प्रधानमंत्री कार्यालय
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प्रधानमंत्री ने वीडियो संदेश के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित बैठक को संबोधित किया


"एक तरफ हमने एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है, तो दूसरी तरफ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण को अनिवार्य कर दिया गया है"

“21वीं सदी का भारत, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के एक बहुत स्पष्ट रोडमैप के साथ आगे बढ़ रहा है”

"पिछले 9 वर्षों में, भारत में आर्द्रभूमि और रामसर स्थलों की संख्या पहले की तुलना में लगभग 3 गुनी बढ़ गई है"

"दुनिया के प्रत्येक देश को निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर, विश्व जलवायु के संरक्षण पर विचार करना चाहिए"

"भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति में प्रकृति भी है और प्रगति भी"

"मिशन लाइफ का मूल सिद्धांत, दुनिया को बदलने के लिए आपकी प्रकृति में बदलाव लाना है"

“जलवायु परिवर्तन के प्रति यह चेतना केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, इस पहल के प्रति वैश्विक समर्थन भी बढ़ रहा है”

“मिशन लाइफ की दिशा में उठाया गया हर कदम, आने वाले समय में पर्यावरण के लिए एक मजबूत कवच बन जाएगा”

Posted On: 05 JUN 2023 2:38PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित बैठक को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया के प्रत्येक देश को अपनी शुभकामनाएं दीं। इस वर्ष के पर्यावरण दिवस की थीम - एकल-उपयोग प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान – को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत पिछले 4-5 वर्षों से इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। श्री मोदी ने बताया कि भारत, 2018 से एकल-उपयोग प्लास्टिक से मुक्ति पाने के लिए दो स्तरों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, "एक तरफ हमने एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है, तो दूसरी तरफ प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण को अनिवार्य कर दिया गया है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके कारण भारत में लगभग 30 लाख टन प्लास्टिक पैकेजिंग का अनिवार्य पुनर्चक्रण किया जा रहा है, जो भारत के कुल वार्षिक प्लास्टिक अपशिष्ट का 75 प्रतिशत है। आज इसके दायरे में आज लगभग 10 हजार उत्पादक, आयातक और ब्रांड आ गए हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 21वीं सदी का भारत जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक बहुत स्पष्ट रोडमैप के साथ आगे बढ़ रहा है। यह रेखांकित करते हुए कि भारत ने वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य के विज़न के बीच एक संतुलन स्थापित किया है, प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबों में भी सर्वाधिक गरीब व्यक्ति को भी आवश्यक सहायता प्रदान की गई है, जबकि भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बड़े कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले 9 वर्षों के दौरान, भारत ने हरित और स्वच्छ ऊर्जा पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया है।" उन्होंने सौर ऊर्जा और एलईडी बल्बों का उदाहरण दिया, जिन्होंने लोगों के पैसे बचाने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा में भी योगदान दिया है। वैश्विक महामारी के दौरान भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने मिशन हरित हाइड्रोजन कार्यक्रम शुरू किया और रासायनिक उर्वरकों से मिट्टी और पानी को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती की दिशा में बड़े कदम उठाए।

प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले 9 वर्षों में, भारत में आर्द्रभूमि और रामसर स्थलों की संख्या पहले की तुलना में लगभग 3 गुनी बढ़ गई है।" उन्होंने बताया कि आज दो और योजनाएं शुरू की गई हैं, जो हरित भविष्य; हरित अर्थव्यवस्था अभियान को आगे बढ़ाएंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'अमृत धरोहर योजना' आज से शुरू हो गई है, जो जनभागीदारी के जरिये इन रामसर स्थलों का संरक्षण सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताया कि भविष्य में ये रामसर स्थल, पर्यावरण-पर्यटन का केंद्र बनेंगे और हजारों लोगों के लिए हरित रोजगार का स्रोत बनेंगे। उन्होंने आगे कहा कि दूसरी योजना, 'मिष्टी योजना' है, जो देश के मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने और उसकी रक्षा करने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना से देश के 9 राज्यों में मैंग्रोव कवर को बहाल किया जाएगा और इससे समुद्र के बढ़ते स्तर तथा चक्रवात जैसी आपदाओं से तटीय क्षेत्रों में जीवन और आजीविका पर बढ़ते खतरे को कम करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के हर देश को निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर विश्व जलवायु के संरक्षण के बारे में सोचना चाहिए। दुनिया के बड़े और आधुनिक देशों में लंबे समय से प्रचलित विकास-मॉडल - पहले देश का विकास करना और फिर पर्यावरण की चिंता करना - की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि भले ही ऐसे देशों ने विकास के लक्ष्यों को हासिल कर लिया हो, लेकिन पूरे विश्व के पर्यावरण को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। आज भी, दुनिया के विकासशील और अविकसित देश कुछ विकसित देशों की त्रुटिपूर्ण नीतियों का नुकसान झेल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "दशकों से, कुछ विकसित देशों के इस रवैये को रोकने के लिए कोई देश तैयार नहीं था।" उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत ने ऐसे प्रत्येक देश के सामने जलवायु न्याय का मुद्दा उठाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की हजारों साल पुरानी संस्कृति में, प्रकृति के साथ-साथ प्रगति भी मौजूद है।" उन्होंने इसकी प्रेरणा का श्रेय पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था पर भारत के ध्यान को दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी अवसंरचना में अभूतपूर्व निवेश कर रहा है तथा पर्यावरण पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रहा है। अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी में वृद्धि की तुलना करते हुए, प्रधानमंत्री ने एक ओर 4जी और 5जी कनेक्टिविटी के विस्तार और दूसरी ओर देश के वन आवरण में हुई वृद्धि का उदाहरण दिया। उन्होंने आगे कहा कि जहां भारत ने गरीबों के लिए 4 करोड़ घर निर्मित किये हैं, वहीं भारत में वन्यजीव अभयारण्यों के साथ-साथ वन्यजीवों की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। श्री मोदी ने जल सुरक्षा के लिए जल जीवन मिशन और 50,000 अमृत सरोवर के निर्माण, भारत के दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में शीर्ष 5 देशों में शामिल होने, कृषि निर्यात बढ़ने और पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण का अभियान चलाने पर भी बात की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, आपदा सहनीय अवसंरचना गठबंधन - सीडीआरआई, और इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस जैसे संगठनों का भी आधार-स्तंभ बन गया है।

मिशन लाइफ, यानि पर्यावरण के लिए जीवनशैली के एक जन-आंदोलन बनने के बारे में प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि यह मिशन, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जीवन शैली में बदलाव के बारे में एक नई चेतना फैला रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल गुजरात के केवड़िया-एकता नगर में जब मिशन की शुरुआत हुई थी, तो लोगों में इसके प्रति उत्सुकता थी, लेकिन एक महीने पहले मिशन लाइफ को लेकर एक अभियान शुरू किया गया था, जहां 30 दिनों से भी कम समय में 2 करोड़ लोग इसका हिस्सा बने। उन्होंने 'मेरे शहर को जीवन प्रदान करना' की भावना से रैलियों और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के आयोजन की भी जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा, "लाखों सहयोगियों ने अपने रोजमर्रा के जीवन में कटौती, पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण के मंत्र को अपनाया है ।" उन्होंने रेखांकित किया कि मिशन लाइफ का मूल सिद्धांत, दुनिया को बदलने के लिए व्यक्ति की प्रकृति में बदलाव लाना है। श्री मोदी ने कहा, "पूरी मानवता के उज्ज्वल भविष्य के लिए तथा हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए मिशन लाइफ, समान रूप से महत्वपूर्ण है।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रति यह चेतना केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, पूरे विश्व में इस पहल को मिलने वाला वैश्विक समर्थन बढ़ रहा है।" प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि उन्होंने पिछले साल पर्यावरण दिवस पर विश्व समुदाय से व्यक्तियों और समुदायों में जलवायु-अनुकूल व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए अभिनव समाधान साझा करने का अनुरोध किया था। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि लगभग 70 देशों के छात्रों, शोधकर्ताओं, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों, पेशेवरों, गैर सरकारी संगठनों और आम नागरिकों सहित हजारों सहयोगियों ने अपने विचार और समाधान साझा किए, जिन्हें अपनाया जा सकता है व हासिल किया जा सकता है। उन्होंने उन लोगों को भी बधाई दी, जिन्हें उनके विचारों के लिए सम्मानित किया गया है।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मिशन लाइफ की दिशा में उठाया गया प्रत्येक कदम, आने वाले समय में पर्यावरण के लिए एक मजबूत कवच सिद्ध होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज लाइफ के लिए ‘विचार आधारित नेतृत्व’ (थॉट लीडरशिप) का एक संग्रह भी जारी किया गया है। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि इस तरह के प्रयास हरित विकास के संकल्प को और मजबूत करेंगे।

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