प्रधानमंत्री कार्यालय
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रायपुर, छत्तीसगढ़ में विकास कार्यों के शुभारंभ के मौके पर प्रधानमंत्री के संबोधन का पाठ

Posted On: 07 JUL 2023 12:53PM by PIB Delhi

छत्तीसगढ़ के गवर्नर श्रीमान विश्व भूषण हरिचंदन जी, मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेश बघेल जी, केंद्रीय मंत्री परिषद के मेरे सहयोगी भाई नितिन गडकरी जी, मनसुख मांडविया जी, रेणुका सिंह जी, राज्य के उप मुख्यमंत्री श्रीमान टी.एस. सिंह देव जी, भाई श्री रमन सिंह जी, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों, छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा में आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है, बहुत बड़ा है। 

आज छत्तीसगढ़ को 7 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का उपहार मिल रहा है। ये उपहार इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए है, कनेक्टिविटी के लिए है। ये उपहार छत्तीसगढ़ के लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए है, यहां की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए है। भारत सरकार के इन प्रोजेक्ट्स से यहां रोजगार के अनेकों नए अवसर भी बनेंगे। यहां के धान किसानों, खनिज संपदा से जुड़े उद्यमों और टूरिज्म को भी इन प्रोजेक्ट्स से बहुत लाभ मिलेगा। सबसे बड़ी बात ये कि इनसे आदिवासी क्षेत्रों में सुविधा और विकास की नई यात्रा शुरू होगी। मैं इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

भारत में हम सभी का दशकों पुराना अनुभव यही है कि जहां इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर रहा, वहां विकास भी उतनी ही देरी से पहुंचा। इसलिए आज भारत उन क्षेत्रों में अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है, जो विकास की दौड़ में पीछे रह गए। इंफ्रास्ट्रक्चर यानि लोगों के जीवन में आसानी, इंफ्रास्ट्रक्चर यानि व्यापार कारोबार में आसानी, इंफ्रास्ट्रक्चर यानि रोजगार के लाखों नए अवसरों का निर्माण, और इंफ्रास्ट्रक्चर यानि तेज विकास। आज भारत में किस तरह आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित हो रहा है, यहां छत्तीसगढ़ में भी नजर आता है। पिछले 9 वर्षों में छत्तीसगढ़ के हजारों आदिवासी गांवों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़कें पहुंची हैं। भारत सरकार ने यहां करीब साढ़े 3 हजार किलोमीटर लंबी नेशनल हाईवे की परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। इसमें से लगभग तीन हजार किलोमीटर की परियोजनाएं पूरी भी हो चुकी हैं। इसी कड़ी में आज रायपुर-कोडेबोड़ और बिलासपुर-पथरापाली हाईवे का लोकार्पण हुआ है। रेल हो, रोड हो, टेलीकॉम हो, हर तरह की कनेक्टिविटी के लिए पिछले 9 साल में भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व काम किया है।

साथियों, 

आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और बहुत बड़ा लाभ है, जिस पर उतनी चर्चा नहीं हो पाती। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का संबंध सामाजिक न्याय से भी है। जो सदियों तक अन्याय और असुविधा झेलते रहे, उन तक भारत सरकार आज ये आधुनिक सुविधाएं पहुंचा रही हैं। गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी, इनकी बस्तियों को आज ये सड़कें, ये रेल लाइनें जोड़ रही हैं। इन दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों को, माताओं-बहनों को आज अस्पताल पहुंचने में सुविधा हो रही है। यहां के किसानों, यहां के मजदूरों को इससे सीधा लाभ हो रहा है। इसका एक और उदाहरण मोबाइल कनेक्टिविटी भी है। 9 साल पहले छत्तीसगढ़ के 20 प्रतिशत से ज्यादा गांवों में किसी तरह की मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं थी। आज ये घटकर लगभग 6 प्रतिशत रह गई है। इनमें से अधिकतर जनजातीय गांव हैं, नक्सल हिंसा से प्रभावित गांव हैं। इन गांवों को भी अच्छी 4G कनेक्टिविटी मिले, इसके लिए भारत सरकार 700 से अधिक मोबाइल टावर लगवा रही है। इनमें से करीब 300 टावर काम करना शुरू कर चुके हैं। जिन आदिवासी गांवों में पहुंचते ही पहले मोबाइल सन्नाटे में आ जाते थे, आज उन्हीं गांवों में मोबाइल की रिंगटोन बज रही है। मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचने से कितने ही कामों में अब गांव के लोगों को मदद मिल रही है। और यही तो सामाजिक न्याय है। और यही तो सबका साथ, सबका विकास है। 

साथियों, 

आज छत्तीसगढ़ दो-दो इकोनॉमिक कॉरिडोर से जुड़ रहा है। रायपुर-धनबाद इकोनॉमिक कॉरिडोर और रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर, इस पूरे क्षेत्र का भाग्य बदलने वाले हैं। ये आर्थिक गलियारे उन आकांक्षी जिलों से होकर गुज़र रहे हैं, जिन्हें कभी पिछड़ा कहा जाता था, जहां कभी हिंसा और अराजकता हावी थी। आज उन्हीं जिलों में भारत सरकार की कमान में, विकास की नई गाथा लिखी जा रही है। आज जिस रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर पर काम शुरु हुआ है, वो इस क्षेत्र की एक नई लाइफ़लाइन बनने वाली है। इस कॉरिडोर से रायपुर और विशाखापट्टनम के बीच का सफर आधा हो जाएगा। 6 लेन की ये सड़क, धमतरी की धान बेल्ट, कांकेर की बॉक्साइट बेल्ट और कोंडागांव के हस्तशिल्प की समृद्धि को, देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने का प्रमुख मार्ग बनेगी। और मुझे इसकी एक और खास बात बहुत अच्छी लगी। ये सड़क वन्यजीव क्षेत्र से गुजरेगी इसलिए इसमें वन्यजीवों की सहूलियत के लिए टनल और Animal Passes भी बनाए जाएंगे। दल्लीराजहरा से जगदलपुर रेल लाइन हो, अंतागढ़ से रायपुर के लिए सीधी ट्रेन सेवा हो, इससे भी यहां के दूर-सुदूर के क्षेत्रों में आना-जाना और आसान हो जाएगा। 

साथियों, 

भारत सरकार का कमिटमेंट है कि जहां प्राकृतिक संपदा है, वहीं नए अवसर बने, वहीं ज्यादा से ज्यादा उद्योग लगें। इस दिशा में भारत सरकार ने जो प्रयास बीते 9 वर्षों में किए हैं, उनसे छत्तीसगढ़ में औद्योगीकरण को नई ऊर्जा मिली है। भारत सरकार की नीतियों से, छत्तीसगढ़ के पास राजस्व के रूप में अधिक पैसा भी पहुंचा है। विशेषकर, माइन्स और मिनरल एक्ट बदले जाने के बाद छत्तीसगढ़ को रॉयल्टी के रूप में कहीं अधिक पैसा मिलने लगा है। 2014 से पहले के 4 वर्षों में छत्तीसगढ़ को 13 सौ करोड़ रुपए रॉयल्टी के तौर पर मिले थे। जबकि 2015-16 से 2020-21 के बीच छत्तीसगढ़ को लगभग 2800 करोड़ रुपए रॉयल्टी के रूप में मिले हैं। डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की राशि बढ़ने से उन जिलों में विकास का काम तेज हुआ है, जहां खनिज संपदा है। बच्चों के लिए स्कूल हो, पुस्तकालय हो, सड़कें हों, पानी की व्यवस्था हो, ऐसे कितने ही कामों में, अब डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का पैसा खर्च हो रहा है। 

साथियों,

केंद्र सरकार के एक और प्रयास का छत्तीसगढ़ को बहुत लाभ हुआ है। भारत सरकार के प्रयासों से छत्तीसगढ़ में 1 करोड़ 60 लाख से ज्यादा जनधन बैंक खाते खोले गए हैं। आज इन बैंक खातों में 6 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक जमा हैं। ये उन गरीब परिजनों, उनके परिवारजनों, किसानों, श्रमिकों का पैसा है, जो पहले यहां-वहां अपना पैसा रखने के लिए मजबूर थे। आज इन जनधन खातों की वजह से गरीबों को सरकार से सीधी मदद मिल पा रही है। छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार मिले, वो स्वरोजगार करना चाहें तो दिक्कत ना हो, इसके लिए भी भारत सरकार निरंतर काम कर रही है। मुद्रा योजना के तहत 40 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की मदद छत्तीसगढ़ के युवाओं को दी गई है। ये पैसे भी बिना गारंटी के दिए गए हैं। इस मदद से बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के गांवों में हमारे आदिवासी युवक-युवतियों ने, गरीब परिवार के युवाओं ने अपना कुछ काम शुरू किया है। भारत सरकार ने कोरोना काल में देश के छोटे उद्योगों को मदद देने के लिए भी लाखों करोड़ रुपए की एक विशेष योजना चलाई है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के करीब 2 लाख उद्यमों को लगभग 5 हज़ार करोड़ रुपए की मदद मिली है। 

साथियों, 

हमारे देश में पहले कभी किसी सरकार ने हमारे रेहड़ी-पटरी वालों की, ठेले वालों की सुध नहीं ली। इनमें से ज्यादातर लोग गांवों से ही तो जाकर शहरों में ये काम करते हैं। हर रेहड़ी-पटरी और ठेले वाले को भारत सरकार अपना साथी समझती है। इसलिए हमने पहली बार उनके लिए पीएम स्वनिधि योजना बनाई। बिना गारंटी के उन्हें ऋण दिया। छत्तीसगढ़ में इसके भी 60 हज़ार से ज्यादा लाभार्थी हैं। गांवों में मनरेगा के तहत भी पर्याप्त रोजगार मिले, इसके लिए भी छत्तीसगढ़ को 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा भारत सरकार ने दिए हैं। भारत सरकार का ये पैसा गांवों में श्रमिकों की जेब में पहुंचा है। 

साथियों, 

थोड़ी देर पहले यहां 75 लाख लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड दिए जाने की शुरुआत हुई है। यानि मेरे इन गरीब और आदिवासी भाई-बहनों को हर साल 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की गारंटी मिली है। छत्तीसगढ़ के डेढ़ हजार से ज्यादा बड़े अस्पतालों में वो अपना इलाज करा सकते हैं। मुझे संतोष है कि गरीब, आदिवासी, पिछड़े, दलित परिवारों का जीवन बचाने में आयुष्मान योजना इतना काम आ रही है। और इस योजना की और एक भी विशेषता है। अगर छत्तीसगढ़ का कोई लाभार्थी हिन्‍दुस्‍तान के किसी और राज्‍य में है और वहां उसको अगर कोई परेशानी हो गई तो ये कार्ड वहां भी उसका सारा काम पूरा कर सकती है। इतनी ताकत इस कार्ड में है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारत सरकार, इसी सेवाभाव से छत्तीसगढ़ के हर परिवार की सेवा करती रहेगी। एक बार फिर आप सभी को इन विकास कार्यों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ! धन्यवाद!

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DS/ST/AV


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