वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग के लिए वर्षांत समीक्षा 2022
भारत के वस्तु व्यापार ने वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल - अक्टूबर की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान 12.6 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई
भारत के सेवा क्षेत्र निर्यात ने वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल - अक्टूबर की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान 31.43 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई
केंद्र सरकार ने भारतीय रुपये के फास्ट ट्रैक अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए रुपये में व्यापार को सुगम बनाने के लिए कई सक्रिय नीतिगत संशोधन किए
1 मई 2022 से प्रभावी होने वाला भारत-यूएई सीईपीए द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 60 बिलियन डॉलर से बढ़ा कर अगले पांच वर्षों में 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने में सहायता करेगा
श्री पीयूष गोयल ने भारत - सऊदी अरब रणनीतिक साझीदारी परिषद (एसपीसी ) के तहत अर्थव्यवस्था एवं निवेश समिति की पहली मंत्रालयी बैठक में भाग लिया
भारत और खाड़ी सहयोग परिषद ( जीसीसी ) ने भारत-जीसीसी एफटीए पर बातचीत जारी रखने के मंतव्य की घोषणा की
भारत-कनाडा सीईपीए वार्ता ईपीटीए (आरंभिक प्रगति व्यापार समझौता) की संभावना के साथ 5वें भारत-कनाडा एमडीटीआई ( व्यापार एवं निवेश पर मंत्रालयी संवाद ) के दौरान फिर से आरंभ हुई
भारत ने ब्रिटेन, कनाडा, ईयू तथा इजरायल के साथ सेवाओं में व्यापार सहित द्विपक्षीय एफटीए वार्ताओं में सक्रियता से भाग लिया
Posted On:
16 DEC 2022 3:54PM by PIB Delhi
1- निर्यात निष्पादन
· भारत का वस्तु व्यापार वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान 263.3 बिलियन डॉलर रहा जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान यह 234.0 बिलियन डॉलर रहा था। इस प्रकार, इसने 12.6 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई।
· भारत का सेवा क्षेत्र निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान 181.39 बिलियन डॉलर रहा जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान यह 138.01 बिलियन डॉलर रहा था। यह 31.43 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।
· भारत का समग्र निर्यात ( वस्तु एवं सेवाएं ) वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल - अक्टूबर के 371.98 बिलियन डॉलर की तुलना में 19.56 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराते हुए वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल - अक्टूबर के दौरान 444.74 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
2- निर्यात हब के रूप में जिले
- वाणिज्य विभाग विदेश व्यापार महानिदेशालय के माध्यम से हमारे देश के प्रत्येक जिले को निर्यात हब बनाने के लिए संभावित तथा विविध पहचान को चैनेलाइज करने के लिए राज्यों और जिलों के साथ काम कर रहा है। निर्यात हब के रूप में जिले का उद्देश्य जमीनी स्तर पर निर्यात संवर्धन, विनिर्माण और रोजगार सृजन को लक्षित करना और भारत को एक निर्यात महाशक्ति बनाने में राज्यों और जिलों को सार्थक हितधारक और सक्रिय सहभागी बनाना है। इसके माध्यम से आत्म निर्भर मिशन में योगदान देना और शहरी क्षेत्रों से विनिर्माण तथा निर्यातों में उल्लेखनीय वृद्धि करने के द्वारा मेक इन इंडिया फॉर द वल्र्ड तथा वोकल फॉर लोकल के विजन को अर्जित करना है। इसके साथ साथ निर्यात के लिए नए व्यवसायों को प्रेरित करने के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे शहरों में दिलचस्पी जगाने और आर्थिक कार्यकलापों पर भी ध्यान केंद्रित करना है। संभावित निर्यात हबों के रूप में जिलों पर फोकस करने के द्वारा निर्यातों पर अधिक ध्यान केंद्रित से भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ अधिक निकटता से जोड़े जाने तथा कृषि, समुद्री उत्पादों, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल, रसायन और समग्र इंजीनियरिंग उत्पादों में विविधता तथा प्रतिस्पर्धात्मकता का लाभ उठाने के जरिये एक महत्वपूर्ण निर्यातक बनने के लिए भारत को प्रोत्साहित किए जाने की उम्मीद है।
- इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में, देश के सभी जिलों में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों/ सेवाओं ( जीआई उत्पादों, कृषि क्लस्टरों, खिलौना क्लस्टरों आदि ) की पहचान की गई है और जिलों में निर्यात संवर्धन के लिए सहायता प्रदान करने तथा जिलों में निर्यात वृद्धि के लिए बाधाओं को दूर करने के लिए तथा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर राज्य निर्यात संवर्धन समितियों ( एसईपीसी ) तथा देश के सभी जिलों में जिला स्तर पर जिला निर्यात संवर्धन समितियों ( डीईपीसी ) के रूप में संस्थागत तंत्र का गठन किया गया है। डीईपीसी का आरंभिक कार्य केंद्र, राज्य तथा जिला से सभी संगत हितधारकों के सहयोग से जिला विशिष्ट निर्यात कार्य योजना ( डीईएपी ) तैयार करने तथा कार्यान्वित करना है।
- पर्याप्त परिमाण में और आवश्यक गुणवत्ता के साथ निर्यात योग्य उत्पादों का उत्पादन करने और भारत के बाहर के संभावित खरीदारों तक पहुंचने में स्थानीय निर्यातकों/ विनिर्माताओं की सहायता करने के लिए आवश्वक विशिष्ट कार्यों की पहचान करने वाली जिला विशिष्ट निर्यात कार्य योजना को 242 जिलों में डीईपीसी और क्षेत्राधिकार डीजीएफटी आरए द्वारा अंतिम रूप दिया गया है और 338 जिलों में वे परामर्श के चरण में हैं। प्रत्येक जिले के निर्यात निष्पादन की माप तथा रैंकिंग करने के लिए निर्यात आंकड़ों के लिहाज से प्रत्येक जिले में निर्यात निष्पादन का डाटा संकलित किया जा रहा है।
3- रुपया व्यापार
- विदेश व्यापार महानिदेशालय ( डीजीएफटी ) ने दिनांक 16.09.2022 की अधिसूचना संख्या 33/2015-20 के द्वारा विदेश व्यापार नीति में संशोधन किया था जिससे कि भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार निपटान अर्थात चालान, भुगतान और दिनांक 11 जुलाई 2022 के आरबीआई के ए पी ( डीआईआर सीरिज ) परिपत्र संख्या 10 की दिशा में भारतीय रुपये में निर्यात/आयात के निपटान की अनुमति दी जा सके।
- इसके अतिरिक्त, भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुरुप, निर्यात लाभों की मंजूरी देने के लिए तथा भारतीय रुपये में निर्यात प्राप्तियों के लिए निर्यात बाध्यताओं को पूरा करने के लिए दिनांक 09.11.2022 की डीजीएफटी की अधिसूचना संख्या 43/2015-20 तथा दिनांक 09.11.2022 की सार्वजनिक सूचना 35/2015-20 के द्वारा विदेश व्यापार नीति में कुछ परिवर्तन लागू किए गए हैं। भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण में रुचि में वृद्धि को देखते हुए, भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापारि लेनदेनों की सुविधा प्रदान करने तथा इसे सुगम बनाने के लिए उक्त नीतिगत संशोधन किए गए हैं।
4- नई विदेश व्यापार नीति
- सरकार को निर्यात संवर्धन परिषदों तथा अग्रणी निर्यातकों से अनुरोध प्राप्त हुए हैं कि हमें वर्तमान विदेश व्यापार नीति ( 2015-20 ) जारी रखनी चाहिए जिसे समय समय पर विस्तारित किया गया था।
- हाल के दिनों में, निर्यातकों एवं उद्योग निकायों ने सरकार से दृढ़तापूर्वक आग्रह किया है कि वर्तमान, अस्थिर वैश्विक आर्थिक तथा भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, वर्तमान नीति को कुछ समय के लिए विस्तारित करना और नई नीति का निर्माण करने से पहले और अधिक सलाह मशविरा कर लेना युक्तिसंगत होगा।
- सरकार ने हमेशा नीति के निर्माण में सभी हितधारकों को शामिल किया है। इसे देखते हुए, 30 सितंबर, 2022 तक वैध विदेश व्यापार नीति 2015-20 को अगले छह महीने की अवधि के लिए, 01.10.2022 से प्रभावी, विस्तारित करने का निर्णय लिया गया है।
5- हितधारक परामर्श और व्यापार बोर्ड की बैठक
- वाणिज्य विभाग ने नियमित रूप से विभिन्न उद्योग संघों, निर्यात संवर्धन परिषदों के साथ हितधारक परामर्शों का आयोजन किया है। परामर्श के एक हिस्से के रूप में, व्यापार बोर्ड की एक बैठक 13.9.2022 को आयोजित की गई। व्यापार बोर्ड की बैठक में निर्यात लक्ष्य निर्धारित करने, नई विदेश व्यापार नीति ( एफटीपी ) तथा घरेलू विनिर्माण तथ निर्यातों को आगे बढ़ाने के लिए बनाई जाने वाली कार्यनीतियों तथा उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया। व्यापार बोर्ड ( बीओटी ) का गठन दिनांक 17 जुलाई 2019 को अधिसूचना संख्या 11/2015-20 के माध्यम से व्यापार बोर्ड के साथ व्यापार विकास तथा संवर्धन परिषद का विलय करने के द्वारा किया गया है। व्यापार बोर्ड, अन्य बातों के अतिरिक्त, सरकार को भारत के व्यापार को बढ़ावा देने के लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए विदेश व्यापार नीति के साथ संबंधित नीतिगत उपायों पर सुझाव देता है। यह राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को व्यापार नीति पर राज्य केंद्रित परिप्रेक्ष्यों को अभिव्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह भारत के व्यापार को प्रभावित करने वाले अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों के बारे में राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को अवगत कराने के लिए भी एक मंच के रूप में काम करता है। यह उद्योग निकायों, संघों, निर्यात संवर्धन परिषदों एवं राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ व्यापार संबंधित मुद्वों पर विचार विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है। 29 नए गैर- आधिकारिक सदस्य थे जिन्हें पहली बार व्यापार बोर्ड की इस बैठक में आमंत्रित किया गया था।
- व्यापार बोर्ड की बैठक के दौरान, भारत के आयात/निर्यात निष्पादन, वाणिज्य विभाग के पुनर्गठन, एफटीए तथा भावी परिदृश्य, राज्यों के निर्यात प्रदर्शन, निर्यात हब के रूप में जिले, नई प्रस्तावित विदेश व्यापार नीति, ग्राहकों द्वारा आरंभ किए गए व्यापार समाधान, व्यापार सुगमीकरण उपाय, सरकार ई-मार्केटप्लेस आदि जैसे विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां की गईं।
- राज्यों के मंत्रियों ने बैठक में अपने राज्य विशिष्ट सुझाव देते हुए युक्तियां प्रस्तुत कीं तथा बाहरी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय सरकार की पहलों को अपना समर्थन दिया।
- इस बैठक में, विभिन्न राज्य मंत्रियों तथा प्रमुख लाइन मंत्रालयों तथा राज्यों, सभी प्रमुख व्यापार एवं उद्योग निकायों, निर्यात संवर्धन परिषदों तथा उद्योग संघों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
6. स्कोमेट - भारत का निर्यात नियंत्रण ढांचा
- अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों तथा बाध्यताओं और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकीयों के निर्यात से संबंधित बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं के दिशानिर्देशों तथा नियंत्रण सूचियों के अनुरुप, भारत ने सॉफ्टवेयर तथा प्रौद्योगिकी सहित दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रोद्योगिकीयों, परमाणु संबंधी मदों के निर्यात को विनियमित किया है। स्कोमेट ( स्पेशल कैमिकल्स, ऑर्गेनिज्म, मैटेरियल्स, इक्विपमेंट एवं प्रौद्योगिकीयां ) विदेश व्यापार नीति के तहत अनुरक्षित सॉफ्टवेयर तथा प्रौद्योगिकी सहित युद्ध सामग्री एवं परमाणु संबंधित मदों की दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं की भारत की राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण सूची है और मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजिम ( एमटीसीआर ), वासेनार ऐरेंजमेंट और ऑस्ट्रेलिया ग्रुप सहित सभी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं एवं समझौतों की नियंत्रण सूची से जुड़ी हुई है। विभिन्न निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की भारत की सदस्यता ने वैश्विक अप्रसार उद्वेश्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है तथा भारतीय कंपनियों को दूरसंचार, एयरोस्पेस, प्रतिरक्षा सेक्टरों आदि जैसे सेक्टरों में नियंत्रित नए युग की प्रौद्योगिकी और वस्तुओं तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाया है।
· स्कोमेट सूची निर्यात एवं आयात मदों के आईटीसी ( एचएस ) वर्गीकरण की अनुसूची 2 के परिशिष्ट 3 के तहत डीजीएफटी द्वारा अधिसूचित की गई है। दोहरे उपयोग के मदों को नियंत्रित करने के प्रावधानों को विदेश व्यापार ( विकास एवं विनियमन ) ( एफटीडीआर ) अधिनियम, 1992, जैसाकि 2010 .x एक्स में संशोधित किया गया, के अध्याय IVA में समाविष्ट किया गया है।
- स्कोमेट सूची को श्रेणी 0 से श्रेणी 8 तक मदों की 9 श्रेणियों में विभाजित किया गया है। स्कोमेट मदों का निर्यात विनियमित है और केवल डीजीएफटी या इस उद्देश्य के लिए नामित अन्य एजेंसी द्वारा जारी किए गए स्कोमेट लाइसेंस से ही इसकी अनुमति दी जा सकती है। हाल के दिनों में, डीजीएफटी द्वारा आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन बनाने, रसायनों के निर्यात के लिए साधारण प्राधिकरण ( जीएईसी ), भारत में मरम्मत के बाद निर्यात के लिए साधारण प्राधिकरण ( जीएईआर ), अंतः कंपनी हस्तांतरण के लिए साधारण प्राधिकरण ( जीएआसीटी ), रिपीट ऑर्डर प्राधिकरण आदि जैसे थोक प्राधिकरण एवं सामान्य प्राधिकरण प्रावधानों के माध्यम से कुछ विशेष वस्तुओं तथा प्रौद्योगिकीयों के मामले में स्कोमेट नीति को उदार बनाने के द्वारा लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। स्कोमेट सूची को नवंबर, 2022 में विभिन्न निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं के तहत सन्निहित हाल के परिवर्तन के अनुरुप अद्यतन भी किया गया है। स्कोमेट विनियमित यूएवी/ड्रोन के निर्यात के लिए नीति को उदार बनाने, जीएईसी के तहत रसायनों की सूची को विस्तारित करने, भंडारण एवं बिक्री नीति को संशोधित करने जैसे कुछ नीतिगत क्षेत्रों पर भी निकट भविष्य में बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है।
7. निर्यात पोर्टल
- निर्यात निपादन की ऑफलाइन निगरानी में सहायता करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में समयबद्ध नीति निर्माण/युक्तियों को सुगम बनाने के लिए एक डिजिटाइज्ड डाटा-केंद्रित संरचना के माध्यम से निर्धारित निर्यात लक्ष्य ( 31 वस्तु समूहों द्वारा 200 देशों/भूभागों के लिए ) के लिए एक वास्तविक समय ऑनलाइन निगरानी के लिए, वाणिज्य विभाग ने एक पोर्टल - निर्यात ( व्यापार के वार्षिक विश्लेषण के लिए राष्ट्रीय आयात-निर्यात रिकॉर्ड ) का विकास किया है जिसे प्रधानमंत्री द्वारा 23 जून, 2022 को लांच किया गया। यह पोर्टल 31 वस्तु समूहों के संबंध में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश वार निर्यात निष्पादन को भी प्रदर्शित करता है।
- निर्यात पोर्टल डोमेन नाम https://niryat.gov.in पर उपलब्ध है। यह सरकारी हितधारकों ( दूतावासों/एचसी/मिशनों सहित ) और निर्यात संवर्धन परिषदों ( ईपीसी) / कमोडिटी बोर्डों/प्राधिकरणों आदि के लिए व्यक्तिगत लॉग. तथा पासवर्ड के माध्यम से उनके संबंधित अधिकार क्षेत्रों के निर्यात निष्पादन की नियमित निगरानी के लिए तथा जहां कहीं भी आवश्यक हो, आवश्यक कदम उठाने के लिए सुलभ हैं। हाल ही में, सार्वजनिक पोर्टल को क्रिएट किया गया था और अब यह सभी के लिए सुलभ है।
8. रोपण सेक्टर में विकास
चाय बोर्ड
- पारदर्शिता लाने, दक्षता एवं प्रभावशीलता में सुधार लाने, व्यवसाय करने में सुगमता लाने के लिए चाय बोर्ड ने एक समग्र विकास करने तथा पहुंच सुलभ कराने के लिए हितधारकों के उपयोग के लिए ‘‘ सर्विस प्लस ‘‘ प्लेटफॉर्म पर चाय विकास एवं संवर्धन स्कीम के विभिन्न घटकों तथा उप-घटकों को शामिल किया है।
- हितधारकों के लाभ के लिए विभिन्न नियंत्रण आदेशों के तहत अनुपालनों की संख्या में उल्लेखनीय कमी लाई गई है और सेवाओं को ऑनलाइन बना दिया गया है।
कॉफी बोर्ड
- कॉफी बोर्ड ने निर्यातकों के साथ बिना किसी भौतिक संयोजन के निर्यात दस्तावेजों अर्थात आरसीएमसी, निर्यात परमिट तथा उत्पत्ति के आईसीओ प्रमाणपत्र के डिजिटल हस्ताक्षर के साथ ऑनलाइन जारी किए जाने को कार्यान्वित किया है तथा आईसगेट ई-संचित पोर्टल के साथ एकीकृत भी किया है।
- कॉफी बोर्ड ने निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए विशिष्ट रूप से कॉफी तथा कॉफी उत्पादों की जांच हेतु कॉफी गुणवत्ता एवं निर्यात प्रमाणीकरण के लिए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए आयातित कॉफी देश के गुणवत्ता मानकों को पूरा कर सकें, एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना की है। इस प्रयोगशाला से प्रीमियम बाजारों की खोज में भारतीय कॉफी को सहायता मिलने की उम्मीद है।
मसाला बोर्ड
- मसाला बोर्ड ने दुनिया भर के आयातकों के साथ आसानी से जुड़ जाने तथा देश से मसालों के निर्यात को सुगम बनाने के लिए भारतीय मसाला निर्यातकों के उपयोग के लिए ‘‘SpiceXchngeIndia” (www.spiceexchangeindia.com) नाम का एक अभिनव डिजिटल प्लेटफॉर्म लांच किया है। यह पोर्टल एक खोज युक्त प्रारूप् में, कृत्रिम आसूचना आधारित शौर्ट लिस्टिंग, भारतीय मासाला ब्रांडों के लिए 24 घंटे वर्चुअल कार्यालय स्पेस, मसाला बाजार सूचना, वैश्विक मसाला व्यापार डाटा, आदि में वैश्विक मसाला व्यापारियों के समेकित डाटाबेस जैसी विशेषताओं से लैस है। इसके अतिरिक्त, बोर्ड इस डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग अंतरराष्ट्रीय क्रेता विक्रेता बैठकों सहित ऑनलाइन तरीके से विभिन्न निर्यात संवर्धन कार्यकलापों को आयोजित करने के लिए करेगा।
- क्षेत्र में निर्यातकों तथा अन्य हितधारकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए 20 अप्रैल, 2022 को जोधपुर में मसाला बोर्ड पार्क में एक गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया।
- मसाला बोर्ड 19.05.2022 से निर्यात संवर्धन परिषदों तथा कमोडिटी बोर्डों के लिए एक सिंगल विंडो प्रणाली के रूप में डीजीएफटी द्वारा विकसित ई-आरसीएमसी पोर्टल में सफलतापूर्वक शामिल हो गया है। बोर्ड ने मई-2022 के दौरान इस पोर्टल के माध्यम से 96 सीआरईएस जारी किए हैं।
- मसाला बोर्ड ने अपनी पहल फ्लेवरिट स्पाइसेज ट्रेडिंग लिमिटेड ( एफएसटीएल ) के तहत 9 जून 2022 को भारत के होम ग्रोन ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट के साथ बाजार पहुंच बढ़ाने तथा मसाला सेक्टर में काम कर रहे जमीनी स्तर के संगठनों को बढ़ावा देने के लिए समझौता शर्तों ( टीओएफ ) पर हस्ताक्षर किए।
रबर बोर्ड
- रबर बोर्ड ने प्राकृतिक रबर के लिए एक इलेक्ट्रोनिक मार्केट प्लेटफॉर्म ‘ एमरुब ‘ लांच किया है। नई इलेक्ट्रोनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म अधिक बाजार उपस्थिति के साथ एनआर के विद्यमान ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की सहायता करता है और एनआर की घरेलू आपूर्ति श्रंखला की प्रभावशीलता को मजबूत बनाता है।
- ऑटोमोटिव टायर विनिर्माता एसोसिएशन ( एटीएमए ) का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रमुख टायर कंपनियों से 1,000 करोड़ रुपये के योगदान के साथ 5 वर्षों में उत्तर पूर्व में 200,000 हेक्टेयर में नए रबर बागानों के विकास में सहायता करने के लिए नेमित्रा नाम की एक परियोजना पर सहमति हुई तथा 2021 में यह परियोजना आरंभ हो गई। इस परियोजना के तहत, 2021 के दौरान, 3861 हेक्टेयर में रबर रोपण का कार्य पूरा किया गया। 2022 के दौरान रोपण का कार्य जारी है और 20.10.2022 तक 22,868 हेक्टेयर में रबर रोपण का कार्य पूरा कर लिया गया है।
- बोर्ड ने नेमित्रा परियोजना की प्रगति की निगरानी करने के लिए जियो टैग की गई तस्वीरों के साथ लाभार्थियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए एक आम मोबाइल ऐप ‘ रुबेक्स्ट ‘ विकसित किया।
- रबर बोर्ड वर्चुअल व्यापार मेला का दूसरा संस्करण अप्रैल, 2022 के दौरान लांच किया गया जिसमें 205 प्रदर्शकों ने विभिन्न रबर उत्पाद श्रेणियों को कवर किया। रबर बोर्ड वर्चुअल व्यापार मेला को घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रबर तथा रबर उत्पादों के संवर्धन के लिए एक किफायती डिजिटल प्लेटफॉर्म माना जाता है।
- रबर बोर्ड ने भारतीय रबर अनुसंधान संस्थान में रब उत्पादों के लिए उन्नत विश्लेषण प्रयोगशाला की स्थापना की। नई सुविधा निर्यातकों को आरईएसीच अनुपालन के लिए तथा एमएसएमई सेक्टर में विनिर्माताओं के लिए आरईएसीच अनुरुप उत्पाद फॉमूलेशन डिजाइन करने के लिए रबर उत्पादों की स्वतंत्र थर्ड पार्टी जांच करने में सक्षम करेगी। आरईएसीच यूरोपीय संध का रेगुलेशन है जो रसायनिक तत्वों के पंजीकरण, मूल्यांकन, प्राधिकरण और प्रतिबंध से संबंधित है। आरईएसीच विनियमनों का उद्वेश्य औद्योगिक उत्पादों में अवशिष्ट रसायनिक पदार्थों की बेहतर और आरंभिक पहचान के माध्यम से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना है।
· उन्नत मोलेकुलर प्लांट पैथोलॉजी प्रयोगशाला : भारतीय रबर अनुसंधान संस्थान ( आरआरआईआई ) में रबर बोर्ड द्वारा स्थापित प्रयोगशाला रोगजनकों का शीघ्र पता लगाने तथा रोगों को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी प्रबंधन प्रचलनों के विकास के लिए तकनीक विकसित करने में मददगार होगी। रबर में होने वाली बीमारियों का समय पर नियंत्रण फसल के नुकसान को रोकने और रबर उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
9. समुद्री सेक्टर में विकास
- थाईलैंड ने एल. वन्नामेई झींगा पर प्रतिबंध हटाया : वाणिज्य विभाग द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप, थाईलैंड की सरकार ने भारत की झींगा रोग नियंत्रण प्रणाली के वर्चुअल ऑडिट के बाद 15/06/2022 को भारत से फ्रोजेन एल. वन्नामेई झींगा के आयात पर लगे प्रतिबंध हटा लिया है।
- एमपीईडीए ने मूल्य वर्धन तथा अवसंरचना विकास के लिए एमपीईडीए की विभिन्न योजनाओं के तहत अप्रैल-अक्टूबर 2022 की अवधि के दौरान चार लाभार्थियों को 4.82 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी की।
10. भारत- यूएई व्यापक आर्थिक साझीदारी समझौता ( सीईपीए )
भारत- यूएई सीईपीए पर हस्ताक्षर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मैरी द्वारा 18 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा अबू धाबी के राजकुमार शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की वर्चुअल उपस्थिति में एक वर्चुअल सम्मेलन के दौरान किया गया। मार्च 2022 में समझौते की पुष्टि की गई और यह एक मई 2022 से प्रभावी हुआ। यह समझौता बाजार पहुंच में वृद्धि तथा टैरिफ में कमी सहित दोनों पक्षों की कंपनियों को उल्लेखनीय लाभ उपलब्ध कराएगा। ऐसी उम्मीद की जाती है कि सीईपीए की बदौलत द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान 60 बिलियन डॉलर से बढ़कर अगले पांच वर्षों में 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।
- भारत- यूएई सीईपीए पिछले एक दशक में भारत द्वारा किसी भी देश के साथ हस्ताक्षरित पहला गहरा और पूर्ण मुक्त व्यापार समझौता है। यह समझौता एक व्यापक समझौता है जिनमें वस्तुओं में व्यापार, उत्पत्ति के नियम, सेवाओं में व्यापार, व्यापार की तकनीकी बाधाओं ( टीबीटी ), स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता ( एसपीएस ) उपायों, विवाद निपटान, तटस्थ व्यक्तियों की आवाजाही, दूरसंचार, सीमा शुल्क प्रक्रियाएं, फार्मास्यूटिकल उत्पाद, सरकारी खरीद, आईपीआर, निवेश, डिजिटल व्यापार तथा अन्य क्षेत्र में सहयोग को कवर करेगा। भारत और यूएई के बीच सीईपीए लगभग सभी टैरिफ लाइनों क्रमशः भारत ( 11,908 टैरिफ लाइन ) तथा यूएई ( 7581 टैरिफ लाइन ) को कवर करता है। भारत को अपनी 97 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर यूएई द्वारा प्रदान की गई अधिमानी बाजार पहुंच से लाभ होगा जो मूल्य के संदर्भ में, विशेष रूप से रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, फुटवियर, खेल की वस्तुएं, प्लास्टिक्स, फर्नीचर, कृषि तथा लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल शामिल हैं, यूएई को भारतीय निर्यात का 99 प्रतिशत हिस्सा है। भारत भी यूएई को निर्यात दिलचस्पी की लाइनों सहित अपनी 90 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइन पर यूएई को तरजीही पहुंच की पेशकश करेगा।
जहां तक सेवाओं में व्यापार का सवाल है, भारत ने यूएई को लगभग 100 उप-क्षेत्रों में बाजार पहुंच की पेशकश की है जिनमें भारतीय सेवा प्रदाताओं की 11 व्यापक सेवा सेक्टरों जैसे ‘ व्यवसाय सेवाएं ‘, ‘ संचार सेवाएं ‘, ‘ निर्माण तथा संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएं ‘, ‘ वितरण सेवाएं ‘, ‘ शैक्षणिक सेवाएं ‘, ‘ पर्यावरणगत सेवाएं ‘, ‘ वित्तीय सेवाएं ‘, ‘ स्वास्थ्य संबंधित तथा सामाजिक सेवाएं ‘, ‘ पर्यटन तथा यात्रा सेवाएं ‘, ‘ मनोरंजक सांस्कृतिक एवं खेल सेवाएं ‘, और ‘ परिवहन सेवाएं ‘, जैसे व्यापक सेवा सेक्टरों के 111 उप-क्षेत्रों तक पहुंच होगी।
दोनों पक्षों ने भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उत्पादों, विशेष रूप से निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले उत्पादों के लिए 90 दिनों में स्वतः पंजीकरण एवं विपणन प्राधिकरण की पहुंच सुगम बनाने के लिए फार्मास्यूटिकल्स पर एक अलग अनुबंध पर भी सहमति जताई है।
11. भारत- सऊदी अरब रणनीतिक साझीदारी परिषद के तहत आर्थिक एवं निवेश स्तंभ की मंत्रालयी समिति बैठक आयोजित
- . एचसीआईएम के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत- सऊदी अरब रणनीतिक साझीदारी परिषद (एसपीसी) के तहत आर्थिक एवं निवेश समिति की पहली मंत्रालयी बैठक में भाग लेने के लिए 18-19 सितंबर, 2022 को सऊदी अरब के रियाद का दौरा किया। मंत्रालयी बैठक के दौरान, घटक संयुक्त कार्य समूहों द्वारा चिन्हित द्विपक्षीय सहयोग के 40 से अधिक क्षेत्रों पर चर्चा की गई और व्यापार तथा निवेश लिंकेजों को सुदृढ़ बनाने के लिए प्राथमिकता क्षेत्रों को कार्यान्वित करने के तरीकों पर बातचीत की गई। अन्य उच्च स्तरीय द्विपक्षीय सहयोगों में सऊदी अरब के वाणिज्य एवं ऊर्जा मंत्रियों, जुबैल एवं यानबु के रॉयल कमीशन के अध्यक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठकें शामिल हैं।
12. खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के महासचिव डॉ. नयेफ फलह एम अल.हजरफ का दौरा
- खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के महासचिव डॉ. नयेफ फलह एम अल.हजरफ ने 24 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली का दौरा किया तथा भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले,खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल के साथ द्विपक्षीय बैठक की। द्विपक्षीय सहयोगों के दौरान भारत और जीसीसी देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के पूरे परिदृश्य में परस्पर हितों के सभी मामलों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई। दोनों पक्षों ने भारत-जीसीसी एफटीए पर बातचीत आगे बढ़ाने की मंशा व्यक्त की तथा एफटीए पर बातचीतों को औपचारिक रूप से फिर से आरंभ करने के लिए अपेक्षित कानूनी और तकनीकी आवश्यकताओं को संपन्न करने में तेजी लाने पर सहमति जताई।
13. भारत-अमेरिका टीपीएफ सहयोग
- व्यापार नीति फोरम (टीपीएफ) समय समय पर बकाया व्यापारिक मुद्वों के समाधान के लिए द्विपक्षीय सहयोगों का एक प्रमुख स्तंभ है। इसका आयोजन वार्षिक रूप से किया जाता है और सह-अध्यक्षता एचसीआईएम तथा यूएसटीआर द्वारा की जाती है। चर्चाएं कृषि, गैर- कृषि वस्तुओं, सेवाओं तथा निवेश एवं बौद्धिक संपदा पर कार्य समूहों (डब्ल्यूजी) के इर्द गिर्द आयोजित की जाती हैं।
- चार सालों के अंतराल के बाद नई दिल्ली में नवंबर, 2021 में टीपीएफ को फिर से लांच किए जाने के बाद, कृषि, गैर- कृषि वस्तुओं, सेवाओं तथा निवेश एवं बौद्धिक संपदा पर टीपीएफ कार्य समूहों को पुनक्रियाशील किया गया। अधिकांश डब्ल्यूजी की वर्चुअल तरीके से बैठक हुई और डब्ल्यूटीओ विवादों आदि जैसे मुद्दो पर अलग से बैठकें आयोजित की गईं। इस संदर्भ में, टीपीएफ मुद्दों पर अनौपचारिक चर्चा करने के लिए अगस्त तथा अक्टूबर 2022 महीने में यूएसटीआर के कार्यालय से एक शिष्टमंडल ने भारत का दौरा किया।
. 13वीं मंत्रालयी टीपीएफ बैठक के 2023 के आरंभ में अमेरिका में आयोजित होने की उम्मीद है और दोनों ही पक्ष इसके लिए उल्लेखनीय एजेंडा अर्जित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।
14. पांचवीं भारत-कनाडा एमडीटीआई ( व्यापार एवं निवेश पर मंत्रालयी संवाद )
- पांचवीं भारत.कनाडा एमडीटीआई बैठक मार्च 2022 में नई दिल्ली में आयोजित की गई। कनाडा की व्यापार मंत्री सुश्री मैरी एनजी तथा एचसीआईएम ने भारत और सीईपीए वार्ता फिर से आरंभ की।
- पांचवीं एमडीटीआई बैठक के बाद कनाडा के पक्ष ने सूचित किया है कि कनाडा ने कनाडा को निर्यात करने के लिए भारतीय ताजे केलों तथा ताजे बेबी कॉर्न के लिए बाजार पहुंच की मंजूरी दे दी है जिस पर बैठक के दौरान सहमति हुई थी। भारतीय पक्ष ने भी मेथिल ब्रोमाइड (एमबीआर) द्वारा आगमन पर धूमन (फुमिगेशन) के मामले में कनाडा की दालों के लिए सिस्टम दृष्टिकोण को अंतिम रूप दिए जाने तक बिना दंड के दालों के आयात की अनुमति दे दी।
15. पहला अर्ली हार्वेस्ट पैकेज ( या आरंभिक प्रगति व्यापार समझौता/ईपीटीए) करने के एक प्रस्ताव के साथ भारत.कनाडा सीईपीए बातचीत की फिर से शुरुआत
· कनाडा की व्यापार मंत्री सुश्री मैरी एनजी के दौरे के दौरान, दोनों पक्षों ने ईपीटीए (आरंभिक प्रगति व्यापार समझौता या अंतरिम समझौता ) की संभावना के साथ सीईपीए बातचीत की औपचारिक रूप से फिर से शुरुआत कर दी। ईपीटीए सीईपीए के लिए एक प्रारंभिक कोशिश हो सकती है। इसका लक्ष्य दोनों पक्षों के लिए कुछ वस्तुओं पर प्रतिस्पर्धी टैरिफ खत्म करना/कम करना और विभिन्न सेक्टरों में आपूर्तिकर्ताओं के लिए नए सेवा बाजारों को खोलने का होना चाहिए। इस पर सहमति जताई गई कि ईपीटीए वस्तुओं, सेवाओं, उत्पत्ति के नियमों, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपायों, व्यापार की तकनीकी बाधाओं तथा विवाद निपटान और अन्य कोई भी सहमति प्राप्त क्षेत्रों में उच्चस्तरीय प्रतिबद्धता शामिल करेगी।
· नवंबर की समाप्ति तक पांच दौर संपन्न हो चुके हैं जिसमें तीसरा और चौथा दौर क्रमश-कनाडा और नई दिल्ली में वैयक्तिक रूप से (इन पर्सन) आयोजित हुए।
. . निम्नलिखित अध्याय/ध्नीतिगत क्षेत्र वर्तमान में बातचीत के अधीन हैं.
. 1. वस्तुओं में व्यापारध्राष्ट्रीय बर्ताव और बाजार पहुंच ( एनटीएमए)
. 2. सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और व्यापार सुगमीकरण
. 3. उत्पत्ति के नियम तथा उद्भव प्रक्रियाएं
. 4. व्यापार उपचार
. 5. स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपाय (एसपीएस)
. 6. व्यापार की तकनीकी बाधाएं (टीबीटी)
. 7. सेवाओं में व्यापार (टीआईएस) जिनमें (a) दूरसंचार सेवाएं, (b) तटस्थ व्यक्तियों की
आवाजाही/ व्यवसाय व्यक्तियों की अस्थायी प्रविष्टि, (c) पेशेवर सेवाएं तथा (d) वित्तीय सेवाएं
. 8. छोटे तथा मझोले आकार के उद्यम (एसएमई )
. 9. व्यापार एवं जेंडर
. 10. संस्थागत मामले (कोर प्रावधान तथा पारदर्शिता )
. 11. विवाद निपटान
. 12. पर्यावरण
. 13. श्रम
. 14. निवेश
16. भारत - प्रशांत आर्थिक संरचना ( आईपीईएफ ) के साथ जुड़ाव
· आईपीईएफ अमेरिका तथा भारत - प्रशांत क्षेत्र के अन्य साझीदार देशों द्वारा संयुक्त रूप से 23 मई, 2022 को टोक्यो में लांच किया गया था। भारत आईपीईएफ में शामिल हुआ। आईपीईएफ में क्षेत्र में विकास, शांति तथा समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ साझीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव को सुदृढ़ बनाने की इच्छा जताई गई है। इसकी संरचना समावेशी है और यह साझीदार देशों को उनकी संबंधित प्राथमिकता के आधार पर जुड़ने का लचीलापन प्रदान करता है।
· आईपीईएफ के साझीदार देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम तथा अमेरिका ( अभी तक 14 देश ) शामिल हैं।
· भारत ने तीन स्तंभों - आपूर्ति श्रृंखना ( स्तंभ 2 ), स्वच्छ अर्थव्यवस्था ( स्तंभ 3 )और उचित अर्थव्यवस्था ( स्तंभ 4 ) में शामिल हुआ।
· सीआईएम ने 8-9 सितंबर के दौरान अमेरिका के लॉस एंजिल्स में आईपीईएफ मंत्रालयी बैठक में भाग लिया जिस दौरान प्रत्येक स्तंभ में आगे की बातचीत की गुंजाइश को रेखांकित करते हुए मंत्रालयी संयुक्त वक्तव्य जारी किए गए।
- अपेक्षित परिणाम / लाभ हो सकते हैं : आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन में सहयोग, महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं में निवेश, जलवायु वित्त जुटाना, आर्थिक सहयोग, नियम आधारित व्यापारिक प्रणाली को बढ़ावा देना, तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण आदि।
17. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 12वां मंत्रालयी सम्मेलन (12-17 जून 2022) (एमसी-12 )
- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 12वां मंत्रालयी सम्मेलन(एमसी-12 ) 12-17 जून 2022 के दौरान स्विट्जरलैंड के जेनेवा में आयोजित हुआ और घोषणापत्रों, निर्णयों और समझौतों के रूप में संपन्न हुआ। भारत ने सीआईएम के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल के साथ सम्मेलन में भाग लिया। एमसी-12 एक सफल मंत्रालयी सम्मेलन साबित हुआ क्योंकि इसके परिणामस्वरूप सात वर्षों के बाद विभिन्न क्षेत्रों में परिणाम सामने आए। भारत ने उन सभी क्षेत्रों में वार्ता में रचनात्मक रूप से भाग लिया जो कार्यसूची का हिस्सा थे, जैसे कि कृषि, मत्स्य पालन, महामारी के प्रति विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया, ट्रिप्स छूट, ई-कॉमर्स पर स्थगन और विश्व व्यापार संगठन सुधार। परिणाम पैकेज में मत्स्य सब्सिडी, महामारी पर विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया, खाद्य असुरक्षा, ई-कॉमर्स सहित निर्णय शामिल थे। इन परिणामों ने विश्व व्यापार संगठन की बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को सुद्ढ़ बनाया है क्योंकि सदस्य परस्पर लाभकारी परिणामों की खोज में एकजुट हुए।
- वर्ष 2022 के दौरान, एमसी 12 तक, विभिन्न क्षेत्रों में वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए विश्व व्यापार संगठन में कई प्रस्तुतियाँ की गईं। जी-33 के साथ साथ भारत, खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों (पीएसएच) के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग का स्थायी समाधान प्राप्त करने से जुड़ा रहा है। मई 2022 में तीन बड़े समूहों -अफ्रीका समूह, अफ्रीका कैरिबियन और पैसिफिक ग्रुप ऑफ स्टेट्स (एसीपी) और जी-33 के 80 से अधिक देशों ने पीएसएच पर एक संयुक्त सामंजस्यपूर्ण मूल पाठ को सह-प्रायोजित किया।
- भारत ने अगस्त 2019 में विकासशील देशों के सुधार पत्र -विकास और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए विश्व व्यापार संगठन को सुद्ढ़ बनाना- प्रस्तुत करने संबंधी पहल में भी अग्रणी भूमिका निभाई जिसे फरवरी 2022 में और फिर से जुलाई 2022 में संशोधित किया गया ताकि सुधार चर्चा को एमसी 12 तक जीवित रखा जा सके । ।
- अपनी पारदर्शिता और अधिसूचना दायित्व प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिएए भारत ने कृषि पर समिति सहित अपनी विभिन्न समितियों में विश्व व्यापार संगठन को संगत अधिसूचनाएं प्रस्तुत कीं।
18. अनौपचारिक डब्ल्यूटीओ मंत्रालयी बैठक जनवरी 2022
- स्विट्ज़रलैंड द्वारा 21 जनवरी, 2022 को वर्चुअल प्रारूप में एक अनौपचारिक विश्व व्यापार संगठन मंत्रालयी सभा का आयोजन किया गया था। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीआईएम ने किया था। बैठक की अध्यक्षता स्विस परिसंघ के अध्यक्ष और संघीय पार्षद श्री गाय परमेलिन ने की और इसमें 29 मंत्रियों, उप.मंत्रियों और उच्च अधिकारियों ने भाग लिया जो विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता के व्यापक स्पेक्ट्रम का प्रतिनिधित्व करते थे।
- मंत्रियों को विश्व व्यापार संगठन में वार्ताओं की वर्तमान स्थिति के अपने आकलन को साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था और सदस्य देश (i) -ऐसे क्षेत्रों के संबंध में व्यावहारिक और ठोस परिणामों तक पहुंच सकते हैं जहां तत्काल प्रभाव औरध्या समझौतों सहित निर्णयों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए जिनमें वर्तमान और भविष्य में हो सकने वाली दोनों प्रकार की महामारियों के लिए विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए कि बौद्धिक संपदा प्रणाली सहित, बहुपक्षीय व्यापार नियम स्वास्थ्य संकट से निपटने और हानिकारक मत्स्य सब्सिडी पर समझौता के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करते हैं, एसडीजी 14.6 के अनुरूप हैं और (ii) डब्ल्यूटीओ के वार्ताकारी दायित्व, विवाद निपटान दायित्व और निगरानी और विचार-विमर्श कार्य में सुधार सहित कृषि पर समझौते के अनुच्छेद 20 के तहत बहुपक्षीय कृषि वार्ता के संबंध में और डब्ल्यूटीओ सुधार तथा भविष्य के डब्ल्यूटीओ के कार्यों और उद्देश्यों का मानचित्रण।
- सीआईएम ने टीकोंए दवाओं और उपकरणों के लिए पेटेंट छूट का आह्वान किया और रेखांकित किया कि विकसित दुनिया को महामारी की प्रतिक्रिया के रूप में विकासशील देशों में - बाजार पहुंच सुरक्षित करने के लिए आवरण - के रूप में महामारी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि मत्स्य संबंधी वार्ताओं पर यह आवश्यक था कि बड़े सब्सिडीदाता अपनी सब्सिडी को कम करने के लिए अधिक जिम्मेदारी लें क्योंकि उरुग्वे दौर के दौरान की गई गलतियों को दोहराया नहीं जाना चाहिए। एचसीआईएम ने कहा कि कृषि वार्ताओं में कृषि पर समझौते के अनुच्छेद 20 के तहत उन्हें आगे बढ़ाने का कोई भी प्रयास दोहा दौर के तहत विभिन्न मुद्दों पर अर्जित प्रगति पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत विशेष और विभेदकारी व्यवहार के सिद्धांत की पुष्टि करते हुए, संस्थापक सिद्धांतों पर समझौता किए बिनाए अपने सदस्य-संचालित चरित्र और आम सहमति.आधारित निर्णय लेने के संरक्षण के बिना संगठन को और अधिक समकालीन बनाने के लिए डब्ल्यूटीओ सुधारों के लिए प्रतिबद्ध था। उन्होंने यह भी सावधान किया कि विकासशील देशों को अपनी व्यापार नीति स्थान को रिक्त करने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
19 मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से सेवा व्यापार को बढ़ाना
- 2022 के दौरान, भारत ने 18 फरवरी, 2022 को यूएई के साथ और 2 अप्रैल, 2022 को ऑस्ट्रेलिया के साथ सेवाओं में व्यापार सहित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए। जहां भारत- यूएई व्यापक आर्थिक साझीदारी समझौता (सीईपीए) 1मई, 2022 को प्रभावी हो गया, भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ईसीटीए) अभी तक लागू नहीं हुआ है।
भारत यूएई समझौते में भारत के लिए महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार हैं-
- यूएई द्वारा सभी महत्वपूर्ण उप क्षेत्रों – (कुल 160 उप-क्षेत्रों में से 111) में व्यावसायिक रूप से सार्थक बाजार पहुंच प्रतिबद्धताएं
- अन्य देशों विशेषकर खाड़ी और अफ्रीकी क्षेत्र में निर्यात के हब के रूप में संयुक्त अरब अमीरात की क्षमता का लाभ उठाया जा सकता है। भारत के हित के प्रमुख क्षेत्रों में पर्याप्त निर्यात क्षमता-
- कंप्यूटर संबंधित सेवाओं में पूर्ण प्रतिबद्धता से भारतीय आईटी/आईटीईएस क्षेत्र को लाभ होगा।
- श्रव्य दृश्य सेवाओं, शिक्षा सेवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, पर्यटन और यात्रा संबंधी सेवाओं जैसी सेवाओं में प्रतिबद्धता भारत के सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगी
- पेशेवर सेवाओं ( नर्सिंग, इंजीनियरिंग, अकाउंटैंसी आदि ) तथा अन्य व्यवसाय सेवाओं में प्रतिबद्धताएं निर्यात को विविधीकृत करने में सहायता करेंगी।
- समझौते में पेशेवर तथा कुशल सेवाओं की पारस्परिक मान्यता पर बाध्यताएं पेशेवरों और कुशल श्रमिकों को सेवाओं की प्रदायगी को सुगम बनाएगी।
- कई सेवा क्षेत्रों में व्यवसाय आगंतुकों, इंट्रा कॉरपोरेट ट्रांसफरियों तथा संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं के लिए बाजार पहुंच की पेशकश की गई।
- इसी प्रकार, भारत से ऑस्ट्रेलिया को सेवा निर्यात के लिए व्यापार अवसरों की वृद्धि को भारत - ऑस्ट्रेलिया ईसीटीए में निम्नलिखित प्रतिबद्धताओं के माध्यम से बढ़ावा मिल सकता है : -
- ऑस्ट्रेलिया लगभग 135 उप-सेक्टरों में व्यापक और गहरी प्रतिबद्धताएं कर रहा है। आईटी, आईटीइएस, व्यवसाय सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऑडियो विजुअल जैसे भारत के हित के प्रमुख क्षेत्रों की ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रतिबद्धताएं की जा रही हैं।
- ऑस्ट्रेलिया ने 12 महीनों में पेशेवर सेवाओं में परस्पर मान्यता समझौतों ( एमआरए ) को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता की है।
- संधि में सेवा आपूर्तिकर्ताओं ( बिजनेस वीसा, संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ता , इंट्रा कॉरपोरेट ट्रांसफरी ) की आवाजाही की विभिन्न श्रेणियों में उदार प्रतिबद्धताओं की पेशकश की गई है।
- ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय छात्रों के लिए पोस्ट स्टडी वर्क वीसा ( 2-4 वर्ष ) की प्रतिबद्धता पर सहमति जताई है। ऑस्ट्रेलिया ने युवाओं के लिए वर्क एवं होलीडे वीसा के लिए सहमति जताई है।
- योग गुरुओं एवं भारतीय शेफ के लिए 1800 का वार्षिक कोटा
- वर्तमान में, भारत ब्रिटेन, कनाडा, ईयू तथा इजरायल के साथ सेवाओं में व्यापार सहित द्विपक्षीय एफटीए वार्ताओं के लिए सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। सेवाओं की अमूर्त प्रकृति के कारण, सेवा व्यापार की बाधाएं व्यापक रूप से प्रतिबंधात्मक और अनिश्चित बाजार पहुंच, घरेलू विनियमनों तथा उपचार की शर्तों के रूप में सामने आती हैं। मुक्त व्यापार समझौतों ( एफटीए ) में फोकस अधिकतम सेवा सेक्टरों में बाजार पहुंच तथा राष्ट्रीय बर्ताव में निश्चितता हासिल करने पर है और इसमें नियामकीय वातावरण की इच्छा जताई गई है जो पारदर्शी, वस्तुपरक और कम से कम बोझिल हो।
20. डब्ल्यूटीओ में बहुपक्षीय व्यापार में सेवा हितों को आगे बढ़ाना
- डब्ल्यूटीओ ( जून, 2022 ) के 12वें मंत्रालयी सम्मेलन (एमसी-12 )के लिए, दक्षिण अफ्रीका और इंडानेशिया के साथ साथ भारत ने सहित ई- कॉमर्स पर वर्क प्रोग्राम के तहत विकास संबंधित मुद्दों सहित कार्य को फिर से जीवंत बनने में सहायता करते हुए एक प्रस्तुति दी थी। भारत ने जोर देकर कहा कि वैश्विक ई- कॉमर्स में विकासशील देशों की बढ़ती भागीदारी एक चुनौती बनी हुई है और डब्ल्यूपीईसी के तहत वैश्विक ई- कॉमर्स के विकास संबंधी पहलुओं का कोई व्यापक आकलन नहीं किया गया है। इसी के अनुरुप, एमसी 12 पर, सदस्यों ने विद्यमान अधिदेश पर आधारित और विशेष रूप से इसके विकास पहलू की तर्ज पर डब्ल्यूपीईसी के तहत कार्य को जीवंत बनाने पर सहमति जताई।
- एमसी 11 के बाद से, भारत यह प्रदर्शित करते हुए कि ई- कॉमर्स अधिस्थगन पर विचार करना विकासशील देशों के लिए उनकी डिजिटल उन्नति के लिए नीतिगत स्थान को संरक्षित करने, आयातों को विनियमित करने और सीमा शुल्कों के माध्यम से राजस्व उत्पन्न करने के लिए महत्वपूर्ण है। एमसी 12 में, हालांकि अधिस्थगन को अस्थायी रूप से एमसी 13 ( या कम से कम 31 मार्च, 2024 तक ) तक बढ़ा दिया गया, सदस्यों ने इसके दायरे, व्याख्या और प्रभाव सहित अधिस्थगन पर बातचीतों में तेजी लाने पर सहमति जताई।
- वर्तमान और भविष्य की महामारियों पर डब्ल्यूटीओ प्रतिक्रिया पर एक मंत्रालयी घोषणापत्र एमसी 12 में अपनाया गया। इन वार्ताओं में, भारत ने निरंतर उन तत्वों के लिए तर्क रखा जो सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को परिलक्षित करते हैं। सेवाओं से संबंधित उल्लेखनीय तत्व जो मंत्रालयी घोषणापत्र में निहित थे, उनमें स्वास्थ्य सेवाओं तथा आईसीटी सेवाओं सहित सेवाओं में व्यापार को सुगम बनाने के महत्व को स्वीकार करना, सभी सेक्टरों में सेवा व्यापार तथा सदस्यों के आर्थिक सुधार में सहायता करने के लिए आपूर्ति के तरीकों के महत्व पर जोर देना, टीकाकरण प्रमाणपत्रों की मान्यता और अंतःपारस्परिकता तथा डिजिटल स्वास्थ्य अनुप्रयोगों को परस्पर मान्यता प्रदान करने सहित और आगे के सहयोग की प्रासंगिकता को स्वीकार करना, मांग के साथ आपूर्ति के त्वरित मिलान तथा सेवाओं से संबंधित परस्पर स्वीकृति नियमों जैसे कार्यकलापों सहित एक अंतरराष्ट्रीय महामारी प्रतिक्रिया पर अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ डब्ल्यूटीओ के काम करने के महत्व को नोट करने और भविष्य की महामारियों के लिए प्रभावी समाधान का निर्माण करने की आवश्यकता की पुष्टि शामिल हैं। इस संबंध में, सदस्यों ने निर्णय लिया कि सेवाओं में व्यापार के लिए परिषद या इससे संबंधित सहायक निकायों सहित संगत निकाय, जो सीखे गए हैं, उन सबकों तथा कोविड-19 महामारी के दौरान जिन चुनौतियों का अनुभव किया गया, उनका विश्लेषण करने का काम आरंभ करेंगे ।
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एमजी/एएम/एसकेजे
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