वस्त्र मंत्रालय
श्री पीयूष गोयल ने कपास की वर्तमान आपूर्ति में बढ़ोतरी करने और उत्पादकता को मजबूत करने से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए नवगठित टेक्सटाइल सलाहकार समूह के साथ मुंबई में एक संवादमूलक बैठक का आयोजन किया
गिनरीज और तेल निष्कर्षण इकाइयों से किसानों के खेतों में कपास तक पिंक बॉलवर्म कीट के हमले की निगरानी और रोकथाम के लिए गिनर्स सदस्यों के बीच उचित प्रौद्योगिकी (फेरोमोन ट्रैप प्रौद्योगिकी) को अनिवार्य बनाएं- श्री गोयल
उन्होंने किसानों को नकली बीजों के बारे में जानकारी देने और उचित बीजों के बारे में शिक्षित करने के लिए कृषि क्षेत्रों में अभियान चलाने पर जोर दिया
श्री गोयल ने मूल्य श्रृंखला में विश्वसनीय, सटीक आंकड़ों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए स्व-अनुपालन के आधार पर पता लगाने की क्षमता, निरतंरता, परिपत्रता सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया
उन्होंने मौजदा जरूरत को पूरा करने के लिए, स्टॉक उपलब्ध होने वाले गंतव्यों से आयात की सुविधा प्रदान करने तथा प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को हल करने की जरूरत बताई
टेक्सटाइल सलाहकार समूह के अध्यक्ष और कपास के क्षेत्र में काम करने वाले प्रसिद्ध व्यक्ति श्री सुरेश कोटक ने यह मत व्यक्त किया कि कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीज प्रणाली में सुधार करना समय की आवश्यकता है
Posted On:
30 MAY 2022 11:35AM by PIB Delhi
केन्द्रीय वस्त्र, वाणिज्य, उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कल आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, मुंबई में नवगठित टेक्सटाइल सलाहकार समूह के साथ एक संवादमूलक बैठक का आयोजन किया। वस्त्र सचिव श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह ने टेक्सटाइल सलाहकार समूह के साथ विचार-विमर्श की शुरुआत की। इस समूह में केन्द्रीय वस्त्र, कृषि और किसान कल्याण, वाणिज्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी और अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र के अधिकारी तथा कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी और हितधारक शामिल हैं। इस बैठक में प्रमुख संघों और विशेषज्ञों के माध्यम से पूरी वस्त्र मूल्य श्रृंखला का प्रतिनिधित्व किया गया।
टेक्सटाइल सलाहकार समूह के अध्यक्ष और कपास के क्षेत्र में काम करने वाले प्रसिद्ध व्यक्ति श्री सुरेश कोटक ने टेक्सटाइल सलाहकार समूह की बैठक की अध्यक्षता की। जिसका गठन 17 मई 2022 को नई दिल्ली में आयोजित हितधारकों की परामर्श बैठक के दौरान श्री गोयल के निर्देशों के अनुपालन में किया गया है। उन्होंने विशेष रूप से जल्दी पकने वाली किस्मों की बुवाई के लिए बीज उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत और मौजूदा ठहराव से भारतीय कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीज प्रणाली में सुधार करने की जरूरत पर जोर दिया था। उन्होंने घरेलू और अन्य देशों से स्टॉक संभावनाओं के संबंध में कपास की उपलब्धता बढ़ाने के संभावित तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कपास की उपलब्धता की स्थिति अब सामने आई है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्रोतों से समय पर शिपिंग (लदान) सुनिश्चित करने के लिए सामग्री संबंधी मदद करने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि कपास उत्पादन और खपत से संबंधित समिति के अनुमानों के आधार पर, कैरी ओवर/क्लोजिंग स्टॉक 41.27 लाख गांठों का है, जो उपयोग अनुपात का लगभग 12.66 प्रतिशत और 45 दिनों की खपत के स्टॉक के बराबर है। उन्होंने कपास अर्थव्यवस्था के लिए ‘‘मैं हूं क्योंकि हम हैं’’ के सिद्धांत पर विचार करने और मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उत्पादकता संबंधी मुद्दों के बारे में विचार करने के लिए इंडियन सोसाइटी फॉर कॉटन इम्प्रूवमेंट के अध्यक्ष श्री सी.डी. माई ने कपास की फसल को पिंक बॉलवर्म के हमले से बचाने के लिए पीबी नॉट की नवीनतम तकनीक सहित कपास कृषि-अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। श्री विकास पाटिल, निदेशक, विस्तार और प्रशिक्षण, कृषि आयुक्तालय, महाराष्ट्र ने उत्पादकता वृद्धि, मूल्य श्रृंखला विकास और कपास में पिंक बॉलवर्म प्रबंधन के संबंध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई पहलों के बारे में जानकारी दी।
श्री गोयल ने यह आह्वान किया कि उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारकों की रोकथाम समयबद्ध तरीके से परियोजना मोड में किए जाने की जरूरत है। जिनिंग सेगमेंट को जिम्मेदारी लेते हुए गिनरीज और तेल निष्कर्षण इकाइयों से किसानों के खेतों में कपास तक पिंक बॉलवर्म कीट के हमले की निगरानी और रोकथाम के लिए गिनर्स सदस्यों के बीच उचित प्रौद्योगिकी (फेरोमोन ट्रैप प्रौद्योगिकी) को अनिवार्य बनाने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस संबंध में राज्य सरकारों के प्रयासों के साथ-साथ कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से फेरोमोन ट्रैप प्रौद्योगिकी के अनिवार्य उपयोग के लिए सभी को संवेदनशील बनाया जाए। श्री गोयल ने उद्योग से जिनिंग दक्षता और उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए मॉडल विकसित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री तथा कॉटन टेक्सटाइल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के योगदान से कपास की फसल को पिंक बॉलवर्म के हमले से बचाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
नीतिगत निर्णय, व्यापार सुविधा, पता लगाने की क्षमता आदि को सक्षम करने के लिए मूल्य श्रृंखला में आंकड़ों की सटीकता की जरूरत के बारे में जानकारी देते हुए श्री गोयल ने निर्देश दिया कि कॉटन एसोसिएशन और गिनर्स के साथ-साथ कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री और सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन की जानकारी के साथ एक पोर्टल का सृजन किया जाए, जो स्व-अनुपालन मोड में काम करे। अगर अनुपालन और स्व-अनुपालन से परिणाम प्राप्त न हो तो कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जैसी प्रणालियों में ‘डिसइंसेटिव्ज’ बनाया जा सकता है। ऐसे डिफाल्टर के साथ किसी भी प्रकार का लेन-देन न किया जाए और किसी भी प्रकार के सरकारी लाभों को विवरण प्रस्तुत करने के साथ जोड़ा जाए।
बैठक में वर्तमान सीजन के लिए समर्पित कार्रवाई के साथ बीज गुणवत्ता के मुख्य मुद्दे पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। संयुक्त सचिव, बीज ने यह जानकारी दी कि घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध है। उद्योग जगत ने मत व्यक्त किया कि ठीक और गलत प्रकार के बीजों में पहचान किए जाने की जरूरत है। श्री गोयल ने नकली अवैध बीजों की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए कृषि क्षेत्रों में अभियान चलाने के बारे में जोर दिया।
आयात द्वारा थोड़े समय में बीजों की उपलब्धता में वृद्धि करने के उपायों के बारे में जानकारी देते हुए, वस्त्र सचिव श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कुछ गंतव्यों से आयात करने के लिए प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के बारे में किसान कल्याण मंत्रालय से संपर्क करने की सलाह दी। आयात शुल्क की छूट की अवधि 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ाने के बारे में, श्री गोयल ने इस मामले को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया।
एचडीपीई/रंग में पैकेजिंग सामग्री के बारे में रासायनिक और उर्वरक मंत्रालय से सुविधा प्रदान करने की जरूरत है। इस बैठक का समन्वय टेक्सटाइल कमिश्नर और कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
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