आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)
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कैबिनेट ने 1570 करोड़ करोड़ रुपये की लागत से मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ सह-अवस्थिति में 157 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना को मंजूरी दी


इसका उद्देश्य नर्सिंग पेशेवरों की संख्या में वृद्धि करना और देश में गुणवत्तापूर्ण, किफायती तथा न्यायसंगत नर्सिंग शिक्षा प्रदान करना है

मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ नर्सिंग कॉलेजों की सह-अवस्थिति से मौजूदा अवसंरचना, कौशल प्रयोगशालाओं, नैदानिक सुविधाओं और संकाय का अधिकतम उपयोग हो सकेगा

सरकार अगले दो वर्षों में इस परियोजना को पूरा करने की योजना बना रही है और इसके लिए योजना तथा निष्पादन के प्रत्येक चरण के साथ विस्तृत समय-सीमा निर्धारित की गयी है

Posted On: 26 APR 2023 7:37PM by PIB Delhi

देश में नर्सिंग कार्यबल को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2014 से स्थापित मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ सह-अवस्थिति में 157 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना की मंजूरी दी है। इस कदम से, हर साल लगभग 15,700 नर्सिंग स्नातक कार्यबल में और जुड़ेंगे। यह भारत में, विशेष रूप से इस सुविधा से वंचित जिलों और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में गुणवत्तापूर्ण, किफायती और न्यायसंगत नर्सिंग शिक्षा सुनिश्चित करेगा। कुल वित्तीय लागत 1,570 करोड़ रुपये होगी।

इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भौगोलिक और ग्रामीण-शहरी असंतुलन को दूर करना है, जिसके कारण नर्सिंग पेशेवरों की उपलब्धता में कमी आती है और इस सुविधा से वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित होतीं हैं। इन नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योग्य मानव संसाधनों की उपलब्धता को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। इसे सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल (यूएचसी) के राष्ट्रीय शासनादेश के एक हिस्से के रूप में भी किया जा रहा है और यह सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में भी मदद करेगा। क्षेत्र में उभरती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नर्सिंग शिक्षा की नियामक संरचना में सुधार पर भी विचार किया जा रहा है।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) कौशल विकास और विदेशी पदों पर योग्य नर्सों की नियुक्ति के लिए प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग करता है।

मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ इन नर्सिंग कॉलेजों की सह-अवस्थिति से मौजूदा अवसंरचना, कौशल प्रयोगशालाओं, नैदानिक सुविधाओं और संकाय का अधिकतम उपयोग हो सकेगा। इस पहल से नर्सिंग छात्रों को बेहतर नैदानिक अनुभव मिलने की उम्मीद है और इसके परिणामस्वरूप मेडिकल कॉलेजों में रोगियों के लिए बेहतर देखभाल और सेवा सुविधा सुनिश्चित होगी। इन नर्सिंग कॉलेजों में हरित प्रौद्योगिकियों के उपयोग का भी पता लगाया जाएगा तथा इन्हें ऊर्जा दक्षता और कार्बन फुटप्रिंट में कमी सुनिश्चित करने के लिए प्रासंगिकता के अनुसार अपनाया जाएगा।

सरकार अगले दो वर्षों में इस परियोजना को पूरा करने की योजना बना रही है और इसके लिए योजना तथा निष्पादन के प्रत्येक चरण के साथ विस्तृत समय-सीमा निर्धारित की गयी है। केंद्र सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और राज्यों में स्वास्थ्य/चिकित्सा शिक्षा विभागों के प्रमुख सचिवों की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त समिति, कार्य की प्रगति की निगरानी करेगी। योजना के तहत राज्य सरकार/संघ शासित प्रदेश नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के लिए किए जा रहे कार्यों की भौतिक प्रगति के बारे में नियमित आधार पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को जानकारी प्रदान करेंगे।

पृष्ठभूमि:

स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल की संख्या में पर्याप्त वृद्धि और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल सुनिश्चित करने पर इस सरकार का विशेष ध्यान है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में वृद्धि की है और एमबीबीएस की सीटों में भी वृद्धि की है। मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2014 से पहले 387 थी, जिसमें लगभग 71% की पर्याप्त वृद्धि हुई है और अब इनकी संख्या 660 हो गयी है।

इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है और स्नातकोत्तर सीटें 2013-14 की तुलना में दोगुनी से भी अधिक हो गई हैं।

भारतीय नर्सों की सेवाओं की विदेशों में काफी मान्यता है, इसलिए उनकी गतिशीलता और बेहतर रोजगार के अवसरों को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय नर्सिंग शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाना महत्वपूर्ण है। उनकी पहचान अत्यधिक कुशल पेशेवरों के रूप में होती है और वे स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली को संचालित करती हैं, लेकिन उनकी संख्या वैश्विक मानदंडों से कम है और इसे पर्याप्त रूप से बढ़ाये जाने की आवश्यकता है।

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