इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
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केंद्रीय इलेक्ट्रोनिक्स,सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर का पुणे में 12 जून, 2023 को आयोजित जीपीआई वैश्विक शिखर सम्मेलन में संबोधन

Posted On: 12 JUN 2023 3:47PM by PIB Delhi

यह शिखर सम्मेलन ज्ञान और डीपीआई क्रियान्वयन की सर्वोत्तम कार्य प्रणाली को साझा करने का सर्वोत्तम अवसर है। मैं वैश्विक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना भागीदारी और डिजिटल अर्थव्यवस्था की प्रगति पर विश्वास करता हूं।

आज डिजिटाईजेशन आधुनिक मानव इतिहास में अप्रत्याशित गति से प्रगति कर रहा है,और इस वास्तविकता के कुछ ही अपवाद हैं।डिजिटाईजेशन आज पूरे विश्व में सरकारों और सुशासन,व्यापार और उद्यमों,उपभोक्ताओं और नागरिकों के जीवन में परिवर्तन ला रहा है। वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में विशेष तौर पर कोविड के बाद हाल के वर्षो मे अहम वृद्धि और परिवर्तन देखा गया है। यह सैद्धांतिक है और जैसा कि मैं कहता हूं यह हमारे काम करने का तरीका बदल रहा है,सरकारों के काम करने का तरीका बदल रहा है,उद्यमियों के काम करने का तरीका बदल रहा और उपभोक्ताओं की इस नए विश्व से उम्मीदों में परिवर्तन ला रहा है।   

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन(यूएनसीटीएडी) की वर्ष 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल वर्ष 2019 में ही 27 ट्रिलियन डालर से वैश्विक ई-कामर्स हुआ और मुझे विश्वास है कि कोविड के बाद इसमें ओर अधिक बढोत्तरी होगी।

आज जब हम डीपीआई और डीपीआई के भविष्य की बात कर रहे हैं तो भारत एक आदर्श मामला है और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के प्रभाव और दक्षता के प्रभाव का अध्ययन के लिए प्रत्यक्ष प्रकाशस्तम्भ है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और साढ़े छह दशक से अधिक समय तक विश्व के सबसे बड़े राष्ट्र के रुप में भारत का सुशासन आकार,दूरी और अन्य कारकों के कारण पीछे रह गया।

पहले जब दिल्ली से निर्धनों और नागरिकों के लाभ के लिए 100 रुपए भेजे जाते थे तो सुशासन की लागत के कारण सिर्फ 15 रुपए ही नागरिकों तक पहुंचते थे। नागरिको के लिए भेजे गए 100 रुपए में से 85 रुपए लोकतंत्र की लागत थी।

वर्ष 2015 में डीपीआई का शुभांरभ होने और इसकी शक्ति के कारण आज भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े देश में और लोकतंत्र संबंधी विचारो में तेजी से परिवर्तन आया है। आज देश की राजधानी और राज्यों की राजधानी से लोगों के लाभ के लिए भेजा गया 100 रुपए पूर्ण रुप से नागरिकों तक पहुंच रहा है। बीते पांच सालो में सरकार द्वारा करीब 400 बिलियन डालर से अधिक की राशि नागरिकों को बिना किसी रुप से कम होकर या किसी भय के हस्तांतरित की गई है। यह डीपीआई की शक्ति है और यह शक्ति आज भारत संपूर्ण विश्व के सामने प्रदर्शित कर रहा है। डिजिटल अर्थव्यवस्था और कुल अर्थव्यवस्था में इसका प्रतिशत वर्ष 2014 में जहां क्रमश: 3 और 3.5 प्रतिशत था,वह आज बढ़कर 10 प्रतिशत हो चुका है और हमें विश्वास है कि वर्ष 2020-26 में यह भारत की जीडीपी का लगभग 20 प्रतिशत होगा। यह सरकार में डिजिटाईजेशन और संपूर्ण इकोसिस्टम का प्रसार है।      

भारत साइबर कानूनो में वैश्विक मानको के अनुरुप विभिन्न ढांचों को सृजन करने की स्पष्ट आवश्यकता पर कार्य कर रहा है। आज हम सभी इस बात को महसूस करते हैं कि आज प्रौद्योगिकी और इंटरनेट जहां अच्छे कामों के लिए प्रयोग की जा सकती है,लेकिन इसके साथ ही आज यह बुराईयों के लिए भी प्रयोग हो सकती है। इसके चलते आज हम आज हम समान विचार रखने वाले देशों के साथ भविष्य के लिए साइबर कानूनों को विकसित करने में जुटे हैं। डीपीआई के जुडी भागीदारी हमें फिर से समर्थ करेगी। 

भारत का डिजिटाईजेशन वर्ष 2015 में 85 प्रतिशत रिसाव, 85 प्रतिशत सुशासन की लागत और 85 प्रतिशत लोकतंत्र को स्वीकार ना करने के, प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रारंभ हुआ था। देश को सुशासन के लाभ का भाव अनुभव कराने की आवश्यकता थी। प्रौद्योगिकी को लोगों के जीवन में सुधार करना होगा। भारत ने पहचान  के क्षेत्र से शुरूआत की और आधार से पहचान शुरू हुई। आज पहचान की प्रमाणिकता जटिल हो रही है और इसका निरंतर विकास हो रहा है। डीपीआई ढ़ांचे में सुधार और नवाचार आज तेजी से बढ़ा है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता,भाषा मॉडल के आने से इसमें सुधार जारी है। आज डीपीआई में साझेदारी सभी देशों के लिए बेहतर विकल्प है और वर्षों तक डिजिटाईजेशन की कमी को पूरा करेगी। वैश्विक डीपीआई ढ़ांचे की आवश्यकता,प्रौद्योगिकी के समावेशी होने और आवश्यक रुप से विकसित होने और विकसित देश ना होने वालो को सशक्त करने के कदम से जुडा है।

 डीपीआई रूपरेखा इस डिजिटल आयु में वास्तविक रुप से सुशासन के भविष्य के संबंध मे है। यह समावेशन करने,पारदर्शिता और अनुक्रियता से सरोकार रखती है,जिसकी आज विश्व भर के लोग और हर देश के लोग तेजी से इच्छा रखते हैं। भारत की अध्यक्षता के दौरान बनी गति ने डीपीआई दृष्टिकोण के लिए लक्ष्यता प्राप्त की है और हमने इसका एससीओ डिजिटल मंत्रीस्तरीय, क्वाड नेताओं और भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद की बैठक में इसका अनुमोदन देखा है। यह अनुमोदन और समर्थन डीपीआई की शक्ति और क्षमता की पुष्टि करती है। यह मेरी इस राय का भी समर्थन करती है कि इस डिजिटाईजेशन कदम और इसमें सक्रिय भूमिका की इच्छा रखने वाले देशों को भविष्य में अधिक सक्रिय गठबंधन और भागीदारी की आवश्यकता है।

डीपीआई सतत विकास लक्ष्यों के प्रति मानव प्रगति को गति प्रदान कर सकती है। डीपीआई में कई अहम क्षेत्रो में  एसडीजी को हासिल करने की विशाल क्षमता है और डीपीआई जैसे पहचान, डिजिटल भुगतान और स्वास्थ्य क्षेत्र को विभिन्न एसडीजी में अग्रिम प्रगति जैसे निर्धनता को कम करने, बेहतर स्वास्थ्य, समुचित आर्थिक प्रगति और उद्योग तथा नवाचार में अग्रिम प्रगति हासिल करने की अहम क्षमता है।

डीपीआई का कोई ऐसा अकेला मॉडल नहीं है जिसका सब जगह प्रयोग हो सके। यह वास्तव में ओपन सोर्स की शक्ति, गठबंधन और भागीदारी की शक्ति का प्रयोग कर अभिनव डीपीआई प्लेटफॉर्म के सृजन के बारे में है, जो देशों और लोगों के लिए कार्य करे। यह इस सिद्धांत पर विश्वास करता है कि प्रौद्योगिकी इसका उपयोग करने वालों और नवाचार करने वालो के लिए है। विश्व के प्रत्येक नागरिक और विश्व की हर सरकार को इसका लाभ बड़ी राशि खर्च करे बिना मिलना चाहिए।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने निरंतर यह सिद्ध किया है कि देश के हर भाग में डीपीई प्रगति और विकास करने वाली जनसंख्या के लिए गुणक बल है। हाल ही में डीपीआई को कम और मध्य आय वाले देशो में लागू करने से विकास के प्रति अपार संभावना प्रदर्शित हुई है। हम सुशासन,पारदर्शिता,क्षमता और अनुक्रियता पर बात करते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि डीपीआई का देश की आर्थिक अर्थव्यवस्था या इसका क्रियान्वयन करने वाली समुदाय की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर उत्प्रेरक प्रभाव पड़ता है। यह देशों को डिजिटल अंतर कम करने,सार्थक संपर्क में सुधार करने और नागरिकों के लिए अवसरों का सृजन करने में सशक्त कर सकता है। वैश्विक जीडीपी में 85 प्रतिशत का संयुक्त योगदान करने,वैश्विक व्यापार में 75 फीसदी और जनसंख्या में दो तिहाई हिस्से की भागीदारी होने के चलते, जी 20 प्रतिनिधियो के रुप में इसकी आवश्यकता वाले देशों को इसका समर्थन करना चाहिए। डीपीआई में संयुक्त रुप से निवेश कर हम डिजिटल अर्थव्यवस्था और समाज की वृद्धि में अत्यधिक निवेश गुणक प्राप्त कर सकते हैं।

यूपीआई जो आज विश्व की सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक इकोसिस्टम भारत के केंद्र में है, वह सरकार द्वारा नागरिको को सब्सिडी देने में सामने आ रही समस्याओं का वास्तव में समाधान था।

हमने वन फ्यूचर एलाइंस नाम की एक स्वैच्छिक पहल का विचार कार्यान्वित किया है,जिसमें सभी देश और भागीदार मिलकर डीपीआई के भविष्य का डिजायन और शिल्प निर्धारित करेंगे। इसका प्रयोग सभी देश और लोग मिलकर कर सकेंगे।

डीपीआई से बेहतर शक्तिशाली साधन मिलने के साथ-साथ हमें इस तथ्य का ध्यान भी रखना होगा कि प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के अच्छा होने के साथ-साथ प्रयोगकर्ता को नुकसान पहुंचने का मुद्दा भी है। जी 20 डिजिटल पर्यावरण के लिए हमारा सहयोग तीन मुख्य बिंदुओ पर केंद्रित है।

सर्वप्रथम सरकार के लिए ये औपचारिक रुप से स्वीकार करना आवश्यक है कि उद्योग जगत के पास क्या-क्या है, नवाचार को रोकने के लिए सुरक्षा खतरे,जरुरी सेवाओं और उपभोक्ता विश्वास में भरोसा।

दूसरा मुद्दा डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा ना तो घरेलू मुद्दा है और ना ही भौगोलिक रूप से पृथक है। साइबर अपराधों और साइबर सुरक्षा में अपराधी/कर्ता एक अधिकार क्षेत्र में,पीडित दूसरे अधिकार क्षेत्र में और अपराध तीसरे अपराध क्षेत्र में होता है। इसलिए अधिक वैश्विक रुपरेखा और सहयोग की आवश्यकता है। डीपीआई रूपरेखा और वन प्यूचर एलाइंस भागीदारी से जुडे मुद्दों का समाधान और साइबर सुरक्षा के प्रति हमारे भविष्य के दृष्टिकोण को निर्धारित करेगा।

कौशल विकास अत्यधिक आवश्यक है और इसलिए हमनें अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण और विस्तार की परिकल्पना की है और इस क्षेत्र में हमने अहम कार्य किया है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था एक शक्तिशाली अवसर है और डीपीआई इस शक्तिशाली अवसर के लिए शक्ति प्रदानकर्ता है। वैश्विक डीपीआई शिखर सम्मेलन और इसके जुडे वार्तालाप भारत की अध्यक्षता में वसुधैव कुटंबकम के दृष्टिकोण के अनुरुप है,जहां हम प्रौद्योगिकी और डीपीआई का मुख्य रुप से प्रयोग कर अपने सामूहिक भविष्य की बेहतरी के लिए प्रयोग कर सकेंगे। विकसित और विकासशील दोनों देशों को डिजिटल अर्थव्यवस्था के अवसरो का लाभ उठाना होगा और यह आवश्कता होने या ना होने पर होगा।

आने वाला दशक टेकेड के रुप में जाना जाएगा। यह प्रौद्योगिकीय अवसरों का दशक होगा और यह भागीदारी और इस रुप की भागीदारी सभी देशों को उभरते हुए डिजिटल अवसरो का अनुसरण करने  की अनुमति देगा। डिजिटल कार्यकारी समूह इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलजुल कार्य करेगा जिसका लाभ सभी सदस्यों को मिलेगा। हमारे संयुक्त प्रयास हम सभी और हमारे लोगों के लिए उज्जवल भविष्य निर्धारित करेंगे।

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