वस्‍त्र मंत्रालय

कपड़ा विभाग की वर्षांत समीक्षा - 2022


पीएलआई योजना के तहत अब तक लगभग 1536 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है

विशेषता फाइबर और तकनीकी वस्त्र के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) के तहत 232 करोड़ रुपये लागत के 74 अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है

संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस) और विशेष अभियानों के तहत 3159 मामलों में 621.41 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई

Posted On: 26 DEC 2022 12:21PM by PIB Delhi

पीएम मित्र के तहत प्रस्ताव प्राप्त करने से लेकर पीएलआई योजना के तहत निवेश करने तक, यह वर्ष कपड़ा मंत्रालय के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। मंत्रालय ने हथकरघा क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान की और अनेक हस्तशिल्प प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया।

वर्ष 2022 में मंत्रालय की कुछ प्रमुख पहलें और उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

पीएलआई योजना

सरकार ने देश में एमएमएफ परिधान, एमएमएफ कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 10,683 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है ताकि कपड़ा उद्योग को आकार और पैमाना हासिल करने तथा प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम किया जा सके। कपड़ों के लिए पीएलआई योजना के तहत आवेदन वेब पोर्टल के माध्यम से 01.01.2022 से 28.02.2022 तक प्राप्त हुए थे। कुल मिलाकर 67 आवेदन प्राप्त हुए थे। सचिव (कपड़ा) की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने इस योजना के तहत 64 आवेदकों का चयन किया। 56 आवेदकों ने नई कंपनी के गठन के लिए अनिवार्य मानदंड पूरे कर लिए हैं और उन्हें स्वीकृति पत्र भी जारी कर दिए गए हैं। अब तक लगभग 1536 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। वीएसएफ के संबंध में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश प्रक्रियाधीन है।

पीएम मित्रा

सरकार ने वर्ष 2027-28 तक की अवधि के लिए 4445 करोड़ के परिव्‍यय के साथ सात पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा) पार्कों की स्थापना को मंजूरी दी थी, ताकि ‘प्लग एंड प्ले’ सुविधा सहित विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित किया जा सके।  योजना के संबंध में दिशा-निर्देश प्रकाशित कर दिए गए हैं और प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ कई बार बातचीत भी हुई है। इस प्रतिक्रिया में 13 राज्यों से 18 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकारों और उद्योग संघों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इन प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए दिनांक 04.05.2022 को एक राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। स्थल संबंधी लाभ को समझने के लिए प्रस्तावित पीएम मित्रा पार्क स्थलों का मूल्यांकन ‘गति शक्ति’ पोर्टल के माध्यम से किया गया था। अभी तक चुनौती मैट्रिक्स के माध्यम से स्‍थलों के चयन के लिए विस्तृत जांच-पड़ताल चल रही है।

राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम)

एनटीटीएम के तहत, 232 करोड़ रुपये मूल्‍य के 74 शोध प्रस्तावों को विशेष फाइबर और तकनीकी वस्त्र की श्रेणी में मंजूरी दी गई है। बाजार के विकास और तकनीकी वस्त्रों के प्रचार के लिए 4 प्रमुख सम्मेलनों का आयोजन किया गया है। (i) 12/03/22 को दिल्ली में सीआईआई के साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, (ii) 23/08/2022 को इंफाल में आईसीसी के साथ जियोटेक और एग्रोटेक के बारे में सम्मेलन, (iii) सुरक्षात्मक वस्त्रों के बारे में 16/11/2022 को दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन (iv) सीआईआई और सरकार के साथ 25-26 नवंबर 2022 को तमिलनाडु सरकार के साथ चेन्नई में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन। तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में 31 नए एचएसएन कोड विकसित किए गए हैं। एसआरटीईपीसी को तकनीकी वस्त्रों के लिए निर्यात प्रोत्साहन परिषद की भूमिका सौंपी गई है।

संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस)

उद्योग द्वारा 2443 सब्सिडी के मामलों में 10,218 करोड़ रुपये के निवेश की पुष्टि की गई है।  संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना के तहत 3159 मामलों में कुल 621.41 करोड़ की सब्सिडी जारी की गई तथा बैकलॉग मामलों के निपटान के लिए प्रमुख क्लस्टरों में विशेष अभियान चलाए गए हैं।

समर्थ

कुल 73919 व्यक्तियों (अनुसूचित जाति : 18194, अनुसूचित जनजाति : 8877 और महिला : 64352) को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिनमें से 38823 व्यक्तियों को कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना के तहत प्लेसमेंट प्रदान किया गया है।

राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट)

दमन में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए एक नया परिसर चालू किया गया था। इसके अलावा भोपाल और श्रीनगर के लिए नए परिसर भवन भी बन रहे हैं।

रेशम क्षेत्र

कच्चे रेशम का कुल उत्पादन 28106 मीट्रिक टन था। रेशम क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में 9777 लोगों को प्रशिक्षण देने की उपलब्धि के साथ 44 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं शुरू की गईं। 23 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं।

जूट क्षेत्र

जूट-आईसीएआरई (बेहतर खेती और उन्नत रेटिंग (सड़न) अभ्यास) योजना: इसमें 1,89,483 हेक्टेयर के साथ 170 जूट उत्पादक ब्लॉक शामिल हैं, इससे 4,20,309 जूट किसान लाभान्वित हुए हैं। बाजार विकास और संवर्धन योजना (एमडीपीएस) के कारण निर्यात प्रदर्शन में सुधार हुआ है क्योंकि निर्यात कार्य प्रदर्शन पिछले वर्ष की तुलना में 38 प्रतिशत बढ़कर वर्तमान में 3786 करोड़ रुपये मूल्‍य का हुआ था। निर्यात किए गए जूट के विविध उत्पादों का मूल्य रुपये पिछले वर्ष की तुलना में 46 प्रतिशत की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ 1744 करोड़ रुपया रहा। जूट बैग की लगभग 26.87 लाख गांठों का लगभग 9.80 हजार करोड़ रुपये का व्‍यापार हुआ।

कपास क्षेत्र

कपास की खेती पिछले वर्ष के 119.10 लाख हेक्टेयर की तुलना में 5 प्रतिशत बढ़कर 125.02 लाख हेक्टेयर हो गई है। भारतीय कपास के लिए ‘कस्तूरी कॉटन इंडिया’ नाम का ब्रांड लॉन्च किया गया है। कपास की मशीनीकृत कटाई, कपास की गुणवत्ता बेहतर बनाने और श्रम लागत को कम करने को प्रोत्‍साहन दिया गया। इसके अलावा 75000 ‘हैंड हेल्ड’ (हाथ से पकड़ने वाली) कपास चुनने वाली मशीनों का वितरण किया जा रहा है।

ऊन क्षेत्र

पशु/भेड़पालन विभाग, लेह की परियोजनाओं को पश्मीना ऊन की खरीद के लिए 2 करोड़ रुपये की रिवोल्विंग निधि तथा लेह के खानाबदोश लोगों की रहने की स्थिति में सुधार करने के लिए 400 ‘पोर्टेबल टेंट’ के वितरण की मंजूरी दी गई है। पश्मीना बकरी की सुरक्षा के लिए 300 ‘प्रीडेटर प्रूफ’ गलियारों के निर्माण के अलावा उत्तराखंड को 50 भेड़ ऊन कतरन मशीनों की खरीद की परियोजना को मंजूरी दी गई।

हथकरघा क्षेत्र

91 हथकरघा कलस्‍टरों को 76.60 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। एचएसएस के तहत 1,109 बुनकरों को बेहतर करघे और सामान मुहैया कराया गया। राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के हथकरघा क्लस्टर के तहत 2,107 हथकरघा श्रमिकों को कौशल उन्नयन प्रशिक्षण दिया गया। 141 मार्केटिंग आयोजनों के लिए 18.49 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की गई है। इसके अलावा व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना के तहत मेगा हथकरघा कलस्‍टरों  को स्वीकृत विभिन्न गतिविधियों के लिए 10.40 करोड़ रुपये की सहायता भी जारी की गई। परिवहन सब्सिडी घटक के तहत 102.05 लाख किलोग्राम यार्न की आपूर्ति की गई। 73.79 लाख किलोग्राम यार्न की आपूर्ति मूल्य सब्सिडी घटक के तहत की गई। कच्चे माल की आपूर्ति योजना (आरएमएसएस) के तहत कुल 175.84 लाख किलोग्राम यार्न की आपूर्ति की गई।

हस्तशिल्प क्षेत्र

कुल 272 विपणन कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिससे 19330 कारीगर लाभान्वित हुए। 30 लाख कारीगरों को पहचान कार्ड जारी किए गए और वे सार्वजनिक क्षेत्र पर अपलोड किए गए। 52 कारीगर निर्माता कंपनियों का गठन किया गया और उन्‍हें समर्थन दिया गया। 418 प्रशिक्षण कार्यक्रम और डिजाइन कार्यशालाएं आयोजित की गईं जिससे 12480 कारीगर लाभान्वित हुए। 13579 कारीगरों को आधुनिक टूलकिट वितरित किए गए। वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए 108 कारीगरों को ‘शिल्प गुरु’ और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए।

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