में राष्ट्रीय क्षेत्र के भीतर एक विशिष्ट स्वास्थ्य स्थिति वाले जानवरों की सब-पापुलेशन को परिभाषित करना शामिल है। इस स्थिति का रखरखाव कड़े प्रबंधन और पालन पद्धतियों पर निर्भर करता है। यह विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन टेरेस्ट्रियल कोड (अध्याय 4.4 और 4.5) में उल्लिखित मानकों और विशिष्ट रोग अध्यायों से संबंधित सिफारिशों को अमल में लाते हैं।
भारत में एवियन इन्फ्लुएंजा
अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा (एचपीएआई) को आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है। यह भारत में पहली बार फरवरी 2006 में महाराष्ट्र में पाया गया था। देश में उसके बाद विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक रोगकारक एवं संक्रामक एवियन इन्फ्लुएंजा का साल दर साल प्रकोप होता रहा है। इससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। यह बीमारी 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पायी गई है। इसके परिणामस्वरूप एवियन इन्फ्लुएंजा के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए 90 लाख से अधिक पक्षियों को मार दिया गया है।
अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा को नियंत्रित करने के लिए भारत का दृष्टिकोण एवियन इन्फ्लुएंजा के निवारण, नियंत्रण और रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (संशोधित - 2021) में उल्लिखित ‘पता लगाने और मारने’ की नीति का पालन करता है। इस व्यापक प्रक्रिया में संक्रमित और निराश्रित जानवरों, अंडे, चारा, कूड़ा और अन्य दूषित सामग्रियों को नष्ट किया जाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों को लाने-ले जाने पर रोक लगाने, संक्रमित परिसरों को कीटाणु मुक्त बनाने और सफाई तथा पोस्ट-ऑपरेटिव निगरानी योजना जैसे उपाय लागू किए गए हैं। यहां यह ध्यान रखना अहम है कि भारत में अत्यधिक रोगकारक एवियन एन्फ्लुएंजा के खिलाफ टीकाकरण की अनुमति नहीं है।
वर्गीकरण: एक प्रमुख नियंत्रण उपाय
इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने पोल्ट्री वर्गीकरण की अवधारणा को अपनाकर अत्यधिक रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है। वर्गीकरण एक महत्वपूर्ण उपाय है जो पशु स्वास्थ्य को बढ़ाता है, यह क्षेत्र में और उसके बाहर बीमारी के फैलने के जोखिम को कम करता है। यह पोल्ट्री और पोल्ट्री से जुड़े उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाता है।
विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्व-घोषणा की स्वीकृति
भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन को 26 पोल्ट्री क्षेत्रों में उच्च रोगकारक एवियन इन्फ्लुएंजा से मुक्ति की स्व-घोषणा की है। 13 अक्टूबर, 2023 को, विश्व अंडा दिवस के अवसर पर विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने भारत की इस स्व-घोषणा को मंजूरी दे दी। यह घोषणा अब यहां विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट (https://www.woah.org/app/uploads/2023/10/2023-10-india-hpai-compartments-eng.pd) पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।
पोल्ट्री क्षेत्र भारत के चार राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हैं। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन की यह मान्यता अंतरराष्ट्रीय जैव सुरक्षा मानकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह मांस और अंडे सहित भारतीय पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में महती योगदान देगी। भारत विश्व स्तर पर अंडों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक (129.60 अरब) और पोल्ट्री मांस का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक (4470000 टन) देश है। देश अब इस उपलब्धि का लाभ उठाने के लिए तैयार है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने 64 देशों को पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया। इससे 134000000 अमेरिकी डालर का राजस्व प्राप्त हुआ। इस स्व-घोषणा की मंजूरी से वैश्विक बाजार में भारतीय पोल्ट्री के लिए नये अवसर पैदा होने की उम्मीद है, इससे देश की आर्थिक वृद्धि में बड़ा योगदान होगा।
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