स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

डॉ. मनसुख मांडविया ने भारतीय फार्माकोपिया आयोग सम्मेलन- 2022 की अध्यक्षता की और भारतीय फार्माकोपिया के 9वें संस्करण का विमोचन किया


"भारत जेनेरिक औषधियों का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और मात्रा के आधार पर पूरे विश्व में जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति में इसकी 20 फीसदी हिस्सेदारी है"

हमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार, स्वदेशी उद्योगों और वैश्विक बाजार पर ध्यान केंद्रित करते हुए फार्माकोपिया क्षेत्र के लिए एक रोडमैप तैयार करने की जरूरत है : डॉ. मनसुख मांडविया

"चिकित्सा उत्पादों की मानक गुणवत्ता बनाए रखते हुए स्वास्थ्य और समृद्ध भारत विकसित करने के लिए फार्माकोपिया महत्वपूर्ण है"

Posted On: 01 JUL 2022 3:57PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण व रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित आईपीसी सम्मेलन- 2022 की अध्यक्षता की। इस सम्मेलन में उन्होंने इंडियन फार्माकोपिया (आईपी) के 9वें संस्करण का विमोचन किया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार भी उपस्थित थीं।

इस वर्ष के सम्मेलन की विषयवस्तु 'भविष्य के लिए चिकित्सा गुणवत्ता पर व्याख्यान' थी।

 

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0029D6U.jpg https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0039F57.jpg

 

इस अवसर पर डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत के फार्माकोपिया को पूरे विश्व में स्वीकार और सराहना किए जाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "हम जेनेरिक दवा सूत्रीकरण व निर्माण में विशेषज्ञता और विश्व को सस्ती दवा की आपूर्ति करके "विश्व की फार्मेसी" बन गए हैं। लेकिन हमें अभी भी औषध क्षेत्र में अनुसंधान को मजबूत करने की जरूरत है। अब तक चार देशों - अफगानिस्तान, घाना, नेपाल और मॉरीशस- ने आईपी को मानकों की पुस्तक के रूप में स्वीकार किया है। हमें एक रोडमैप बनाना चाहिए और इसे आगे बढ़ना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक देश हमारे फार्माकोपिया को स्वीकार करें।"

डॉं. मनसुख मांडविया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सोच और उस दिशा में हमारे काम के चलते विश्व ने हमें पहचानना व हमारे काम को महत्व देना शुरू कर दिया है और इसे स्वीकार कर रहा है। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि स्वदेशी दवाओं में हमारी मजबूती के आधार पर हमारे फार्माकोपिया अंतरराष्ट्रीय व्यापार और उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करके इसका लाभ कैसे उठा सकते हैं। स्वास्थ्य और समृद्ध भारत विकसित करने, हमारे चिकित्सा उत्पादों- टीकों, दवाओं, उपकरणों आदि की मानक गुणवत्ता बनाए रखने और रोगियों पर इन दवाओं के प्रभाव पर नजर रखने के लिए फार्माकोपिया महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने आगे इसका उल्लेख किया कि भारत जेनेरिक औषधि का विश्व में सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और मात्रा के आधार पर जेनेरिक की आपूर्ति में 20 फीसदी हिस्सेदारी हैस्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया कि भारत ने कोविड महामारी के दौरान 150 देशों को सुलभ और सस्ती टीकों की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा, “कई देशों में टीके व अन्य जेनेरिक औषधियों की आपूर्ति में हमने कभी भी गुणवत्ता और मानकों से समझौता नहीं किया, घटिया या नकली दवाएं नहीं दीं। इसके परिणामस्वरूप भारत ने वैश्विक ख्याति प्राप्त की है।"

 

इंडियन फार्माकोपिया के बारे में

भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) इंडियन फार्माकोपिया (आईपी) को औषध और प्रसाधन सामग्री अधिनियम- 1940 की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकाशित किया जाता है। आईपी भारत में उत्पादित और/या विपणन की जाने वाली औषधियों के लिए आधिकारिक मानकों को निर्धारित करता है और इस प्रकार औषधियों की गुणवत्ता के नियंत्रण व विश्वसनीयता में अपना योगदान देता है। आईपी के मानक आधिकारिक और कानूनी रूप से लागू करने योग्य हैं। इसका उद्देश्य हमारे देश में दवाओं के निर्माण, निरीक्षण और वितरण के लाइसेंस में सहायता करना है।

आईपी- 2022 में कुल 92 नए मोनोग्राफ (किसी एक विषय पर लेख) शामिल हैं। इनमें 60 रासायनिक, 21 विटामिन, खनिज तत्व (मिनरल्स), अमीनो एसिड, फैटी एसिड आदि, 3 जैव प्रौद्योगिकी से उत्पादित चिकित्सीय उत्पाद, 4 मानव टीके, 2 रक्त व रक्त संबंधित उत्पाद, 2 जड़ी बूटी और हर्बल संबंधित उत्पाद और 7 फाइटोफार्मास्युटिकल संघटक श्रेणी के मोनोग्राफ शामिल हैं। इन सब को मिलाकर आईपी के मौजूदा संस्करण में कुल 3152 मोनोग्राफ हो गए हैं। इसके अलावा, 12 नए सामान्य अध्याय भी प्रस्तुत किए गए हैं। मौजूदा वैश्विक जरूरतों के अनुरूप मोनोग्राफ और सामान्य अध्यायों को अद्यतन करने और यूएसपी, बीपी, ईपी इत्यादि जैसे अन्य फार्माकोपिया के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए कई संशोधन किए गए हैं। वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्य से आईपी को विदेशों में मान्यता और स्वीकार करने में सहायता मिलने की उम्मीद है।

आईपी के विमोचन के अवसर पर आईपीसी ने 350 से अधिक पंजीकृत प्रतिभागियों के साथ आईपीसी सम्मेलन- 2022 का आयोजन किया। ये प्रतिभागी शीर्ष फार्मा कंपनियों, राज्य व केंद्रीय औषधि नियामक निकाय, अंतरराष्ट्रीय फार्माकोपिया निकाय (बीपी, यूएसपी), उद्योग निकाय जैसे कि आईडीएमए, बीडीएमए, आईपीए आदि और अकादमिक क्षेत्र से थे। इस सम्मेलन के दौरान विषय के जानकारों ने फार्माकोपिया मानकों, नियामक व गुणवत्ता अपेक्षाओं और भारतीय औषध उद्योग से संबंधित विषयों पर प्रस्तुतियां दीं। इसके बाद पैनल चर्चा आयोजित की गई।

इस सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, स्वास्थ्य सेवाएं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल, भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ. वी. जी. सोमानी, आईपीसी के सचिव-सह-वैज्ञानिक निदेशक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी और उद्योग की शीर्ष हस्तियां उपस्थित थे।

*****

एमजी/एएम/एचकेपी/डीए



(Release ID: 1838689) Visitor Counter : 562